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Hamsafar+ 15-12-2010 11:56 AM

बच्चो की कवितायेँ
 
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उल्लू

उल्लू होता सबसे न्यारा,
दिखे इसे चाहे अँधियारा ।
लक्ष्मी का वाहन कहलाए,
तीन लोक की सैर कराए ।

हलधर का यह साथ निभाता,
चूहों को यह चट कर जाता ।
पुतली को ज्यादा फैलाए,
दूर-दूर इसको दिख जाए ।

पीछे भी यह देखे पूरा,
इसको पकड़ न पाए जमूरा ।
जग में सभी जगह मिल जाता,
गिनती में यह घटता जाता ।

ज्ञानीजन सारे परेशान,
कहाँ गए उल्लू नादान।।

.......दीनदयाल शर्मा

Hamsafar+ 15-12-2010 11:58 AM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
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प्यारा कुत्ता

मेरा प्यारा कुत्ता कालू ।
बालों से लगता है भालू ।।

प्यार करे तो पूँछ हिलाए ।
पैरों में लमलेट हो जाए ।।

दिन में सोता रहता हरदम ।
पूरी रात न लेता है दम ।।

खड़के से चौकस हो जाए ।
इधर-उधर नजरें दौड़ाए ।।

चोरों पर यह पड़ता भारी ।
सच्ची सजग है चौकीदारी ।।

.......दीनदयाल शर्मा

Hamsafar+ 15-12-2010 12:02 PM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
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मधुमक्खी

मधुमक्खी कितनी प्यारी तुम ।
मेहनत से न डरती हो तुम ।।

फूलों से रस चूस-चूस कर ।
कितना मीठा शहद बनाती ।।

भांति-भांति के फूलों पर तुम ।
सुबह-सवेरे ही मंडराती ।।

वैद्य और विद्वान तुम्हारे ।
मधु के गुण गाते हैं सारे ।।

ख़ुद न चखती खाती हो तुम ।
मधुमक्खी मुझे भाती हो तुम ।।

.......दीनदयाल शर्मा

Hamsafar+ 15-12-2010 12:10 PM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
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होली है

रंगों का त्यौहार जब आए,
टाबर टोली के मन भाए,
काला, पीला, लाल गुलाबी,
रंग आपस में खूब रचाए.

मित्र मण्डली भर पिचकारी,
कपड़े रंग से तर कर जाए,
मिलजुल खेलें जीजा साली,
गाल मले गुलाल लगाए.

भाभी देवर हंस हंस खेले,
सारे दुःख क्षण में उड़ जाए,
शक्लें सबकी एकसी लगती,
कौनसा सा कौन पहचान न पाए,
बुरा न माने इस दिन कोई,
सारे ही रंग में रच जाए,

Hamsafar+ 15-12-2010 12:12 PM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
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चिड़िया होता

पापा गर मैं चिड़िया होता
बिन पेड़ी छत पर चढ जाता
मेरा बस्ता मुझसे भारी
उससे पीछा भी छुड़ जाता
होमवर्क ना करना पड़ता
जिससे मैं कितना थक जाता
धुआं, धूल और बस के धक्के
पापा फिर मैं कभी न खाता
कोई मुझको पकड़ न पाता
दूर कहीं पर मैं उड़ जाता।।

Nitikesh 17-12-2010 09:58 AM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
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यह कदम का पेड़


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Nitikesh 17-12-2010 09:59 AM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
नमस्कार हमसफ़र बही कैसे हैं आप?

Hamsafar+ 17-12-2010 10:00 AM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
स्वागत है ड्रैकुला भाई आपका, बहुत समय बाद मुलाकात हुई, आपका स्वागत है !

Nitikesh 17-12-2010 10:09 AM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
धन्यवाद हमसफ़र भाई.
हाँ आज कल मैं परीक्षा के व्यस्त था.

Nitikesh 17-12-2010 10:32 PM

Re: बच्चो की कवितायेँ
 
शक्ति और क्षमा


क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे
कहो कहाँ कब हारा?

क्षमाशील हो ॠपु-सक्षम
तुम हुये विनीत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही

अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल है
उसका क्या जो दंतहीन
विषरहित विनीत सरल है

तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिंधु किनारे
बैठे पढते रहे छन्द
अनुनय के प्यारे प्यारे

उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नही सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से

सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि
करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता गृहण की
बंधा मूढ़ बन्धन में

सच पूछो तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
संधिवचन सम्पूज्य उसीका
जिसमे शक्ति विजय की

सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है


कवि: रामधारी सिंह "दिनकर"

मेरे स्कूल के समय की पसंदीदा कविता में से एक.


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