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bindujain 11-05-2014 07:01 AM

माँ
 
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bindujain 11-05-2014 07:04 AM

Re: माँ
 
माँ
-अरुंधती आमड़ेकर

संबंध नहीं हैं माँ केवल संपर्क नहीं है
आदर्श है जीवन का केवल संबोधन नहीं है

जन्*मदात्री है वो मात्र इंसान नहीं है
व्*यक्तित्*व बनाती है, केवल पहचान नहीं है

ममता की प्रतिमा है केवल नारी का एक रूप नहीं है
स्*नेह की छाया है केवल कठोरता की धूप नहीं है


हृदय है इसका प्रेम का सागर, जिसकी कोई थाह नहीं है
आघातों से पीड़ित है फिर भी मुख पर आह नहीं है

आघात जो मिले है अपनो से, सहने के अतिरिक्त राह नहीं है
दंडित करने की अधिकारी है, मात्र क्षमा का प्रवाह नहीं है

कृतघ्न हैं वो जो माता को आहत करते हैं
कर्तव्*यों से मुँह मोड़ अधिकारों का दावा करते हैं

संतान के रक्षण हेतु माता न जाने क्*या क्*या करती है
पीड़ाओं को सहकर भी आँचल की छाया देती है

कभी देवकी बनकर वो निरपराध ही दंड भोगती है
कभी अग्नि में पश्चाताप की कैकयी सी बन जलती है

सुपुत्रों से आज है मेरा नम्र निवेदन
दु:ख न दें, भले न दे सुख का आँगन


bindujain 11-05-2014 07:07 AM

Re: माँ
 
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bindujain 11-05-2014 07:08 AM

Re: माँ
 
एक बालक अपने माँ-बाप की खूब
सेवा किया करता !
उसके दोस्त उससे कहते कि अगर
इतनी सेवा तुमने
भगवान की की होती तो तुम्हे
भगवान मिल
जाते !
लेकिन इन सब चीजो से अनजान
वो अपने
माता पिता की सेवा करता रहा !
एक दिन उसकी माँ बाप की सेवा-
भक्ति से खुश
होकर भगवान धरती पर आ गये !
उस वक्त वो बालक अपनी माँ के
पाँव
दबा रहा था !
भगवान दरवाजे के बाहर से बोले -
दरवाजा खोलो बेटा मैं
तुम्हारी माता-
पिता की सेवा से प्रसन्न होकर तुम्हे
वरदान देने
आया हूँ !
बालक ने कहा -इंतजार करो प्रभु मैं
माँ की सेवा मे लगा हूँ !
भगवान बोले -देखो मैं वापस
चला जाऊँगा !
बालक ने कहा -आप जा सकते है
भगवान मैं
सेवा बीच मे नही छोड़ सकता !
कुछ देर बाद उसने
दरवाजा खोला तो क्या देखता है
भगवान बाहर
खड़े थे !
भगवान बोले -लोग मुझे पाने के लिये
कठोर
तपस्या करते है पर मैं तुम्हे सहज ही मे
मिल
गया पर तुमने मुझसे प्रतीक्षा करवाई !
बालक ने जवाब दिया -हे ईश्वर जिस
माँ बाप
की सेवा ने आपको मेरे पास आने
को मजबूर कर
दिया उन माँ बाप की सेवा बीच मे
छोड़कर मैं
दरवाजा खोलने कैसे आता !
यही इस जिंदगी का सार है !
जिंदगी मे हमारे माँ-बाप से बढ़कर
कुछ नही है !
हमारे माँ-बाप ही हमे ये जिंदगी देते
है !
यही माँ-बाप अपना पेट काटकर
बच्चो के लिये
अपना भविष्य खराब कर देते है इसके
बदले
हमारा भी ये फर्ज बनता है कि हम
कभी उन्हे दुःख ना दे !
उनकी आँखो मे आँसू कभी ना आये
चाहे
परिस्थिति जो भी हो ;प्रयत्न
कीजियेगा.

bindujain 11-05-2014 07:08 AM

Re: माँ
 
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bindujain 11-05-2014 07:10 AM

Re: माँ
 
माँ तो कभी न मिटने वाली भूख और प्यास का नाम है!
माँ ही गीता, माँ ही रामायण, माँ ही बाईबिल व कुरान है!
माँ शब्द में ही निहित सारे तीर्थ, माँ ही तो चारों धाम है!
माँ से शुरू है हर दिन, और माँ से ही हर दिन की शाम है!

माँ से बढकर कोई गुरु नहीं हो सकता, माँ से बढकर कोई भगवान नहीं हो सकता !

गर न हो दुनिया में माँ का स्वरूप, तो फिर दुनिया में कोई इन्सान नहीं हो सकता !!
माँ के प्यार- दुलार और फटकार से कीमती जहान में कोई अरमान नहीं हो सकता !
जो गर न हो धरती पे माँ का अस्तित्व तो फिर आसमान में भगवान नहीं हो सकता !!


bindujain 11-05-2014 07:10 AM

Re: माँ
 
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bindujain 11-05-2014 07:15 AM

Re: माँ
 
माँ की ममता


ईरान में सात साल पहले एक लड़ाई में अब्*दुल्*ला का हत्यारा बलाल को सरेआम फांसी देने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. इस दर्दनाक मंजर का गवाह बनने के लिए सैकड़ों का हुजूम जुट गया था. बलाल की आंखों पर पट्टी बांधी जा चुकी थी. गले में फांसी का फंदा भी लग चुका था.
अब, अब्*दुल्*ला के परिवार वालों को दोषी के पैर के नीचे से कुर्सी हटाने का इंतजार था. तभी, अब्*दुल्*ला की मां बलाल के करीब गई और उसे एक थप्*पड़ मारा. इसके साथ ही उन्*होंने यह भी ऐलान कर दिया कि उन्*होंने बलाल को माफ कर दिया है. इतना सुनते ही बलाल के घरवालों की आंखों में आंसू आ गए. बलाल और अब्*दुल्*ला की मां भी एक साथ फूट-फूटकर रोने लगीं.


bindujain 11-05-2014 07:15 AM

Re: माँ
 
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bindujain 11-05-2014 07:19 AM

Re: माँ
 
माँ का आँचल
जीवन की धूप में
जैसे बादल !

दुःखों ने घेरा
सुखों ने मुँह फेरा
माँ याद आई !

बेटी के आँसू
झरना बन बहे
माँ की आँखों से !

याद आती है
निंद्राहीन रातों में
माँ की थपकी !

अम्मा की लोरी
गूँजती है कानों में
सालों बाद भी !

झुर्रियाँ तेरी
माँ, तेरे संघर्ष की
अनंत गाथा !

सारे सितारे
झोली में आ गिरे जो
माँ ने दुलारा !

मैं अकिंचन
कैसे उतारूँ क़र्ज़
तेरे प्यार का !

जो कहानियाँ
सुनाईं थीं तूने माँ
सीख दे गयीं !

अस्थि मज्जा से
तन गढ़ा, आत्मा को
दिये संस्कार !

शिक्षा से तेरी
परिष्कृत होती माँ
अगली पीढ़ी !

तेरा स्पर्श माँ,
दर्द निवारक, तू
धनवंतरी !

माँ तेरी बातें
बचपन की यादें
आँसू ले आयें !

स्वप्न में खोई
आँचल की छाँव में
सुख से सोई !

याद रहेगी
जब तक हैं साँसें
ममता तेरी !

सारे जग में
तुझसा हितैषी माँ
कोई ना मिला !

कोटि प्रणाम
कृतज्ञ ह्रदय के
स्वीकारो माँ !



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