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-   -   उमर खैय्याम की रुबाइयां (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=6343)

rajnish manga 24-01-2013 10:36 PM

उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Here with a Loaf of Bread beneath the Bough,
A Flask of Wine, a Book of Verse – and Thou
Beside me singing in the Wilderness –
And Wilderness is paradise enow.

(Edward Fitzgerald )

शुगल-ए-मयनोशी का सामां हो, बियाबां की बहार!
लो-ए-जज्बात को हेज़ान में मैदां का गुबार !
दिलरुबा ज़ीनत-ए-पहलू हो कोई जाम बदस्त !
ताज-ए-सुल्तानी भी इस ऐश पे कर दूं मैं निसार !!

(प्रोफ. वाकिफ़ )

वीराना हो, मयनोशी का सामान भी हो!
रोटी भी हो, बकरे की भुनी रान भी हो!
माशूक-ए-तरहदार भी हो पहलू में !
फिर अपनी बला से कोई सुलतान भी हो !!
(ताहा नसीम )

rajnish manga 29-01-2013 10:32 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Wake! For the Sun, who scatter'd into flight
The Stars before him from the Field of Night,
Drives Night along with them from Heav'n, and strikes
The Sultan's Turret with a Shaft of Light.


सूरज उगा है रात के सब चिन्ह धुंधलाने लगे
तारे भी अपना कारवाँ ले कर के हैं जाने लगे
आकाश पर छाया उजाला रोशनी में सूर्य की,
सल्तनत के महल जैसे हीरों को शरमाने लगे.
(स्वरचित)

rajnish manga 29-01-2013 10:34 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Before the phantom of False morning died,
Methought a Voice within the Tavern cried,
"When all the Temple is prepared within,
Why nods the drowsy Worshipper outside?"


रात ने अपना सफर तय कर लिया है मुस्कुरा
अंदर सराए में कहीं कोई कह रहा है मुस्कुरा
दिल के अंदर ही इबादतगाह जब मौला की है
क्यों सुने जो भी मुअज्ज़िन कह रहा है मुस्कुरा
(स्वरचित)

rajnish manga 29-01-2013 10:40 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
And, as the Cock crew, those who stood before
The Tavern shouted--"Open then the Door!
You know how little while we have to stay,
And, once departed, may return no more."

मुर्गे ने जब दी बांग सुन कर हर कोई उठ जाएगा
दर सराये का खुलेगा कोई जोर से जब चिल्लाएगा
तुम जानते तो हो हमारा है ठिकाना कितने दिन
फिर खल्क से जाने के बाद कौन मुड़ कर आयेगा?
(स्वरचित)

rajnish manga 29-01-2013 10:46 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Iram indeed is gone with all his Rose,
And Jamshyd's Sev'n-ring'd Cup where no one knows;
But still a Ruby kindles in the Vine,
And many a Garden by the Water blows,

वक्ते रुखसत इस जहाँ में कोई क्या रह पायेगा.
जमशेद हो या इरम हर कोई धार में बह जाएगा.
इक जाम ऐसा है कि जिसमे शान है पुखराज की
यूँ देखिये तो हर नज़ारा, संग वक्त के ढल जाएगा.
(स्वरचित)

rajnish manga 29-01-2013 10:48 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Come, fill the Cup, and in the fire of Spring
Your Winter-garment of Repentance fling:
The Bird of Time has but a little way
To flutter--and the Bird is on the Wing.

आ पास! भर दे पात्र मेरा वसंत ॠतु आने को है.
और इसके साथ ही ये पश्चाताप मिट जाने को है.
वक्त की सब बुलबुलें उड़ती क्षितिज के आसपास,
पंखों में भर परवाज़ सब उस पार उतर जाने को है.
(स्वरचित)

rajnish manga 29-01-2013 11:02 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Whether at Naishapur or Babylon,
Whether the Cup with sweet or bitter run,
The Wine of Life keeps oozing drop by drop,
The Leaves of Life keep falling one by one.

चाहे नैशापुर में हों या बेबीलोन में कयाम.
दे कभी मीठी कभी कड़वी सुरा पर भर ये जाम.
जिन्दगी की मय यहाँ हर बूँद में रिसती है यूँ,
एक एक कर वृक्ष के, ज्यों टूटते पत्ते तमाम.
(स्वरचित)

Dark Saint Alaick 29-01-2013 11:02 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
अद्भुत सूत्र है, रजनीशजी। उमर खय्याम की रुबाइयां स्वयं ही मादक, सम्मोहक और मस्त कर देने वाली हैं, उस पर आपने उनका जो अनुपम रूपांतर किया है, माशाअल्लाह वह काबिले तारीफ़ ही नहीं, दीवाना कर देने वाला है। फोरम को आपका यह एक बेहतरीन तोहफा है; इसके लिए मैं आपका तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आभार। :cheers:

rajnish manga 29-01-2013 11:08 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Each Morn a thousand Roses brings, you say;
Yes, but where leaves the Rose of Yesterday?
And this first Summer month that brings the Rose
Shall take Jamshyd and Kaikobad away.

हर सुबह लाखों गुलाबों को नया मिलता शबाब.
पर कहाँ है वो जो ठहराए गए थे कल खराब.
मौसमे-गरमा भी आ पहुंचा खिला पहला गुलाब,
‘अलविदा’ दुनिया से बोले जमशेद औ’ कैकोबाद.
(स्वरचित)

rajnish manga 29-01-2013 11:37 PM

Re: उमर खैय्याम की रुबाइयां
 
Quote:

Originally Posted by Dark Saint Alaick (Post 220273)
अद्भुत सूत्र है, रजनीशजी। उमर खय्याम की रुबाइयां स्वयं ही मादक, सम्मोहक और मस्त कर देने वाली हैं, उस पर आपने उनका जो अनुपम रूपांतर किया है, माशाअल्लाह वह काबिले तारीफ़ ही नहीं, दीवाना कर देने वाला है। फोरम को आपका यह एक बेहतरीन तोहफा है; इसके लिए मैं आपका तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आभार।

:cheers:

आपके उत्साहवर्धन के किये मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. उमर खैय्याम की रुबाइयों का मैं स्कूल के ज़माने से ही शैदाई रहा हूँ ठीक ऐसे ही जैसे दीवाने ग़ालिब, बच्चन की मधुशाला, Golden Treasury of Lyrical Poems, शेक्सपीयर के कुछ नाटक जिनमे कॉमेडी भी शामिल है, टॉलस्टॉय के वृहद् उपन्यास, चेखव के उपन्यास और नाटक व कहानी और पर्ल बक का उपन्यास 'द गुड अर्थ' आदि आदि का रहा हूँ. मेरी बड़ी इच्छा थी कि मूल फ़ारसी के ज़रिये रुबाइयाँ समझ सकता, लेकिन यह संभव न हुआ. खैर जैसा भी बन पड़ा आपके सामने है. परिमार्जन करते रहें, धन्यवाद.


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