आपकी बेटी, निर्भया
आपकी बेटी, निर्भया
देशवासियों के नाम एक खुला ख़त देश भर ने अन्त तक जो साथ, मेरा है दिया. उसका हूँ आभार करती और, कहती शुक्रिया. मृत्यु से पहले मिला जो दर्द, न कोई सहे, घुट के जिनमें रह गये निर्दोष, मेरे कहकहे, ज़िन्दगी में प्यार के दो-चार जो, सपने बुने, वो भी जल्लादों के हाथों, जान से जाते रहे. मेरा जीवन पददलित होना लिखा था हो गया, क्रोध में औ’ आंसुओं में देश को तो डुबो गया, आपके संघर्ष से इक मौत को इज्ज़त मिली, वरना ऐसी जो खबर आई वही आहत मिली. हाय अंतिम सांस में भी कुछ खटक सी रह गई, एक ख्वाहिश थी जो अपना सर पटकती रह गई, सोच कर जिसको मेरी आँखों में पानी आ गया, वक़्त का यह ज़लज़ला, माता-पिता को ढा गया. मेरी कॉलेज की पढ़ाई में स्वयं जो बिक गये, मैं सोचती थी कुछ करूँगी वास्ते उनके लिये, खुद अभावों में रहे लेकिन दिया हर सुख मुझे, सुख न उनको दे सकी ये सोच देती दुःख मुझे. होनी थी बैठी राह में, कुछ नहीं करने दिया, ना चैन से जीने दिया ना चैन से मरने दिया, मृत्यु मेरी है शहादत न ही मैं हूँ इक शहीद, किन्तु मनायें आप जब क्रिसमस-दिवाली-ईद, भाइयो, बहनों, बुज़ुर्गो भूलना मुझको न तुम. फिर कोई जीवन दोबारा हो अँधेरे में न गुम. भाइयो, बहनों, बुज़ुर्गो भूलना मुझको न तुम. फिर कोई जीवन दोबारा हो अँधेरे में न गुम. आपकी बेटी, निर्भया |
Re: आपकी बेटी, निर्भया
१६ दिसम्बर की वो काली रात कभी भुलाई न जा सकेगी .. जब हजारो अरमानो की डोली एक चिता की राख में बदल गई. एक मासूम कलि को कुचल दिया गया .
प्रिय निर्भयi को हम सब भाव भीनी श्रध्धांजलि समर्पित करते हैं.. |
Re: आपकी बेटी, निर्भया
समय का पहिया किसी के रोके नहीं रुकता. आज फिर चलते चलते हम लोग उसी दुखदायी तारीख पर आ पहुंचे हैं यानि 16 दिसंबर पर. आज से तीन वर्ष पहले अर्थात् 16 दिसंबर 2012 के दिन जो दुखद आपराधिक घटना घटी उसकी गूँज आज तक मंद नहीं हुई है. उस काली रात की वह शैतानी करतूत या जघन्य अपराध, दो निर्दोष युवाओं पर दिल हिला देने वाला अत्याचार, उसके बाद के लगातार हुये विरोध प्रदर्शन व कानून में बदलाव की बात लोग भूल नहीं सकते. लेकिन क्या इन सब के बावजूद भी धरातल की स्थिति में कुछ फ़र्क नज़र आता है या सब कुछ पहले की तरह चला जा रहा है?
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
अत्यंत भावभीनी रचना। रजनीशजी ने पीड़ित के दुख को भलीभांति महसूस करवाया। भगवान न करे की फिर कभी भी एसे अपराध देश में घटे। 'निर्भया' के लिए आक्रोश और आंसु के सिवा और कुछ है तो सिर्फ दुआ है।
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
और अधिक तकलीफदेह बात यह भी है की आज एक आरोपी जो उस वक्त सगीर था, आज जेल से रिहा होनेवाला है।
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
हृदय को आन्दोलित करनेवाली भावभीनी कविता !
रजनीशजी आप घटना पर या घटना घटने वाले पर कविता लिख सकते है क्योंकी आपका हृदय उससे आहत है !!और हम सभी उस पर विचार व्यक्त करते है क्योंकी हृदय हमारा भी उतना ही आहत है । ....पर उससे भी ज्यादा आहत इसलिए है कि इस देश में ऐसे केसों के भी निर्णय में सालों लग जाते है ! ...इसलिए भी आहत है कि इस देश में इतने भुखे नंगे कानुन के नुमाईन्दे है जो ऐसे कुकर्मीयों की पेरवी करते है बजाय बहिष्कार के ! ....इसलिए भी आहत है कि इस देश में घटना के तीन साल बाद भी दुरस्त कानुन बनना अभी भी लम्बीत है ! ऐसा इसलिए है क्योंकी जिसकी फटी ना बिवाई वो क्यां जाने पीर पराई !!...और जुता कहां काटता है वो पहनने वाला ही जानता है कि उसकी तकलीफ क्यां है !! ऐसी घटना देश के उन अगुआओ के साथ घटनी चाहीये जो एक सैकेन्ड में लिए जा सकने वाले कानुन निर्णय को पारित करवाने में सालों लगा देते है ! |
Re: आपकी बेटी, निर्भया
अत्यंत भावभीनी रचना।
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
Quote:
Quote:
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
Quote:
|
Re: आपकी बेटी, निर्भया
बहुत ही भावुक रचना ....वास्तव में भारत की वीर बेटी ज्योति जो मौत से लडती रही और जिसने अन्तिम साँस तक हिम्मत नहीं हारी , उसके जीवन को उल्लेखित करती आपकी यह रचना ह्रदय को छूती है । आज पूरा देश शोक में है क्योंकि उसका गुनहगार सजा से बच चुका है .... इस देश का कानून आज सिर्फ कानून तक सिमट कर रह गया है न्याय करना नहीं सीखा .....
|
All times are GMT +5. The time now is 11:04 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.