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-   -   अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें........... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=9601)

anjana 05-11-2014 04:59 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 537233)

हर सफ़र में ये दुनियादारी शामिल नहीं होती,
हर राह पर खड़ी कोई मंज़िल नहीं होती ॥


(अज्ञात)


तिरछी नजर का तीर है मुश्किल से निकलेगा,
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा।



(फानी' बदायुनी)

rajnish manga 05-11-2014 08:01 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by anjana (Post 537238)
तिरछी नजर का तीर है मुश्किल से निकलेगा,
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा।


(फानी' बदायुनी)


गरमी है जैसे धूप में उसके ही जिस्म की
और चाँदनी में नूर है उसके लिबास का

(कुमार पाशी)

bindujain 05-11-2014 08:12 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 537331)
गरमी है जैसे धूप में उसके ही जिस्म की
और चाँदनी में नूर है उसके लिबास का

(कुमार पाशी)



कुछ लोगों से बैर भी ले
दुनिया भर का यार न बन

सब की अपनी साँसें हैं
सबका दावेदार न बन


"राहत इन्दोरी"

rajnish manga 05-11-2014 11:14 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by bindujain (Post 537339)

कुछ लोगों से बैर भी ले
दुनिया भर का यार न बन

सब की अपनी साँसें हैं
सबका दावेदार न बन


"राहत इन्दोरी"

न था कभी करीब जो वो दूर भी नहीं
शराब भी नहीं रही.......सुरूर भी नहीं

(अकील नोमानी)

bindujain 06-11-2014 04:22 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 537394)
न था कभी करीब जो वो दूर भी नहीं
शराब भी नहीं रही.......सुरूर भी नहीं

(अकील नोमानी)


हवाएं साथ चलती हैं फ़िज़ायें साथ चलती हैं
मुझे रास्ता दिखाने को शमाएँ साथ चलती हैं
डरूँ मैं आँधियों से क्यूँ कि तूफाँ क्या बिगाड़ेगा
कि मेरे सर पे तो माँ कि दुआएं साथ चलती हैं

पुरुषोतम'वज्र'

rajnish manga 06-11-2014 08:31 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by bindujain (Post 537398)
हवाएं साथ चलती हैं फ़िज़ायें साथ चलती हैं
मुझे रास्ता दिखाने को शमाएँ साथ चलती हैं
डरूँ मैं आँधियों से क्यूँ कि तूफाँ क्या बिगाड़ेगा
कि मेरे सर पे तो माँ कि दुआएं साथ चलती हैं

पुरुषोतम'वज्र'

हमारी अर्जियां क्योंकर नहीं उड़ती हवाओं में
नहीं रख पाये हम चांदी का पेपरवेट क्या कहिये

वे नेता पुत्र थे खिड़की से भीतर हो गए दाखिल
हमारे वास्ते हैं बंद सारे गेट क्या कहिये

(प्रदीप चौबे)

anjana 06-11-2014 02:55 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 537406)
हमारी अर्जियां क्योंकर नहीं उड़ती हवाओं में
नहीं रख पाये हम चांदी का पेपरवेट क्या कहिये

वे नेता पुत्र थे खिड़की से भीतर हो गए दाखिल
हमारे वास्ते हैं बंद सारे गेट क्या कहिये

(प्रदीप चौबे)

ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है!
तेरी सूरत न देखें , तो दिखाई कुछ नहीं देता,,

bindujain 06-11-2014 05:53 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by anjana (Post 537454)
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है!
तेरी सूरत न देखें , तो दिखाई कुछ नहीं देता,,


तन्हाई का ज़हर तो वो भी पीते हैं
हर पल जिनके साथ ज़माना होता है


आलम खुर्शीद

Dr.Shree Vijay 06-11-2014 09:56 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by bindujain (Post 537591)

तन्हाई का ज़हर तो वो भी पीते हैं
हर पल जिनके साथ ज़माना होता है


आलम खुर्शीद



हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील,
हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया........


(अज्ञात)


rajnish manga 06-11-2014 10:24 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 537650)
हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील,
हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया........


(अज्ञात)

ये क्या किस्सा है जब अरमान दुनिया के निकलते हैं
हमारे वास्ते ही किस लिये........हसरत के दिन आये

(बालस्वरूप राही)


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