मृत्यु के बाद उसने बताया मरने के बाद का राज
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अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या मरने के बाद आत्मा का अस्तित्व रहता है, या मरने बाद उस व्यक्ति का क्या होता है। यह सवाल उस समय मन मस्तिष्क में अधिक कौंधता है जब किसी व्यक्ति की अंतिम विदाई आपके समाने हो रही है, या जब कोई अपना इस दुनिया को अलविदा कहकर चला जाता है। |
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आमतौर पर यह सवाल लोगों के मन में आता है लेकिन दुनियां की रंगीनियों और व्यस्तता के बीच हम भूल जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सवाल की गहराई में जाकर उसका उत्तर ढूंढने की कोशिश करते हैं।
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ऐसे ही वैज्ञानिक हुए सर विलियम क्रुक्स इन्होंने श्रीमती फ्लोरेन्स क्रुक्स को माध्यम (मीडियम) बनाकर वैज्ञानिक तरीके से आत्मा के अस्तित्व का परीक्षण किया। इस परीक्षण कार्यों के समय विलियम क्रुक्स ने बहुत ही सावधान जिससे परीक्षण में कोई भ्रांति, कपोल कल्पना या चालाकी का प्रभाव न पड़े। इन्होंने सारे परीक्षण वैज्ञानिक तरीके से किया जिसमें सूक्ष्म वैज्ञानिक यंत्रों का प्रयोग किया गया।
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प्रेतात्मा ने अपने वास्तविक बालों का वर्णन किया
परीक्षण के दौरान जिस आत्मा ने श्रीमती क्रुक्स को नियंत्रित करने वाली प्रेतात्मा ने अपने बारे में बताया। प्रेतात्मा ने अपने वास्तविक बालों का वर्णन किया और उसकी फोटो भी ली गई। इस दौरान श्रीमती क्रुक्स की धड़कन और नाड़ी गति की भी जांच की गई जो असामान्य स्थिति को दर्शा रही थी। इसके बाद मायर्स नाम के एक व्यक्ति जो प्रेतात्माओं पर अध्ययन करने के लिए बनी 'सोसायटी फॉर दि साईकिक्यल रिसर्च' के अध्यक्ष रहे थे इन्होंने भी अपने जीवनकाल में दोस्तों से वादा किया था कि वह मरने के बाद वापस लौटकर आएंगे। इन्होंने मरने के बाद अपने वादे को पूरा किया और श्रीमती थाम्सन नाम की एक महिला को माध्यम बनाकर दोस्तों के बीच आए। इन्होंने आते ही बताया कि वह मायर्स हैं। इन्होंने मरने के बाद कि अपनी जो स्थिति बताई उसे जानकर आप हैरान हुए बिना नहीं रहेंगे। |
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मरने के बाद कैसा लगा?
यह पूछे जाने पर कि मृत्यु के बाद उन्हें कैसा लगा? इसका जवाब देते हुए मायर्स ने बताय कि 'यह समझने के पूर्व तक कि मेरी मृत्यु हो चुकी है, मैं यह समझता रहा कि किसी अनजान नगर में रास्ता भूल गए हैं। जिन्हें वे मृत जानते थे उन्हें देखकर भी यही विचार आया कि वह केवल कल्पना ही है। 'सोसायटी फॉर दि साईकिक्यल रिसर्च' की अमेरिकी शाखा के सचिव डॉ. हजसन ने भी वादा किया था कि वह मृत्यु के बाद वापस आएंगे। अपने वादे के मुताबिक यह मृत्यु के एक सप्ताह के बाद ही श्रीमती पाइपर को माध्यम बनाकर लोगों के बीच आ पहुंचे। इन सभी घटनाओं का जिक्र मृत्यु के पार नामक पुस्तक में किया गया है। इस पुस्तक के लेखक स्वमी अभेदानंद हैं। |
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