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-   -   मेरी फ़ितरत .... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3269)

Dr. Rakesh Srivastava 11-09-2011 12:06 PM

मेरी फ़ितरत ....
 
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता .
हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ;
पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता .
तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ;
तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता .
मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ;
तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता .
बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ;
बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता .
वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ;
मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता
चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ;
चकोर किस तरह हालात का पता देता .
मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ;
तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता
.


रचयिता ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
गोमती नगर ,लखनऊ ,इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ ख़ुदी = आत्म सम्मान , फ़ितरत = स्वभाव )

YUVRAJ 11-09-2011 03:49 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
वाह क्या बात ... लाजवाब ...:bravo::bravo::bravo:

arvind 11-09-2011 03:49 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
Quote:

Originally Posted by dr. Rakesh srivastava (Post 98348)
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता .
हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ;
पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता .
तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ;
तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता .
मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ;
तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता .
बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ;
बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता .
वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ;
मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता
चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ;
चकोर किस तरह हालात का पता देता .
मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ;
तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता
.


रचयिता ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव
गोमती नगर ,लखनऊ ,इंडिया .
(शब्दार्थ ~~ ख़ुदी = आत्म सम्मान , फ़ितरत = स्वभाव )

हमेशा की तरह एक और बेहतरीन कविता।

Dr. Rakesh Srivastava 11-09-2011 05:05 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
युवराज जी आपने पढ़ा और पसंद किया ,
आपका बहुत -बहुत शुक्रिया .

YUVRAJ 11-09-2011 05:41 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
आपकी रचनाओं को चोरी (कापी, पेस्ट) करने का दिल करता है .. अगर इजाजत हो ...:giggle:
Quote:

Originally Posted by Dr. Rakesh Srivastava (Post 98368)
युवराज जी आपने पढ़ा और पसंद किया ,
आपका बहुत -बहुत शुक्रिया .


~VIKRAM~ 11-09-2011 07:11 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
डॉक्टर जी !
हमसब का इलाज jari रखे हमें तो ऐसे और डोज से aram milega ! :bigdrunk:

abhisays 11-09-2011 07:18 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
बहुत बढ़िया राकेश जी..

bhavna singh 11-09-2011 08:46 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
Quote:

Originally Posted by dr. Rakesh srivastava (Post 98348)
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता .
हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ;
पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता .
तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ;
तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता .
मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ;
तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता .
बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ;
बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता .
वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ;
मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता
चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ;
चकोर किस तरह हालात का पता देता .
मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ;
तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता
.

डॉक्टर साहब आपकी कविता सीधे दिल को छू गई /

Dr. Rakesh Srivastava 11-09-2011 10:52 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
अरविन्द जी ,आप सराहते हैं , अच्छा लगता है .
आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava 11-09-2011 11:25 PM

Re: मेरी फ़ितरत ....
 
आपकी रचनाओं को चोरी (कापी, पेस्ट) करने का दिल करता है .. अगर इजाजत हो ..
----------------------------------------------------------------------------------------
युवराज जी ,यदि कॉपी , पेस्ट के साथ रचना के नीचे
रचयिता का नाम भी लिखा हो तो सोने पर सोहागा हो

जायेगा . आप मुझ जैसे नव - सिखुवा की रचनाओं
को ऐसी इज्जत बख्शने की सोच रहे हैं , ये निश्चित
ही मेरे लिए गर्व एवं प्रेरणा की बात है .आपका धन्यवाद .


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