मेरी फ़ितरत ....
तुम्हारे हिस्से की सब धूप सहन कर लेता ;
मै पेड़ बन के तुझे उम्र भर साया देता . हमारे हमसफ़र बन साथ चले चलते अगर ; पलक पर रखता या फूलों का गलीचा देता . तेरा यकीन जो मुझ पर ठहर गया होता ; तेरी ताबीज़ बन ताउम्र हिफाज़त देता . मै अगर जानता , तलवार तू भी रखती है ; तो ख़ुद को म्यान से बाहर नहीं आने देता . बिन तेरे जी नहीं पाऊंगा , पता होता अगर ; बहस न करके , हाथ गूंगे - सा उठा देता . वजूद खुद का तेरे प्यार में भुलाकर मै ; मेरी ख़ुदी को तेरी ख़ुदी का रंग दे देता चाँद , तू बादलों के पार छुपा बैठा है ; चकोर किस तरह हालात का पता देता . मेरी फ़ितरत तेरी फ़ितरत के करीब होती अगर ; तू भी भूले न मुझे , बस ये श्राप दे देता . रचयिता ~~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव गोमती नगर ,लखनऊ ,इंडिया . (शब्दार्थ ~~ ख़ुदी = आत्म सम्मान , फ़ितरत = स्वभाव ) |
Re: मेरी फ़ितरत ....
वाह क्या बात ... लाजवाब ...:bravo::bravo::bravo:
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Re: मेरी फ़ितरत ....
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Re: मेरी फ़ितरत ....
युवराज जी आपने पढ़ा और पसंद किया ,
आपका बहुत -बहुत शुक्रिया . |
Re: मेरी फ़ितरत ....
आपकी रचनाओं को चोरी (कापी, पेस्ट) करने का दिल करता है .. अगर इजाजत हो ...:giggle:
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Re: मेरी फ़ितरत ....
डॉक्टर जी !
हमसब का इलाज jari रखे हमें तो ऐसे और डोज से aram milega ! :bigdrunk: |
Re: मेरी फ़ितरत ....
बहुत बढ़िया राकेश जी..
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Re: मेरी फ़ितरत ....
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Re: मेरी फ़ितरत ....
अरविन्द जी ,आप सराहते हैं , अच्छा लगता है .
आपका शुक्रिया . |
Re: मेरी फ़ितरत ....
आपकी रचनाओं को चोरी (कापी, पेस्ट) करने का दिल करता है .. अगर इजाजत हो ..
---------------------------------------------------------------------------------------- युवराज जी ,यदि कॉपी , पेस्ट के साथ रचना के नीचे रचयिता का नाम भी लिखा हो तो सोने पर सोहागा हो जायेगा . आप मुझ जैसे नव - सिखुवा की रचनाओं को ऐसी इज्जत बख्शने की सोच रहे हैं , ये निश्चित ही मेरे लिए गर्व एवं प्रेरणा की बात है .आपका धन्यवाद . |
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