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rajnish manga 10-11-2017 08:34 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

महल के बन जाने पर दारोगा ने बादशाह से निवेदन किया कि मैंने जंगल के पास एक नया मकान बनवाया है, आपकी अनुमति हो तो मैं बाग के छोटे मकान को छोड़ कर नए मकान में रहूँ। बादशाह उससे खुश था इसलिए उसे तुरंत अनुमति मिल गई। इससे कुछ वर्ष पूर्व दारोगा की पत्नी का देहांत हो गया था। महल बनवाने में उसका कुछ उद्देश्य पत्नी की मृत्यु का दुख भुलाना भी था। किंतु महल बनने के कुछ महीनों बाद ही वह अचानक बीमार हो कर मर गया। उसने काफी धन-दौलत छोड़ी थी और उन तीनों को जीविका की कोई चिंता न थी किंतु उसकी अचानक मौत से उन्हें बड़ा दुख हुआ। अंत समय में वह इन तीनों से इससे अधिक कुछ न कह सका कि आपस में मिल-जुल कर रहना।

उसके मरने पर उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार करके तीनों बहन-भाई मिल-जुल कर रहने लगे। दोनों भाइयों को एक प्रतिष्ठित राज पद भी मिल गया यद्यपि उनकी बादशाह से भेंट न होती थी। एक दिन दोनों शहजादे शिकार खेलने को गए। परीजाद घर में अकेली थी
, सिर्फ उसकी दो-एक दासियाँ उसके साथ थीं। उसी समय एक धर्मनिष्ठ वृद्धा वहाँ आ कर कहने लगी, बेटी, नमाज का समय है, अनुमति दो तो अंदर आ कर नमाज पढ़ लूँ। परीजाद ने तुरंत अनुमति दे दी। जब वह नमाज पढ़ चुकी तो परीजाद के इशारे पर दासियों ने उस बुढ़िया को सारा महल इत्यादि दिखाया। उसने खुश हो कर कहा कि निःसंदेह जिसने यह महल बनवाया है वह अपने कार्य का विशेषज्ञ है।


rajnish manga 10-11-2017 08:35 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

मकान दिखाने के बाद दासियाँ, बुढ़िया को परीजाद के पास ले आईं। परीजाद ने कहा, बैठिए, आप जैसी धर्मनिष्ठ महिला का साथ करके मैं स्वयं को भाग्यशाली मानती हूँ। बुढ़िया ने नीचे फर्श पर बैठना चाहा लेकिन परीजाद ने उसे खींच कर अपने तख्त पर अपने बगल में बिठाया। बुढ़िया ने कहा, मालकिन, मेरी आपके साथ बैठने की हैसियत बिल्कुल नहीं है, लेकिन आपका अनुरोध टाल भी नहीं सकती, इसलिए बैठ रही हैं।

परीजाद बुढ़िया से उसके ग्राम
, परिवार आदि के बारे में बातें करने लगी। कुछ देर बार परीजाद की दासियों ने जलपान उपस्थित किया जिसमें भाँति-भाँति की रोटियाँ, नान, कुलचे तथा हरे फल और सूखे मेवे थे। कई प्रकार की मिठाइयाँ भी थीं। परीजाद ने कई चीजें अपने हाथ से उठा कर वृद्धा को दीं और कहा, अम्मा, अच्छी तरह पेट भर कर खाओ, तुम देर की अपने घर से निकली हो। थक भी गई होगी और रास्ते में कुछ खाया भी नहीं होगा। बुढ़िया ने कहा, बेटी, तुम जुग-जुग जियो। इतनी सुशील कोई अमीरजादी हो सकती है। यह बात मैं सोच भी नहीं सकती थी। मैं निर्धन हूँ, ऐसी स्वादिष्ट वस्तुएँ खाने की मेरी आदत नहीं है, लेकिन तुम इतने प्यार और आदर से कह रही हो तो खुशी से खाऊँगी। मैं इसे भगवान की दया समझती हूँ कि उसने मुझे तुम्हारा घर दिखाया।

rajnish manga 10-11-2017 08:37 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

नाश्ता करने के बाद परीजाद ने बुढ़िया से और भी बातें कीं क्योंकि वह कई विषयों की जानकार मालूम होती थी। उसे बुढ़िया से धर्म और ईश्वर भक्ति के बारे में कई प्रश्न पूछे जिनका उसने बहुत अच्छी तरह उत्तर दिया। फिर परीजाद ने बुढ़िया से पूछा, अम्मा, मेरे महल और बाग वगैरह के बारे में तुम्हारी क्या राय है? क्या और भी कोई वस्तु है जो तुम्हारी राय में यहाँ होनी चाहिए? बुढ़िया हँस कर बोली, बेटी, यह प्रश्न मुझ से न करो तो अच्छा हो। मैं कुछ कहूँगी तो तुम कहोगी कि यह दो टके की बुढ़िया मेरे महल और बाग में नुक्स निकालती है। परीजाद ने जोर दे कर कहा, मैं ऐसा कुछ नहीं कहूँगी। तुम जो कुछ कमी इसमें समझती हो वह मुझे जरूर बताओ, मैं उसे पूरा करने की कोशिश करूँगी।

बुढ़िया ने कहा
, यहाँ सब कुछ है। किंतु मेरी समझ में यहाँ पर तीन चीजें और आ जाएँ तो संसार में तुम्हारा बाग अद्वितीय हो जाए। लेकिन उनका मिलना कठिन है। एक तो बुलबुल हजार दास्ताँ है। जब वह बोलता है तो हजारों चिड़ियाँ जमा हो जाती हैं ओर उसके स्वर में स्वर मिलाने लगती हैं। दूसरा एक गानेवाला पेड़ है। उसके पत्ते मोटे और चिकने हैं। जब हवा चलने पर पत्ते एक दूसरे से रगड़ खाते हैं तो उनसे मधुर संगीत निकलता है। इस संगीत से हर एक सुननेवाला मुग्ध हो जाता है। तीसरी वस्तु है सुनहरा पानी। उसकी एक बूँद किसी बर्तन में रख दी जाए तो वह बर्तन अपने आप भर जाता है और फिर उसमें से एक फव्वारा निकलता है जो कभी नहीं रुकता, क्योंकि वह पानी लौट कर उसी बर्तन में गिरता है।

rajnish manga 11-11-2017 04:47 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

परीजाद बोली, अम्मा, तुम्हें इन चीजों के बारे में इतने विस्तार से पता है तो यह भी जानती होगी कि यह वस्तुएँ कहाँ मिलती हैं। मुझे बताओ तो मैं उनकी प्राप्ति का प्रयत्न करूँ। वृद्धा ने कहा, पूरा हाल तो मैं नहीं बता सकती लेकिन इतना बता सकती हूँ कि इस देश में कहीं भी यह चीजें नहीं मिल सकतीं। यहाँ से कोई व्यक्ति अमुक दिशा में जाए और सीधा चलता ही चला जाए तो बीस दिन की यात्रा के बाद जो पहला व्यक्ति उसे मिले उससे पूछे कि यह तीनों वस्तुएँ कहाँ मिलेंगी। वही आगे की राह बताएगा। अच्छा बेटी, अब मुझे काफी देर हो गई है, मैं चलूँगी।

बुढ़िया को यह क्या मालूम था कि परीजाद इतनी साहसी लड़की है कि खुद इन चीजों की तलाश में निकल पड़ेगी। इसलिए इसने विस्तार से वह सब कुछ बता दिया जो उसे मालूम था। परीजाद ने उसकी बताई एक-एक बात याद रखी। वह इस चिंता में पड़ गई कि उपर्युक्त तीनों चीजें कैसे प्राप्त की जाएँ। कुछ देर बाद दोनों शहजादे शिकार से वापस आए तो देखा कि बहन गहरी चिंता में डूबी है। उन्होंने कहा
, क्या बात है, परीजाद? तुम्हारी कुछ तबीयत खराब है या कोई बात तुम्हारी मरजी के खिलाफ हो गई। परीजाद ने सिर झुका कर कहा, नहीं, कोई बात नहीं है।

rajnish manga 11-11-2017 04:50 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बहमन ने कहा, यह तुम झूठ कह रही हो। कुछ ऐसा है जरूर जो तुम्हें दुख दे रहा है। अगर तुम नहीं बताओगी तो हम तुम्हारे पास से उठ कर नहीं जाएँगे। जब परीजाद ने देखा कि दोनों भाई बात के जानने पर अड़े हुए हैं तो उसने कहा, मैं तुम्हें इसलिए नहीं बताती थी कि जो मैं कहूँगी उससे तुम चिंता और कष्ट में पड़ जाओगे। अब तुम जिद कर रहे हो तो बताए देती हूँ। हमारे पिता ने यह महल हमारे लिए बनवाया था और अपनी समझ में उन्होंने सुंदरता और सजावट की कोई चीज यहाँ लाने से न छोड़ी। मैं भी अभी तक यही समझती थी कि इसमें कोई कमी नहीं है किंतु आज मुझे तीन चीजों के बारे में मालूम हुआ कि अगर यहाँ आ जाएँ तो हमारा महल अद्वितीय हो जाए।

शहजादों ने कहा
, कौन-सी चीजें हैं वे? परीजाद बोली, एक तो आदमियों जैसा बोलनेवाला बुलबुल हजार दास्ताँ है जिसका संगीत सुनने और जिसके स्वर में स्वर मिला कर गाने के लिए हजारों पक्षी आ जाते हैं। दूसरा गानेवाला पेड़ जिसके पत्तों के रगड़ खाने से संगीत निकलता है। तीसरे सुनहरा पानी है जिसकी एक बूँद ही से कभी न खत्म होनेवाला फव्वारा बन जाता है। मैं इसी चिंता में हूँ कि इन्हें कैसे प्राप्त करूँ। बहमन ने कहा, अगर तुम यह बता दो कि कहाँ या किस ओर जाने से यह चीजें मिंलेगी तो मैं कल सुबह ही रवाना हो जाऊँ। परवेज ने उसे उद्यत देख कर कहा, भैया, तुम्हारी बुद्धि और बल में संदेह नहीं किंतु अच्छा हो अगर तुम यहाँ रह कर यहाँ का कामकाज सँभालो। बहमन बोला, साहस और बुद्धि तुम में भी कम नहीं है। लेकिन मैं बड़ा हूँ, इसलिए इस मामले में आगे मुझी को होना चाहिए।


rajnish manga 11-11-2017 04:53 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

दूसरे दिन बहमन ने अपनी बहन से पूरी जानकारी ली और अस्त्र-शस्त्र ले कर घोड़े पर बैठ गया। अब परीजाद उसे देख कर रोने लगी और बोली, भैया, मैं भी बड़ी दुष्ट हूँ जो अपने जरा-से शौक के लिए तुम्हें मुसीबत में फँसा रही हूँ। मैं अपनी माँग वापस लेती हूँ। अब कभी तीनों चीजों में एक का भी उल्लेख नहीं करूँगी। तुम न जाओ। बहमन ने कहा, एक बार कमर कस कर मैं पीछे नहीं हटता। अगर अब मैं सफर नहीं करता तो हमेशा मेरे दिल में यह खटक रहेगी कि मैं कायर हूँ।

परीजाद ने कहा, यहाँ हम लोग भी तो परेशान रहेंगे। हमें नहीं मालूम हो सकेगा कि तुम किस हाल में हो। बहमन ने कहा, इसका प्रबंध मैं कर रहा हूँ। यह खंजर लो। यह जादू की चीज है। रोज इसे म्यान से निकाल कर देखना। अगर यह साफ और चमकता हुआ दिखाई दे तो समझना कि मैं जहाँ भी हूँ सकुशल हूँ। लेकिन अगर इसमें से खून की बूँदें टपकने लगें तो समझ लेना कि मैं जीवित नहीं रहा। यह सुन कर परवेज और परीजाद और अधीर हुए और बहमन से कहने लगे कि ऐसी खतरनाक यात्रा न करो। लेकिन बहमन ने उनकी बात न सुनी और घोड़ा दौड़ा दिया।

बहमन सीधी राह पर लग लिया। उसने ध्यान रखा कि कहीं दाएँ-बाएँ न मुड़ जाए। फारस की राजधानी से बीस दिन की राह पूरी करने पर वह सोच रहा था कि आगे जाऊँ या न जाऊँ। तभी उसे एक अजीब-सा दृश्य दिखाई दिया। एक घने पेड़ के नीचे एक झोपड़ा पड़ा हुआ था और उसके बाहर एक बूढ़ा बैठा था जिसे बहुत ध्यान से देखने पर ही मालूम होता था कि कोई आदमी बैठा है।

rajnish manga 13-11-2017 10:56 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

उसके बाल बर्फ की तरह सफेद थे। उसके सर, दाढ़ी, मूँछों और भौंहों के बाल इतने बढ़ गए थे कि उसका सारा शरीर बालों से ढक गया था। उसके हाथों और पैरों के नाखून बहुत बढ़ गए थे और कीलों की तरह मालूम होते थे और उसके सिर पर एक लंबी टोपी रखी हुई थी। उसने अपना शरीर एक चटाई से ढक रखा था। जिसके ऊपर उनके बाल पड़े हुए थे। बहमन उसे देख कर समझ गया कि वह कोई तपस्वी सिद्ध है जो ऐसे दुर्गम और निर्जन स्थान में अकेला बगैर खाए-पिए तपस्यारत रहता है।

बहमन को तो तलाश थी ही कि कोई आदमी मिले क्योंकि पहला मिलनेवाला ही उसे गंतव्य स्थान का पता दे सकता था। वह यह भी समझ गया कि पहला और आखिरी आदमी यहाँ यह ही मिल सकता है और यह भी स्वाभाविक ही है कि ऐसी अलभ्य वस्तुओं का पता किसी सिद्ध तपस्वी से लगे। बहमन घोड़े से उतरा और उसने वृद्ध तपस्वी के पास जा कर प्रणाम किया। बहमन को उस जगह से जहाँ वृद्ध का मुख हो सकता था कोई ध्वनि तो सुनाई दी किंतु उसकी समझ में कुछ भी नहीं आया।

कुछ देर बाद बहमन ने समझ लिया कि मूँछों और दाढ़ी के घने बालों ने बूढ़े सिद्ध का मुख इस रह बंद कर रखा है कि इसकी आवाज घुट कर रह जाती है। उसने अपना घोड़ा एक पेड़ से बाँधा और तपस्वी के पास आ कर अपनी जेब से एक छोटी-सी कैंची निकाली। फिर वह बोला, हे तपस्वी पिता, तुम्हारी बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आई। अगर अनुमति दो तो मैं तुम्हारी भौंहें और मूँछें छाट दूँ। इनके कारण तुम्हारी सूरत आदमी के बजाय रीछ जैसी मालूम होती है। तपस्वी ने इशारे से उसे अनुमति दे दी।


rajnish manga 13-11-2017 10:57 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बहमन ने उसकी भौंहों और मूँछों को छाँट डाला तो तपस्वी का चेहरा बिल्कुल बदल गया। शहजादा बहमन बोला, तपस्वी पिता, अगर मेरे पास दर्पण होता तो मैं तुम्हें दिखाता कि हजामत के बाद यही नहीं हुआ कि तुम रीछ के बजाय आदमी लगो बल्कि तुम बूढ़े के बजाय जवान भी लगने लगे हो। तपस्वी इस प्रकार की मनोरंजक वार्ता सुन कर मुस्कुराया और बोला, बेटे, मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हुआ। अब बताओ कि इतनी दूर किस लिए आए हो ताकि तुम्हारे उद्देश्य की सिद्धि के लिए मैं जो कुछ मदद कर सकता हूँ वह करूँ।

बहमन बोला, तपस्वी पिता, मैं बहुत दूर से बुलबुल हजार दास्ताँ, गानेवाला पेड़ और सुनहरा पानी लेने के लिए आया हूँ। आप कृपा कर के मुझे बताएँ कि यह वस्तुएँ मुझे कहाँ और कैसे मिलेंगी। बूढ़े ने यह सुन कर सिर झुका लिया और बहुत देर तक चुपचाप बैठा रहा। बहमन ने फिर कहा, तपस्वी पिता, तुमने मौन क्यों साध लिया है। अगर तुम्हें नहीं मालूम तो कह दो कि नहीं जानता। मैं किसी और से पूछूँ।

तपस्वी ने कहा, मुझे मालूम तो है लेकिन मैं तुम्हें इसलिए नहीं बताना चाहता कि तुम्हारी सेवा के बदले तुम्हें मुसीबत में नहीं डालना चाहता। बहमन ने कहा, यह क्या बात हुई? सिद्ध ने कहा, जहाँ यह चीजें हैं वहाँ का मार्ग बड़ा भयावह है, तुम्हारी तरह बीसियों आदमियों ने वहाँ जाने की राह मुझसे पूछी है और कोई वापस नहीं लौटा। इसलिए तुमसे कहता हूँ कि जहाँ से आए हो वापस चले जाओ।

rajnish manga 13-11-2017 11:00 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बहमन ने कहा, मैं वापस जाने के लिए यहाँ तक नहीं आया हूँ। मुझे अपना कार्य पूरा करना ही है चाहे इसमें मेरी जान चली जाए। अपने उद्देश्य में असफल हो कर मैं कायर की तरह जीना नहीं चाहता। अभी तक कोई शत्रु मुझे हरा नहीं सका है। जिसकी मौत आई होगी वही मेरी राह में रोड़ा अटकाने आएगा। तुम केवल इतनी कृपा करो कि मुझे राह बता दो, आगे की पूरी जिम्मेदारी मेरी। तुम मेरे युद्ध कौशल पर विश्वास तो करो।

तपस्वी ने कहा, बेटे, यही तो मुश्किल है कि तुम्हें युद्ध कौशल दिखाने का अवसर नहीं मिलेगा। तुम्हें जो शत्रु मिलेंगे वे सामने से मुकाबला नहीं करते बल्कि छुपे तौर पर वार करते हैं। शहजादे ने कहा, मैं छुपे तौर पर वार करनेवालों से भी निबटना जानता हूँ, आप मुझे वहाँ जानेवाली राह तो बताएँ।

तपस्वी ने उसे बहुत समझाया लेकिन जब यह देखा कि बहमन किसी तरह अपनी जिद छोड़ता ही नहीं और जब तक राह न मालूम कर लेगा हरगिज नहीं टलेगा, तो उसने अपने झोले से एक गेंद निकाली और कहा, मुझे तुम्हारी जवानी पर अफसोस हो रहा है। लेकिन तुमने जिद पकड़ रखी है तो अपना भला-बुरा तुम्हीं जानो। तुम सवार हो कर उधर को जाओ और उस गेंद को भूमि पर गिरा दो। यह गेंद खुद ही लुढ़कने लगेगी और तुम इसी के पीछे-पीछे चले जाना जब तक यह लुढ़कती रहे, तब तक तुम भी चलते रहना। एक पहाड़ के नीचे जा कर यह गेंद रुक जाएगी। वहाँ तुम रुक कर घोड़े से उतर जाना और घोड़े की लगाम उसकी गर्दन पर डाल देना ताकि वह ठहरा रहे।

rajnish manga 13-11-2017 11:01 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

तुम फिर पहाड़ पर चढ़ना। तुम अपने दोनों ओर काले पत्थर काफी अधिक संख्या में देखोगे। उन पर तुम ध्यान न देना। इसके अलावा अपने पीछे से आते हुए बहुत-से अपशब्द और धमकियाँ सुनोगे। यह बहुत जरूरी है कि तुम इन गालियों की पूर्ण उपेक्षा कर दो। अगर तुमने एक बार भी डर कर पीछे की ओर देखा तो तुम और तुम्हारा घोड़ा दोनों काले पत्थर बन जाएँगे। तुम्हें राह में मिलनेवाले काले पत्थर भी तुम्हारी तरह उन तीन चीजों की खोज में जानेवाले आदमी थे। पीछे देखने के कारण वे पत्थर बन गए हैं।
अगर तुम कुशलतापूर्वक पहाड़ की चोटी पर पहुँच गए तो वहाँ एक वृक्ष पर टँगा हुआ पिंजड़ा मिलेगा जिसमें गानेवाली चिड़िया मौजूद है। उस चिड़िया की बातों से भी न डरना और उससे गानेवाले पेड़ और सुनहरे पानी का पता पूछना। वह तुम्हें बताएगी कि यह चीजें कहाँ मिलेंगी। इन सब चीजों को पाने के बाद तुम्हारी राह में कोई खतरा नहीं रहेगा। मैंने यह सब तुम्हें बता जरूर दिया है लेकिन मेरा अब भी यही कहना है कि तुम वापस लौट जाओ। मैं साफ देख रहा हूँ कि तुम वहाँ गए तो काला पत्थर बन कर रह जाओगे।

बहमन ने कहा, अब जो होना है वह हो ही कर रहेगा, मैं पीछे तो लौटता नहीं। यह कह कर शहजादे ने घोड़ा खोला और उस पर सवार हो कर तपस्वी की दी गई गेंद गिरा दी। गेंद लुढ़कती हुई आगे को चली। काफी दूर जाने पर गेंद एक पहाड़ की तलहटी पर रुक गई जहाँ ऊपर जाने के लिए एक तंग रास्ता था। शहजादे ने घोड़े से उतर कर उसकी गर्दन पर लगाम डाली और पहाड़ पर चढ़ने लगा। कुछ दूर जाने पर उसे बड़े-बड़े काले पत्थर दिखाई दिए। इसके आगे चार-पाँच कदम ही चला था कि पीछे से बड़ी अप्रिय आवाजें आने लगीं। कोई आवाज होती, यह कौन बेवकूफ आगे चला जा रहा है, पकड़ो इसे। कभी आवाज आती, यह बड़ा दुष्ट है, इसे पकड़ कर मार डालो। कभी चीखती और गरजती आवाजें आतीं, वह जा रहा है चोर, खूनी, बदमाश। घेर लो इसे। कभी हलकी-सी आवाज आती, इसे पकड़ कर बाँधे रखना, यह बोलती चिड़िया को चुराने के लिए आया है। कभी कोई यह कहता जान पड़ता, यह वहाँ पहुँच कहाँ पाएगा, रास्ते में छुपे गढ़े में गिर कर मर जाएगा।

पहले बहमन ने इन आवाजों की उपेक्षा की और अपनी राह पर बढ़ता चला गया। किंतु यह आवाजें कम होने के बजाय कदम-कदम पर तेज ही होती गईं और उसके कानों के परदे फटने लगे और दिमाग सुन्न हो गया। तपस्वी ने उसे जो बताया था वह भी उसके दिमाग से निकल गया और एक बार डर कर पीछे देखने लगा। तुरंत ही वह और घोड़ा दोनों काले पत्थरों के रूप में बदल गए।


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