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पर दादा मेहनतकश का बनियान हो या जुराब मेहनत की खुशबू तो आएगी ही अब अगर लोग इससे भी बेहोश होने लगे तो खुदा खैर करे |
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कि जो व्यक्ति खूब मेहनत करके पसीना बहाता है उसके पसीने में बदबू नहीं होती लेकिन यहाँ हसीं मजाक चल रहा है इसलिए मैंने कविता लिखी |
भाई जी , अनजाना जी , निशाँत भाई, तारा बाबू और सिकंदर भाई आप सभी का अभिनंदन है सूत्र मेँ । सर्वथा मृत तरंगोँ के कारण मैँ खिन्न हूँ । आपके होठोँ को आपके कानोँ तक खीचने का कार्य फिर कभी । धन्यवाद ।
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रिजल्ट साफ़ है
किसी भी चीज को ज्यादा खीचने से वो मृत हो जाती है :) |
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मैंने भी तो बस वही आगे बढाया जो आपने शुरू किया आखिर बुजुर्गों की परम्परा बढ़ाना हमारा कर्त्तव्य जो ठहरा :cheers: |
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ये लो झेलो :- कौन कहता है, एक म्यान में - दो तलवारें नहीं होती! शादी के बाद वह दोनों तलवारें एक ही - मकान में तो होती है. |
करें क्या शिकायत अँधेरा नहीं है अजब रौशनी है कि दिखता नहीं है ये क्यों तुमने अपनी मशालें बुझा दीं ये धोखा है कोई, सवेरा नहीं है ये कैसी है बस्ती, ना दर, ना दरीचा हवा के बिना दम घुटता नहीं है! नई है रवायत या डर हादसों का यहाँ कोई भी शख्स हंसता नहीं है |
क्या बात है क्या बात है लगे रहे भाई :cheers:
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