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-   -   गधा माँगे इन्साफ़ (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=14624)

emptymind 26-02-2015 04:34 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 548639)
भीम जी, आपके लिए जवाब इधर लगा है। http://myhindiforum.com/showpost.php...8&postcount=24 awww... आपका बहुत—बहुत धन्यवाद, आपने मुझे पागल कहा। कुछ लोग हदीस के हवाले से पैगम्बर मुहम्मद साहब को भी मानसिक रोगी बताते हैं—

जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा- एक बार जब काबा की फिर से मरम्मत हो रही थी, और मैं रसूल के साथ पत्थर ढो रहा था, मैंने रसूल से कहा- आप अपनी तहमद(कमरशीट) ऊंची कर दीजिये, ताकि उलझकर आपको चोट लग जाये। फिर जैसे ही रसूल ने तहमद ऊँची की वह अचानक चिल्लाने लगे, लाओ मेरी तहमद, मेरी तहमद कहाँ है? जबकि तहमद कमर में बंधी हुई थी।(बुखारीजिल्द 5 किताब 58 हदीस 170)

आयशा ने कहा- रसूल हमेशा कल्पनाएँ (पसंद) करते रहते थे। उनको ऐसा भ्रम होता था कि वह कुछ काम कर रहे हैं, या कह रहे हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता था। मैंने उनका इलाज भी करवाया था। एक दिन दो लोग रसूलकेपासआयेऔरबोलेआपकादिमाग भ्रमित (bewiched ) हो गया है।(बुखारी-जिल्द 4 किताब 54 हदीस 490

आयशा ने कहा कि रसूल जब चाहे मुझसे कहते रहते थे- आयशा वहाँ देखो- जिब्राइल तुम्हें सलाम कर रहा है। लेकिन मुझे वहाँ कोई दिखाई नहीं देता था (बुखारीजिल्द 8 किताब 74 हदीस 266)

तनिक मोहतरमा आयशा का भी परिचय करा देते बंधुवर। कुछ हमारे ज्ञान मे भी वृद्धि हो जाएगी।

Rajat Vynar 26-02-2015 06:24 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
Quote:

Originally Posted by emptymind (Post 548666)
आपने इस सूत्र का नाम रखा है - "गधा माँगे इन्साफ़", जो संभवत: दिये गए कहानी का शीर्षक भी है।
हमरी खाली खोपड़ियाँ मे ई बात अभी तक नहीं घुसी कि कहानी मे आउर शीर्षक मे तालमेल का है?
कही हमही लोग उ गदहवा तो नहीं है - जो इंसाफ मांग रहे है।

कहानी के आरम्भ में देवराज इन्द्र के जन्मदिन की पार्टी का वातावरण स्थापित किया जा ही रहा था कि हमारे ही कुछ विशिष्ट मित्रों ने आक्षेप लगाना शुरू कर दिया। यद्यपि उनकी नेकनियती पर कोई प्रश्नचिह्न अथवा सन्देह नहीं है, किन्तु उनके आक्षेप के कारण कहानी आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में बाधा अवश्य हुई है। कहानी के आरम्भ के उपरान्त आप लोगों के प्रिय गधे का आगमन होने ही वाला है। बस आगे पढ़िए—

Rajat Vynar 26-02-2015 06:26 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
लक्ष्मी ने क्रोधपूर्वक कहा- ’क्या कर लोगे तुम, अधर्मी ब्रह्मा? अब देखना तुम- मैं क्या करती हूँ। अब मैं खुद अपनी बहन को दूसरी देवियों की तरह बेशर्मी से लाइन मारना सिखाऊँगी और उसे मिंगल बनाऊँगी।’
इससे पहले ब्रह्मा कुछ कहते, दूर बैठी हुई पार्वती ने आगबबूला होकर लक्ष्मी के निकट आते हुए कहा- ’तुम्हारा मतलब क्या है, लक्ष्मी? मैंने बेशर्मी से लाइन मारकर शिव से शादी की है? मैंने शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की है, तपस्या। शिव को लाइन नहीं मारा। समझीं?’

Rajat Vynar 26-02-2015 06:27 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
लक्ष्मी ने तेज़ स्वर में कहा- ’मैं नादान नहीं हूँ। किसी से विवाह करने के लिए चाहे तपस्या करो या फिर और कुछ करो- उसे लाइन मारना ही कहते हैं!’
पार्वती ने क्रोधपूर्वक कहा- ’हाँ-हाँ, ठीक है। मैंने बेशर्मी से लाइन मारकर शिव से शादी की तो इसका मतलब यह नहीं- तुम सबके सामने यह बात कई बार गाओ-बजाओ। कान खोलकर सुन लो, लक्ष्मी। जिसने की शर्म, उसके फूटे कर्म। जैसे तुम्हारी बहन के फूटे हैं। तमीज़ से रहना। नहीं तो शिव से कहकर तीसरा नेत्र खुलवा दूँगी। जलकर भस्म हो जाओगी। सारी हेकड़ी निकल जाएगी।’
लक्ष्मी ने भड़ककर पार्वती से कहा- ’मेरे पति विष्णु ने भी हाथ में चूडि़याँ नहीं पहन रखी हैं। हाथ में सुदर्शन-चक्र है, सुदर्शन चक्र!’

Rajat Vynar 26-02-2015 06:28 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
इससे पहले पार्वती और लक्ष्मी के बीच का विवाद और बढ़ता, देवराज इन्द्र ने बीच-बचाव करते हुए कहा- ’कृपया देव दरबार में शान्ति बनाए रखें। रंग में भंग न डालें। आप लोग मेरे जन्मदिन पर आए हैं। आपस में लड़ने नहीं आए।’
किसी तरह से विवाद बन्द हुआ तो अप्सराओं ने पुनः अपना नृत्य आरम्भ किया। अप्सराओं का नृत्य मुश्किल से पाँच मिनट ही चला होगा, तभी गधे की चींपों-चींपों की आवाज़ ने रंग में भंग डाल दिया। देवराज इन्द्र ने चिंतित होकर कहा- ’यह गधा इस समय देव दरबार में क्यों आना चाहता है? इसे क्या कष्ट है? गधे को देव दरबार में आने की अनुमति प्रदान की जाए।’


Rajat Vynar 26-02-2015 06:31 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
अनुमति मिलते ही गधा अन्दर आ गया और आते ही दुःख भरे स्वर में बोला- भगवन्, मेरा नाम देवलोक के अनुसूचित देव-वाहनों की सूची से हटाने की कृपा कीजिए। मैं किसी देवी-देवता का वाहन नहीं बनना चाहता। नगरमहापालिका के छुट्टे साँड की तरह मस्ती से फ्री घूमकर गैयाबाजी करना चाहता हूँ।

गधे की बात सुनकर दूर बैठे भगवान शिव के वाहन नन्दी ने आँख दिखाकर अपना गुस्सा प्रकट किया तो विवाद से बचने के लिए गधे ने दाँत दिखाकर तुरन्त माफ़ी माँग ली।

Rajat Vynar 26-02-2015 06:32 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
गधे की बात सुनकर इन्द्र ने कहा- यह सम्भव नहीं, गधे। देवलोक में वाहनों की बहुत कमी है। तुम्हें सूची से अचानक हटा दिया गया तो बड़ी प्राॅब्लम क्रिएट हो जाएगी। तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है, गधे? किसी देवी या देवता का वाहन बनना तो बड़े गर्व की बात है।

गधे ने कहा- गर्व की बात तो है, भगवन्। मगर आपने मुझे एक नहीं, तीन देवियों का शेयर्ड वाहन बना दिया है। शीतला देवी के साथ मुझे दो और देवियों की ड्यूटी बजानी पड़ती है। बस यही प्रॉब्लम है।

Rajat Vynar 26-02-2015 06:33 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
इन्द्र ने आश्चर्य से पूछा- शेयर्ड वाहन बनने में क्या प्रॉब्लम है? कई पशु-पक्षी देवी-देवताओं के शेयर्ड वाहन हैं। जैसे मोर सरस्वती और कार्तिकेय के साथ एक और देवी का शेयर्ड वाहन है। मोर ने तो कभी कोई शिकायत नहीं की। हंस ब्रह्मा और सरस्वती के साथ-साथ दो और देवियों का शेयर्ड वाहन है। मगर हंस ने भी कभी कोई शिकायत नहीं की। अब देखो न- मेरा वाहन ऐरावत हाथी खुद मेरी ड्यूटी पूरी करने के बाद लक्ष्मी, शचि और वृहस्पति के यहाँ पार्ट टाइम जॉब करता है। एक्स्ट्रा मेहनत करता है, इसीलिए एक्स्ट्रा गन्ना खाता है और खुश रहता है। उसने भी कभी कोई शिकायत नहीं की।

Rajat Vynar 26-02-2015 06:34 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
गधे ने समझाया- ’भगवन्, शेयर्ड वाहन बनने में मुझे कोई परेशानी नहीं। तीन शिफ़्टों में तीनों देवियों की ड्यूटी बजाने में मुझे कभी कोई दिक्कत नहीं रही।’

इन्द्र ने आश्चर्य से पूछा- ’फिर क्या प्राॅब्लम है, गधे? साफ-साफ बताओ। पिछले साल शीतला देवी आईं थीं तो तुम्हारी बड़ी तारीफ़ कर रही थीं। कह रही थीं कि गधा बहुत सीधा-सादा प्यारा और दुलारा वाहन है। नहा-धोकर ड्यूटी पर समय से पहले आ जाता है। चाहे जितनी सवारी करो- कभी नहीं थकता। ड्यूटी खत्म होने के बाद भी देर तक बैठा रहता है।’

Rajat Vynar 26-02-2015 06:35 PM

Re: गधा माँगे इन्साफ़
 
उसी समय गधे को खोजती हुईं शीतला देवी दो अन्य देवियों के साथ इन्द्र दरबार में आ गईं। शीतला देवी के पैर में पट्टी बँधी हुई थी और वह लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रही थीं। देवराज इन्द्र के दरबार में आते ही गधे को बिना देखे शीतला देवी ने क्रोधपूर्वक देवराज इन्द्र से कहा- ’हम तीनों देवियों का कमीना वाहन गधा इधर आया क्या? बड़ा दुष्ट और पाजी है। एक बार दिख जाए गधा तो झाडू़ मार-मार कर कमीने का दिमाग़ ठिकाने लगा दूँगी।’


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