अजीबो-गरीब नौकरी
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राजा-रानी का मल साफ करना... राजा-महाराजाओं के मल को नितम्बों से साफ़ करने का काम जिस नौकर को मिलता था, वह सबसे ख़ास आदमी होता था. महाराज या महारानी और उसके बीच में किसी भी चीज का पर्दा नहीं होता था. वे अपनी गुप्त बातें नौकर को भी बताया करते थे. एक तरह से कहा जाए तो सबसे शक्तिशाली नौकर होता था और उससे सारे दरबारी ईर्ष्या करते थे. |
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मानव अलार्म सोने से जगाने के लिए भी नौकर रखे जाते थे। नौकर दरवाजे को डंडे से खटखटाते थे। यह एक तरह से मानव अलार्म की तरह था। |
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जान पर खेल कर मनोरंजन राजदरबार में राजा को बोरियत न हो, इसके लिए एक मसखरा जरूर रखा जाता था। ऐसी ही एक घटना में प्रसिद्द राजा 'विलियम द कन्कर' का मनोरंजन कर रहा मसखरा तलवारों की कलाबाजी दिखाते हुए मारा गया था। |
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किराए की औरतों से स्तनपान बच्चों को स्तनपान कराने के लिए नौकरानियों रखी जाती थी।10वीं शताब्दी में यूरोप में यह नौकरी सबसे ज्यादा लोकप्रिय मानी जाती थी। लेकिन, इस कारण से बच्चों में कई तरह की बीमारियां भी होती थीं। |
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तालाब में उतर कर खून पीने वाली लीच बटोरना मध्ययुग में खून पीने वाली 'लीच' बटोरने का काम नौकरों को दिया जाता था। इसकी चिकित्सा में बहुत बड़ी भूमिका थी। शरीर के खुले घावों को भरने और गंदे खून को पीने के लिए इसे उपयोग में लाया जाता था। इससे इन्फेक्शन के खतरे से मुक्ति मिल जाती थी। |
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पेशेवर रोने वाले लोग 156 ईसापूर्व चीन में वू ऑफ हान के राज में किसी भी शोक समारोह में किराए पर रोने वाले लोग लाए जाते थे। अंतिम संस्कार के दौरान रिश्तेदारों को ज्यादा रोना न पड़े, इसलिए शोक मनाने का काम पेशेवर शोक मनाने वालों को दिया जाता था। |
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फुलर कपड़े को सुंदर और नर्म बनाने के लिए ऊन को पेशाब से भरे बड़े बर्तन में रखा जाता था। ऐसा इसलिए किया जाता था, क्योंकि पेशाब में अमोनिया होता है, जो कपड़े को गद्दीदार और मुलायम बनाने में सहायक है। फुलर का काम पूरे दिन पेशाब में डुबोई गई ऊन को पैरों से कुचलने का था ताकि ऊन पूरी तरह से पेशाब सोख ले. |
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मनोरंजन के लिए जिंदगी खराब कर देना ऐसे पुरुष, जिनकी बचपन में ही शुक्रग्रंथि निकाल ली हो, उसे 'कास्ट्राटो' कहा जाता है। शुक्रग्रंथि में ही वीर्य बनता है। इस तरह के पुरुष गाना गाकर लोगों का मनोरंजन करते थे। ये स्त्रियों से भी मीठा और ऊंचे सुर में गाने के माहिर होते थे, लेकिन ये कभी जनन क्रिया में लिप्त नहीं हो सकते। |
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पंखावाला ब्रिटिशकाल में भारत में पंखावाला सबसे उबाऊ नौकरी मानी जाती थी। घंटों एक जगह बैठकर डोरी की मदद से पंखा हिलाना पड़ता था। यह उस दौर में दासप्रथा का सबसे बड़ा उदहारण था। |
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गटर में घुसना जब से मानव ने समूह में रहना शुरू किया, तबसे मल-मूत्र की सफाई सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसके निपटारे के लिए गोंग फार्मर की नौकरी दी जाती है। ये लोग गर्मी, उमस और बदबूदार गटर में घुसकर पूरे शहर की गंदगी को साफ़ करते हैं। यह काम हमेशा रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक होता है। इसके लिए इन्हें अच्छी तनख्वाह दी जाती है। |
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