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-   -   निर्वाण {महादेवी वर्मा} (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=14666)

dipu 04-03-2015 04:31 PM

निर्वाण {महादेवी वर्मा}
 
निर्वाण {महादेवी वर्मा}
घायल मन लेकर सो जाती
मेघों में तारों की प्यास,
यह जीवन का ज्वार शून्य का
करता है बढकर उपहास।

चल चपला के दीप जलाकर
किसे ढूँढता अन्धाकार?
अपने आँसू आज पिलादो
कहता किनसे पारावार?

झुक झुक झूम झूम कर लहरें
भरतीं बूदों के मोती;
यह मेरे सपनों की छाया
झोकों में फिरती रोती;

आज किसी के मसले तारों
की वह दूरागत झंकार,
मुझे बुलाती है सहमी सी
झंझा के परदों के पार।

इस असीम तम में मिलकर
मुझको पलभर सो जाने दो,
बुझ जाने दो देव! आज
मेरा दीपक बुझ जाने दो!

rajnish manga 05-03-2015 08:50 AM

Re: निर्वाण {महादेवी वर्मा}
 


हिंदी की महान कवियित्री महादेवी वर्मा को उनके जन्मदिवस (26 मार्च) से पहले याद करना और उनके विपुल साहित्य में से चुन कर लाई गयी उपरोक्त काव्य रचना को श्रद्धांजलि स्वरुप फोरम पर प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, दीपू जी.


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