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-   -   अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें........... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=9601)

internetpremi 01-09-2013 08:48 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
ईना मीना डीका, डाइ, डामोनिका माका नाका नाका, चीका पीका रीका
ईना मीना डीका डीका डे डाइ डामोनिका माकानाका माकानाका चीका पीका रोला रीका रम्पम्पोश रम्पम्पोश

rajnish manga 01-09-2013 10:06 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 364393)

ईना मीना डीका, डाइ, डामोनिका माका नाका नाका, चीका पीका रीका
ईना मीना डीका डीका डे डाइ माकानाका माकानाका चीका पीका रोला रीका रम्पम्पोश रम्पम्पोश

श्री रघुबीर प्रताप ते सिन्धु तरे पाषान..
ते मतिमंद जे राम तजि भजहि जाई प्रभु आन..

internetpremi 01-09-2013 10:24 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
ना माँगो सोना चान्दी, ना माँगो हीरा मोती
ये तेरे किस काम के

aspundir 01-09-2013 10:51 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 364517)
ना माँगो सोना चान्दी, ना माँगो हीरा मोती
ये तेरे किस काम के

कैसी चली है अब के हवा, तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये हैं ख़ुदा, तेरे शहर में

क्या जाने क्या हुआ कि परेशान हो गए
इक लहज़ा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...

कुछ दुश्मनी का ढब है न अब दोस्ती के तौर
दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...

शायद उन्हें पता था कि 'ख़ातिर' है अजनबी
लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...


rajnish manga 01-09-2013 11:09 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
[quote=aspundir;364525]
कैसी चली है अब के हवा, तेरे शहर में


बन्दे भी हो गये हैं ख़ुदा, तेरे शहर में

क्या जाने क्या हुआ कि परेशान हो गए
इक लहज़ा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...

कुछ दुश्मनी का ढब है न अब दोस्ती के तौर
दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...

शायद उन्हें पता था कि 'ख़ातिर' है अजनबी
लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में **
बन्दे भी हो गये...


मेरे मौला मेरी आँखों को समंदर दे दे
चार बूंदों से गुज़ारा नहीं होगा मुझसे

aspundir 03-09-2013 05:45 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
[QUOTE=rajnish manga;364591]
Quote:

Originally Posted by aspundir (Post 364525)
कैसी चली है अब के हवा, तेरे शहर में


बन्दे भी हो गये हैं ख़ुदा, तेरे शहर में

क्या जाने क्या हुआ कि परेशान हो गए
इक लहज़ा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...

कुछ दुश्मनी का ढब है न अब दोस्ती के तौर
दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में
बन्दे भी हो गये...

शायद उन्हें पता था कि 'ख़ातिर' है अजनबी
लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में **
बन्दे भी हो गये...


मेरे मौला मेरी आँखों को समंदर दे दे
चार बूंदों से गुज़ारा नहीं होगा मुझसे

( सायोनारा सायोनारा वादा निभाऊँगी सायोनारा इठलाती और बलखाती कल फिर आऊँगी सायोनारा ) \-२ सायोनारा सायोनारा ( छोड़ दे मेरी बाँहों को रोक ना मेरी राहों को ) \-२ इतनी भी बेताबी क्या समझा अपनी निगाहों को सायोनारा सायोनारा वादा निभाऊँगी सायोनारा इठलाती और बलखाती कल फिर आऊँगी सायोनारा सायोनारा सायोनारा ( चंचल शोख़ बहारों में रस बरसाते नज़ारों में ) \-२ तुझको भूल ना पाऊँगी होगा मिलन गुलज़ारों में सायोनारा सायोनारा वादा निभाऊँगी सायोनारा इठलाती और बलखाती कल फिर आऊँगी सायोनारा सायोनारा सायोनारा ( होंगी रोज़ मुलाक़ातें अपने दिन अपनी रातें ) \-२ कौन हमें फिर रोकेगा जी भर कर करना बातें सायोनारा सायोनारा वादा निभाऊँगी सायोनारा इठलाती और बलखाती कल फिर आऊँगी सायोनारा सायोनारा सायोनारा \-३


rajnish manga 03-09-2013 06:39 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
सायोनारा सायोनारा
वादा निभाऊँगी सायोनारा
इठलाती और बलखाती
कल फिर आऊँगी सायोनारा

रात जब आसमान खुलता है
एक कपड़े का थान खुलता है
(गुलज़ार)

internetpremi 03-09-2013 07:25 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
हाल कैसा है जनाब का
क्या खयाल है आपका
तुम तो मचल गये, हो हो हो
यूँही फ़िसल गये, हा हा हा


rajnish manga 03-09-2013 10:48 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 365559)
हाल कैसा है जनाब का
क्या खयाल है आपका
तुम तो मचल गये, हो हो हो
यूँही फ़िसल गये, हा हा हा


हुस्ने बेपरवाह को खुद आरा हमने कर दिया
क्या किया मैंने कि खुद इजहारे-तमन्ना कर दिया

aspundir 03-09-2013 11:00 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 365873)
हुस्ने बेपरवाह को खुद आरा हमने कर दिया
क्या किया मैंने कि खुद इजहारे-तमन्ना कर दिया

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी


मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चेहरे की झुरिर्यों में सदियों का फेरा
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी


कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना
वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना वो गिर के सम्भलना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी


कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरौंदे बनाना बनाके मिटाना
वो मासूम चहत की तस्वीर अपनी
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी



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