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~VIKRAM~ 12-05-2012 10:50 AM

योगा
 
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~VIKRAM~ 12-05-2012 10:52 AM

Re: योगा
 

~VIKRAM~ 12-05-2012 10:52 AM

Re: योगा
 

~VIKRAM~ 12-05-2012 10:52 AM

Re: योगा
 

~VIKRAM~ 12-05-2012 11:02 AM

Re: योगा
 
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~VIKRAM~ 12-05-2012 12:59 PM

Re: योगा
 
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~VIKRAM~ 12-05-2012 01:13 PM

Re: योगा
 
योगा का पालन करने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ जाती है, जिसके कारण उसका कार्य और व्यवहार और अच्छे से अमल में आता है|
आपको आजीवन युवा बनाए रखने में सक्षम है आप इन्हें किसी योगा एक्सपर्ट से अच्छे से सीखकर करें। यह बंध, मुद्रा, क्रिया, आसन है।

*# हस्त मुद्रा : 1.ज्ञान मुद्रा, 2.पृथ्वी मुद्रा, 3.वरुण मुद्रा, 4.वायु मुद्रा, 5.शून्य मुद्रा, 6.सूर्य मुद्रा, 7.प्राण मुद्रा, 8.लिंग मुद्रा, 9.अपान मुद्रा और 10.अपान वायु मुद्रा।


**# बंध-मुद्रा : 1.महामुद्रा, 2.महाबंध, 3.महावेधश्च, 4.खेचरी मुद्रा, 5.उड्डीयान बंध, 6.मूलबंध, 7.जालंधर बंध 8.विपरीत करणी मुद्रा, 9.वज्रोली मुद्रा, 10.शक्ति चालन।


***# आसन : 1.शीर्षासन, 2.मयूरासन, 3.भुजपीड़ासन, 4.कपोत आसन, 5.अष्टवक्रासन, 6.एकपाद कोंडियासन, 7.वृश्चिक आसन, 8.हलासन, 9.अर्धमत्स्येंद्रासन, 10.चक्रासन।


****# प्राणायाम : 1.अनुलोम विलोम, 2.भस्त्रिका, 3.कपालभाती, 4.भ्रामरी, 5.उज्जायी, 6.शितकारी, 7.शितली, 8.उद्गीथ, 9. बाह्य और 10. अग्निसार।


टॉप टेन क्रिया : 1.धौति, 3. गणेश, 3.बस्ती, 4.नेति, 5.त्राटक, 6.न्यौली, 7.कपालभाती, 8. कुंजल, 9.धौंकनी, 10.शंख प्रक्षालयन।


क्रियाओं को छोड़कर प्रत्येक व्यक्ति इन्हें थोड़े से अभ्यास से सीख सकता है। इन्हें सीखने के बाद किसी भी प्रकार के रोग और शोक व्यक्ति के पास फटक नहीं सकते। कारण यह कि यह योगा आपकी सेहत ही नहीं आपके मानसिक स्तर का भी ध्यान रखते हैं। यह आपमे पॉजिटिव एनर्जी का लेवल बढ़ाकर दुखों से निजात भी दिलाते हैं।

~VIKRAM~ 12-05-2012 01:22 PM

Re: योगा
 
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विधि : अँगूठे को तर्जनी (इंडेक्स) अँगुली से स्पर्श करते हुए शेष तीन अँगुलियों को सीधा तान दें। इस मुद्रा के लिए कोई विशेष समय अवधि नहीं है। सिद्धासन में बैठकर, खड़े रहकर या बिस्तर पर जब भी समय मिले आप इसका अभ्यास कर सकते हैं।

लाभ : ज्ञानमुद्रा ज्ञान स्मृति शक्ति बढ़ती है। यह मुद्रा एकाग्रता को बढ़ाकर अनिद्रा, हिस्टीरिया, गुस्सा और निराशा को दूर करती है। यदि इसका नियमित अभ्यास किया जाए तो सभी तरह के मानसिक विकारों तथा नशे की आदतों से मुक्ति मिल सकती है। इसके अभ्यास से मन प्रसन्न रहता है।

Sikandar_Khan 12-05-2012 01:25 PM

Re: योगा
 
विक्रम जी , आपका ये सूत्र अत्यंत लाभदायक है |

~VIKRAM~ 12-05-2012 04:29 PM

Re: योगा
 
सफलता के top-10 योगा टिप्स
(1) अंग-संचालन : अंग-संचालन को सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। इसे आसनों की शुरुआत के पूर्व किया जाता है। इससे शरीर आसन करने लायक तैयार हो जाता है। सूक्ष्म व्यायाम के अंतर्गत नेत्र, गर्दन, कंधे, हाथ-पैरों की एड़ी-पंजे, घुटने, नितंब-कुल्हों आदि सभी की बेहतर वर्जिश होती है।

(2) प्राणायाम : अंग-संचालन करते हुए यदि आप इसमें अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी जोड़ देते हैं तो यह एक तरह से आपके भीतर के अंगों और सूक्ष्म नाड़ियों को शुद्ध-पुष्ट कर देगा।

(3) मालिश : बदन की घर्षण, दंडन, थपकी, कंपन और संधि प्रसारण के तरीके से मालिश कराएं। इससे मांस-पेशियां पुष्ट होती हैं। रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है। इससे तनाव, अवसाद भी दूर होता है। शरीर कांतिमय बनता है।

(4) व्रत : जीवन में व्रत का होना जरूरी है। व्रत ही संयम, संकल्प और तप है। आहार-विहार, निंद्रा-जाग्रति और मौन तथा जरूरत से ज्यादा बोलने की स्थिति में संयम से ही स्वास्थ्य तथा मोक्ष घटित होता है।

(5) योग हस्त मुद्राएं : योग की हस्त मुद्राओं को करने से जहां निरोगी काया पायी जा सकती हैं वहीं यह मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखती है। हस्तमुद्राओं को अच्*छे से जानकर नियमित करें तो लाभ मिलेगा।

(6) ईश्वर प्राणिधान : एकेश्वरवादी होने से चित्त संकल्पवान, धारणा सम्पन्न तथा निर्भिक होने लगता है। यह जीवन की सफलता हेतु अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति ग्रह-नक्षत्र, असंख्*य देवी-देवता, तंत्र-मंत्र और तरह-तरह के अंधविश्वासों पर विश्वास करता है, उसका संपूर्ण जीवन भ्रम, भटकाव और विरोधाभासों में ही बीत जाता है। इससे निर्णयहीनता का जन्म होता है।

(7) ध्यान : ध्यान के बारे में भी आजकल सभी जानने लगे हैं। ध्यान हमारी ऊर्जा को फिर से संचित करने का कार्य करता है, इसलिए सिर्फ पांच मिनट का ध्यान आप कहीं भी कर सकते हैं। खासकर सोते और उठते समय इसे बिस्तर पर ही किसी भी सुखासन में किया जा सकता है।

(8). प्रार्थना : बहुत से लोग हैं जिनका मन ध्यान में नहीं लगता उन्हें अपने ईष्ट की प्रतिदिन प्रार्थना करना चाहिए। यहां स्पष्ट कर दें की पूजा नहीं प्रार्थना करें। ईष्ट के चित्र के समक्ष दीया या अगरबत्ती जलाकर, हाथ जोड़कर कम से कम 10 मिनट तक उनके प्रति समर्पण का भाव रखकर उनकी स्तुति करने से मन और मस्तिष्क में सकारात्मकता और शांति का विकास होता है जिससे व्यक्ति के जीवन में शुभ और लाभ होने लगता है।

(9) स्वाध्याय : स्वाध्याय आत्मा का भोजन है। स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें वह सब कुछ जिससे आपके आर्थिक, सामाजिक जीवन को तो लाभ मिलता ही हो, साथ ही आपको इससे खुशी *भी मिलती हो। तो बेहतर किताबों को अपना मित्र बनाएं और स्वयं के मन को बेहतर दिशा में मोड़ें।

(10) सत्य : सत्य में बहुत ताकत होती है यह तो सुनते ही आए हैं, लेकिन कभी आजमाया नहीं। अब आजमाकर देखें। योग का प्रथम अंग 'यम' है और यम का ही उप अंग है सत्य।

जब व्यक्ति सत्य की राह से दूर रहता है तो वह अपने जीवन में संकट खड़े कर लेता है। असत्यभाषी व्यक्ति के मन में भ्रम और द्वंद्व रहता है, जिसके कारण मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं। असत्य या झूठ बोलने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा नहीं रहती और लोग उसकी सत्य बात का भी भरोसा नहीं करते।


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