चाणक्यगीरी नोट्स
ऐतिहासिक पात्रों विद्योत्तमा, कालिदास, चाणक्य और वाल्मीकि पर आधारित हास्य काल्पनिक कहानी 'आइ एम सिंगल अगेन' का प्रोमोशन 'चाणक्यगीरी' लिखने से पहले हम लिखते हैं कुछ छोटे-छोटे विचार। इन छोटे-छोटे विचारों को अब पढ़िए 'चाणक्यगीरी नोट्स' में और खुद देखिए- छोटे-छोटे विचारों पर आधारित दृष्य कितने लम्बे होते हैं!
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Re: चाणक्यगीरी नोट्स
1. स्वाहा महोत्सव से लौटकर चाणक्य ने महागुप्तचर से बताया- 'स्वाहा में लॉ एण्ड आर्डर की बहुत बड़ी गम्भीर समस्या है। महारानी अजूबी को बन्दर और कलमुँही कहने वालों को 'स्वाहा डेवलपमेंट बोर्ड' का सदस्य बनाकर राजकीय सम्मान दिया जा रहा है और सुन्दर कहने वालों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है!'
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Re: चाणक्यगीरी नोट्स
2. तक्षशिला विश्वविद्यालय के कुलपति चाणक्य ने महारानी विद्योत्तमा को भेजे गए एक विशेष पत्र में कहा कि तक्षशिला विश्वविद्यालय में नए वर्ष की पढ़ाई-लिखाई के लिए आवेदन-पत्र स्वीकार किए जा रहे हैं। अतः पड़ोसी देशों की जान-पहिचान वाली रानी-महारानियों को प्रोत्साहित करके विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के लिए भेजा जाए।'
विद्योत्तमा ने मुँह बनाकर पत्र को घूरकर देखा और पत्र चबाकर अपना क्रोध शान्त करने लगी। विद्योत्तमा को क्रोधित देखकर विद्योत्तमा के सिर पर ठण्डा-ठण्डा मक्खन ठोंका जाने लगा। उसी समय मालव देश की ज्योतिषी और तांत्रिक ज्वालामुखी ने आकर बताया- "तक्षशिला विश्वविद्यालय के सूचना-पट्ट पर लिखा है कि पिछले वर्ष 'ब्लैंक कॉपी जमा करने और कुलपति चाणक्य का मज़ाक उड़ाने के कारण' तक्षशिला विश्वविद्यालय से रेस्टिकेट होकर हाय-हाय करने और आँसू बहाने वाली एकमात्र छात्रा मालव देश की महारानी विद्योत्तमा के लिए नया प्रश्न-पत्र बनकर तैयार है, किन्तु मालव देश का कबूतर का दबड़ा अस्थाई रूप से बन्द होने के कारण विश्वविद्यालय के डिस्टेन्स एजुकेशन विभाग को कबूतर द्वारा प्रश्न-पत्र भेजने में बाधा आ रही है तथा कबूतर का दबड़ा अस्थाई रूप से बन्द होने के कारण कई बार कबूतर प्रश्न-पत्र लेकर वापस आ चुके हैं। अतः महारानी विद्योत्तमा तत्काल मालव देश का कबूतर का दबड़ा पुन: स्थापित करने का कष्ट करें जिससे कबूतर द्वारा प्रश्न-पत्र भेजकर समय पर विश्वविद्यालय की परीक्षा संचालित की जा सके। इस वर्ष फेल होने पर महारानी विद्योत्तमा को घबड़ाने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इस बार विश्वविद्यालय से उनका रेस्टिकेशन नहीं किया जाएगा। मालव देश की महारानी विद्योत्तमा के गहन अनुमोदन पर तक्षशिला विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाली ट्रिपल स्मार्ट नगर, स्वाहा की महारानी अजूबी को कई बार विद्योत्तमा विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर भी विद्योत्तमा के 'गहन और निरन्तर अनुमोदन के चलते' विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनदेखा किया गया, किन्तु वर्ष के अन्त में महारानी विद्योत्तमा द्वारा चाणक्य को हॉटलाइन कबूतर द्वारा भेजे गए एक गुप्त पत्र की संस्तुति पर तक्षशिला विश्वविद्यालय से निलम्बित किया गया। अजूबी पर विद्योत्तमा को तक्षशिला विश्वविद्यालय से स्थाई रूप से निलम्बित करवाने का प्रयास करने जेैसे गम्भीर आरोप हैं (देखें- स्वाहा का राजपत्र- 'अनुगमनरहित मार्ग')।" |
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