My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Knowledge Zone (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=32)
-   -   भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से ) (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2346)

sagar - 02-04-2011 06:37 PM

भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
इस सूत्र में भुत सम्बन्धी किस्से कहानी बताई जायेगी

sagar - 02-04-2011 06:44 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
नोट:- ये नेट से ली हुई कहानी हे इसमें कितनी सचाई हे कहना मुश्किल होगा

रात के लगभग १२ बज रहे थे. जनवरी का महिना, दिनांक: २७, वर्ष: २००९, स्थान: दिल्ली के साकेत में मेरा किराये पर लिया गया फ्लैट. मेरे फ्लैट में दो कमरे है, एक अन्दर की ओर और बाहर की ओर. बाहर वाले कमरे से घर के अन्दर आने का रास्ता और एक छोटा सा बालकोनी भी है. बाहर के कमरे में मैं और अन्दर के कमरे में मेरा भाई सोते थे. जनवरी का महिना… दिल्ली की कड़ाके की ठण्ड. भाई भी नहीं था तो उस रात मैं अन्दर वाले कमरे में सो गया. रजाई की गर्मी में चैन की नींद सो रहा था.


अचानक एक आवाज से मेरी नींद टूटी. छत से लटका पंखा पुरे वेग से जोरों से आवाज करता घूम रहा था. पंखे से ज्यादा तेज मेरा दिमाग घूम गया ये सोंच कर कि पंखा आखिर चला कैसे. स्विच बोर्ड पर हाथ डाला तो पंखे का स्विच ओन था. अकेले फ्लैट में सिर्फ मैं था, चारों ओर से खिड़कियाँ और दरवाजे बंद थे, फिर पंखे का स्विच किसने ओन कर दिया. खैर पंखे को बंद किया और फिर आराम से रजाई में दुबक गया. सुबह लेट से आँख खुली. रात की बात याद थी. एक बार फिर स्विर्च को ओन-ऑफ करके चेक किया कि कहीं स्विच तो ढीला नहीं हो गया. पर स्विच एक दम नया मालूम पड़ रहा था. खैर संयोग सोंच कर बात को भूल गया.


कुछ दिनों बाद मेरा भाई वापस आ गया. फिर हम अपने अपने कमरे में सोने लगे. मेरे भाई को देर रात तक पढने की आदत है. फरवरी का महिना (इस महीने में भी दिल्ली में इतनी ठण्ड तो जरूर होती है कि कोई भी पंखा नहीं चलाता) रात के करीब करीब १२ बजे पंखा फिर घुमने लगा. इस बार उस कमरे में मैं नहीं मेरा भाई था. बाहर के कमरे में मैं चैन की नींद सो रहा था. भाई थोडा घबरा गया अचानक पंखा चलने से… उसने डरते हुए स्विच ऑफ किया (इस बार भी स्विच ओन हो गया था खुद-ब-खुद) और दोबारा पढने बैठ गया. सुबह इस बात को उसने मुझे बताई. मैं सोंच में पड़ गया कि एक ही सप्ताह के अन्दर दो बार एक ही घटना… माजरा तो जानना ही पड़ेगा. पकड़ लाया मैंने एक मेकेनिक को स्विच और पंखे की जांच के लिए. पर सब कुछ ठीक मिला. मेकेनिक के अनुसार कोई गड़बड़ी नहीं थी. फिर संयोग मान कर बात को भूल गया.


कुछ दिनों के बाद भाई अचानक रात में मेरे पास आकर सो गया. सुबह पूछने पर बताया कि रात उसे डर लग रहा था. मैंने पूछा डर किस बात का तो जवाब से उसके मेरे भी सर में दर्द हो गया. उसने बताया कि उसे लगा कि उसके बिस्तर पर पैर के पास कोई बैठ उसे घुर रहा है. मैंने उसे प्यार से समझाया कि उसका वहम होगा, सपना देखा होगा कोई. भुत-प्रेत जैसी बातें नहीं होती है. बात उसके समझ में आ गयी. कुछ दिनों बाद उसकी तबियत अचानक खराब हो गयी और उसे घर (पूर्णिया, बिहार) जाना पड़ गया. एक बार फिर मैं अकेला था. महिना फरवरी का ही था… हाँ दो दिनों के बाद ही फरवरी २००९ ख़त्म होने वाला था. दिन शनिवार. उस दिन मेरा एक मित्र मेरे घर आया हुआ था. रात काफी देर तक बात करने के बाद हमने सोने का मूड बनाया और मित्र को मैंने अन्दर वाले कमरे में सोने को भेज दिया और खुद बाहर वाले कमरे में सो गया (मुझे अपने कमरे में ही अच्छी नींद आती है). बीच रात अचानक वो भी घबरा कर मेरे पास आ कर सो गया. सुबह उसने भी वही कहा जो मेरे भाई ने बताया था. मेरे मित्र को भी बिस्तर पर किसी के होने का अहसास हुआ था… इस बार बात सोंचने वाली थी…. संयोग एक बार हो सकते है पर बार बार नहीं… वहम एक को हो सकता है… पर एक ही वहम तीन लोगों को…. ये सोंचने वाली बात है…


अगली रात रविवार मैं अपने फ्लैट में अकेला था. अन्दर वाले कमरे की बत्ती बुझी हुई थी और मैं अपने कमरे में बिस्तर पर अधलेटा, दीवाल से सिर टिकाये कुछ पढ़ रहा था. अचानक मुझे लगा कि अन्दर वाले कमरे में कोई है. मैंने अपनी नजरें उठाई और अन्दर वाले कमरे की तरफ देखा… एक साया नजर आया… साए को देख कर इतना तो कह सकता हूँ कि वो साया किसी लड़की का था. पल भर को तो शरीर अकड़ सा गया. वो साया मेरी ही ओर देख रहा.. सॉरी देख रही थी… और मैं एक तक उस साए को… लगभग २०-२५ सेकेंड के बाद मैंने अपने शरीर को बुरी तरह झिंझोड़ा और बिस्तर से उठ कर अन्दर वाले कमरे की ओर बढा… पर दरवाजे तक पहुँचते-पहुँचते वो साया मेरी ही आँखों के सामने गायब हो गयी… तेजी से अन्दर वाले कमरे में दाखिल हुआ. बल्ब जलाया और चारों ओर देखा परन्तु कोई नहीं था. बिस्तर के निचे, दरवाजे के पीछे, अलमारी के पीछे सब जगह चेक किया पर कोई न था. तुरंत बाहर वाले कमरे में आया. और मैं दरवाजे को खोलकर बाहर आया, छत पर गया, बालकोनी भी चेक की पर नतीजा कुछ नहीं निकला.


वापस अपने कमरे में आ गया. डर, बेचैनी, घबराहट और सोंच के कारण फिर रात भर नहीं सो पाया. अगले दिन सोमवार करीब रात के ९ बजे ऑफिस से घर वापस आ रहा था. अपने घर की गली में पहुँच कर बस ऐसे ही (रोज की तरह) अपने फ्लैट की ओर निचे से देखा (ये जानने के लिए की खाना बनाने वाली आई है या नहीं, अगर वो आती है तो कमरे की बत्ती जली रहती है)… पर अंधेरी बालकोनी में मैंने साफ़ साफ़ किसी लड़की को खड़े देखा. सामने वाले घर से इतनी रौशनी तो आ रही थी कि मैं अपनी बालकोनी में कड़ी किसी लड़की को देख सकूँ… मैं भागता हुआ अपने फ्लैट तक पहुंचा, ताला खोला और अन्दर दाखिल हुआ, सबसे पहले कमरे की बत्ती जलाई फिर बालकोनी की ओर भागा. पर वहां कोई नहीं मिला. फिर से पूरा घर छान मारा यहाँ तक की छत भी… पर नतीजा वही ढाक के तीन पात.. मेरे घर की बालकोनी के ही सामने वाले घर की छत है जिस पर एक तथा-कथित आंटी कड़ी थी. मैंने आंटी से पूछ कि क्या उसने मेरी बालकोनी में किसी को खड़े देखा था अभी अभी. पर जवाब नकारात्मक मिला. उन्होंने बताया कि वो वहां पर लगभग एक घंटे से है और उन्होंने मेरी बलोकोन्य में किसी को भी नहीं देखा, हाँ वरण काम वाली आधे घंटे पहले तक थी.


मेरे लिए ये घटना डर, बेचैन करने वाली, और सोंचने पर मजबूर करने वाली थी. उस रात के बाद मैंने कई रात उसे तलासने की कोशिश की, उसे फिर से देखने की कोशिश की. पर ढूंढ़ नहीं पाया. हाँ कुछ कुछ दिनों के अंतराल पर वो साया अपने होने का अहसास जरूर अभी भी करवाती रहती है.


मैं आज तक इसी उधेड़बुन में हूँ कि वो मेरा वहम था या मेरी सोंच से भी बढ़कर कोई सत्य….

VIDROHI NAYAK 02-04-2011 07:30 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
एक वाकया मेरे पास भी है ! मेरे निवास से कुछ किलोमीटर दूर एक बालाजी का मंदिर है ! विगत वर्ष मै वहां पर एक शूट के लिए गया था ! बातो ही बातो में वहां भूत उतारने वाली क्रियाओं के शूट का प्लान बना ! हमने अविश्वासी होकर अपना कार्य चालू किया ! वहां पर कई औरते कुछ अजीब सी क्रियाकालापे कर रही थी ! हम सब उन्हें देखकर हंस रहे थे और उनका मजाक उड़ा रहे थे ! मंदिर के पुजारी ने हमें समझाया भी पर विज्ञान का भूत सवार था हमारे ऊपर ! हमने वहाँ शूट किया और वापस अपने निवास की और चल पड़े ! शाम हो गई थी और हल्का अँधेरा भी हो गया था !अब उन सब बातो का ख्याल आते ही हम सब को हल्का हल्का डर लगने लग गया था ! कुछ ही देर में हामरी एक महिला सहयोगी भी कुछ वैसी ही हरकते करने लगी ! पहले तो ये मजाक लगा परन्तु उसका चेहरा लाल पड़ने लगा था ! बहुत प्यास भी उसे लगने लगी थी ! और तो और आवाज़ भी कुछ बदली बदली हो गई थी ! मैंने कभी भी इन चीजों पे यकीं नहीं किया पर सच पूछो तो उस दिन मेरी घिग्घी बंध गई थी ! सुनसान रास्ता था और कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करें ! हमने वापस उसी मंदिर में जाने का निर्णय लिया और वहां जाकर पुजारी जी की कुछ पूजा पाठ के बाद वह ठीक हुई ! बाद में पूछने पर कुछ याद ना होने की बात बताई ! पुजारी जी ने वो टेप भी मांग लिए ! अब तो कुछ कुछ यकीं हमें होने लगा था ! अब एक बात तो समझ आती है , ये कुछ चीजे ऐसी हैं जिनके बारे में कोई एक मत नहीं दिया जा सकता !
__________________

sagar - 02-04-2011 07:34 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
Quote:

Originally Posted by vidrohi nayak (Post 68435)
एक वाकया मेरे पास भी है ! मेरे निवास से कुछ किलोमीटर दूर एक बालाजी का मंदिर है ! विगत वर्ष मै वहां पर एक शूट के लिए गया था ! बातो ही बातो में वहां भूत उतारने वाली क्रियाओं के शूट का प्लान बना ! हमने अविश्वासी होकर अपना कार्य चालू किया ! वहां पर कई औरते कुछ अजीब सी क्रियाकालापे कर रही थी ! हम सब उन्हें देखकर हंस रहे थे और उनका मजाक उड़ा रहे थे ! मंदिर के पुजारी ने हमें समझाया भी पर विज्ञान का भूत सवार था हमारे ऊपर ! हमने वहाँ शूट किया और वापस अपने निवास की और चल पड़े ! शाम हो गई थी और हल्का अँधेरा भी हो गया था !अब उन सब बातो का ख्याल आते ही हम सब को हल्का हल्का डर लगने लग गया था ! कुछ ही देर में हामरी एक महिला सहयोगी भी कुछ वैसी ही हरकते करने लगी ! पहले तो ये मजाक लगा परन्तु उसका चेहरा लाल पड़ने लगा था ! बहुत प्यास भी उसे लगने लगी थी ! और तो और आवाज़ भी कुछ बदली बदली हो गई थी ! मैंने कभी भी इन चीजों पे यकीं नहीं किया पर सच पूछो तो उस दिन मेरी घिग्घी बंध गई थी ! सुनसान रास्ता था और कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करें ! हमने वापस उसी मंदिर में जाने का निर्णय लिया और वहां जाकर पुजारी जी की कुछ पूजा पाठ के बाद वह ठीक हुई ! बाद में पूछने पर कुछ याद ना होने की बात बताई ! पुजारी जी ने वो टेप भी मांग लिए ! अब तो कुछ कुछ यकीं हमें होने लगा था ! अब एक बात तो समझ आती है , ये कुछ चीजे ऐसी हैं जिनके बारे में कोई एक मत नहीं दिया जा सकता !
__________________

भाई कोई माने या ना माने में मानता हू की भुत होते हे

Bholu 02-04-2011 08:14 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
आज आपके सामते एक मुस्लिम परिवार के बारे मै बताने जा रहूँ के कैसे पूरा परिवार खत्म हो गया
ये लोग मेरे मोहल्लो से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर रहते थे

sagar - 02-04-2011 08:25 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
बताओ भोलू ...केसे क्या हुआ

ndhebar 02-04-2011 08:29 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
मैं इन बातों को नहीं मानता

(ये बात मैं अपने दिल को हिम्मत देने के लिए कह रहा हूँ वर्ना रात को नींद नहीं भूत के सपने आयेंगे):gm::gm:

Bholu 02-04-2011 08:32 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 68506)
मैं इन बातों को नहीं मानता

(ये बात मैं अपने दिल को हिम्मत देने के लिए कह रहा हूँ वर्ना रात को नींद नहीं भूत के सपने आयेंगे):gm::gm:

आप मैच खतम होने के बाद आपकी मुलाकाल कुछ ऐसे बाक्य से कराऊगाँ

VIDROHI NAYAK 02-04-2011 08:32 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
Quote:

Originally Posted by ndhebar (Post 68506)
मैं इन बातों को नहीं मानता

(ये बात मैं अपने दिल को हिम्मत देने के लिए कह रहा हूँ वर्ना रात को नींद नहीं भूत के सपने आयेंगे):gm::gm:

चाकू अपने पास रख के सोना !

Bholu 02-04-2011 08:34 PM

Re: भुत, वहम, संयोग या सत्य ( किस्से )
 
Quote:

Originally Posted by sagar - (Post 68499)
बताओ भोलू ...केसे क्या हुआ

मैच खतम होने तक का समय दे


All times are GMT +5. The time now is 09:59 PM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.