Re: जानिए कूछ बिहार के बारे मे
भाषा और संस्कृति
अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली और वज्जिका यहाँ की प्रमुख भाषायें हैं. बिहार की संस्कृति मगध,अंग,मिथिला तथा वज्जी संस्कृतियों का मिश्रण है । नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है । नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। समाज पुरूष प्रधान है और लड़कियों को कड़े नियंत्रण में रखा जाता है। प्रमुख पर्वों में छठ, होली, दिवाली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी, मुहर्रम, ईद तथा क्रिसमस हैं । सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है । |
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भाषा और संस्कृति
अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली और वज्जिका यहाँ की प्रमुख भाषायें हैं. बिहार की संस्कृति मगध,अंग,मिथिला तथा वज्जी संस्कृतियों का मिश्रण है । नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है । नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। समाज पुरूष प्रधान है और लड़कियों को कड़े नियंत्रण में रखा जाता है। प्रमुख पर्वों में छठ, होली, दिवाली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी, मुहर्रम, ईद तथा क्रिसमस हैं । सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है । |
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नालंदा के वारे में भी बताये भाई ! |
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जातिवाद
जातिवाद बिहार की राजनीति तथा आमजीवन का अभिन्न अंग रहा है । पिछले कुछ वर्षों में इसका विराट रूप सामने आया था। वर्तमान में काफी हद तक यह भेदभाव कम हो गया है । इस जातिवाद के दौर की एक ख़ास देन है - अपना उपनाम बदलना। जातिवाद के दौर में कई लोगों ने जाति स्पष्ट न हो इसके लिए अपने तथा बच्चों के उपनाम बदल कर एक संस्कृत नाम रखना आरंभ कर दिया। इसके फलस्वरूप कई लोगों का वास्तविक उपनाम यादव, शर्मा, मिश्र, वर्मा, झा, सिन्हा, श्रीवास्तव, राय इत्यादि से बदलकर प्रकाश, सुमन, प्रभाकर, रंजन, भारती इत्यादि हो गया। जातिसूचक उपनाम के बदले कई लोग 'कुमार' लिखना पसंद करते हैं |
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मनोरंजन
बिहार के शहर, कस्बों तथा गाँवों में फिल्मों की लोकप्रियता बहुत अधिक है । हिंदी फिल्मों के संगीत बहुत पसन्द किये जाते हैं। मुख्य धारा की हिन्दी फिल्मों के अलावा भोजपुरी फिल्मों ने भी अपना प्रभुत्व जमाया है। मैथिली तथा अन्य स्थानीय सिनेमा भी लोकप्रिय हैं । अंग्रेजी फिल्म पटना जैसे नगरों में ही देखा जाता है। उच्चस्तरीय पसंद वाले लोग नृत्य, नाटकीय मंचन या चित्रकला में अपना योगदान देना पसंद करते हैं वहीं अशिक्षित या अर्धशिक्षित लोग ताश या जुए खेलकर अपना समय काटते हैं। |
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शादी-विवाह
शादी विवाह के दौरान ही प्रदेश की सांस्कृतिक प्रचुरता स्पष्ट होती है। जातिगत आग्रह के कारण शत-प्रतिशत शादियाँ माता-पिता या रिश्तेदारों द्वारा तय परिवार में ही होता है। शादी में बारात तथा जश्न की सीमा समुदाय तथा उनकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। लगभग सभी जातियों में दहेज़ का चलन महामारी के रुप में है। दहेज के लिए विवाह का टूटना या बहू की प्रताड़्ना समाचार की सुर्खियाँ बनती है। कई जातियों में विवाह के दौरान शराब और नाच का प्रचलन खूब दिखता है। लोकगीतों के गायन का प्रचलन लगभग सभी समुदाय में हैं। आधुनिक तथा पुराने फिल्म संगीत भी इन समारोहों में सुनाई देते हैं । शादी के दौरान शहनाई का बजना आम बात है । इस वाद्ययंत्र को लोकप्रिय बनाने में बिस्मिल्ला खान का नाम सर्वोपरि है, उनका जन्म बिहार में ही हुआ था |
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