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आकाश महेशपुरी 26-02-2023 06:18 PM

ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
 
ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
■■■■■■■■■■■■■■■
अपने दामन को दागदार किया
क्यूँ फरेबी का एतबार किया

जिसने मुझपे सितम हजार किया
यार उसको ही मैंने प्यार किया

संगदिल के लिए क्यूँ रोज़ाना
इन निगाहों को अश्क़-बार किया

एक पत्थर नहीं पसीजा है
मुद्दतों मैंने इंतजार किया

उनसे मिलना कभी न मुमकिन था
बेवजह खुद को बेकरार किया

कौन अपना है या पराया है
मैंने इसका नहीं विचार किया

सबको 'आकाश' राय देता है
किन्तु अपना नहीं सुधार किया

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/02/2023
■■■■■■■■■■■■■■■
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

आकाश महेशपुरी 27-02-2023 12:26 PM

Re: ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
 
ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
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अपने दामन को दागदार किया
क्यूँ फरेबी का एतबार किया

जिसने मुझपे सितम हजार किया
यार उसको ही मैंने प्यार किया

संगदिल के लिए क्यूँ रोज़ाना
इन निगाहों को अश्क़-बार किया

एक पत्थर नहीं पसीजा है
मुद्दतों मैंने इंतजार किया

उनसे मिलना कभी न मुमकिन था
बेवजह खुद को बेकरार किया

कौन अपना है या पराया है
मैंने इसका नहीं विचार किया

सबको 'आकाश' राय देता है
किन्तु अपना नहीं सुधार किया

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/02/2023
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वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

आकाश महेशपुरी 27-02-2023 12:27 PM

Re: ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
 
ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
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अपने दामन को दागदार किया
क्यूँ फरेबी का एतबार किया

जिसने मुझपे सितम हजार किया
यार उसको ही मैंने प्यार किया

संगदिल के लिए क्यूँ रोज़ाना
इन निगाहों को अश्क़-बार किया

एक पत्थर नहीं पसीजा है
मुद्दतों मैंने इंतजार किया

उनसे मिलना कभी न मुमकिन था
बेवजह खुद को बेकरार किया

कौन अपना है या पराया है
मैंने इसका नहीं विचार किया

सबको आकाश' राय देता है
किन्तु अपना नही सुधार किया

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/02/2023
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वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

आकाश महेशपुरी 27-02-2023 12:29 PM

Re: ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
 
अपने दामन को दागदार किया
क्यूँ फरेबी का एतबार किया

जिसने मुझपे सितम हजार किया
यार उसको ही मैंने प्यार किया

संगदिल के लिए क्यूँ रोज़ाना
इन निगाहों को अश्क़-बार किया

एक पत्थर नहीं पसीजा है
मुद्दतों मैंने इंतजार किया

उनसे मिलना कभी न मुमकिन था
बेवजह खुद को बेकरार किया

कौन अपना है या पराया है
मैंने इसका नहीं विचार किया

सबको 'आकाश' राय देता है
किन्तु अपना नहीं सुधार किया

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/02/2023

आकाश महेशपुरी 27-02-2023 12:29 PM

Re: ग़ज़ल- अपने दामन को दागदार किया
 
अपने दामन को दागदार किया
क्यूँ फरेबी का एतबार किया

जिसने मुझपे सितम हजार किया
यार उसको ही मैंने प्यार किया

संगदिल के लिए क्यूँ रोज़ाना
इन निगाहों को अश्क़-बार किया

एक पत्थर नहीं पसीजा है
मुद्दतों मैंने इंतजार किया

उनसे मिलना कभी न मुमकिन था
बेवजह खुद को बेकरार किया

कौन अपना है या पराया है
मैंने इसका नहीं विचार किया

सबको 'आकाश' राय देता है
किन्तु अपना नहीं सुधार किया

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/02/2023


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