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Dr.Shree Vijay 30-10-2013 05:58 PM

मशीन बन गया हूँ.....
 


“भगवान से आप क्या बनने का वरदान मांगेंगे”.....


Dr.Shree Vijay 30-10-2013 06:06 PM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 


प्राथमिक पाठशाला की एक शिक्षिका ने अपने छात्रों को एक निबंध लिखने को कहा.

विषय था “भगवान से आप क्या बनने का वरदान मांगेंगे”

इस निबंध ने उस क्लास टीचर को इतना भावुक कर दिया
कि रोते-रोते उस निबंध को लेकर वह घर आ गयी.

पति ने रोने का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया इसे पढ़ें,
यह मेरे छात्रों में से एक ने यह निबंध लिखा है..

निबंध कुछ इस प्रकार था:-

हे भगवान, मुझे एक टीवी बना दो

क्योंकि तब मैं अपने परिवार में ख़ास जगह ले पाऊं

और बिना रूकावट या सवालों के मुझे ध्यान से सुना व देखा जायेगा.

जब मुझे कुछ होगा तब टीवी खराब की खलबली पूरे परिवार में सबको होगी
और मुझे जल्द से जल्द सब ठीक हालत में देखने के लिए लालायित रहेंगे.

वैसे मम्मी पापा के पास स्कूल और ऑफिस में बिलकुल टाइम नहीं है

लेकिन मैं जब अस्वस्थ्य रहूँगा तब मम्मी का चपरासी और पापा के
ऑफिस का स्टाफ मुझे सुधरवाने के लिए दौड़ कर आएगा. ..

दादा का पापा के पास कई बार फोन चला जायेगा कि टीवी जल्दी सुधरवा दो

दादी का फेवरेट सीरियल आने वाला हे

मेरी दीदी भी मेरे साथ रहने के लिए हमेशा सबसे लडती रहेगी.

पापा जब भी ऑफिस से थक कर आएँगे मेरे साथ ही अपना समय गुजारेंगे.

मुझे लगता है कि परिवार का हर सदस्य
कुछ न कुछ समय मेरे साथ अवश्य गुजारना चाहेगा

मैं सबकी आँखों में कभी ख़ुशी के तो कभी गम के आंसू देख पाऊंगा.

आज मैं “स्कूल का बच्चा” मशीन बन गया हूँ.

स्कूल में पढ़ाई घर में होमवर्क और ट्यूशन पे ट्यूशन

ना तो मैं खेल पाता हूँ न ही पिकनिक जा पाता हूँ

इसलिए भगवान मैं सिर्फ एक टीवी की तरह रहना चाहता हूँ,

कम से कम रोज़ मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ
अपना बेशकीमती समय तो गुजार पाऊंगा.

पति ने पूरा निबंध ध्यान से पढ़ा और अपनी राय जाहिर की.

हे भगवान ! कितने जल्लाद होंगे इस गरीब बच्चे के माता पिता !

पत्नी ने पति को करुण आँखों से देखा और कहा,……

यह निबंध हमारे बेटे ने लिखा है !!!!!


Arvind Shah 31-10-2013 12:08 AM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
पुरा नंगा करके रख दिया !
वाकई विचारणीय मुद्दा है !!

internetpremi 01-11-2013 12:22 AM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
सामयिक और पठनीय लेख।

टी वी को आखिर idiot box क्यों कहते हैं?
लगता है, idiot box के साथ साथ family villain भी बन गया है।
आजकल इसे विज्ञापन वालों ने एक eyeball capturing device बना दिया है जो घर घर में plant किये गए हैं।
सभी TRP बढाने के चक्कर में लगे हैं।
दुख की बात है के एक सशक्त माध्यम का बहुत दुरुपयोग हा रहा है।
1980s का जमाना सुनहरा था।
एक ही चैनल प्रसारित होता था और वह भी Black & White में।
टी वी केवल शाम को देखी जाती थी। दिन में कोई अपना समय बरबाद नहीं करता था।
५ से ८ बजे तक अलग अलग भाषाओं में प्रान्तीय कार्यक्रम देखने को मिलता था।
करीब ८ बजे के बाद, देश के सारे लोग, एक ही चैनल देखते थे (हिन्दी और अँग्रेजी में)
देश के लोगों को जोडने में टी वी का बडा हाथ था।
आजकल तक्नीकी सुविधाएं अधिक हैं, टेक्नोलोजी आधुनिक है, पर TV देखने का वह मजा नहीं रहा।

Dr.Shree Vijay 01-11-2013 12:34 PM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
Quote:

Originally Posted by arvind shah (Post 407741)
पुरा नंगा करके रख दिया !
वाकई विचारणीय मुद्दा है !!



धन्यवाद मित्र............


Dr.Shree Vijay 01-11-2013 12:39 PM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 408290)
सामयिक और पठनीय लेख।

टी वी को आखिर idiot box क्यों कहते हैं?
लगता है, idiot box के साथ साथ family villain भी बन गया है।
आजकल इसे विज्ञापन वालों ने एक eyeball capturing device बना दिया है जो घर घर में plant किये गए हैं।
सभी trp बढाने के चक्कर में लगे हैं।
दुख की बात है के एक सशक्त माध्यम का बहुत दुरुपयोग हा रहा है।
1980s का जमाना सुनहरा था।
एक ही चैनल प्रसारित होता था और वह भी black & white में।
टी वी केवल शाम को देखी जाती थी। दिन में कोई अपना समय बरबाद नहीं करता था।
५ से ८ बजे तक अलग अलग भाषाओं में प्रान्तीय कार्यक्रम देखने को मिलता था।
करीब ८ बजे के बाद, देश के सारे लोग, एक ही चैनल देखते थे (हिन्दी और अँग्रेजी में)
देश के लोगों को जोडने में टी वी का बडा हाथ था।
आजकल तक्नीकी सुविधाएं अधिक हैं, टेक्नोलोजी आधुनिक है, पर tv देखने का वह मजा नहीं रहा।




प्रिय श्री विश्वनाथजी प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हू,
आपके विचारों से में पूर्णतया सहमत हू, आपका दुबारा हार्दिक आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करता हू,


Dr.Shree Vijay 16-11-2013 06:21 PM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 


नई माँ सच्ची है और मरी हुई माँ झुठी.......

एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!
एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पुछा कि,
बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मे क्या फर्क लगा..?

लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और मरी हुई माँ झुठी थी..!!!!

यह सुनकर वह आदमी अचरज मेँ पड गया,
फिर बोला : क्यु बेटा तुझे ऐसा लगता है..?
जिसने तुझे अपनी कोख से जन्म दिया वह झुठी और
कल की आई हुई माँ सच्ची क्यूँ लगती है..?

लडका बोला : जब मैँ मस्ती करता था तब मेरी माँ कहती थी
कि "अगर तु इस तरह करेगा तो तुझे खाना नही दुगीँ" फिर भी
मैँ बहुत मस्ती करता रहता था और मुझे पुरे गाँव मेँ से ढुढँ कर
घर लाती और अपने पास बिठाकर अपने हाथो से खाना खिलाती थी..!!

और यह नई माँ कहती है कि "अगर तू मस्ती करेगा तो तुझे खाना नही दुँगी....
और सच मेँ उसने मुझे आज तीन दिन से खाना नही दिया...!"


Dark Saint Alaick 16-11-2013 11:20 PM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
अद्भुत लघुकथाएं हैं, डॉ. साहब। इडियट बॉक्स के सहारे बुना गया कथानक 'मशीन बन गया हूं ...' जहां घर-घर की हक़ीक़त बयान करता है, वहीं दूसरी कथा 'नई मां ...' मानवीय रिश्तों का असाधारण प्रकटीकरण है। यह एक शाश्वत सत्य है, जो इस कथा में एक निहायत नए, सहज और अनुपम लिबास में प्रकट होता है। इन रोचक और प्रेरणादायी कहानियों के लिए आपको साधुवाद। :gm: :bravo: :hello:

Arvind Shah 17-11-2013 12:51 AM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
Quote:

Originally Posted by Dr.Shree Vijay (Post 416270)


नई माँ सच्ची है और मरी हुई माँ झुठी.......

एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!
एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पुछा कि,
बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मे क्या फर्क लगा..?

लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और मरी हुई माँ झुठी थी..!!!!

यह सुनकर वह आदमी अचरज मेँ पड गया,
फिर बोला : क्यु बेटा तुझे ऐसा लगता है..?
जिसने तुझे अपनी कोख से जन्म दिया वह झुठी और
कल की आई हुई माँ सच्ची क्यूँ लगती है..?

लडका बोला : जब मैँ मस्ती करता था तब मेरी माँ कहती थी
कि "अगर तु इस तरह करेगा तो तुझे खाना नही दुगीँ" फिर भी
मैँ बहुत मस्ती करता रहता था और मुझे पुरे गाँव मेँ से ढुढँ कर
घर लाती और अपने पास बिठाकर अपने हाथो से खाना खिलाती थी..!!

और यह नई माँ कहती है कि "अगर तू मस्ती करेगा तो तुझे खाना नही दुँगी....
और सच मेँ उसने मुझे आज तीन दिन से खाना नही दिया...!"


दिल को छुने वाली कथा !! पढ कर झटकासा लगता है !!
धन्यवाद !:bravo:

Dr.Shree Vijay 17-11-2013 01:53 PM

Re: मशीन बन गया हूँ.....
 
Quote:

Originally Posted by dark saint alaick (Post 416516)
अद्भुत लघुकथाएं हैं, डॉ. साहब। इडियट बॉक्स के सहारे बुना गया कथानक 'मशीन बन गया हूं ...' जहां घर-घर की हक़ीक़त बयान करता है, वहीं दूसरी कथा 'नई मां ...' मानवीय रिश्तों का असाधारण प्रकटीकरण है। यह एक शाश्वत सत्य है, जो इस कथा में एक निहायत नए, सहज और अनुपम लिबास में प्रकट होता है। इन रोचक और प्रेरणादायी कहानियों के लिए आपको साधुवाद। :gm: :bravo: :hello:


आपका सूत्र पर आना और अपने प्रेरणादायक विचार प्रकट करना ही मेरे लिए सबसे बड़ा पारितोषिक हें,
अलैक जी में ह्रदय से आपका आभार मानता हूँ ................



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