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Dark Saint Alaick 17-10-2011 06:40 PM

वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
 
मित्रो ! मेरा यह नया सूत्र संसार में नित्य हो रहे नए शोध और आविष्कारों से आपको निरंतर अवगत कराएगा ! समाचार की दुनिया में लगभग रोज ही ऎसी ख़बरें आती रहती हैं, अतः मेरा प्रयास रहेगा कि यह सूत्र प्रतिदिन अपडेट हो ! आप सभी मित्र भी इस सूत्र में योगदान के लिए स्वतंत्र हैं ! जहां कहीं नए शोध अथवा आविष्कार के विषय में नई जानकारी नज़र आए, आप उसे इस सूत्र में पोस्ट कर सकते हैं ! ... और आखिर में इस सूत्र का शीर्षक यह इसलिए कि ज्यादातर शोध अथवा आविष्कार स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े ही होते हैं ! आइए, शुरू करते हैं यह ज्ञान-यात्रा !

Dark Saint Alaick 21-10-2011 05:06 PM

Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
 
ज्यादातर मर्द मानते हैं कि मर्द औरतों से ज्यादा मजाकिया होते हैं

कैलिफोर्निया। यह कोई मजाक नहीं है, बल्कि सच्चाई है कि मर्द मानते हैं कि वो औरतों से ज्यादा मजाकिया होते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में भी मर्दों को औरतों से ज्यादा मजाकिया पाया गया। इस अध्ययन के अंतर्गत कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने पत्रिका के कार्टूनों के लिए अनुशीर्षक लिखने की परीक्षा ली। ‘न्यूयार्कर’ पत्रिका में छपे 20 कार्टूनों के लिए 16 पुरूषों और 16 महिलाओं से हास्य अनुशीर्षक लिखने के लिए कहा गया था। विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि इसमें पुरूष पाठकों को महिला पाठकों की तुलना में अधिक अंक आए। शोधकर्ताओं ने पाया कि महिला अनुशीर्षक लेखकों की तुलना में पुरूष अनुशीर्षक लेखक अपशब्दों और वयस्क मजाकों का अकसर प्रयोग करते हैं। हालांकि पुरूषों और महिलाओं के बीच अंकों का अंतर बहुत ही कम था। दोनों के बीच केवल 0.11 अंकों का अंतर था। दोनों के अंकों का निर्धारण एक से पांच के अधिकतक स्तर पर किया गया था। मुख्य लेखक लौरा मिक्स ने कहा कि यह अंतर बहुत ही कम था, इसके कारण किसी तरह की धारणा नहीं बन सकती। बाद में इस संबंध में प्रश्न पूछने पर इनमें से लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो इस प्रचलित धारणा का मानते हें कि मर्द औरतों से ज्यादा मजाकिया होते हैं। सहलेखिका प्रोफेसर निकोलस क्रिस्टीनफेल्ड ने कहा कि हमारे शोध से उन मर्दों को निराशा होगी जो मानते है कि वो अपने मजाकों से महिलाओं का प्रभावित कर सकते हैं, असल में वो दूसरे मर्दों को प्रभावित कर सकते हैं जिन्हें लगता है कि पुरूष ज्यादा मजाकिया होते हैं। यह अध्ययन ‘साइकोनॉमिक बुलेटिन एंड रिव्यू’ में प्रकाशित किया गया है।

Dark Saint Alaick 21-10-2011 09:20 PM

Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
 
खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने का उपचारात्मक लक्ष्य चिह्न्ति


वाशिंगटन ! वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने पहली बार खराब ट्राइग्लिसराइड घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रोल स्तर को बढाने के लिए एक अनूठे उपचारात्मक लक्ष्य की शिनाख्त कर ली है। न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक दल ने दिखाया कि रासायनिक रूप से रूपांतरित माइक्रोआर-निरोधी ओलिगोन्यूक्लियोटाइड से माइक्रोआरएनए-33ए और माइक्रोआरएनए-३३ बी दोनों का निरोध खासी हद तक ट्राइग्लिसराइड को दबा सकता है और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रोल के अनवरत इजाफे को अंजाम दे सकता है। लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रोल को अच्छा कोलेस्ट्रोल कहा जाता है। वैज्ञानिकों के दल का नेतृत्व करने वाली कैथरीन मूर ने कहा, ‘‘पिछले दशक में माइक्रोआरएनए की खोज की गई थी, जिसने जीन पाथवे के इन प्रभावी नियामकों पर लक्षित उपचारों के विकास के नए अवसर पर नई दृष्टि दी।’’ कैथरीन ने कहा कि यह अध्ययन अपने आप में पहला है जिसमें दिखाया गया कि माइक्रोआरएनए-33ए और साथ ही माइक्रोआरएनए-33बी का निरोध प्लाज्मा ट्राइग्लिसराइड स्तरों को को दबा सकता है और एचडीएल-सी के परिचालन स्तर को बढा सकता है।

Dark Saint Alaick 22-10-2011 06:05 PM

Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
 
भ्रूण के प्रारंभिक विकास की प्रमुख प्रणाली का पता लगा

न्यूयार्क ! जीव विज्ञानियों ने दावा किया है कि उन्होंने भ्रूण के प्रारंभिक विकास को नियंत्रित करने वाली एक महत्वपूर्ण प्रणाली का पता लगाया है जो मनुष्यों में बांह और पांवों जैसे अंगों के सही स्थान और सही समय पर विकसित होने का निर्धारण करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। न्यूयार्क विश्वविद्यालय और आयोवा विश्वविद्यालय के एक दल ने उन नियामक नेटवर्क पर अपना ध्यान केन्द्रित किया जो भ्रूण की प्रारंभिक विकास प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने हालांकि गौर किया कि इस बात पर कम ही ध्यान दिया गया है कि इस प्रकार के नेटवर्क किस प्रकार एकदम सटीक तौर पर समय के साथ एक दूसरे का समन्वय करते हैं। ‘पीएलओएस जेनेटिक्स’ पत्रिका के अनुसार, जीव विज्ञानियों ने पाया कि जेल्डा नाम का एक प्रोटीन एकदम सटीक तौर पर समन्वय के साथ विकास से जुड़े गुणसूत्रों के समूहों को सक्रिय करता है। दल की नेता और न्यूयार्क विश्वविद्यालय से संबद्ध क्रिस रूश्लोव ने कहा, ‘‘जेल्दा गुणसूत्रों के नेटवर्क को शुरू करने से कहीं आगे का काम करता है। यह उनकी गतिविधियों का समन्वय करता है ताकि भ्रूण के विकास की प्रक्रिया सही समय पर सही क्रम में पूरी हो।’’ आयोवा विश्वविद्यालय के दल के सदस्य जॉन मानक ने कहा, ‘‘हमारे नतीजे प्रारंभिक विकास के दौरान एक काल प्रणाली के महत्व का प्रदर्शन करते हैं।’’

Dark Saint Alaick 22-10-2011 08:28 PM

Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
 
अब बन्धु सिकंदर के लिए एक खुश खबर !!! :cheers:

स्वाद कलिकाएं तय करती हैं, दोस्ती की मिठास

न्यूयार्क ! अगर आपको अच्छे दोस्तों की तलाश है, तो मीठा पसंद करने वाले लोगों से नजदीकियां बढाएं। मिठाइयों के शौकीन लोग न सिर्फ बेहतर दोस्त साबित होते हैं, बल्कि औरों की तुलना में ज्यादा मददगार भी होते हैं। अमेरिका के जर्नल आफ पर्सनैलिटी सोशल साइकोलाजी में प्रकाशित ताजा शोध के मुताबिक जो लोग मिठाइयां और अन्य मीठे व्यंजन पसंद करते हैं. वह अच्छे दोस्त और मददगार साबित होते हैं। हालांकि मुश्किल यह है कि इस तरह के लोग अंतर्मुखी होते हैं लिहाजा उनसे दोस्ती करने के लिये दूसरे लोगों को आगे आना पडता है लेकिन अगर एक बार ये आपसे जुड जाएं तो आपके पुराने दोस्तों की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद साबित होते हैं। पेनिसिलवेनिया स्थित गेट्टीसबर्ग कालेज के मनोविज्ञान के प्रोफेसर ब्रायन मीएर्स कहते हैं ..आप जो कुछ खाना पसंद करते हैं उसका सीधा असर आपके व्यक्तित्व और व्यवहार पर पडता है। यही कारण है कि मीठा पसंद करने वाले लोगों का व्यवहार भी मिठास भरा होता है। वैज्ञानिकों ने 500 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण करके पता लगाया कि मनुष्य की पांच इंद्रियों में से एक जीभ की पसंद का व्यक्ति के स्वभाव पर कितना असर पडता है। गेट्टीसबर्ग कालेज, शिकागो की सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी और नार्थ डाकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 500 से अधिक लोगों के समूह में से कुछ लोगों को चाकलेट का एक टुकडा खिलाकर उनके व्यवहार का अध्ययन किया। कुछ समय बाद जिन लोगों को चाकलेट खिलायी गयी थी उनका व्यवहार चाकलेट नहीं खाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा दोस्ताना नजर आया और उन्होंने जरूरतमंदों की मदद के लिये स्वेच्छा से हाथ बढाया। एक अन्य अध्ययन से पता चला कि मीठा पसंद करने वाले लोग मीठे से दूर रहने वाले लोगों की तुलना में आम तौर पर ज्यादा खुश रहते हैं जिसका असर न सिर्फ उनके व्यवहार पर बल्कि उनकी भाव-भंगिमा पर भी पडता है। मिठाइयों के शौकीन लोग अपने दोस्तों की बात से झट सहमत भी हो जाते हैं। हालांकि अध्ययन में यह नहीं बताया गया है कि तीखा या मसालेदार खाना पसंद करने वाले लोगों का व्यवहार कैसा होता है।

sagar - 22-10-2011 08:42 PM

Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
 
Quote:

Originally Posted by Dark Saint (Post 114745)
अब बन्धु सिकंदर के लिए एक खुश खबर !!! :cheers:

स्वाद कलिकाएं तय करती हैं, दोस्ती की मिठास

न्यूयार्क ! अगर आपको अच्छे दोस्तों की तलाश है, तो मीठा पसंद करने वाले लोगों से नजदीकियां बढाएं। मिठाइयों के शौकीन लोग न सिर्फ बेहतर दोस्त साबित होते हैं, बल्कि औरों की तुलना में ज्यादा मददगार भी होते हैं। अमेरिका के जर्नल आफ पर्सनैलिटी सोशल साइकोलाजी में प्रकाशित ताजा शोध के मुताबिक जो लोग मिठाइयां और अन्य मीठे व्यंजन पसंद करते हैं. वह अच्छे दोस्त और मददगार साबित होते हैं। हालांकि मुश्किल यह है कि इस तरह के लोग अंतर्मुखी होते हैं लिहाजा उनसे दोस्ती करने के लिये दूसरे लोगों को आगे आना पडता है लेकिन अगर एक बार ये आपसे जुड जाएं तो आपके पुराने दोस्तों की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद साबित होते हैं। पेनिसिलवेनिया स्थित गेट्टीसबर्ग कालेज के मनोविज्ञान के प्रोफेसर ब्रायन मीएर्स कहते हैं ..आप जो कुछ खाना पसंद करते हैं उसका सीधा असर आपके व्यक्तित्व और व्यवहार पर पडता है। यही कारण है कि मीठा पसंद करने वाले लोगों का व्यवहार भी मिठास भरा होता है।
वैज्ञानिकों ने 500 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण करके पता लगाया कि मनुष्य की पांच इंद्रियों में से एक जीभ की पसंद का व्यक्ति के स्वभाव पर कितना असर पडता है। गेट्टीसबर्ग कालेज, शिकागो की सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी और नार्थ डाकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 500 से अधिक लोगों के समूह में से कुछ लोगों को चाकलेट का एक टुकडा खिलाकर उनके व्यवहार का अध्ययन किया। कुछ समय बाद जिन लोगों को चाकलेट खिलायी गयी थी उनका व्यवहार चाकलेट नहीं खाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा दोस्ताना नजर आया और उन्होंने जरूरतमंदों की मदद के लिये स्वेच्छा से हाथ बढाया।
एक अन्य अध्ययन से पता चला कि मीठा पसंद करने वाले लोग मीठे से दूर रहने वाले लोगों की तुलना में आम तौर पर ज्यादा खुश रहते हैं जिसका असर न.न सिर्फ उनके व्यवहार पर बल्कि उनकी भाव-भंगिमा पर भी पडता है। मिठाइयों के शौकीन लोग अपने दोस्तों की बात से झट सहमत भी हो जाते हैं। हालांकि अध्ययन में यह नहीं बताया गया है कि तीखा या मसालेदार खाना पसंद करने वाले लोगों का व्यवहार कैसा होता है

लगता हे फिर तो उनका व्यवहार तीखा हो जायेगा .....:giggle::giggle::giggle:

Sikandar_Khan 22-10-2011 08:45 PM

Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
 
सच मे ये एक खास ताजा खबर है और मै भी मीठे खाने का आदी हूँ |

Dark Saint Alaick 22-10-2011 08:57 PM

Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
 
Quote:

Originally Posted by Sikandar (Post 114763)
सच मे ये एक खास ताजा खबर है और मै भी मीठे खाने का आदी हूँ |

इसीलिए तो आपको सादर समर्पित की गई है बन्धु ! :giggle:

Sikandar_Khan 22-10-2011 09:04 PM

Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
 
Quote:

Originally Posted by dark saint (Post 114765)
इसीलिए तो आपको सादर समर्पित की गई है बन्धु ! :giggle:

तहेदिल से आपका शुक्रिया

Dark Saint Alaick 23-10-2011 05:25 PM

Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
 
आई पैड को किताबों से तीन गुना तेजी से पढ पाते हैं बुजुर्ग

लंदन ! कई लोगों के लिए यह आश्चर्य का विषय हो सकता है लेकिन पारंपरिक किताबों की बजाय आई पैड का इस्तेमाल करने पर बुजुर्ग तीन गुना तेजी से पढते हैं। जर्मनी के शोधकर्ताओं ने पाया कि विभिन्न आयुवर्ग के लोग आई पैड को उतनी ही अच्छी तरह पढ सकते हैं जैसे किताबों को...बल्कि बुजुर्गों के लिए आई पैड को पढना किताबों से ज्यादा आसान होता है। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक आई पैड की स्क्रीन को पेज पर जानकारी प्राप्त करने में मददगार पाया गया, यहां तक लंबे समय तक इस्तेमाल के कारण टेबलेट की एलईडी स्क्रीन की पाठकों की आंखों को नुकसान पहुंचाने के मद्देनजर आलोचना की गई है। जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी मेंज के शोधकर्ताओं का कहना है कि किताबें आखों के लिए आरामदायक हैं। शोध जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी मेंज के शोधकर्ताओं द्वारा प्रोफेसर स्टीफन फुसेल के नेतृत्व में किया गया। इसमें भाग लेने वाले लोगों से किंडले, आई पैड और पारंपरिक किताबों से संबंधित सवाल पूछे गए। आंखों की हलचल और इलेक्ट्रो फिजिकल मस्तिष्क गतिविधियों से उनकी पढने की आदतों का मूल्यांकन किया गया।


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