जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
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Re: जानिए स्वस्तिक के बारे में.......................
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॥ ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्ध-श्रवा-हा स्वस्ति न-ह पूषा विश्व-वेदा-हा।
स्वस्ति न-ह ताक्षरर्यो अरिष्ट-नेमि-हि स्वस्ति नो बृहस्पति-हि-दधातु॥ अर्थात : महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषादेव हमारा कल्याण करो। जिसका हथियार अटूट है ऐसे गरूड़ भगवान हमारा मंगल करो। बृहस्पति हमारा मंगल करो। |
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स्वस्तिक का आविष्कार आर्यों ने किया और पूरे विश्*व में यह फैल गया। आज स्वस्तिक का प्रत्येक धर्म और संस्कृति में अलग-अलग रूप में इस्तेमाल किया गया है। कुछ धर्म, संगठन और समाज ने स्वस्तिक को गलत अर्थ में लेकर उसका गलत जगहों पर इस्तेमाल किया है तो कुछ ने उसके सकारात्मक पहलू को समझा।
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स्वस्तिक को भारत में ही नहीं, अपितु विश्व के अन्य कई देशों में विभिन्न स्वरूपों में मान्यता प्राप्त है। जर्मनी, यूनान, फ्रांस, रोम, मिस्र, ब्रिटेन, अमेरिका, स्कैण्डिनेविया, सिसली, स्पेन, सीरिया, तिब्बत, चीन, साइप्रस और जापान आदि देशों में भी स्वस्तिक का प्रचलन किसी न किसी रूप में मिलता है।
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स्वस्तिक शब्द को 'सु' एवं 'अस्ति' का मिश्रण योग माना जाता है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्ति' का अर्थ है- होना। अर्थात 'शुभ हो', 'कल्याण हो'। स्वस्तिक अर्थात कुशल एवं कल्याण।
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हिंदू धर्म में स्वस्तिक को शक्ति, सौभाग्य, समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है। हर मंगल कार्य में इसको बनाया जाता है। स्वस्तिक का बायां हिस्सा गणेश की शक्ति का स्थान 'गं' बीजमंत्र होता है। इसमें जो चार बिंदियां होती हैं, उनमें गौरी, पृथ्वी, कच्छप और अनंत देवताओं का वास होता है।
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इस मंगल-प्रतीक का गणेश की उपासना, धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी के साथ, बही-खाते की पूजा की परंपरा आदि में विशेष स्थान है। इसकी चारों दिशाओं के अधिपति देवताओं, अग्नि, इन्द्र, वरुण एवं सोम की पूजा हेतु एवं सप्तऋषियों के आशीर्वाद को प्राप्त करने में प्रयोग किया जाता है। यह चारों दिशाओं और जीवन चक्र का भी प्रतीक है।
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घर के वास्तु को ठीक करने के लिए स्वस्तिक का प्रयोग किया जाता है। स्वस्तिक के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है। स्वस्तिक के प्रयोग से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है।
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जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर और उनके चिह्न में स्वस्तिक को शामिल किया गया है। तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ का शुभ चिह्न है स्वस्तिक जिसे साथिया या सातिया भी कहा जाता है।
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