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rajnish manga 06-11-2017 02:32 PM

किस्सा तीन बहनों का
 
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किस्सा तीन बहनों का / Kissa Teen Bahno Ka
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rajnish manga 06-11-2017 02:35 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नाम का शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। जब अपने वृद्ध पिता की मृत्यु होने पर वह राजगद्दी का मालिक हुआ तो उसने अपना नाम कैखुसरो रखा। किंतु उसने भेस बदल कर नगर का घूमना तब भी जारी रखा। हाँ, उसके साथ सेवक के बजाय मंत्री होता।

एक दिन इसी तरह नगर भ्रमण करते हुए वह एक गली में जा पड़ा। वहाँ एक मकान के अंदर से स्त्रियों की कुछ ऐसी बातचीत सुनाई दी कि वह कान लगा कर उस दरवाजे पर खड़ा हो गया। दरवाजे की दरारों से झाँक कर देखा तो उसे एक दालान में तीन नवयुवतियाँ बातें करती दिखाई दीं। यह तीनों बहनें थीं। बड़ी बहन ने कहा, मुझे अच्छी रोटियाँ खाने का शौक हैं। अगर मेरा विवाह शाही नानबाई से हो तो मजा आ जाए। मँझली बहन बोली, मैं तो तरह-तरह के खानों की शौकीन हूँ। मैं चाहती हूँ कि मेरा विवाह बादशाह के बावर्ची से हो।

rajnish manga 06-11-2017 02:38 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

छोटी बहन चुप रही। उसकी बहनों ने बहुत पूछा तो उसने कहा, मेरा काम नौकर-चाकरों से नहीं चलेगा, मैं तो स्वयं बादशाह से शादी करना चाहती हूँ। इतना ही नहीं, मैं चाहती हूँ कि बादशाह से मेरे एक बेटा पैदा हो जिसके एक ओर के बाल सोने के हो, दूसरी ओर के चाँदी के। वह बालक जब रोए तो उसकी आँखों से आँसुओं की जगह मोती गिरें और जब वह हँसे तो उसके होंठों में कलियाँ खिली हुई मालूम हों। उसकी बड़ी बहन यह सुन कर हँसने लगी और बोली कि तू हमेशा पागलों जैसी बात करती है।

बादशाह को इस वार्तालाप से बड़ा कौतूहल हुआ। उसने मंत्री को आज्ञा दी कि इस घर को अच्छी तरह पहचान रखो और कल सुबह इन तीनों बहनों को मेरे सामने हाजिर करो। मंत्री ने दूसरे दिन उसकी आज्ञा का पालन किया और तीनों बहनों को बादशाह के समक्ष ला कर पेश कर दिया। बादशाह ने देखा कि छोटी बहन अपनी अन्य बहनों से कहीं अधिक सुंदर है। वह निगाहों से बुद्धिमान भी लगी। बादशाह उसे देख कर मुग्ध हो गया।

फिर बादशाह ने कहा, तुम लोग कल रात को अपने दालान में बैठी क्या बातें कर रही थीं। ठीक-ठीक वही बताना जो तुमने कहा था। खबरदार, एक शब्द का भी अंतर न पड़े। याद रखो कि तुम्हारी बातें कल रात को मैंने खुद अपने कानों से सुनी हैं। गलत बात कहोगी तो मुझे मालूम हो जाएगा। यह सुन कर तीनों बहनें सिर झुकाए बैठी रहीं, लज्जा और भय के कारण उनकी जबान बंद हो गई। पूछने पर उन्होंने कहा कि हमें कुछ याद नहीं कि हमने क्या कहा था।

rajnish manga 06-11-2017 02:40 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बादशाह ने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा, तुम लोग भूली कुछ भी नहीं हो। निडर हो कर बताओ कि कल रात आपस में क्या बातें कर रही थीं। तुम कोईबुरी बात नहीं कर रही थीं। मैं केवल अपने सामने एक बार फिर तुम्हारी बातेंसुनना चाहता हूँ। बादशाह का काम प्रजा की आवश्यकताएँ पूरी करना होता है।मैं भी जहाँ तक हो सकेगा तुम्हारी इच्छाएँ पूरी करूँगा। हाँ, यह ख्याल रहेकि तुम लोग वही कहो जो तुमने कल रात को कहा था। बयान बदला न जाए।

मजबूर हो कर तीनों ने एक-एक करके बताया कि पिछली रात क्या कह रहीथीं। बादशाह सुन कर मुस्कुरा उठा। उसने अपने नानबाई और बावर्ची को बुलायाऔर नानबाई को बड़ी तथा बावर्ची को मँझली का हाथ पकड़ा दिया और कहा कि इनलोगों को बढ़िया रोटियाँ और सालन खिलाते रहना। उसने मंत्री को आदेश दिया किइसी समय काजी और गवाहों को बुला कर इनका निकाह पढ़वा दिया जाए। छोटी केलिए कहा, जैसी इसकी इच्छा थी, इसके साथ मैं विवाह करूँगा। यह विवाह पूरीशाही शान-शौकत से होगा, उसी तरह जैसे मैं किसी राजकुमारी को ब्याह रहा हूँ।मेरी शादी की इसी समय से तैयारियाँ शुरू कर दी जाएँ। यह कहने के बाद वह उठकर दरबार को चला गया।


rajnish manga 07-11-2017 07:38 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बड़ी और मँझली बहन की शादी उसी दिन क्रमशः नानबाई और बावर्ची के साथहो गई। छोटी का विवाह पूरी धूमधाम से बादशाह के साथ कुछ दिन बाद हुआ औरउसे शाही जनानखाने में पहुँचा दिया गया। दोनों बहनों को छोटी के भाग्य सेबड़ी ईर्ष्या हुई। वे सोचतीं और आपस में कहा करतीं कि छोटी को तो एक बातमुँह से निकालने पर ही राजपाट मिल गया और हम लोग उसकी एक तरह से नौकरानियाँहो गईं। एक दिन बड़ी ने मँझली से कहा, यह छोटी ऐसी कौन-सी हूर परी है किइसे बादशाह ने ब्याह लिया। मुझे तो इस बात से बड़ा बुरा लग रहा है। मँझलीबोली, मुझे भी बड़ा बुरा लग रहा है। आखिर बादशाह ने उसमें क्या देखा कि उसेमलिका बना लिया। कही हुई बातों का क्या है, आदमी हर तरह की बातें करता है।मेरी समझ में तो छोटी नहीं बल्कि तुम बादशाह के योग्य थीं। बड़ी ने कहा, मुझे भी यह देख कर आश्चर्य है कि बादशाह की क्या आँखें फूट गई थीं जो उसनेउस चुहिया को पसंद किया, उससे तो तुम हजार दरजे अच्छी थीं।


rajnish manga 07-11-2017 07:40 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

फिर दोनों ने सलाह की कि इस तरह कुढ़ने और एक-दूसरे को तसल्ली देनेसे काम नहीं चलेगा। किसी तरह उसे खत्म किया जाए या बादशाह की निगाहों सेगिराया जाए तभी मन को शांति मिलेगी। फिर भी उनकी समझ में न आता कि इसके लिएक्या उपाय किया जा सकता है। यद्यपि यह ठीक बात थी कि जब वे दोनों छोटी बहनसे मिलने जातीं तो वह उनकी हैसियत का ख्याल न करती बल्कि बहनों की तरह हीअपनेपन से उनकी अभ्यर्थना किया करती थी। फिर भी उनकी हैसियत उससे नीची थीही। सभी लोग जानते थे कि वे दोनों नौकरों की स्त्रियाँ हैं और उनकी बहनरानी है। बादशाह भी अपने सेवकों की पत्नियों को क्यों खातिर में लाता।

कुछ महीनों बाद रानी को गर्भ रहा। यह सुन कर बादशाह को बड़ी खुशीहुई। अब उन दोनों ने अपनी छोटी बहन से कहा, हमें इस बात से इतनी प्रसन्नताहै कि बयान नहीं कर सकते। हम दोनों की इच्छा है कि तुम्हारी प्रसूति औरउसके चालीस दिन बाद तक तुम्हारी देखभाल पूरी तरह हमारे ही सुपुर्द हो।मलिका ने कहा, इससे अच्छा क्या हो सकता है। तुम दोनों मेरी माँ जाई हो, तुमसे बढ़ कर कौन देखभाल करेगा। तुम अपने पतियों के द्वारा यह आवेदन बादशाहके सामने करो। आशा है वे इसे स्वीकार कर लेंगे। उन्होंने अपने-अपने पतियोंके द्वारा बादशाह से यह आवेदन किया तो उसने कहा कि मलिका से पूछ कर ही यहअनुमति दूँगा। उसने अपनी मलिका से पूछा तो वह खुशी से तैयार हो गई क्योंकिउसने तो पहले ही बहनों की बात मान ली थी। बादशाह ने कहा, मेरी समझ में भीयही बात ठीक रहेगी। वे कुछ भी हों, हैं तो तुम्हारी बहनें ही। गैर आदमियोंसे तो अधिक अच्छी तरह तुम्हारी देखभाल करेंगी। इस बातचीत के बाद बादशाह नेदोनों बहनों को प्रसूति के समय मलिका की देखभाल करने की अनुमति दे दी। वेदोनों महल के अंदर रहने लगीं।


rajnish manga 09-11-2017 05:28 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

अब उन्हें अपनी दुष्टता को कार्यान्वित करने का अवसर मिल गया। जब मलिका की प्रसूति का समय आया तो उन्होंने समस्त दासियों को वहाँ से हटा दिया। मलिका ने एक अत्यंत सुंदर पुत्र को जन्म दिया। इससे उन दोनों की डाह और बढ़ी। उन्होंने चुपचाप उस बच्चे को महल के बाहर पहुँचा दिया और एक मरा हुआ पिल्ला ला कर रख दिया। बच्चे को उन्होंने एक कंबल में लपेट कर एक पिटारी में रखा और एक नहर में बहा दिया और महल में आ कर दासियों को दिखाया कि मलिका ने मरा पिल्ला जना है। सब लोगों को इस पर बड़ा आश्चर्य हुआ किंतु बादशाह को जब यह मालूम हुआ तो उसका क्रोध से बुरा हाल हो गया। वह कहने लगा, ऐसा मरा पिल्ला जननेवाली रानी का मैं क्या करूँगा, मैं उसे मरवा दूँगा। संयोग से मंत्री भी वहाँ मौजूद था। उसने समझा-बुझा कर बादशाह का क्रोध शांत कर दिया।

जिस नहर में ईर्ष्यालु बहनों ने बच्चेवाली टोकरी बहाई थी वह शाही बागों के अंदर से जाती थी। सारे शाही बागों के व्यवस्थापक यानी बागों के दारोगा का स्थान उसी नहर के किनारे था। उसने नहर में टोकरी बहते देखा तो एक माली से कह कर उसे निकलवाया क्योंकि नहर में इधर-उधर की चीजें नहीं आनी चाहिए। देखा तो उसमें एक अत्यंत सुंदर बालक था। दारोगा को देख कर आश्चर्य हुआ कि टोकरी में रखा बच्चा नहर में कैसे आ गया। लेकिन उसने अधिक सोच-विचार नहीं किया। वह निपूता था। बच्चे को उठा कर वह पत्नी के पास ले गया और कहा, भगवान ने यह बच्चा हमें दिया है। उसकी पत्नी भी बड़ी प्रसन्न हुई और बच्चे का पुत्रवत लालन-पालन करने लगी।


rajnish manga 09-11-2017 05:30 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

दूसरे वर्ष मलिका के फिर एक पुत्र पैदा हुआ। इस बार भी उसकी बहनों ने वैसी ही दुष्टता की। बच्चे को बाहर जा कर नहर में बहा दिया और मलिका के नीचे एक मरा बिल्ली का बच्चा ला कर रख दिया। महल में फिर मातम सा छा गया और बादशाह का क्रोध फिर आसमान छूने लगा और उसने मलिका का वध कराने की बात फिर कही। इस बार भी दयालु मंत्री ने समझा-बुझा कर उसे मलिका को मरवाने से रोका। मलिका पहले से अधिक अपमान की स्थिति में रहने लगी। इधर जिस टोकरी में बच्चा रखा था वह फिर बागों के दरोगा के हाथ लगी। वह इस बच्चे को भी पहले की भाँति पालने लगा।

कुछ दिनों बाद मलिका को फिर गर्भ रहा। बादशाह को आशा थी कि इस बार की संतान ठीक-ठीक होगी। लेकिन दोनों दुष्ट बहनें अब भी वहाँ मौजूद थीं और उनके मुँह खून लग चुका था। इस बार मलिका के बेटी हुई। मलिका की बहनों ने उसे भी नहर में बहा दिया। उस टोकरी को भी बागों के दारोगा ने निकलवा लिया और ईश्वरीय देन समझ कर इसका पालन-पोषण करने लगा। उधर दुष्ट बहनों ने मशहू्र किया कि मलिका ने छछुंदर जना है।

इस बार बादशाह अपना क्रोध बिल्कुल नहीं सँभाल पाया। उसने कहा कि ऐसी जीव-जंतु पैदा करनेवाली रानी से बदनामी ही होगी
, इसे जरूर मरवा देना होगा। दयालु मंत्री ने उसके पैरों पर गिर कर कहा, पृथ्वीपाल, आप कुछ न्याय-अन्याय का विचार करें। इसमें रानी का क्या अपराध है? आप की बदनामीवाली बात ठीक है। तो इसके लिए यह करें कि मलिका के पास जाना छोड़ दें।


rajnish manga 09-11-2017 05:33 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बादशाह ने कहा, तुम इतना कहते हो तो उसे जान से नहीं मरवाऊँगा। लेकिन मैं सजा जरूर दूँगा और सजा भी ऐसी दूँगा जो मृत्युदंड से भी बढ़ कर कष्टकारक हो। और इस सजा के बारे में मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूँगा।

यह कह कर उसने शाही इमारतों के निर्माता को बुला कर कहा
, जामा मसजिद के ठीक सामने एक कैदखाना बनाओ। उसका द्वार खुला रहे और मलिका को एक लकड़ी के पिंजरे में वहाँ बंद कर दिया जाय। वहाँ एक शाही फरमान लगाया जाए कि जो भी नमाज पढ़ने आए मसजिद में जाने के पहले मलिका के मुँह पर थूक कर जाए। जो आदमी ऐसा न करे उसे भी वही सजा दी जाए जो मलिका को दी जा रही है। मंत्री यह सुन कर चुप हो रहा लेकिन सोचने लगा कि मलिका को जो सजा दी जा रही है उसके योग्य तो उसकी बहनें हैं।

खैर
, बादशाह ने जिस तरह कहा था उसी तरह का कैदखाना और पिंजड़ा तैयार किया गया और मलिका को उसमें रखा गया। दिन भर सैकड़ों नगर निवासी मसजिद में नमाज के लिए जाते और नमाज से पहले मलिका के मुख पर थूका करते। उन्हें इस बात का बड़ा दुख होता कि वे निर्दोष मलिका को दंडित कर रहे हैं लेकिन क्या करते, बादशाही आदेश था और दंड का भय भी। बेचारी मलिका भी ईश्वरीय इच्छा समझ कर सब कुछ सह लेती।

उसके पुत्रों और पुत्री को
, जिनके जन्म से भी वह अनभिज्ञ थी, बागों का दारोगा और उसकी पत्नी बड़े प्यार और सावधानी से पाल-पोस रहे थे। तीनों बच्चों को खेलता देख कर उन दोनों को अपार हर्ष होता था। वे कुछ बड़े हुए तो दारोगा ने बड़े लड़के का नाम बहमन, छोटे लड़के का परवेज और लड़की का परीजाद रखा। जब वे लोग कुछ और बड़े हुए तो बागों के दारोगा ने उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए विद्वानों और विभिन्न कलाओं के विशेषज्ञों को नियुक्त किया। तीनों की शिक्षा एक साथ होती और परीजाद भी जो बुद्धि में अपने भाइयों से कम नहीं थी, विभिन्न विषयों में उन्हीं की भाँति पारंगत हो गई। तीनों ने काव्य, इतिहास, गणित आदि सभी प्रचलित विद्याएँ सीखीं।


rajnish manga 10-11-2017 08:33 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

तीनों की बुद्धि इतनी तीक्ष्ण थी कि उनके अध्यापक कहने लगे कि यह लोग तो कुछ दिनों में हम से भी बढ़ कर विद्वान हो जाएँगे, इन्हें तो कोई बात सीखने में देर ही नहीं लगती।

लिखने-पढ़ने के अलावा तीनों ने घुड़सवारी
, धनुर्विद्या, शस्त्र-संचालन आदि की शिक्षा भी ली और जल्द ही इनमें भी प्रवीण हो गए। इसके अलावा परीजाद ने गाना और वाद्य वादन भी सीखा। दारोगा को ख्याल तो पहले भी था कि यह लोग शाही महल के जन्मे होंगे, अब विश्वास भी हो गया। उसे अपना छोटा-सा घर उनके निवास के उपयुक्त न लगा। उसने शहर के बाहर जंगल के समीप उनके लिए विशाल भवन बनवाना शुरू किया।

दारोगा ने अपनी देखरेख में वह भवन बनवाया। वह तैयार हो गया तो उसकी दीवारों पर प्रख्यात कलाकारों द्वारा बड़े सुंदर चित्र बनवाए और महल को हर प्रकार की सुंदर और मूल्यवान सामग्री से सजाया। उसके पास ही उसने बड़ी मनोरम पुष्प वाटिका बनवाई जहाँ वे लोग मन बहलाया करें। इसके अतिरिक्त एक बड़ा भूमिक्षेत्र घिरवा कर उसमें बहुत-से जंगली जानवर रखवाए ताकि वे लोग घर के समीप ही शिकार खेल सकें क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए शिकार अच्छी कसरत है।


rajnish manga 10-11-2017 08:34 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

महल के बन जाने पर दारोगा ने बादशाह से निवेदन किया कि मैंने जंगल के पास एक नया मकान बनवाया है, आपकी अनुमति हो तो मैं बाग के छोटे मकान को छोड़ कर नए मकान में रहूँ। बादशाह उससे खुश था इसलिए उसे तुरंत अनुमति मिल गई। इससे कुछ वर्ष पूर्व दारोगा की पत्नी का देहांत हो गया था। महल बनवाने में उसका कुछ उद्देश्य पत्नी की मृत्यु का दुख भुलाना भी था। किंतु महल बनने के कुछ महीनों बाद ही वह अचानक बीमार हो कर मर गया। उसने काफी धन-दौलत छोड़ी थी और उन तीनों को जीविका की कोई चिंता न थी किंतु उसकी अचानक मौत से उन्हें बड़ा दुख हुआ। अंत समय में वह इन तीनों से इससे अधिक कुछ न कह सका कि आपस में मिल-जुल कर रहना।

उसके मरने पर उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार करके तीनों बहन-भाई मिल-जुल कर रहने लगे। दोनों भाइयों को एक प्रतिष्ठित राज पद भी मिल गया यद्यपि उनकी बादशाह से भेंट न होती थी। एक दिन दोनों शहजादे शिकार खेलने को गए। परीजाद घर में अकेली थी
, सिर्फ उसकी दो-एक दासियाँ उसके साथ थीं। उसी समय एक धर्मनिष्ठ वृद्धा वहाँ आ कर कहने लगी, बेटी, नमाज का समय है, अनुमति दो तो अंदर आ कर नमाज पढ़ लूँ। परीजाद ने तुरंत अनुमति दे दी। जब वह नमाज पढ़ चुकी तो परीजाद के इशारे पर दासियों ने उस बुढ़िया को सारा महल इत्यादि दिखाया। उसने खुश हो कर कहा कि निःसंदेह जिसने यह महल बनवाया है वह अपने कार्य का विशेषज्ञ है।


rajnish manga 10-11-2017 08:35 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

मकान दिखाने के बाद दासियाँ, बुढ़िया को परीजाद के पास ले आईं। परीजाद ने कहा, बैठिए, आप जैसी धर्मनिष्ठ महिला का साथ करके मैं स्वयं को भाग्यशाली मानती हूँ। बुढ़िया ने नीचे फर्श पर बैठना चाहा लेकिन परीजाद ने उसे खींच कर अपने तख्त पर अपने बगल में बिठाया। बुढ़िया ने कहा, मालकिन, मेरी आपके साथ बैठने की हैसियत बिल्कुल नहीं है, लेकिन आपका अनुरोध टाल भी नहीं सकती, इसलिए बैठ रही हैं।

परीजाद बुढ़िया से उसके ग्राम
, परिवार आदि के बारे में बातें करने लगी। कुछ देर बार परीजाद की दासियों ने जलपान उपस्थित किया जिसमें भाँति-भाँति की रोटियाँ, नान, कुलचे तथा हरे फल और सूखे मेवे थे। कई प्रकार की मिठाइयाँ भी थीं। परीजाद ने कई चीजें अपने हाथ से उठा कर वृद्धा को दीं और कहा, अम्मा, अच्छी तरह पेट भर कर खाओ, तुम देर की अपने घर से निकली हो। थक भी गई होगी और रास्ते में कुछ खाया भी नहीं होगा। बुढ़िया ने कहा, बेटी, तुम जुग-जुग जियो। इतनी सुशील कोई अमीरजादी हो सकती है। यह बात मैं सोच भी नहीं सकती थी। मैं निर्धन हूँ, ऐसी स्वादिष्ट वस्तुएँ खाने की मेरी आदत नहीं है, लेकिन तुम इतने प्यार और आदर से कह रही हो तो खुशी से खाऊँगी। मैं इसे भगवान की दया समझती हूँ कि उसने मुझे तुम्हारा घर दिखाया।

rajnish manga 10-11-2017 08:37 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

नाश्ता करने के बाद परीजाद ने बुढ़िया से और भी बातें कीं क्योंकि वह कई विषयों की जानकार मालूम होती थी। उसे बुढ़िया से धर्म और ईश्वर भक्ति के बारे में कई प्रश्न पूछे जिनका उसने बहुत अच्छी तरह उत्तर दिया। फिर परीजाद ने बुढ़िया से पूछा, अम्मा, मेरे महल और बाग वगैरह के बारे में तुम्हारी क्या राय है? क्या और भी कोई वस्तु है जो तुम्हारी राय में यहाँ होनी चाहिए? बुढ़िया हँस कर बोली, बेटी, यह प्रश्न मुझ से न करो तो अच्छा हो। मैं कुछ कहूँगी तो तुम कहोगी कि यह दो टके की बुढ़िया मेरे महल और बाग में नुक्स निकालती है। परीजाद ने जोर दे कर कहा, मैं ऐसा कुछ नहीं कहूँगी। तुम जो कुछ कमी इसमें समझती हो वह मुझे जरूर बताओ, मैं उसे पूरा करने की कोशिश करूँगी।

बुढ़िया ने कहा
, यहाँ सब कुछ है। किंतु मेरी समझ में यहाँ पर तीन चीजें और आ जाएँ तो संसार में तुम्हारा बाग अद्वितीय हो जाए। लेकिन उनका मिलना कठिन है। एक तो बुलबुल हजार दास्ताँ है। जब वह बोलता है तो हजारों चिड़ियाँ जमा हो जाती हैं ओर उसके स्वर में स्वर मिलाने लगती हैं। दूसरा एक गानेवाला पेड़ है। उसके पत्ते मोटे और चिकने हैं। जब हवा चलने पर पत्ते एक दूसरे से रगड़ खाते हैं तो उनसे मधुर संगीत निकलता है। इस संगीत से हर एक सुननेवाला मुग्ध हो जाता है। तीसरी वस्तु है सुनहरा पानी। उसकी एक बूँद किसी बर्तन में रख दी जाए तो वह बर्तन अपने आप भर जाता है और फिर उसमें से एक फव्वारा निकलता है जो कभी नहीं रुकता, क्योंकि वह पानी लौट कर उसी बर्तन में गिरता है।

rajnish manga 11-11-2017 04:47 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

परीजाद बोली, अम्मा, तुम्हें इन चीजों के बारे में इतने विस्तार से पता है तो यह भी जानती होगी कि यह वस्तुएँ कहाँ मिलती हैं। मुझे बताओ तो मैं उनकी प्राप्ति का प्रयत्न करूँ। वृद्धा ने कहा, पूरा हाल तो मैं नहीं बता सकती लेकिन इतना बता सकती हूँ कि इस देश में कहीं भी यह चीजें नहीं मिल सकतीं। यहाँ से कोई व्यक्ति अमुक दिशा में जाए और सीधा चलता ही चला जाए तो बीस दिन की यात्रा के बाद जो पहला व्यक्ति उसे मिले उससे पूछे कि यह तीनों वस्तुएँ कहाँ मिलेंगी। वही आगे की राह बताएगा। अच्छा बेटी, अब मुझे काफी देर हो गई है, मैं चलूँगी।

बुढ़िया को यह क्या मालूम था कि परीजाद इतनी साहसी लड़की है कि खुद इन चीजों की तलाश में निकल पड़ेगी। इसलिए इसने विस्तार से वह सब कुछ बता दिया जो उसे मालूम था। परीजाद ने उसकी बताई एक-एक बात याद रखी। वह इस चिंता में पड़ गई कि उपर्युक्त तीनों चीजें कैसे प्राप्त की जाएँ। कुछ देर बाद दोनों शहजादे शिकार से वापस आए तो देखा कि बहन गहरी चिंता में डूबी है। उन्होंने कहा
, क्या बात है, परीजाद? तुम्हारी कुछ तबीयत खराब है या कोई बात तुम्हारी मरजी के खिलाफ हो गई। परीजाद ने सिर झुका कर कहा, नहीं, कोई बात नहीं है।

rajnish manga 11-11-2017 04:50 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बहमन ने कहा, यह तुम झूठ कह रही हो। कुछ ऐसा है जरूर जो तुम्हें दुख दे रहा है। अगर तुम नहीं बताओगी तो हम तुम्हारे पास से उठ कर नहीं जाएँगे। जब परीजाद ने देखा कि दोनों भाई बात के जानने पर अड़े हुए हैं तो उसने कहा, मैं तुम्हें इसलिए नहीं बताती थी कि जो मैं कहूँगी उससे तुम चिंता और कष्ट में पड़ जाओगे। अब तुम जिद कर रहे हो तो बताए देती हूँ। हमारे पिता ने यह महल हमारे लिए बनवाया था और अपनी समझ में उन्होंने सुंदरता और सजावट की कोई चीज यहाँ लाने से न छोड़ी। मैं भी अभी तक यही समझती थी कि इसमें कोई कमी नहीं है किंतु आज मुझे तीन चीजों के बारे में मालूम हुआ कि अगर यहाँ आ जाएँ तो हमारा महल अद्वितीय हो जाए।

शहजादों ने कहा
, कौन-सी चीजें हैं वे? परीजाद बोली, एक तो आदमियों जैसा बोलनेवाला बुलबुल हजार दास्ताँ है जिसका संगीत सुनने और जिसके स्वर में स्वर मिला कर गाने के लिए हजारों पक्षी आ जाते हैं। दूसरा गानेवाला पेड़ जिसके पत्तों के रगड़ खाने से संगीत निकलता है। तीसरे सुनहरा पानी है जिसकी एक बूँद ही से कभी न खत्म होनेवाला फव्वारा बन जाता है। मैं इसी चिंता में हूँ कि इन्हें कैसे प्राप्त करूँ। बहमन ने कहा, अगर तुम यह बता दो कि कहाँ या किस ओर जाने से यह चीजें मिंलेगी तो मैं कल सुबह ही रवाना हो जाऊँ। परवेज ने उसे उद्यत देख कर कहा, भैया, तुम्हारी बुद्धि और बल में संदेह नहीं किंतु अच्छा हो अगर तुम यहाँ रह कर यहाँ का कामकाज सँभालो। बहमन बोला, साहस और बुद्धि तुम में भी कम नहीं है। लेकिन मैं बड़ा हूँ, इसलिए इस मामले में आगे मुझी को होना चाहिए।


rajnish manga 11-11-2017 04:53 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

दूसरे दिन बहमन ने अपनी बहन से पूरी जानकारी ली और अस्त्र-शस्त्र ले कर घोड़े पर बैठ गया। अब परीजाद उसे देख कर रोने लगी और बोली, भैया, मैं भी बड़ी दुष्ट हूँ जो अपने जरा-से शौक के लिए तुम्हें मुसीबत में फँसा रही हूँ। मैं अपनी माँग वापस लेती हूँ। अब कभी तीनों चीजों में एक का भी उल्लेख नहीं करूँगी। तुम न जाओ। बहमन ने कहा, एक बार कमर कस कर मैं पीछे नहीं हटता। अगर अब मैं सफर नहीं करता तो हमेशा मेरे दिल में यह खटक रहेगी कि मैं कायर हूँ।

परीजाद ने कहा, यहाँ हम लोग भी तो परेशान रहेंगे। हमें नहीं मालूम हो सकेगा कि तुम किस हाल में हो। बहमन ने कहा, इसका प्रबंध मैं कर रहा हूँ। यह खंजर लो। यह जादू की चीज है। रोज इसे म्यान से निकाल कर देखना। अगर यह साफ और चमकता हुआ दिखाई दे तो समझना कि मैं जहाँ भी हूँ सकुशल हूँ। लेकिन अगर इसमें से खून की बूँदें टपकने लगें तो समझ लेना कि मैं जीवित नहीं रहा। यह सुन कर परवेज और परीजाद और अधीर हुए और बहमन से कहने लगे कि ऐसी खतरनाक यात्रा न करो। लेकिन बहमन ने उनकी बात न सुनी और घोड़ा दौड़ा दिया।

बहमन सीधी राह पर लग लिया। उसने ध्यान रखा कि कहीं दाएँ-बाएँ न मुड़ जाए। फारस की राजधानी से बीस दिन की राह पूरी करने पर वह सोच रहा था कि आगे जाऊँ या न जाऊँ। तभी उसे एक अजीब-सा दृश्य दिखाई दिया। एक घने पेड़ के नीचे एक झोपड़ा पड़ा हुआ था और उसके बाहर एक बूढ़ा बैठा था जिसे बहुत ध्यान से देखने पर ही मालूम होता था कि कोई आदमी बैठा है।

rajnish manga 13-11-2017 10:56 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

उसके बाल बर्फ की तरह सफेद थे। उसके सर, दाढ़ी, मूँछों और भौंहों के बाल इतने बढ़ गए थे कि उसका सारा शरीर बालों से ढक गया था। उसके हाथों और पैरों के नाखून बहुत बढ़ गए थे और कीलों की तरह मालूम होते थे और उसके सिर पर एक लंबी टोपी रखी हुई थी। उसने अपना शरीर एक चटाई से ढक रखा था। जिसके ऊपर उनके बाल पड़े हुए थे। बहमन उसे देख कर समझ गया कि वह कोई तपस्वी सिद्ध है जो ऐसे दुर्गम और निर्जन स्थान में अकेला बगैर खाए-पिए तपस्यारत रहता है।

बहमन को तो तलाश थी ही कि कोई आदमी मिले क्योंकि पहला मिलनेवाला ही उसे गंतव्य स्थान का पता दे सकता था। वह यह भी समझ गया कि पहला और आखिरी आदमी यहाँ यह ही मिल सकता है और यह भी स्वाभाविक ही है कि ऐसी अलभ्य वस्तुओं का पता किसी सिद्ध तपस्वी से लगे। बहमन घोड़े से उतरा और उसने वृद्ध तपस्वी के पास जा कर प्रणाम किया। बहमन को उस जगह से जहाँ वृद्ध का मुख हो सकता था कोई ध्वनि तो सुनाई दी किंतु उसकी समझ में कुछ भी नहीं आया।

कुछ देर बाद बहमन ने समझ लिया कि मूँछों और दाढ़ी के घने बालों ने बूढ़े सिद्ध का मुख इस रह बंद कर रखा है कि इसकी आवाज घुट कर रह जाती है। उसने अपना घोड़ा एक पेड़ से बाँधा और तपस्वी के पास आ कर अपनी जेब से एक छोटी-सी कैंची निकाली। फिर वह बोला, हे तपस्वी पिता, तुम्हारी बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आई। अगर अनुमति दो तो मैं तुम्हारी भौंहें और मूँछें छाट दूँ। इनके कारण तुम्हारी सूरत आदमी के बजाय रीछ जैसी मालूम होती है। तपस्वी ने इशारे से उसे अनुमति दे दी।


rajnish manga 13-11-2017 10:57 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बहमन ने उसकी भौंहों और मूँछों को छाँट डाला तो तपस्वी का चेहरा बिल्कुल बदल गया। शहजादा बहमन बोला, तपस्वी पिता, अगर मेरे पास दर्पण होता तो मैं तुम्हें दिखाता कि हजामत के बाद यही नहीं हुआ कि तुम रीछ के बजाय आदमी लगो बल्कि तुम बूढ़े के बजाय जवान भी लगने लगे हो। तपस्वी इस प्रकार की मनोरंजक वार्ता सुन कर मुस्कुराया और बोला, बेटे, मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हुआ। अब बताओ कि इतनी दूर किस लिए आए हो ताकि तुम्हारे उद्देश्य की सिद्धि के लिए मैं जो कुछ मदद कर सकता हूँ वह करूँ।

बहमन बोला, तपस्वी पिता, मैं बहुत दूर से बुलबुल हजार दास्ताँ, गानेवाला पेड़ और सुनहरा पानी लेने के लिए आया हूँ। आप कृपा कर के मुझे बताएँ कि यह वस्तुएँ मुझे कहाँ और कैसे मिलेंगी। बूढ़े ने यह सुन कर सिर झुका लिया और बहुत देर तक चुपचाप बैठा रहा। बहमन ने फिर कहा, तपस्वी पिता, तुमने मौन क्यों साध लिया है। अगर तुम्हें नहीं मालूम तो कह दो कि नहीं जानता। मैं किसी और से पूछूँ।

तपस्वी ने कहा, मुझे मालूम तो है लेकिन मैं तुम्हें इसलिए नहीं बताना चाहता कि तुम्हारी सेवा के बदले तुम्हें मुसीबत में नहीं डालना चाहता। बहमन ने कहा, यह क्या बात हुई? सिद्ध ने कहा, जहाँ यह चीजें हैं वहाँ का मार्ग बड़ा भयावह है, तुम्हारी तरह बीसियों आदमियों ने वहाँ जाने की राह मुझसे पूछी है और कोई वापस नहीं लौटा। इसलिए तुमसे कहता हूँ कि जहाँ से आए हो वापस चले जाओ।

rajnish manga 13-11-2017 11:00 PM

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किस्सा तीन बहनों का

बहमन ने कहा, मैं वापस जाने के लिए यहाँ तक नहीं आया हूँ। मुझे अपना कार्य पूरा करना ही है चाहे इसमें मेरी जान चली जाए। अपने उद्देश्य में असफल हो कर मैं कायर की तरह जीना नहीं चाहता। अभी तक कोई शत्रु मुझे हरा नहीं सका है। जिसकी मौत आई होगी वही मेरी राह में रोड़ा अटकाने आएगा। तुम केवल इतनी कृपा करो कि मुझे राह बता दो, आगे की पूरी जिम्मेदारी मेरी। तुम मेरे युद्ध कौशल पर विश्वास तो करो।

तपस्वी ने कहा, बेटे, यही तो मुश्किल है कि तुम्हें युद्ध कौशल दिखाने का अवसर नहीं मिलेगा। तुम्हें जो शत्रु मिलेंगे वे सामने से मुकाबला नहीं करते बल्कि छुपे तौर पर वार करते हैं। शहजादे ने कहा, मैं छुपे तौर पर वार करनेवालों से भी निबटना जानता हूँ, आप मुझे वहाँ जानेवाली राह तो बताएँ।

तपस्वी ने उसे बहुत समझाया लेकिन जब यह देखा कि बहमन किसी तरह अपनी जिद छोड़ता ही नहीं और जब तक राह न मालूम कर लेगा हरगिज नहीं टलेगा, तो उसने अपने झोले से एक गेंद निकाली और कहा, मुझे तुम्हारी जवानी पर अफसोस हो रहा है। लेकिन तुमने जिद पकड़ रखी है तो अपना भला-बुरा तुम्हीं जानो। तुम सवार हो कर उधर को जाओ और उस गेंद को भूमि पर गिरा दो। यह गेंद खुद ही लुढ़कने लगेगी और तुम इसी के पीछे-पीछे चले जाना जब तक यह लुढ़कती रहे, तब तक तुम भी चलते रहना। एक पहाड़ के नीचे जा कर यह गेंद रुक जाएगी। वहाँ तुम रुक कर घोड़े से उतर जाना और घोड़े की लगाम उसकी गर्दन पर डाल देना ताकि वह ठहरा रहे।

rajnish manga 13-11-2017 11:01 PM

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किस्सा तीन बहनों का

तुम फिर पहाड़ पर चढ़ना। तुम अपने दोनों ओर काले पत्थर काफी अधिक संख्या में देखोगे। उन पर तुम ध्यान न देना। इसके अलावा अपने पीछे से आते हुए बहुत-से अपशब्द और धमकियाँ सुनोगे। यह बहुत जरूरी है कि तुम इन गालियों की पूर्ण उपेक्षा कर दो। अगर तुमने एक बार भी डर कर पीछे की ओर देखा तो तुम और तुम्हारा घोड़ा दोनों काले पत्थर बन जाएँगे। तुम्हें राह में मिलनेवाले काले पत्थर भी तुम्हारी तरह उन तीन चीजों की खोज में जानेवाले आदमी थे। पीछे देखने के कारण वे पत्थर बन गए हैं।
अगर तुम कुशलतापूर्वक पहाड़ की चोटी पर पहुँच गए तो वहाँ एक वृक्ष पर टँगा हुआ पिंजड़ा मिलेगा जिसमें गानेवाली चिड़िया मौजूद है। उस चिड़िया की बातों से भी न डरना और उससे गानेवाले पेड़ और सुनहरे पानी का पता पूछना। वह तुम्हें बताएगी कि यह चीजें कहाँ मिलेंगी। इन सब चीजों को पाने के बाद तुम्हारी राह में कोई खतरा नहीं रहेगा। मैंने यह सब तुम्हें बता जरूर दिया है लेकिन मेरा अब भी यही कहना है कि तुम वापस लौट जाओ। मैं साफ देख रहा हूँ कि तुम वहाँ गए तो काला पत्थर बन कर रह जाओगे।

बहमन ने कहा, अब जो होना है वह हो ही कर रहेगा, मैं पीछे तो लौटता नहीं। यह कह कर शहजादे ने घोड़ा खोला और उस पर सवार हो कर तपस्वी की दी गई गेंद गिरा दी। गेंद लुढ़कती हुई आगे को चली। काफी दूर जाने पर गेंद एक पहाड़ की तलहटी पर रुक गई जहाँ ऊपर जाने के लिए एक तंग रास्ता था। शहजादे ने घोड़े से उतर कर उसकी गर्दन पर लगाम डाली और पहाड़ पर चढ़ने लगा। कुछ दूर जाने पर उसे बड़े-बड़े काले पत्थर दिखाई दिए। इसके आगे चार-पाँच कदम ही चला था कि पीछे से बड़ी अप्रिय आवाजें आने लगीं। कोई आवाज होती, यह कौन बेवकूफ आगे चला जा रहा है, पकड़ो इसे। कभी आवाज आती, यह बड़ा दुष्ट है, इसे पकड़ कर मार डालो। कभी चीखती और गरजती आवाजें आतीं, वह जा रहा है चोर, खूनी, बदमाश। घेर लो इसे। कभी हलकी-सी आवाज आती, इसे पकड़ कर बाँधे रखना, यह बोलती चिड़िया को चुराने के लिए आया है। कभी कोई यह कहता जान पड़ता, यह वहाँ पहुँच कहाँ पाएगा, रास्ते में छुपे गढ़े में गिर कर मर जाएगा।

पहले बहमन ने इन आवाजों की उपेक्षा की और अपनी राह पर बढ़ता चला गया। किंतु यह आवाजें कम होने के बजाय कदम-कदम पर तेज ही होती गईं और उसके कानों के परदे फटने लगे और दिमाग सुन्न हो गया। तपस्वी ने उसे जो बताया था वह भी उसके दिमाग से निकल गया और एक बार डर कर पीछे देखने लगा। तुरंत ही वह और घोड़ा दोनों काले पत्थरों के रूप में बदल गए।

rajnish manga 13-11-2017 11:06 PM

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अपनी कुशलता की सूचना देने के लिए जो खंजर बहमन ने परीजाद को दिया था वह उसे रोजाना म्यान से निकल कर देखती। जिस दिन बहमन काला पत्थर बना उस दिन परवेज ने कहा, परीजाद, आज मुझे खंजर दो। आज भैया का हाल मैं मालूम करना चाहता हूँ। परीजाद ने उसे खंजर दे दिया। उसने म्यान से उसे निकाला तो उसकी नोक से उसे खून की बूँद निकलती दिखाई दी। परवेज ने हाथ से खंजर फेंक दिया और हाय-हाय करने लगा।

परीजाद को भी जब खून टपकाता हुआ खंजर दिखाई दिया तो वह चिल्ला-चिल्ला कर रोने लगी और सिर पटक-पटक कर कहने लगी, हाय भैया, मेरी नादानी से तुम्हारी जान गई। न जाने किस मनहूस घड़ी में वह कमबख्त बुढ़िया आई थी। न वह आती न यह झंझट होता। मक्कार ने मुझे बेकार के लालच में डाल दिया। मैंने उसके साथ ऐसा सद्व्यवहार किया और उसने मुझे इसका ऐसा बदला दिया। अब मिले तो उस कलमुँही की बोटियाँ नोच लूँ। मेरे प्यारे भाई की जान उसी के दिलाए लालच के कारण गई। हे भगवान, तू भैया को जिंदा घर लौटा, चाहे मेरी मौत भेज दे। भैया न रहे तो चिड़िया, पेड़ और पानी को पा कर भी मैं क्या करूँगी। मुझे यह चीजें नहीं चाहिए, मुझे और भी कुछ नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ मेरा भाई चाहिए।

rajnish manga 15-11-2017 02:01 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
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परीजाद बहमन की बातों को याद करके देर तक रोती रही। परवेज भी आँसू बहाता रहा। फिर उसने कहा, परीजाद, अब रोने-धोने से कुछ नहीं होगा। अब मैं जाता हूँ। मैं पता लगाऊँगा कि भैया किसी प्राकृतिक कारण से मरे हैं या किसी शत्रु ने उन्हें मारा है। किसी ने उन्हें मारा होगा तो मैं उसे जीता नहीं छोड़ूँगा, भैया की मौत का बदला जरूर लूँगा। परीजाद ने बहुत समझा कर उसे रोकना चाहा। वह बोली, मैंने एक भाई तो खोया ही है, दूसरे को मौत के मुँह में नहीं जाने दूँगी। बड़े भैया तुम से कुछ कम बहादुर नहीं थे। लेकिन परवेज ने उसकी एक भी बात न सुनी। उसने दूसरे दिन सुबह अपनी साहस यात्रा पर जाने की तैयारी शुरू कर दी।

दूसरे दिन उसके रवाना होने के समय परीजाद रो कर बोली, बड़े भैया ने तो अपनी कुशल जानने को एक राह भी बताई थी, तुम्हारा हाल मुझे कैसे मालूम होगा? परवेज ने उसे मोतियों की एक माला दी। उसने कहा, देखो, इसके सारे मोती अलग-अलग हैं। इसे उँगलियों पर चलाने से एक-एक मोती उँगलियों में आता है। जब तक यह मोती ऐसे ही रहें तो समझ लेना कि मैं ठीक-ठाक हूँ। जिस दिन यह एक-दूसरे से चिपक जाएँ और माला न फेरी जा सके तो समझ लेना कि मैं भी दुनिया में नहीं रहा। यह कह कर परवेज निकल पड़ा।

rajnish manga 15-11-2017 02:02 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
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बीस दिन की यात्रा के बाद वह वहीं पहुँचा जहाँ वह सिद्ध तपस्वी बैठा था। उसने आदरपूर्वक सिद्ध को प्रणाम किया और पूछा, क्या आप बता सकेंगे कि मुझे बोलनेवाली चिड़िया, गानेवाला पेड़ और सोने का पानी कहाँ से मिल सकते हैं? तपस्वी ने कहा, बेटे, वह राह बहुत खतरनाक है। तुम वहाँ जाने का इरादा न करो और यहीं से लौट जाओ। वहाँ से अभी तक कोई वापस नहीं आया है। एक महीने से भी कम हुआ तुम्हारी ही शक्ल-सूरत का एक नौजवान मेरे लाख रोकने पर भी उधर गया था। वह भी नहीं लौटा है।

परवेज ने कहा, वह मेरा बड़ा भाई था। यह तो मुझे मालूम है कि वह जीवित नहीं है, लेकिन मैं यह नहीं जानता कि वह कैसे मरा, किसी प्राकृतिक कारण से मरा या किसी दुश्मन ने उसे मारा। सिद्ध ने कहा, मैं तुम्हें बताता हूँ। बहुत-से आदमी मेरी चेतावनी के बावजूद उस राह पर गए और काले पत्थर बन कर वहीं पर रह गए। तुम्हारे भाई के साथ भी यही हुआ है। तुम मेरी बात मानो और लौट जाओ वरना तुम भी काला पत्थर बन कर यहाँ हमेशा पड़े रहोगे।

rajnish manga 15-11-2017 02:05 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

परवेज ने कहा, मैं आपका आभारी हूँ कि आप मेरे हितचिंतक हैं लेकिन मैं आगे पाँव बढ़ा चुका हूँ, पीछे नहीं हट सकता। आप मुझे वह रास्ता अवश्य बताएँ। सिद्ध ने कहा, मैं तुम्हारे साथ चल सकता तो कोई बात नहीं थी किंतु बुढ़ापे के कारण मैं नहीं जा सकूँगा। तुम जिद करते हो तो जाओ। यह गेंद ले लो। इसे जमीन पर रखोगे तो यह खुद लुढ़कने लगेगी और तुम इसके पीछे लग जाना। पहाड़ के नीचे जा कर यह रुकेगा और तुम उसी पहाड़ पर चढ़ जाना। तुम्हारे पीछे से किसी तरह की आवाजें आएँ तुम पीछे मुड़ कर न देखना वरना तुम भी पत्थर बन जाओगे। ऊपर जा कर तुम्हें बोलनेवाली चिड़िया मिलेगी और वही तुम्हें अन्य दो चीजों का पता बताएगी।

परवेज सिद्ध को माथा नवा कर सवार हो कर चला। गेंद उसे रास्ता दिखाती जा रही थी। कुछ देर बाद एक पहाड़ की तलहटी में जा कर गेंद रुक गई। परवेज घोड़े को वहीं खड़ा करके पहाड़ पर चढ़ने लगा। दो-चार ही कदम गया होगा कि उसने सुना कि पीछे से कोई डाँट कर कह रहा है, अबे ओ बदमाश, बदतमीज, कहाँ बढ़ा जा रहा है। रुक जा कमबख्त, तुझे सजा दूँ। परवेज को जल्दी क्रोध आ जाता था। उसने गालियाँ सुनीं तो उसका खून खौल गया और वह तपस्वी द्वारा दी हुई चेतावनी को भूल गया। उसने म्यान से तलवार खींच ली और पलट कर देखा कि गाली देनेवाले के टुकड़े-टुकड़े कर दूँ। किंतु पीछे देखते ही वह काले पत्थर का ढोंका बन गया और उसके घोड़े का भी यही हाल हुआ।

rajnish manga 16-11-2017 08:54 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
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परवेज के जाने के बाद परीजाद को बहमन की यात्रा के समय से भी अधिक शंका बनी रहती थी। वह बहमन के दिए खंजर को तो कभी-कभी ही देखती थी किंतु परवेज की दी हुई माला को अपने गले में डाले रहती और हमेशा उसके मोतियों पर हाथ फेर कर उनकी दशा को देखती रहती थी। चुनांचे ज्यों ही परवेज काले पत्थर की शिला के रूप में परिवर्तित हुआ उसके कुछ ही देर बार परीजाद को उसकी मृत्यु का हाल मालूम हो गया क्योंकि माला के मोती एक-दूसरे से ऐसे चिपक गए थे कि माला फेरना असंभव था।

परीजाद उस समय तो दुख के कारण अचेत हो गई किंतु बाद में होश आने पर उसने फैसला किया कि दोनों भाइयों को मौत के मुँह में भेजने के बाद अब मेरे जीवन का भी कोई अर्थ नहीं है। उसने भी घुड़सवारी और शस्त्र संचालन की शिक्षा ली थी और उसमें साहस की कमी न थी। उसने मर्दाने कपड़े पहने, हथियार लगाए और घोड़े पर सवार हो गई। उसने गृह-प्रबंधक को आदेश दिया कि जब तक वह वापस न आए वह खुद महल की देखभाल करे, किसी प्रबंध में कमी न होने पाए।

rajnish manga 16-11-2017 08:55 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बीस दिन तक घोड़े पर चलने के बाद वह भी उसी तपस्वी सिद्ध पुरुष के पास पहुँची। उसने प्रणाम करके बोली, सिद्ध पिता, कृपया मुझे बताएँ कि बोलनेवाली चिड़िया, गानेवाला पेड़ और सुनहरा पानी कहाँ मिलेगा। वृद्ध ने कहा, तुमने कपड़े तो आदमियों जैसे पहने हैं किंतु स्पष्टतः तुम स्त्री हो जैसा तुम्हारा स्वर बता रहा है। मुझे मालूम है कि वे चीजें कहाँ हैं, लेकिन तुम उन्हें क्यों पूछ रही हो? परीजाद बोली, जब से मैंने उनके बारे में सुना है तभी से उन्हें पाने की इच्छा है। तपस्वी ने कहा, हैं तो वे चीजें संग्रहणीय लेकिन उन्हें प्राप्त करने के मार्ग में बड़े खतरे हैं। तुम लड़की हो, तुम्हारे लिए अच्छा यही है कि अपनी इच्छा पर संयम रखो और उन्हें प्राप्त करने का विचार छोड़ दो। बड़े-बड़े बहादुर उस राह पर जा कर वापस नहीं लौटे हैं। घर लौट जाओ।

परीजाद बोली, तपस्वी पिता, बीस दिन चल कर तो मैं यहाँ पहुँची हूँ। अब तो यहाँ से यूँ ही वापस नहीं जा सकती। आप कृपया मुझे विस्तार से बताएँ कि उस मार्ग में क्या क्या खतरे हैं ताकि मैं उनसे निबटने का उपाय ढूँढ़ सकूँ। मेरा विचार है कि अगर मैं सोच-समझ कर आगे बढ़ूँगी तो हर तरह के खतरों का सामना कर सकूँगी। आप कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।

rajnish manga 16-11-2017 08:58 AM

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वृद्ध तपस्वी ने परीजाद को वे सारी बातें बताईं जो उसने बहमन और परवेज को बताई थीं। उसने कहा, खतरे सिर्फ तब तक हैं जब तक कोई पहाड़ की चोटी पर न पहुँच जाए। फिर तुम्हें बातें करनेवाली चिड़िया मिलेगी और वह तुम्हें गानेवाले पेड़ और सुनहरे पानी के स्थानों को भी बताएगी। लेकिन पहाड़ चढ़ने के समय अप्रिय और कटु शब्द सुनाई देंगे। रास्ते के सारे काले पत्थर आदमी ही हैं जो उन तीनों चीजों की खोज में गए थे किंतु गालियों या धमकियों से डर कर या क्रुद्ध हो कर पीछे देखते ही काले पत्थर की शिला बन गए। परीजाद ने कहा, मतलब यह है कि वे केवल शब्द हैं और किसी का कुछ बिगाड़ नहीं सकते अगर कोई पीछे मुड़ कर न देखे। सिद्ध पिता, आप विश्वास करें कि यद्यपि मैं स्त्री हूँ तथापि सुने हुए किसी शब्द से विचलित नहीं हूँगी। मैं न तो इन आवाजों से भयभीत हूँगी न उन पर क्रोध करूँगी। मैं पूरा आत्मसंयम रखूँगी। इसके अलावा मैं अपने दोनों कानों में कस कर रूई ठूँस लूँगी ताकि मुझे वे आवाजें सुनाई ही न दें।

rajnish manga 16-11-2017 08:59 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
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सिद्ध ने मुस्कुरा कर कहा, बेटी, मालूम होता है कि तुम्हारे ही भाग्य में है। इतने लोग वहाँ गए हैं किंतु यह उपाय किसी को अभी तक नहीं सूझा। बस, सब कुछ इस पर निर्भर है कि चाहे जो कुछ सुनाई दे आदमी उसका असर अपने मन पर न पड़ने दे। परीजाद ने कहा, विश्वास रखिए कि मैं आपकी दी हुई सलाह पूरी तरह मानूँगी। अब आप यह बता दीजिए कि पहाड़ को कौन-सा रास्ता जाता है। बूढ़े तपस्वी ने कहा, बेटी, तुम होशियार तो बहुत मालूम होती हो लेकिन मैं एक बार फिर तुम्हें सलाह दूँगा कि घर लौट जाओ।

परीजाद आगे जाने की जिद पर अड़ी रही तो वृद्ध ने मजबूर हो कर अन्य लोगों की भाँति उसे भी मार्ग प्रदर्शन करनेवाली गेंद दी और कहा, इसे भूमि पर डाल दो। यह अपने आप लुढ़कती हुई पहाड़ के नीचे जा कर रुक जाएगी। तुम वहीं घोड़े से उतरना और पहाड़ पर चढ़ना शुरू कर देना। परीजाद ने ऐसा ही किया और तेजी से लुढ़कती हुई गेंद के पीछे घोड़ा दौड़ाने लगी।

rajnish manga 18-11-2017 06:57 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

गेंद पर्वत के नीचे जा कर रुक गई तो वह घोड़े से उतर पड़ी और उसकी गर्दन पर लगाम डालने के बाद उसने अपने कानों में ठूँस-ठूँस कर रूई भर ली और धीरे-धीरे पहाड़ पर चढ़ने लगी। उसके पीछे आवाजें होने लगीं किंतु वे कानों में रूई ठुँसी होने के कारण उसे सुनाई न दीं और वह बढ़ती गई। फिर पीछे से आनेवाली आवाजें और तेज हुईं। यह आवाजें भी उसे धीमी सुनाई दीं और उन्होंने उसके मस्तिष्क को बिल्कुल विचलित नहीं किया। फिर उसे ऐसी गालियाँ सुनने को मिलीं जो स्त्रियों के लिए होती हैं और बड़ी अपमानजनक होती हैं। परीजाद को एक क्षण तो बुरा लगा किंतु फिर वह उन गालियों पर हँस पड़ी।

इसी तरह उस भयानक चढ़ाई को दृढ़ता और संयम से पूर्ण करने के बाद वह शिखर पर पहुँची तो देखा कि एक पिंजड़े में एक सुंदर चिड़िया मधुर स्वर में गा रही है। परीजाद को देखते ही वह सिंह की तरह गरज कर बोली, ए लड़की, खबरदार मेरे पास न आना। परीजाद इस पर हँसने लगी और दौड़ कर चोटी पर पहुँच गई। वहाँ भूमि समतल थी। उसने दौड़ कर चिड़िया के पिंजड़े पर हाथ रखा और बोली, चिड़िया रानी, आज से मैं तुम्हारी मालकिन हूँ और तुम मेरे कब्जे में रहोगी। फिर उसने कानों की रूई निकाल दी। चिड़िया बोली, तुम ठीक कह रही हो। अब मैं सदैव तुम्हारी सेवा और हित साधना करती रहूँगी। मैं पिंजड़े में बंद रहती हूँ किंतु संसार की कोई बात नहीं जो मुझे मालूम नहीं है। तुम्हारा हाल इतना जानती हूँ जितना तुम भी नहीं जानतीं और मेरे कारण तुम्हें अयाचित लाभ मिलेगा। अब तुम मेरी स्वामिनी हुई और तुम्हारी सेवा करना मेरा धर्म है। इस समय तुम बताओ कि मुझ से क्या चाहती हो। मैं बगैर ना-नुकुर के उसे करूँगी।

rajnish manga 18-11-2017 06:59 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
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चिड़िया की बातों से परीजाद को प्रसन्नता हुई यद्यपि उसे अपने भाइयों के विनाश का बड़ा दुख भी था। उसने चिड़िया से कहा, मुझे तुमसे बहुत-सी बातें पूछनी हैं। सबसे पहले यह बात बताओ कि मुझे सुनहरा पानी कहाँ मिलेगा। चिड़िया ने जो मार्ग बताया उस पर चल कर परीजाद सुनहरे पानी के कुंड पर पहुँची और एक चाँदी की सुराही में, जो वह अपने साथ ले गई थी, अच्छी तरह पानी भर कर ले आई। फिर उसने चिड़िया से गानेवाले पेड़ के बारे में पूछा। चिड़िया ने कहा, तुम्हारे पीछे की ओर एक बड़ा जंगल है। यह जंगल बहुत दूर नहीं है। उसी में गानेवाला पेड़ मिलेगा। तुम्हें आसानी से मालूम हो जाएगा कि कौन-सा पेड़ है क्योंकि संगीत सिर्फ उसी से निकल रहा होगा। परीजाद ने कहा, यह तो ठीक है, लेकिन मैं उस पेड़ को उखाड़ कर लाऊँगी कैसे। चिड़िया बोली, पेड़ नहीं उखड़ेगा, तुम सिर्फ एक टहनी तोड़ कर ले आओ। जब तुम अपनी वाटिका की भूमि में उसे लगाओगी तो वह कुछ ही समय में पूरे वृक्ष के रुप में परिवर्तित हो जाएगी। देखनेवाले ताज्जुब करेंगे कि एक ही दिन में यह पूरा पेड़ कैसे आ गया।

rajnish manga 18-11-2017 07:00 AM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

परीजाद चिड़िया के बताए रास्ते पर चल कर जंगल में गई और वहाँ से गानेवाले पेड़ की टहनी तोड़ लाई। वह बहुत प्रसन्न थी कि तीनों चीजें मिल गई हैं। फिर भी उसे अपने भाइयों का ख्याल बना हुआ था। उसने चिड़िया से पूछा, यहाँ आने की राह में मेरे दोनों बड़े भाई काले पत्थर बने पड़े हैं। क्या यह संभव है कि मैं उन्हें फिर से जीवित करूँ? मैं तो यह नहीं पहचानती कि उन पत्थरों में कौन-से मेरे भाई हैं। चिड़िया ने कहा, तुम यह करो कि सुराही में जो सुनहरा पानी लाई हो उसकी एक-एक बूँद सारे शिला खंडों पर डाल दो। वे सभी लोग अपने पूर्व रूप में आ जाएँगे और उनके घोड़े भी। उन्हीं में तुम्हारे भाई भी होंगे जिनके पुनर्जीवित होने पर उन्हें पहचान लोगी।

शहजादी चिड़िया की बातें सुन कर प्रसन्न हुई और पिंजड़ा, सुराही और टहनी ले कर पहाड़ से उतरने लगी। जहाँ भी काले पत्थर दिखाई दिए उसने उन पर एक-एक बूँद सुनहरा जल छिड़क दिया। सारे पत्थर आदमी बन गए और उनके घोड़े भी असली रूप में आ गए। इन लोगों में बहमन और परवेज भी थे जो अपने-अपने घोड़ों के साथ जी उठे। परीजाद दोनों भाइयों को पहचान कर उनके गले लग कर रोने लगी। फिर उसने कहा, तुम्हें मालूम है, तुम्हारा क्या हाल था? उन्होंने कहा कि हमें तो ऐसा लग रहा है जैसे अभी तक हम लोग सो रहे थे ओर अभी-अभी सो कर उठे हैं।

rajnish manga 19-11-2017 01:46 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

परीजाद ने कहा, कुछ याद है तुम्हें? तुम लोग मेरे लिए बोलनेवाली चिड़िया, गानेवाला पेड़ और सुनहरा पानी लेने आए थे और यहाँ अपने काम को और मेरी याद को भूल कर सोने लगे। दोनों भाई अचकचा कर उसे देखने लगे तो उसने कहा, महानुभावो, तुम लोग सो नहीं रहे थे, तुम काले पत्थर की चट्टान बन कर यहाँ पड़े हुए थे। तुमने आते समय बहुत-सी काली चट्टानें देखी होंगी। अब देखो, उनमें से कोई मौजूद है या नहीं। यह सब लोग जो यहाँ दिखाई दे रहे हैं यही वे चट्टानें बने हुए थे।

तुम्हें ताज्जुब हो रहा होगा कि तुम सबके सब जी कैसे उठे। जब मुझे चिड़िया, पानी और पेड़ की टहनी मिल गई तो इनके मिलने से भी तुम्हारे बगैर मुझे बुरा लग रहा था। मैंने इसी चिड़िया से पूछा कि क्या करूँ तो उसने कहा कि सुनहरे पानी की एक- एक बूँद सभी चट्टानों पर डाल कर उन्हें फिर से जीवित कर लो। मैंने इस समय यही किया है।

यह सुन कर बहमन और परवेज तो धन्य-धन्य कर ही उठे, अन्य लोग भी कहने लगे कि तुमने हमें जीवन दान दिया है, हम आजीवन तुम्हारे कृतज्ञ रहेंगे और तुम्हारी आज्ञा का पालन करेंगे।

परीजाद बोली, मैंने तुम लोगों पर कोई अहसान नहीं किया। मैं अपने भाइयों को जिलाना चाहती थी। इसमें अगर तुम्हारा लाभ भी हो गया तो मेरे लिए खुशी की बात है। अब तुम लोग अपने-अपने निवास स्थानों के लिए प्रस्थान करो।

rajnish manga 19-11-2017 01:48 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

जब वह घोड़े पर चढ़ी तो बहमन ने चाहा कि पिंजड़ा आदि सारी चीजें अपने घोड़े पर लादे ताकि परीजाद का बोझ हलका हो। परीजाद ने कहा, चिड़िया की मालिक तो मैं हूँ, वह मेरे पास रहेगी। तुम लोग चाहो तो एक टहनी और दूसरा पानी की सुराही ले लो। अतएव बहमन ने टहनी और परवेज ने सुनहरे पानी की सुराही ले ली। फिर अन्य पुनर्जीवित लोग भी अपने-अपने घोड़ों पर बैठे और सभी चलने को तैयार हुए क्योंकि काफी दूर तक सभी का एक ही रास्ता था।

परीजाद ने कहा, तुम लोगों में जो सर्वश्रेष्ठ हो वह इस समूह का नायक बन कर आगे चले। सभी लोगों ने एक स्वर में कहा, सुंदरी, तुम से श्रेष्ठ कौन होगा? तुम हमारी जीवनदात्री हो। तुम्हीं सबके आगे चलो। परीजाद शालीनता से बोली, मैं अवस्था में सब से छोटी हूँ और किसी प्रकार भी दल की नेत्री बनने के योग्य नहीं हूँ। किंतु तुम लोग विवश कर रहे हो तो तुम्हारे प्रति आभार प्रकट करते हुए मैं भी दल के आगे चलती हूँ।

यह दल आगे बढ़ा। सभी लोग उस सिद्ध के दर्शन करना चाहते थे जिसने सभी को राह बताई थी। किंतु जब यह दल उसकी कुटिया पर आया तो उसका कुछ पता न पाया। मालूम नहीं वह काल-कवलित हो गया था या वहाँ पर तीन अद्भुत वस्तुओं की राह बताने के लिए ही मौजूद था और उन चीजों के न रहने पर वहाँ से गायब हो गया।

rajnish manga 19-11-2017 01:50 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

सब लोगों को इस बात का बड़ा खेद रहा कि अंतिम बार उसे धन्यवाद न दे सके। यह दल आगे बढ़ा। हर आदमी जहाँ-जहाँ से मार्ग अलग होता था वहाँ-वहाँ से परीजाद के प्रति कृतज्ञता प्रकाशन करके चला गया।

यह तीनों भाई बहन खुशी-खुशी अपने घर में आए। मकान की बारहदरी के सामने जो बाग का हिस्सा था उसमें परीजाद ने बोलनेवाली चिड़िया का पिंजड़ा लटका दिया। कुछ ही देर में उसके आसपास बीसियों तरह के पक्षी जमा हो गए और उसके स्वर में स्वर मिला कर बोलने की कोशिश करने लगे। उसी जगह थोड़ी दूर पर परीजाद ने गानेवाले वृक्ष की टहनी जमीन में रोप दी। कुछ ही देर में बढ़ते-बढ़ते वह पूरा पेड़ हो गई और हवा चलने पर पत्तों की रगड़ से उसमें से ऐसा ही संगीत उठने लगा जैसे मूल वृक्ष से उठ रहा था। परीजाद ने कारीगरों को बुलवा कर एक संगमरमर का हौज बनवाया।

उसके बन जाने पर उसमें एक स्वर्ण पात्र रखा और उस पात्र में चाँदी की सुराही से निकाल कर सुनहरे पानी की कुछ बूँदें डालीं। तुरंत ही पानी बढ़ने लगा और बरतन उससे भर गया और फिर उसमें से एक बीस हाथ ऊँचा फव्वारा उठने लगा। फव्वारे का पानी फिर आ कर बरतन ही में गिरता था और इस तरह बरतन में पानी की कमी नहीं होती थी और पानी बाहर भी नहीं बहता था। दो-चार दिन ही में बागों के दारोगा के महल की इन चीजों की चर्चा सारे शहर में होने लगी। सारे शहर के लोग तमाशा देखने के लिए परीजाद के बाग में आने लगे। परीजाद ने सैर के लिए आनेवाले नागरिकों के प्रवेश पर कोई रोक नहीं लगाई और इस प्रकार यह तीनों भाई-बहन नगर में सर्वप्रिय हो गए।


rajnish manga 20-11-2017 12:38 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

कुछ दिनों तक आराम करने के बाद बहमन और परवेज ने पहले की तरह मृगया का मनोरंजन शुरू किया। वे अपने घिरे हुए जंगल के बाहर भी शिकार खेलने के लिए जाने लगे। एक रोज वे शहर से लगभग एक कोस की दूरी पर स्थित एक जंगल में शिकार खेल रहे थे। संयोग से उसी समय बादशाह भी वहाँ शिकार खेलने आया हुआ था। इन दोनों ने यह देख कर चाहा कि शाही फौजियों की निगाह बचा कर निकल जाएँ क्योंकि वह जंगल शाही शिकारगाह था। लेकिन बच निकलने के चक्कर में वे ऐसे रास्ते पर पड़ गए जहाँ से हो कर बादशाह की सवारी आ रही थी। यह देख कर उन्होंने चाहा कि बगल के किसी रास्ते से निकल जाएँ। यह संभव न हुआ और वे बादशाह के सामने पड़ गए।

मजबूरी में वे घोड़ों से उतरे और बादशाह को झुक कर सलाम करने लगे। पहले बादशाह ने समझा कि वे उसके सामंतों में से हैं और देखने को ठहर गया कि कौन हैं। उसने उन्हें उठने की आज्ञा दी। वे उठे और सिर झुका कर खड़े हो गए। बादशाह उनकी सूरतें देख कर ठगा-सा रह गया। फिर उसने उनका नाम और निवास स्थान पूछा। बहमन ने हाथ जोड़ कर कहा, हुजूर, हम लोग आपके भूतपूर्व बागों के दारोगा के पुत्र हैं। हमारे पिता नहीं रहे। हम जंगल के किनारे उस महल में रहते हैं जो उन्होंने आपसे अनुमति ले कर बनवाया था। हमें वे इसीलिए अच्छे वातवरण में रखते थे कि बड़े हो कर हम आपकी सेवा करें।

rajnish manga 20-11-2017 12:39 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बादशाह ने कहा, यह तो ठीक है। लेकिन लगता है कि तुम यहाँ शिकार खेल रहे थे। क्या तुम्हें मालूम नहीं कि यह शाही शिकारगाह है जहाँ और कोई शिकार नहीं खेल सकता? बहमन ने निवेदन किया, सरकार, हमारे पिता असमय ही जाते रहे और हमारा निर्देशक कोई नहीं रहा, इसीलिए हम लोगों का ज्ञान अधूरा है और अन्य नौजवानों की तरह हमसे भी भूल हो जाती है। बादशाह उनकी इस चतुराई पर मुस्कुरा उठा। फिर उसने पूछा, शिकार खेलना आता भी है? दोनों ने कहा, आप अवसर दें तो हम भी देखें हमें कितना शिकार खेलना आता है। बादशाह ने कहा, शिकार खेल कर दिखाओ। जंगल में पहुँचे तो बहमन ने एक शेर और परवेज ने एक रीछ को बरछियों से मार कर बादशाह के आगे रखा। दोबारा घने जंगल में जा कर बहमन ने एक रीछ और परवेज ने एक शेर मारा। बादशाह ने कहा, बस करो, क्या सारे जंगली जानवर आज ही मार डालोगे? मैं तो सिर्फ यह देखना चाहता था कि तुम लोगों में कितना शौर्य है।

rajnish manga 20-11-2017 12:41 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

बादशाह उनके शिष्टाचार, शारीरिक सौंदर्य और वीरता से अत्यधिक प्रभावित हुआ। वह उन्हें अपने से अलग करना ही नहीं चाहता था। उसने कहा, मैं चाहता हूँ कि तुम लोग यहाँ से मेरे साथ महल में चलो और मेरे साथ भोजन करो। बहमन ने कहा, हुजूर, इस समय आपका साथ न कर सकेंगे। इस उद्दंडता के लिए क्षमा चाहते हैं। बादशाह ने आश्चर्य से पूछा, क्यों? बहमन बोला, हमारी एक बहन है। हम तीनों जो भी करते हैं तीनों की सलाह से करते हैं। हम बहन की सलाह ले कर ही आपके यहाँ आ सकेंगे।

बादशाह ने कहा, मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि तुम भाई-बहन एक-दूसरे की सलाह ही से काम करते हो। आज तुम अपने घर जाओ। अपनी बहन से सलाह करके कल यहीं शिकार खेलने आना और मुझे बताना कि तुम लोगों में क्या सलाह हुई है। बहमन और परवेज बादशाह से विदा हो कर अपने घर आए किंतु उन्हें बादशाह की कही हुई बात याद न रही और उन्होंने बहन से कोई सलाह नहीं ली। दूसरे रोज वे शिकार खेलने गए तो वापसी में बादशाह ने पूछा कि तुमने अपनी बहन से सलाह ली या नहीं। अब यह दोनों घबराए।

rajnish manga 20-11-2017 12:44 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

असलियत यह थी कि दोनों का मन शिकार में ऐसा रमा था कि उन्हें शिकार के अलावा हर बात भूल जाती थी। बादशाह ने पूछा तो वे दोनों घबरा कर एक-दूसरे की ओर देखने लगे। आखिर में बहमन ने कहा, हमसे बड़ी भूल हुई, हम अपनी बहन से सलाह लेना बिल्कुल भूल गए। बादशाह ने कहा कि कोई बात नहीं, आज पूछ लेना और कल आ कर मुझे बताना।

लेकिन वे उस दिन भी भूल गए और तीसरे दिन फिर बादशाह के सामने लज्जित हो कर कहा कि हम लोग आज भी आपकी आज्ञा का पालन करना भूल गए। बादशाह इस पर भी नाराज न हुआ कि मैं इन लोगों के साथ भोजन कर इनका सम्मान बढ़ाना चाहता हूँ और इन्हें इतनी भी परवा नहीं कि बहन से याद करके मेरे निमंत्रण की बात करें। लेकिन उसने बहमन को सोने की तीन गेंदे दीं और कहा कि इन्हें कमर में बँधे पटके में रख लो, जब कमर खोलोगे तो पटके से यह गेंदें जमीन पर गिरेंगी और उस समय तुम्हें याद आ जाएगा कि मेरे निमंत्रण के बारे में तुम्हें अपनी बहन से सलाह लेनी है।

rajnish manga 21-11-2017 12:22 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

इतनी बातचीत होने पर भी दोनों घर जा कर इस बात को भूल गए। लेकिन रात को सोने के लिए जाते समय बहमन ने कमरबंद खोला तो गेंदें जमीन पर गिरीं। वह फौरन अपनी बहन के पास गया और परवेज को भी ले गया। परीजाद अभी तक अपने शयनकक्ष में नहीं गई थी। दोनों भाइयों ने उसे बताया कि बादशाह ने उन्हें भोजन का निमंत्रण दिया है और यह भी कहा कि दो दिन तक तुमने सलाह लेना भूलते रहे। उसने कहा कि यह तो तुम्हारा सौभाग्य है कि बादशाह ने तुम्हें खाने पर बुलाया है किंतु तुमने यह बड़ा बुरा किया कि दो दिन तक बादशाह तक की कही हुई बात को भूले रहे। भला बताओ, जब मुझे इस बात से इतना बुरा लग रहा है तो बादशाह को रंज न हुआ होगा? वैसे तो तुम्हें बादशाह का निमंत्रण मिलते ही उसे सधन्यवाद स्वीकार कर लेना चाहिए था। लेकिन अब जब इतनी बात हो गई तो मैं बोलती चिड़िया से भी सलाह ले लूँ।

फिर वह चिड़िया का पिंजड़ा अपने कक्ष में ले गई और बोली
, चिड़िया रानी, तुम्हें तो सारी छुपी हुई बातों का पता है और तुम्हारी सलाह हमेशा सही होती है। मुझे तुमसे एक सलाह लेनी है। मेरे भाइयों को बादशाह ने अपने साथ भोजन करने का निमंत्रण दिया है। वे दो-तीन दिन तक यह बात भूल-भूल जाते रहे हैं और आज ही उन्होंने मुझे बताया है। क्या तुम्हारी राय में अब उनका जाना मुनासिब है, बादशाह कहीं नाराज न हों।

rajnish manga 21-11-2017 12:24 PM

Re: किस्सा तीन बहनों का
 
किस्सा तीन बहनों का

चिड़िया ने कहा, मालकिन, तुम्हारे भाइयों को बादशाह की आज्ञा जरूर माननी चाहिए। वह अपने राज्य काल में सभी का मालिक है। उसका मेहमान बनने में इन दोनों को किसी प्रकार हानि नहीं होगी। वे शौक से जाएँ। लेकिन इसके बाद यह भी जरूरी है कि बादशाह को अपने घर आ कर भोजन करने का निमंत्रण दें। परीजाद ने कहा, मैं अब अपने भाई को उनके साधारण कामों के अलावा कहीं जाने देना नहीं चाहती। मैं उनकी सुरक्षा के लिए डरती रहती हूँ। चिड़िया ने कहा, उन्हें बेखटके भेजो, उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। परीजाद ने कहा, अच्छा, जब बादशाह यहाँ आएँ तो मैं उनके सामने निकलूँ या नहीं। चिड़िया ने कहा, इसमें कोई हर्ज नहीं है। हर बादशाह अपनी सारी प्रजा के लिए पिता के समान होता है और पिता के सामने जाने में किसी को झिझक नहीं होनी चाहिए। परीजाद ने इसके बाद भाइयों से कहा कि तुम बादशाह का निमंत्रण स्वीकार कर लो लेकिन इसके बाद उससे एक बार यहाँ भोजन करने को भी कहो।


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