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-   -   प्रेरणादायी जीवन (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=13740)

rafik 01-09-2014 03:42 PM

प्रेरणादायी जीवन
 
ऐल्बर्ट आइंस्टाइन का प्रेरणादायी जीवन




http://www.achhikhabar.com/wp-conten...150.jpg?368445
Albert Einstein
सबसे पीछे रहने वाले एक बालक ने अपने गुरु से पूछा ‘श्रीमान मैं अपनी बुद्धी का विकास कैसे कर सकता हूँ?’
अध्यापक ने कहा – अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है।
उस बालक ने इसे अपना गुरु मंत्र मान लिया और निश्चय किया कि अभ्यास के बल पर ही मैं एक दिन सबसे आगे बढकर दिखाऊँगा। बाल्यकाल से अध्यापकों द्वारा मंद बुद्धी और अयोग्य कहा जाने वाला ये बालक अपने अभ्यास के बल पर ही विश्व में आज सम्मान के साथ जाना जाता है। इस बालक को दुनिया आइंस्टाइन के नाम से जानती है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि साधारण से साधारण व्यक्ति भी मेहनत, हिम्मत और लगन से सफलता प्राप्त कर सकता है।
आइंस्टाइन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के यूम (Ulm) नगर में हुआ था। बचपन में उन्हे अपनी मंदबुद्धी बहुत अखरती थी। आगे बढने की चाह हमेशा उनपर हावी रहती थी। पढने में मन नहीं लगता था फिर भी किताब हाँथ से नहीं छोङते थे, मन को समझाते और वापस पढने लगते। कुछ ही समय में अभ्यास का सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगा। शिक्षक भी इस विकास से दंग रह गये। गुरु मंत्र के आधार पर ही आइंस्टाइन अपनी विद्या संपदा को बढाने में सफल रहे। आगे चल कर उन्होने अध्ययन के लिये गणित जैसे जटिल विषय को चुना। उनकी योग्यता का असर इस तरह हुआ कि जब कोई सवाल अध्यापक हल नहीं कर पाते तो वे आइंस्टाइन की मदद लेते थे।
http://www.achhikhabar.com/2013/07/1...aphy-in-hindi/

rafik 01-09-2014 03:44 PM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
ऐल्बर्ट आइंस्टाइन का प्रेरणादायी जीवन



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Albert Einstein
गुरु मंत्र को गाँठ बाँध कर आइंस्टाइन सफलता की सीढी चढते रहे। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से आगे की पढाई में थोङी समस्या हुई। परन्तु लगन के पक्के आइंस्टाइन को ये समस्या निराश न कर सकी। उन्होने ज्युरिक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला ले लिया। शौक मौज पर वे एक पैसा भी खर्च नहीं करते थे, फिर भी दाखिले के बाद अपने खर्चे को और कम कर दिये थे। उनकी मितव्ययता का एक किस्सा आप सभी से साझा कर रहे हैं।
“ एक बार बहुत तेज बारिश हो रही थी। अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी हैट को बगल में दबाए जल्दी-जल्दी घर जा रहे थे। छाता न होने के कारण भीग गये थे। रास्ते में एक सज्जन ने उनसे पूछा कि – “ भाई! तेज बारिश हो रही है, हैट से सिर को ढकने के बजाय तुम उसे कोट में दबाकर चले जा रहे हो। क्या तुम्हारा सिर नहीं भीग रहा है?
आइंस्टीन ने कहा –“भीग तो रहा है परन्तु बाद में सूख जायेगा, लेकिन हैट गीला हुआ तो खराब हो जायेगा। नया हैट खरीदने के लिए न तो मेरे पास न तो पैसे हैं और न ही समय।“
मित्रों, आज जहाँ अधिकांश लोग अपनी कृतिम और भौतिक आवश्यकताओं पर ही ध्यान देते रहते हैं, वे चाहें तो समाज या देश के लिये क्या त्याग कर सकते है,सीमित साधन में भी संसार में महान कार्य किया ज सकता है। आइंस्टीन इसका जीवंत उदाहरण हैं।
ज्युरिक कॉलेज में अपनी कुशाग्र बुद्धी जिसे उन्होने अभ्यास के द्वारा अर्जित किया था, के बल पर जल्दी ही वहाँ के अध्यापकों को प्रभावित कर सके। एक अध्यापक ‘मिकोत्सी’ उनकी स्थीति जानकर आर्थिक मदद भी प्रारंभ कर दिये थे। शिक्षा पूरी होने पर नौकरी के लिये थोङा भटकना पङा तब भी वे निराशा को कभी पास भी फटकने नहीं दिये। बचपन में उनके माता-पिता द्वारा मिली शिक्षा ने उनका मनोबल हमेशा बनाए रखा। उन्होने सिखाया था कि – “एक अज्ञात शक्ति जिसे ईश्वर कहते हैं, संकट के समय उस पर विश्वास करने वाले लोगों की अद्भुत सहायता करती है।“

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rafik 01-09-2014 03:48 PM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
ऐल्बर्ट आइंस्टाइन का प्रेरणादायी जीवन


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Albert Einstein
गुरु का दिया मंत्र और प्रथम गुरु माता-पिता की शिक्षा, आइंस्टीन को प्रतिकूल परिस्थिती में भी आगे बढने के लिये प्रेरित करती रही। उनके विचारों ने एक नई खोज को जन्म दिया जिसे सापेक्षतावाद का सिद्धान्त (Theory of Relativity; E=mc^2) कहते हैं। इस सिद्धानत का प्रकाशन उस समय की प्रसिद्ध पत्रिका “आनलोन डेर फिजिक” में हुआ। पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और बुद्धीजीवियों पर इस लेख का बहुत गहरा असर हुआ। एक ही रात में आइंस्टीन विश्वविख्यात हो गये। जिन संस्थाओं ने उन्हे अयोग्य कहकर साधारण सी नौकरी देने से मना कर दिया था वे संस्थाएं उन्हे निमंत्रित करने लगी। ज्युरिक विश्वविद्यालय से भी निमंत्रण मिला जहाँ उन्होने अध्यापक का पद स्वीकार कर लिया।
आइंसटाइन ने सापेक्षता के विशेष और सामान्य सिद्धांत सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांतम, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीक्रीत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है। सन् 1919 में इंग्लैंड की रॉयल सोसाइटी ने सभी शोधों को सत्य घोषित कर दिया था। जर्मनी में जब हिटलरशाही का युग आया तो इसका प्रकोप आइंस्टाइन पर भी हुआ और यहूदी होने के नाते उन्हे जर्मनी छोङकर अमेरीका के न्यूजर्सी में जाकर रहना पङा। वहाँ के प्रिस्टन कॉलेज में अंत समय तक अपनी सेवाएं देते रहे , और 18 अप्रैल 1955 को स्वर्ग सिधार गए .
ईश्वर के प्रति उनकी अगाध आस्था और प्राथमिक पाठशाला में अध्यापक द्वारा प्राप्त गुरु मंत्र को उन्होने सिद्ध कर दिया। उनका जीवन मानव जाति की चीर संपदा बन गया। उनकी महान विशेषताओं को संसार कभी भी भुला नहीं सकता।
हम इस महान वैज्ञानिक को शत-शत नमन करते हैं.

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rafik 18-09-2014 10:48 AM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
सपने वे नहीं होते, जो सोते समय दिखते हों, बल्कि सपने तो वे होते हैं, जो इंसान को सोने न दे। सोते समय देखा जाने वाला सपना तो हमें याद भी नहीं रहता। पर जो सपने जागी आंखों से देखे जाते हैं, वे न केवल हमें याद रहते हैं, बल्कि वे हमें सोने ही नहीं देते। सपने वही सच्चे होते हैं, जिसे हमने जागी आंखों से देखा है। जिन्हें सपने सोने नहीं देते, वे महान होते हैं या फिर बन जाते हैं। सपने, दरअसल, हमें बताते हैं कि जिंदगी कैसी होनी चाहिए? प्रगति के पथ पर हमारी न्यूनतम उपलब्धियाँ क्या होनी चाहिए ? असल में हर सफलता का मार्ग सपना देखने से प्रारंभ होता है। हर व्यक्ति सपने में वह देखता है, जो वह वर्तमान में नहीं है, किन्तु भविष्य में अवश्य होना चाहेगा।हर बच्चा सपना देखता है कि आनेवाले कल में वह डाॅक्टर बनेगा, इंजीनियर बनेगा या अपना स्वतंत्र व्यवसाय करेगा। यह सपना उसकी भावी जिंदगी को और उसके प्रयासों को स्वतः वांछित पथ पर डाल देता है। बच्चे के कदम ख़ुद-ब-ख़ुद उस दिशा को पकड़ने लगते हैं।

डा. महेश परिमल

http://www.achhikhabar.com/wp-conten...mal.jpg?03ddc4
संक्षिप्त परिचय : छत्तीसगढ़ की सौंधी माटी में जन्मे महेश परमार ‘परिमल’ मूलत: एक लेखक हैं। बचपन से ही पढ़ने के शौक ने युवावस्था में लेखक बना दिया। आजीविका के रूप में पत्रकारिता को अपनाने के बाद लेखनकार्य जीवंत हो उठा। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसके सपने कभी उसकी पलकों में कैद नहीं हुए, बल्कि पलकों पर तैरते रहे और तैरते-तैरते किनारों को अपनी एक पहचान दे ही दी। आज लेखन की दुनिया का इनका भी एक जाना-पहचाना नाम है।
भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. का गौरव प्राप्त। अब तक सम-सामयिक विषयों पर एक हजार से अधिक आलेखों का प्रकाशन। आकाशवाणी के लिए फीचर-लेखन, दूरदर्शन के कई समीक्षात्मक कार्यक्रमों की सहभागिता। पाठच्यपुस्तक लेखन में भाषा विशेषज्ञ के रूप में शामिल। विश्वविद्याल स्तर पर अंशकालीन अध्यापन। अब तक दो किताबों का प्रकाशन। पहली ‘लिखो पाती प्यार भरी’ को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा दुष्यंत कुमार स्मृति पुरस्कार, दूसरी किताब ‘अनदेखा सच’ को पाठकों ने विशेष रूप से सराहा।


soni pushpa 18-09-2014 05:36 PM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
छत्तीसगढ़ की मिटटी एक ऐसी पावन धरती है. जहाँ अपनी हिंदी का साम्राज्य तो है ही, साथ ही लोगो में एक अपनापन है और साहित्य के प्रति एक अनोखा लगाव देखने को मिलता है बहुत अच्छा लगा bhai इस लेख को पढ़कर ...

Dr.Shree Vijay 18-09-2014 10:53 PM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 

बेहतरीन शुरुआत.........


soni pushpa 22-09-2014 12:46 AM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
बहुत समझने योग्य सूत्र है .. बहुत बहुत धन्यवाद bhai ..[/QUOTE]

rafik 22-09-2014 11:49 AM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 528625)
बहुत समझने योग्य सूत्र है .. बहुत बहुत धन्यवाद bhai ..

:thanks::thanks::thanks:

Pavitra 23-09-2014 11:31 PM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
:bravo:
बहुत ही अच्छा सूत्र।
आशा है कि आगे भी ऐसे ही प्रेरणादायक व्यक्तित्वों के बारे में जानने को मिलेगा जिससे हम भी जीवन में सफलता के पथ पर आगे बढ़ सकेंगे।

rafik 24-09-2014 01:27 PM

Re: प्रेरणादायी जीवन
 
Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 528973)
:bravo:
बहुत ही अच्छा सूत्र।
आशा है कि आगे भी ऐसे ही प्रेरणादायक व्यक्तित्वों के बारे में जानने को मिलेगा जिससे हम भी जीवन में सफलता के पथ पर आगे बढ़ सकेंगे।

:thanks::thanks:


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