Great Films of World Cinema (विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में)
Great Films of World Cinema
विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में पृष्ठभूमि यूं तो लुमिएर बंधुओं ने 1895 में पहली फिल्म बनायी थी, परन्तु वे सभी एक-एक शॉट की फ़िल्में थीं. जॉर्ज मोलिये ने पहली बार दो शॉट को मिलाने वाली तकनीक का प्रयोग किया. एडिसन ने सब से पहले एक ऐसी फिल्म बनायी जिसमें एक कथा को आधार बनाया गया था. यह फिल्म थी – दी ग्रेट ट्रेन रॉबरी. संसार भर में सौ वर्ष से अधिक समय से सिनेमा और फ़िल्में हमारे समाज और संस्कृति का अभिन्न अंग बन कर अपना व्यापक योगदान दे रही हैं. अपने इतिहास के विभिन्न पड़ावों पर सिनेमा ने नये नये बदलावों को आत्मसात करते हुये एक बड़े उद्योग का रूप ले लिया है. इस क्षेत्र ने तकनीक के स्तर पर और इसके अतिरिक्त अभिनय, दिग्दर्शन, स्क्रिप्ट लेखन, डायलाग, नृत्य, गीत, संगीत आदि के क्षेत्र में भी एक से बढ़ कर एक युगान्तकारी विभूतियों को हम से रु-बी-रू करवाया. आज जब हम विश्व की सर्वश्रेष्ठ तथा कालजयी फिल्मों की बात करते हैं तो सवाल उठता है कि हम कालजयी और सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में किसे कहेंगे? इस परिभाषा पर खरा उतरने के लिए किसी फिल्म में कलात्मक मूल्यों के आधार पर उत्कृष्ट होने के साथ साथ कथावस्तु और कथ्य के स्तर पर भी वैश्विक अपील का होना भी एक अनिवार्य शर्त मानी जायेगी. बल्कि उसे अपने अपने वक्त की सीमाओं से बाहर आकर सार्वकालिक तथा सर्व-ग्राह्य होना भी आवश्यक है. अपने समय के सभी बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ने वाली फिल्म कालजयी भी हो, यह जरूरी नहीं. लेकिन जो फ़िल्में अपने निर्माण के 25-30-50 या 60 वर्ष या उसके बाद भी अपनी श्रेष्ठता के बूते पर इतिहास में यादगार स्थान बना पाती हैं, उन्हें ही कालजयी होने का खिताब दिया जा सकता है. इसी मूल्यांकन को आधार बना कर देखने से कुछ फ़िल्में सहज ही हमारे सम्मुख आ खड़ी होती हैं. विश्व-सिनेमा की अमूल्य धरोहर बन चुकी ऐसी ही कुछ फिल्मों की हम क्रमानुसार चर्चा करेंगे. |
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
2 Attachment(s)
|
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
nice .......... start
|
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
बर्थ ऑफ़ ए नेशन
डी. डब्ल्यू. ग्रिफिथ ने सन 1908 से फ़िल्में बनाना शुरू कर दिया था. अपनी फिल्म ‘एडवेंचर्स ऑफ़ डॉली’ में पहली बार किसी अभिनेता ने काम किया और शूटिंग से पहले अभिनेताओं से रिहर्सल भी करवाई गयी. इसी प्रकार अपनी आगामी फिल्मों ‘एनक ओर्दन’ ‘रामोना’ और ‘दी लोनडील ओपरेटर’ में अलग अलग प्रयोग किये. पर ये सभी एक रील की फ़िल्में थी. पहली बार उसने दो रील की एक फिल्म बनायी ‘मेन्स जेनेसिस’. 1914 में जब ‘बर्थ ऑफ़ ए नेशन’ फिल्म बनायी तो इसे सिनेमा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना गया. यह कुल 13 रील की पूरी लम्बाई की पहली फिल्म थी. इससे पहले न तो इतनी लम्बी फिल्म बनाने का साहस किसी ने किया था और न किसी को यह विश्वास था कि दर्शक धैर्यपूर्वक इतनी लम्बी फिल्म देखेंगे. 8 फरवरी 1915 को प्रदर्शित इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी तहलका मचा दिया था. तकनीकी दृष्टि से भी कोई पहलू ऐसा न था जिसका प्रयोग ग्रिफिथ न इसमें न किया हो. इस फिल्म में अमरीकी गृह युद्ध की विभीषिका और उसके बाद के पुनर्निर्माण को दर्शाया गया है. एल्फ्रेड हिचकॉक यह मानते थे कि आज जो चीजें हम एक फिल्म में देखते हैं, उसकी शुरुआत ग्रिफिथ ने ही की थी. |
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
2 Attachment(s)
|
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
बैटलशिप पोटेमकिन
यह फिल्म ‘बर्थ ऑफ़ ए नेशन’ से लगभग दस वर्ष बाद यानि सन 1924 में रूस में बनी सर्गेई आजेंस्ताइन की फिल्म ‘बेटलशिप पोटेमकिन’ मूक फिल्मों के युग की एक असाधारण कृति है. यह फिल्म 1905 में ओडेसा की नौसैनिक क्रान्ति के विषय पर आधारित थी.वास्तव में यह उस घटना का सिर्फ फिल्मांकन ही नहीं है बल्कि यह पूरे संघर्ष की जीवंत कथा है. इसके हर फ्रेम में दर्शक को एक लयात्मकता देखने को मिलती है. कहते हैं कि यह फिल्म- इतिहास की पहली कलाकृति है. यहां पर तकनीक, संरचना और कथावस्तु का इतना अच्छा समन्वय इसे जीवन्तता प्रदान करते हैं. मूक होते हए भी इस फिल्म में सैनिकों द्वारा चलाई गयी गोलियों की आवाज को हम सुन सकते हैं और लोगों की चीख पुकार को महसूस कर सकते हैं. इसमें हम उस औरत की चीख को नहीं भुला सकते जिसके पुत्र को गोली लगी है. कुछ लोग भव्य दृश्य-संयोजन के लिए आर्जेस्ताइन की सवाक (बोलती) फिल्म ‘इवान द टेरीबल’ को उनकी बेहतर फिल्म के रूप में याद करते हैं. लेकिन जिस प्रकार से विद्रोह की पूरी प्रक्रिया को व्यक्ति से समूह, समूह से जनमानस तक फैलने की अन्तर्निहित गतिशीलता को आर्जेस्ताइन ने ‘बेटलशिप पोटेमकिन’ में चित्रित किया है वही इस फिल्म का प्रबलतम पक्ष है और इसे कालजयी बना देता है. |
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
बेहतरीन सूत्र। फिल्मों के इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए अमृत के समान। इसके लिए आपको अनगिन धन्यवाद, रजनीशजी। :hello:
|
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
बैटमैन डार्क नाइट सर्वश्रेष्ठ फिल्म है|
|
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
Quote:
|
Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
द पैशन ऑफ़ जोन आर्क
(La Passion De Jeanne D’ Arc) जोन ऑफ़ आर्क / एक परिचय ऐसा माना जाता है कि बेबी जोन का जन्म 6 जनवरी सन 1412 में एक सर्द रात को पूर्वी फ्रांस के लोरेन नामक क्षेत्र के पास दोमरीनी गाँव में हुआ था. जोन के पिता का नाम याक़ डार्क (Jacques Darc) और माता का नाम इसाबेल था. उसका पारिवारिक नाम डार्क (Darc) था किन्तु लिखने और पढ़ते समय गलती से इसे Joan d’Arc के रूप में रखा गया जिसका अर्थ हो गया Joan of Arc (आर्क की रहने वाली) जोन एक गंभीर स्वाभाव की बुद्धिमान लड़की थी जिसमें नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता थी. वह हर काम में आगे बढ़ कर भाग लेती थी और कठिन से कठिन कार्य को करने से भी पीछे नहीं हटती थी. उन दिनों इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच सौ साल का युद्ध (1337 से 1453 तक जो वास्तव में 115 वर्ष का था) चल रहा था जो वास्तव में कई छोटे छोटे युद्धों की लम्बी कड़ी थी. यद्यपि ये युद्ध इंग्लैण्ड और फ्रांस के मध्य लड़े गये थे किन्तु लड़े हमेशा फ्रांस की धरती पर ही. उन दिनों तरक्की करने के लिए दो बातों का होना जरूरी था – 1. पुरुष होना और 2. धनवान होना (जोन ने पहली कमीं को तो पुरुषों की पोशाक पहन कर पूरा किया जिसे वह अंत तक पहनती रही थी). जोन में ये दोनों ही बातें नहीं थीं. फिर भी उसने अपने देश के इतिहास को एक नई दिशा देने का काम किया और अपने समय की सार्वाधिक प्रसिद्ध एवम् सफलतम सैन्य लीडर होने का गौरव हासिल किया, वह भी तब जब कि उसकी उम्र 17 वर्ष से भी कम थी. वह नरेश, ड्यूक तथा अन्य महत्वपूर्ण लोगों को पत्र लिख कर भेजती रहती थी और उन्हें परिस्थितियों में सुधार के लिए सकारात्मक सुझाव देती थी. वह इतने से ही नहीं मानती थी बल्कि वह तब तक कोशिश जारी रखती जब तक वह अपनी बात मनवा न लेती थी. जोन का अंतिम समय बहुत कष्टपूर्ण रहा. 24 मई, 1430 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसके ऊपर मुक़दमा चलाया गया. यह एक दिखावे का मुक़दमा था. उसके विरुद्ध कोई चार्जशीट नहीं दाखिल की गई (कई दिनों की पूछताछ के बाद उन्हीं जजों द्वारा 70 आरोपों की चार्जशीट दी गई). जोन ने यह कह कर इन आरोपों का उत्तर देने से मना कर दिया कि वह इन सभी प्रश्नों का उत्तर दे चुकी है. मुकदमें के बाद उसे सजाए मौत दी गयी. निर्णय के मुताबिक उसे सन 30 मई, 1431 के दिन उसे जिंदा जला दिया गया. इस प्रकार यह वीर बाला अपने देश पर शहीद हो गयी. (सन 1920 में जोन ऑफ़ आर्क को चर्च द्वारा एक सेंट या संत के रूप में मान्यता दी गई) |
All times are GMT +5. The time now is 09:52 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.