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soni pushpa 07-06-2015 07:33 PM

कुछ तर्क
 
हिंदी फोरम के सभी सदस्यों से निवेदन है की कृपया इस बहस में जरुर भाग ले क्यूंकि ये जो विषय मैं यहाँ रखने जा रही हूँ वो सबके जीवन से जुडा हुआ हुआ है और सबके अपने अपने विचार भी अलग से होते हैं इस विषय पर जो की इंसानी जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण अहम् हिस्सा है वो है ...............................शादी............... ..........
आज के समय में मैंने कई जगह देखा और पाया की आजकल शादी में लोग लाखो करोडो रुपयों का खर्च करते हैं जो शादी दो दिन में हुआ करती थी अब उस शादी के प्रोग्राम स ८ से लेकर १० दिन तक के हो जाते हैं

जिसमे खर्च और थकन होतीहै par दूसरा फायदा ये भी है की जो लोग कई बरसो से नहीं मिले होते वे इसीshadi ke बहाने मिल भी जाते हैं और रोज मर्रा के ढर्रे से बहार निकलकर कुछ अलग वातावरण प्राप्त करके फ्रेश हो जाते हैं और कई जगह बरसो से रहे मीठे सम्बन्ध छोटी सी गलतियों की वजह से कड़वाहट में बदल जाते हैं तो कहीं कडवे सम्बन्ध मिठास में परिवर्तित हो जाते हैं ... इस विषय मैं आप सबसे ये जानना चाहूंगी की आजकल जो शादी में भयंकर खर्च किये जाते हैं वो किस हद तक ठीक है ?या फिर ठीक है भी या नहीं ?

मुझे आप सबके विचारों का इंतजार रहेगा ... और हाँ सिर्फ खर्च ही नहीं इस विषय पर आप रिश्तों के विषय में अपने अपने मंतव्य यहाँ रख सकते हैं ..

Rajat Vynar 08-06-2015 12:41 PM

Re: कुछ तर्क
 
बहुत ही अच्छा सूत्र बनाया है आपने, सोनी पुष्पा जी।

soni pushpa 08-06-2015 11:52 PM

Re: कुछ तर्क
 
Quote:

Originally Posted by Rajat Vynar (Post 551598)
बहुत ही अच्छा सूत्र बनाया है आपने, सोनी पुष्पा जी।



prasansha ke liye bahut bahut dhanywad rajat ji ....

manishsqrt 09-06-2015 03:52 PM

Re: कुछ तर्क
 
aapne kafi achcha mudda uthaya par mai aapki is baat se asahmat hu ki aaj kal shadiyo me jyada din lagte hai aur pahle kam lagte the, vastavikta ye hai ki aaj kal ek do din me shadi nipta di jati hi aur pahle ke time me shadiyo ka janvasa hi ek hafte ka dera dalta tha, ha itana awshya manunga ki pahle samay to jyada lagta tha par fir bhi uske anupaat me faltu kharche kam hote the aur aaj kal dikhawe par adhik kharche hone lage hai jo ki sare ke sare tarkheen hai, 3-4 lakh to bas khane khilane band baje me kharch ho jate hai, jo ki kamane me varsho lag jaenge par udae sirf chand ghanto me jate hai.Ye upbhoktawad aur dikhawati sanskriti desh ke liye khatarnak ho gai hai.Agar jald ise na roka to nasoor ban jaegi par logo ne ab ise jiwan shaily man liya hai, aksar ye dikhawe var paksha ki farman par hi hote hai.

Rajat Vynar 09-06-2015 06:49 PM

Re: कुछ तर्क
 
जिस कल्चर की आप बात कर रही हैं उसका मुझे संज्ञान है। लाखों-करोडों का खर्च होने वाली शादी का कार्ड मिलना भी कोई मामूली बात नहीं, सोनी पुष्पा जी। किसी साधारण व्यक्ति को नहीं मिलता ऐसा कार्ड। ऐसा कोई कार्ड अपनी शक्ति से प्रकट किया क्या जो इस बारे में चर्चा कर रही हैं? वैसे किसी कहानी का कितना सुन्दर आइडिया लिखा है आपने। शादी में मिले और दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। शादी में मिले और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। वाह-वाह, क्या बात है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ- आपमें बहुत कुछ बनने की क्षमता है। आपके अन्दर एक दो नहीं, कई कलाऍ छिपी हुई है। बस उन कलाओं को खोद-खोद कर बाहर निकालने की जरूरत है। बधाइयाँ।

soni pushpa 09-06-2015 10:34 PM

Re: कुछ तर्क
 
[

bahut bahut dhanywad manish ji ki aapne is sutra ko aage badhaya ..

Deep_ 09-06-2015 10:39 PM

Re: कुछ तर्क
 
सच कहुं तो शादी जीवन का सबसे बड़ा त्यौहार है, सबसे बड़ी खुशी है। हम यही मानतें है की ईसमें पैसो की वजह से कोई कमी न रह जाए। पैसों की यहां कम और खुशीयों की अधिक महत्ता होती है। सो हम यथाशक्ति खर्च करतें है। हां, हम सबकी प्रायोरिटीझ अलग अलग होती है। शायद कोई अधिक खर्च न करना चाहे और वही पैसे भविष्य के योजनाओं मे लगाए यह भी योग्य है।

हमें कभी लगता है फलां ने बहूत खर्च कर दिया, फलां ने कैसी कंजूसी की! लेकिन एक बात बता दूं...हम में से ज्यादातर लोग यही सोचतें है की अगर पैसो की कमी न होती तो हेलिकोप्टर में आते और केटरीना कैफ को ब्याह ले जाते! :laughing:

हाला की शादी में होने वाले खाने का व्यय मुझे सबसे ज्यादा ना पसंद है! :nono:

soni pushpa 09-06-2015 11:15 PM

Re: कुछ तर्क
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 551670)
जिस कल्चर की आप बात कर रही हैं उसका मुझे संज्ञान है। लाखों-करोडों का खर्च होने वाली शादी का कार्ड मिलना भी कोई मामूली बात नहीं, सोनी पुष्पा जी। किसी साधारण व्यक्ति को नहीं मिलता ऐसा कार्ड। ऐसा कोई कार्ड अपनी शक्ति से प्रकट किया क्या जो इस बारे में चर्चा कर रही हैं? वैसे किसी कहानी का कितना सुन्दर आइडिया लिखा है आपने। शादी में मिले और दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। शादी में मिले और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। वाह-वाह, क्या बात है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ- आपमें बहुत कुछ बनने की क्षमता है। आपके अन्दर एक दो नहीं, कई कलाऍ छिपी हुई है। बस उन कलाओं को खोद-खोद कर बाहर निकालने की जरूरत है। बधाइयाँ।

Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 551670)
जिस कल्चर की आप बात कर रही हैं उसका मुझे संज्ञान है। लाखों-करोडों का खर्च होने वाली शादी का कार्ड मिलना भी कोई मामूली बात नहीं, सोनी पुष्पा जी। किसी साधारण व्यक्ति को नहीं मिलता ऐसा कार्ड। ऐसा कोई कार्ड अपनी शक्ति से प्रकट किया क्या जो इस बारे में चर्चा कर रही हैं? वैसे किसी कहानी का कितना सुन्दर आइडिया लिखा है आपने। शादी में मिले और दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। शादी में मिले और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। वाह-वाह, क्या बात है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ- आपमें बहुत कुछ बनने की क्षमता है। आपके अन्दर एक दो नहीं, कई कलाऍ छिपी हुई है। बस उन कलाओं को खोद-खोद कर बाहर निकालने की जरूरत है। बधाइयाँ।

बहुत बहुत धन्यवाद रजत जी इस बहस में भाग लेने के लिए ,आज के समय में
बड़े लोग तो धाम धूम से शादी करके समाज में खर्च करने का एक नियम सा बना डालते हैं . जिसकी मार साधारण लोगो पर पड़ती है क्यूंकि शादी के नाम पर अब जितने ज्यदा प्रोग्राम होंगे उतने खर्च ज्यादा और जब एक मध्यम वर्ग के इंसान पर खर्च का बोझ आता है तब वो क़र्ज़ लेकर ही उसे पूरा कर सकता है....
और अगर साधारण ईन्सान अपने पर क़र्ज़ का बोझ न लेकर एइसे सादगी से ये जीवन का बड़ा कार्य निपटा भी लेते हैं पर उनके मन में जीवन भर के लिए एक अफ़सोस एक खटका सा रह जाता है की काश हम भी बड़ी से बड़ी धामधूम कर सकते शादी में

याने पिसता कौन है एइसे समाज के बढ़ते दिखावे से? मध्यमवर्गीय इन्सान ही न ?

soni pushpa 09-06-2015 11:26 PM

Re: कुछ तर्क
 
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Originally Posted by deep_ (Post 551686)
सच कहुं तो शादी जीवन का सबसे बड़ा त्यौहार है, सबसे बड़ी खुशी है। हम यही मानतें है की ईसमें पैसो की वजह से कोई कमी न रह जाए। पैसों की यहां कम और खुशीयों की अधिक महत्ता होती है। सो हम यथाशक्ति खर्च करतें है। हां, हम सबकी प्रायोरिटीझ अलग अलग होती है। शायद कोई अधिक खर्च न करना चाहे और वही पैसे भविष्य के योजनाओं मे लगाए यह भी योग्य है।

हमें कभी लगता है फलां ने बहूत खर्च कर दिया, फलां ने कैसी कंजूसी की! लेकिन एक बात बता दूं...हम में से ज्यादातर लोग यही सोचतें है की अगर पैसो की कमी न होती तो हेलिकोप्टर में आते और केटरीना कैफ को ब्याह ले जाते! :laughing:

हाला की शादी में होने वाले खाने का व्यय मुझे सबसे ज्यादा ना पसंद है! :nono:


बहुत बहुत धन्यवाद दीप जी ,सही कहा आपने इन्सान का बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है ये ,.. मेरा इस बहस को यहाँ छेड़ने का आशय यही था की हम क्यों शादी के नाम लाखो रुपये खर्च कर डालते हैं इन्ही पैसों से यदि हम किसी अन्य गरीब की बेटी की शादी करवा दे या किसी विद्यार्थी की फ़ीस भरकर उसे आगे और पढ़ायें उसका जीवन बना दें तो मेरे विचार से ये उस ख़ुशी से ज्यदा बड़ी ख़ुशी की उपलब्धि होगी पर यहाँ ये कदापि न समझा जाय की मैं खुशियाँ मनाने के विरुध्ध हूँ खुशिया कम पैसों में भी मनाई जा सकती है बिना दिखावे के .

आपके इस मत से सहमत हूँ मैं की ,शायद कोई अधिक खर्च न करना चाहे और वही पैसे भविष्य के योजनाओं मे लगाए यह भी योग्य है।

Rajat Vynar 10-06-2015 05:36 PM

Re: कुछ तर्क
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 551687)
बहुत बहुत धन्यवाद रजत जी इस बहस में भाग लेने के लिए ,आज के समय में
बड़े लोग तो धाम धूम से शादी करके समाज में खर्च करने का एक नियम सा बना डालते हैं . जिसकी मार साधारण लोगो पर पड़ती है क्यूंकि शादी के नाम पर अब जितने ज्यदा प्रोग्राम होंगे उतने खर्च ज्यादा और जब एक मध्यम वर्ग के इंसान पर खर्च का बोझ आता है तब वो क़र्ज़ लेकर ही उसे पूरा कर सकता है....
और अगर साधारण ईन्सान अपने पर क़र्ज़ का बोझ न लेकर एइसे सादगी से ये जीवन का बड़ा कार्य निपटा भी लेते हैं पर उनके मन में जीवन भर के लिए एक अफ़सोस एक खटका सा रह जाता है की काश हम भी बड़ी से बड़ी धामधूम कर सकते शादी में

याने पिसता कौन है एइसे समाज के बढ़ते दिखावे से? मध्यमवर्गीय इन्सान ही न ?

इस पर मैं बाद में उत्तर दूंगा।


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