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-   -   नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=14753)

rajnish manga 30-03-2015 05:39 PM

नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व
नवजोत सिंह सिद्धू



क्रिकेट का कोई बड़ा राष्ट्रीय या अंतर्राष्टीय टूर्नामेंट हो तो अक्सर ये चेहरा टीवी के परदे पर छा जाता है. अपनी लच्छेदार भाषा, चुटीले अंदाज और नुकीले संवाद के साथ जब सिद्धू मंच पर उतरते हैं तो उन्हें नजर अंदाज करना नामुमकिन हो जाता हैं. बच्चों से लेकर बड़े तक हर वर्ग और हर उम्र के लोग उनके शब्दों की जादूगरी के कायल होते रहे हैं. टेलिविजन का परदा हो या फिर राजनीति का मंच सिद्धू की जुबान बेहद सधे अंदाज में जब शब्दों के तीर बरसाती रही है तो सुनने वालों की हंसी छूट ही जाती है. यही वजह है कि आज नवजोत सिंह सिद्धू एक शानदार वक्ता के तौर पर देश भर में मशहूर हो चुके हैं.

rajnish manga 30-03-2015 05:46 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/नवजोत सिंह सिद्धू
क्रिकेटर सिद्धू

खिलाड़ी के तौर पर सिद्धू को पहली बार पहचान मिली पटियाला नामक उस शहर में जहां उनका जन्म हुआ था. पंजाब का शहर पटियाला अपने परिधान खास कर पटियाला सलवारों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. इसी शहर में 20 अक्टूबर 1963 को एक एक जाट सिख परिवार में नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म हुआ था. पटियाला की गलियों में पले - बढे सिद्धू ने यहां मैदानों पर ही क्रिकेट के बुनियादी सबक सीखे थे. स्कूल के दिनो में वह पटियाला के यदविंद्रा पब्लिक स्कूल और बारादरी गार्डन में घंटों क्रिकेट का अभ्यास किया करते थे. और यही वजह थी कि क्रिकेट को किसी जुनून की तरह जीने वाले सिद्धू के खेल के चर्चे उनके स्कूल के दिनों में ही होने लगे थे.

ये वह जमाना था जब देश में कपिल देव और सुनील गावस्कर जैसे क्रिकेटरों का दौर पूरे ऊफान पर था. उस समय पटियाला के क्रिकेट स्टेडियम से युवा सिद्धू ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुवात की और जल्द ही वह पंजाब रणजी टीम से भी खेलने लगे थे. घरेलू क्रिकेट में जगह बनाने के बाद सिद्धू को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में हाथ आजमाने का मौका उस वक्त मिला जब 1983-84 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया. लेकिन अपने पहले टेस्ट मैच में सिद्धू महज 19 रन पर ही आउट हो गए.

rajnish manga 30-03-2015 05:48 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू

अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत में नवजोत सिंह सिद्धू का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था और इसीलिए दो टेस्ट मैच खिलाने के बाद ही उन्हें टीम इंडिया से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया. लेकिन 20 साल के सिद्धू ने हार नहीं मानी. घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बूते उन्होंने एक बार फिर टीम इंडिया में वापसी की. और इस बार सिद्धू ने अपने बल्ले से ये साबित भी किया कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं. 1987 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में नवजोत सिंह सिद्धू ने 5 मैचों में 4 अर्ध शतक जमाए थे.

वेस्ट इंडीज के खिलाफ सिद्धू की 201 रनों की शानदार पारी को क्रिकेट प्रेमी आज भी भुला नहीं सके हैं. 16 साल के क्रिकेट करियर के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू का बल्ला टेस्ट मैचों में ही नहीं बल्कि वनडे मैचों में भी लगातार रन उगलता रहा. स्पिनरों की गेंदों पर छक्कों की बरसात करने वाले सिद्धू क्रिकेट प्रेमियों के बीच सिक्सर सिद्धू के नाम से भी मशहूर हुए. जनवरी 1999 में अपना आखिरी टेस्ट खेलने वाले सिद्धू के खाते में 51 टेस्ट और 136 वनडे दर्ज है. सिद्धू ने वनडे में 6 शतक और 33 अर्धशतक जड़ते हुए 37 की औसत से 4413 रन बनाए हैं. उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी दमदार प्रदर्शन किया और पंजाब रणजी टीम की कप्तानी भी की थी.

rajnish manga 30-03-2015 05:52 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू

http://www.nyoozflix.com/wp-content/...ingh-Sidhu.jpg


जॉन्टी सिंह और सिद्धू शेरी के नाम से मशहूर रहे नवजोत सिंह सिद्धू का क्रिकेट से कनेक्शन उनके संन्यास लेने के बाद भी खत्म नहीं हुआ. क्रिकेट के मैदान से निकलने के बाद उन्होंने कमेंट्री बॉक्स में अपने जौहर दिखाए. क्रिकेट मैच की कमेंट्री के दौरान सिद्धू अपने खास अंदाज, शेरो शायरी और चुटीले जुमलों की वजह से भी काफी मशहूर हुए.


कहा जाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू 16 साल के अपने क्रिकेट करियर में उतने मशहूर नहीं हुए जितनी शोहरत उन्हें क्रिकेट की कमेंट्री करने से मिली. 31 साल पहले सिद्धू ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी लेकिन क्रिकेट के मैदान से शुरु हुआ उनका ये सफर कमेंट्री बॉक्स से होते हुए राजनीति के मैदान में उस वक्त आ पहुंचा जब साल 2004 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे.


rajnish manga 30-03-2015 06:04 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू

क्रिकेट कमेंट्री के दौरान सीखे वाक कला के हुनर ने जल्द ही सिद्धू को टीवी के छोटे परदे का बड़ा चेहरा बना दिया. दरअसल साल 2005 में छोटे पर्दे पर रिएलिटी शो 'द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज' का आगाज हुआ था उन दिनों ये शो इतना हिट हुआ कि देश के घर घऱ में इसने हंसने का एक टाइम फिक्स सा कर दिया था.

'द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज' ने नवजोत सिंह सिद्धू को टीवी के परदे पर एक नई पहचान दिलाई थी. इस शो के प्रतियोगी जितने मशहूर हुए उससे कही ज्यादा लोकप्रियता शो के जज सिद्धू के खाते में भी दर्ज हुई. द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज में सिद्धू शो के महज एक जज थे लेकिन उनके ठहाका लगाने के अंदाज ने उस वक्त दर्शकों को भी हंसने पर मजबूर कर दिया था और उनके ठहाकों का वह दौर आज भी जारी है.

लॉफ्टर चैलेंज शो के चार सीजन आए थे और हर सीजन में इसके जज बदलते रहे लेकिन इस शो में सिद्धू की कुर्सी सलामत ही रही. लॉफ्टर चैलेंज ने एनटरटेनर के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू को जहा एक नई पहचान दी थी वही कॉमेडी नाइट विथ कपिल ने उनके करियर को एक नई रफ्तार दी है.



rajnish manga 30-03-2015 06:23 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू
जब हत्या के केस में नामज़द हुए सिद्धू


2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करके नवजोत सिंह सिद्दू को अमृतसर से अपना उम्मीदवार बनाया था. और इसी के बाद से सिद्धू ने पटियाला को छोड़ कर अमृतसर को ही अपना परमानेंट ठिकाना बना लिया है. राजनीति के मैदान में भी सिद्धू ने अपने चुटीले भाषणों के जरिए अपनी एक अलग पहचान बनाई लेकिन सिद्धू की राजनीतिक यात्रा अभी शुरु ही हुई थी कि साल 2006 में उन्हें उस वक्त बड़ा झटका लगा जब हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने हत्या के एक केस में उन्हें सजा सुना दी. दरअसल ये पूरा मामला साल 1988 का है जब पटियाला में गुरुनाम सिंह नाम के शख्स के साथ सिद्धू का झगड़ा हुआ था.

पटियाला का शेरांवाला गेट चौराहा. जिस केस में नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी करार दिया गया . गुरुनाम सिंह के साथ झगड़ा उनका हुई थी. गुरुनाम सिंह अपनी मारुती कार में थे. जैसा कि उनके परिवार वाले बताते हैं गुरुनाम सिंह ने अपनी मारुति कार इस फुटपाथ के बिल्कुल बगल में रोकी और आगे नवजोत सिंह सिद्धू अपने दोस्त के साथ जिप्सी में सवार थे. गुरुनाम सिंह ने हॉर्न दिया शायद थोड़ी जगह मांगने की कोशिश कर रहे थे वह गाड़ी पार्क करने के लिए. लेकिन कहा जाता है कि सिद्धू ने जिप्सी की खिड़की से पीछे घूमकर उनको कुछ अपशब्द कहे. सिद्धु के मुंह से अपशब्द सुनकर गुरनाम सिंह ने मारुति कार आगे बढ़ाई और जिप्सी से सटाकर प्रयोग किए गए भद्दे शब्दों की वजह जाननी चाही . कहते हैं थोड़ी ही देर बाद भूपेंदर संधू और नवजोत सिंह सिद्धू अपनी जिप्सी से नीचे उतरे और उन्होंने गुरुनाम सिंह से हाथापाई शुरू कर दी. हाथापाई में गुरुनाम सिंह को धक्का लगा और वह नीचे गिर पड़े उनके सिर में चोट आई. पुलिस मौके पर पहुंच गई . गुरुनाम सिंह को फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी बाद में मौत हो गई.

rajnish manga 30-03-2015 06:25 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू
जब हत्या के केस में नामज़द हुए सिद्धू


मेडिकल रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था कि गुरुनाम सिंह की मौत उनको सिर में लगी चोट और हार्ट फेल की वजह से हुई थी. रिपोर्ट में हार्ट फेल के अलावा हेड इंजरी को भी गुरुनाम सिंह की मौत की एक वजह माना गया था. इस रिपोर्ट के आने के बाद गुरुनाम सिंह के परिवार ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त भूपेंदर संधू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी लेकिन पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया था. इस केस में निचली अदालत से तो सिद्धू को राहत मिल गई थी लेकिन दिसंबर 2006 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को दोषी करार देते हुए उन्हें तीन साल कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी जिसके बाद सिद्धू को कई दिन जेल की कालकोठऱी में गुजारने पड़े थे.

नवजोत सिंह सिद्धू के भाग्य पर जब अदालत के फैसले का साया पड़ा तो उन्हें लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पडा. लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जब सिद्धू जनवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए न सिर्फ हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी बल्कि उन्हें जमानत देकर चुनाव लड़ने की इजाजत भी दे दी थी.

rajnish manga 30-03-2015 06:28 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू
जब हत्या के केस में नामज़द हुए सिद्धू


नवजोत सिंह सिद्धू कहते हैं कि हिंदुस्तान मेरे साथ खड़ा है . मुझे और किसी बात की चिंता नहीं और किसी पद की चिंता नहीं और न ही रहेगी. आखिर में इतना ही कहूंगा कि-

हमें मुजरिम यूंकहना बड़ा अफसोस होता है
अदालत के अदब से हम यहां तशरीफ लाए हैं .
बदल देते हैं..पलट देते हैं मौजे तूफां अपनी जुर्रत से
कि हमने आंधियों में भी चिराग अक्सर जलाए हैं.

rajnish manga 30-03-2015 06:36 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू
राजनीति में सिद्धू


लेकिन सिद्धू की किस्मत ने पलटी मारी और साल 2007 के उपचुनाव में वह एक बार फिर अमृतसर से चुनाव जीत गए.

नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि जनता का विश्वास पूरे हिंदुस्तान का विश्वास मेरे सूबे का विश्वास. मेरी पार्टी का विश्वास मेरे साथ है अगर एमपी होता और ये विश्वास न होता तो मैं ठनठनपाल था.

कांटो में रहकर भी गुलाबों की तरह महकना सीखो.
कीचड़ में रहकर भी कमल की तरह खिलना सीखो
जो परिस्थितयों से घबरा जाए वह लौह पुरुष हो नहीं सकता
अरे राख में रहकर भी यारों अंगारों की तरह दहकना सीखो.

कानूनी जंग जीतने के बाद राजनीति के मैदान में सिद्धू ने एक बार फिर जोरदार एंट्री मारी थी. इस दौरान उनके लच्छेदार भाषणों की वजह से बीजेपी ने भी उन्हें अपना स्टार प्रचारक बनाए रखा. हांलाकि 2009 का आम चुनाव बीजेपी हार गई थी लेकिन सिद्धू एक बार फिर अमृतसर से सासंद बनने में कामयाब रहे थे और इसीलिए पार्टी के अंदर उनका कद और बढता चला गया. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2012 में सदभावना मिशन पर निकले थे तब उनकी इस मुहिम में सिद्धू ने जमकर हाथ दिखाएं थे.

rajnish manga 30-03-2015 06:37 PM

Re: नवजोत सिंह सिद्धू: एक व्यक्तित्व
 
खेलों से जुड़े व्यक्तित्व/ नवजोत सिंह सिद्धू

अपने दस साल के राजनीतिक सफर में सिद्धू कभी चुनाव नहीं हारें. वह आहिस्ता आहिस्ता पंजाब में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा भी बन चुके थे लेकिन उनके इस विजयी अभियान को उस वक्त झटका लगा जब साल 2014 के आम चुनाव में उनका टिकट काट कर बीजेपी ने अरुण जेटली को अमृतसर से अपना उम्मीदवार बना दिया. सिद्धू को ना तो नरेंद्र मोदी से करीबियत का फायदा मिला औऱ ना ही लोकसभा का टिकट. इस बीच उनके बीजेपी छोड़ेने की बातें भी सामनें आती रही हैं लेकिन सिद्धू आज तक राजनीति के साथ साथ टीवी के मोर्च पर भी डटे हुए हैं.


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