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rajnish manga 25-12-2015 01:40 PM

Double Role In Hindi Movies
 
हिंदी फिल्मों में डबल रोल का चलन
Double Role In Hindi Movies
courtesy: Gagan Sharma

फिल्में खुद अपने आप में एक जादू भरा अजूबा हैं। दादा साहब फाल्के की हिम्मत, साहस, लगन और समर्पण से इस विधा ने हमारे देश में "राजा हरिश्चन्द्र" के रूप में पदार्पण किया। तब से सौ साल हो गये फिल्मों को हमें हंसाते, रुलाते, बहलाते। हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गयीं हो जैसे. इन्हीं की कूवत थी, जिसने थके - हारे - पीड़ित - नकारे, सर्वहारा आम आदमी को एक दूसरी दुनिया में ले जा कर, अपने ग़मों को भुला सपनों के संसार मे जीना सिखाया, भले ही कुछ देर के लिए सही। यह इसी का जादू है कि अंधेरे कमरे में बैठा धनहीन-बलहीन-शोषित दर्शक भी इस के साथ एकाकार हो अपने आप को मुख्य पात्र से जोड खुद को वैसा ही समझने लगता है। पर्दे पर चलती छायाओं से भरी कहानी में दर्शक अपना दर्द, खुशी यहाँ तक कि अपनी जिन्दगी को भी एकाकार कर लेता है। फ़िल्म की कहानी के पात्र के दुःख में आंसू बहाता है और उसकी सफलता पर खुश हो ताली बजाता है। ऐसा नहीं है कि यह बात सिर्फ सिनेमा के हाल तक ही रहती हो कई बार तो पात्र का दुःख-दर्द हफ्तों उस पर तारी रहता है। ऐसी अवस्था से सिर्फ दर्शक ही दो-चार नहीं होते बल्कि बहुतेरी बार अभिनेता को भी अपने निभाए गए चरित्र से निकलने में मशक्कत करनी पड़ जाती है। पृथ्वी राज कपूर, अशोक कुमार, मोती लाल, दिलीप कुमार, मीना कुमारी, सुचित्रा सेन जैसे निष्णात कलाकार इसके अप्रतिम उदाहरण रहे हैं।


rajnish manga 25-12-2015 01:45 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
अब तो खैर हर चीज में बहुत बदलाव आ गया है। इस कला को भी लोग बहुत हद तक समझने-बूझने लग गये हैं पर शुरुआत मे तो जैसे ही 'सिनेमा हाल' के दरवाजे पर लटके काले-भारी पर्दे को हटा दर्शक अंदर जाता था तो उसे लगता था जैसे किसी जादूनगरी में प्रवेश कर गया हो। सामने हंसती-गाती छायाओं को अपने आस-पास महसूस कर रोमांचित हो उठता था। डूब जाता था किरदारों के दुःख-सुख मे। सक्षम अभिनेता बहा ले जाते थे अपने अभिनय के द्वारा उसे किसी और लोक मे। भूल जाता था वह इस दुनिया को।


फिर समय, कहानी की मांग और कुछ नये की चाहत में पर्दे पर एक नये आविष्कार ने जन्म लिया, एक अनोखा माया जाल रचा गया। एक ही नायक या नायिका के दो रूप यानी "डबल रोल" का। इसने तो जैसे हंगामा ही मचा दिया। दर्शक भौंचक्का रह गया। फिल्म देखते हुए उसका ध्यान इसी उधेड़बुन में लगा रहता था कि आखिर ये दृश्य फिल्माया कैसे गया होगा। कैमरा ट्रिक का राज बाद में साफ होता तो चला गया। पर किरदारों का डबल रोल हिट फॉर्मूले के रूप में निर्माताओं द्वारा अपना लिया गया। क्योंकि डबल रोल का मतलब एक ही टिकट में डबल मजा। अपने चहेते नायक को और ज्यादा देर पर्दे पर देखने का मौका। दर्शक इसी लालच से सिनेमाघर तक खिंचने लगे। ये चलन बरसों चला। दशकों पहले के पारंगत तलवारबाज हीरो रंजन से लेकर अभी हालिया रीलीज औरंगजेब तक बीसीयों अभिनेताओं ने परदे पर दो - दो किरदार जीए. देश की हर भाषा में बनने वाली फ़िल्म में ऐसे प्रयोग किए जाते रहे। जिनमे बहुतेरे सफल भी हुए और लोकप्रिय भी। बीच में तीन-तीन किरदारों और एकाध बार नौ किरदारों को लेकर भी फिल्में रची गयीं पर ये प्रयोग उत्कृष्ट अभिनय के बावजूद सफल नहीं हो पाए।

rajnish manga 25-12-2015 01:46 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
मगर यह सब इतना आसान भी नहीं था। हिन्दी फिल्मों में पुरुष और महिला कलाकारों द्वारा इस तरह की ढेरों कोशिशें की गयी हैं। पर दिलीप कुमार, देवानंद, संजीव कुमार, वैजंयती माला, साधना, हेमा मालिनी आदि कुछ चंद कलाकारों के ही रोल याद रखे जा सके।

वैसे डबल रोल की शुरुआत एक मजबूरी के तहत शुरू हुई थी। 1917 की फिल्म लंका दहन में मराठी फिल्मों के अभिनेता हरि सालुंके ने स्त्री पात्र ना मिलने की मजबूरी में और कोई उपाय न होने के कारण राम और सीता की दोहरी भूमिका की थी। पर उसे डबल रोल नहीं कहा जा सकता। 1932 की फिल्म "आवारा शहजादा" में पहली बार अभिनेता साहू मोदक ने राजा और रंक की दोहरी भूमिका की। कालांतर में यह प्रयोग कई कलाकारों के लिए बेहद आकर्षण का विषय बन गया। असल में डबल रोल हमेशा एक जिज्ञासा का विषय रहा है। हर अच्छा अभिनेता, जो कुछ हासिल करना चाहता है, इस चुनौती को कबूल करता है। अमिताभ, सलमान, अक्षय हो या शाहरुख, कोई भी इस सम्मोहन से नहीं बच पाया है। सिर्फ आमिर खान के विज्ञापनों को छोड दें तो उन्होंने अभी तक किसी फिल्म में डबल रोल नहीं किया है।


rajnish manga 25-12-2015 01:49 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
असल मे हीरोइनों से ज्यादा हीरो में यह डबल रोल करने की चाहत ज्यादा होती है। इसलिए ज्यादातर हीरोज ने डबल रोल करने का अपना शौक पूरा किया है। जहां तक हीरोइन का सवाल है, उन्हें इस मामले में ज्यादा मौके नहीं मिल पाए हैं फिर भी नरगिस, शर्मिला टैगोर, राखी, हेमा मालिनी, नीतू सिंह, माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी, काजोल आदि कुछ हीरोइन को यह मौका मिला और उन्होंने इसे भलीभांति निभाया भी। । एकाध अपवाद की बात जाने दें, तो डबल रोल में इनके अभिनय की खूब तारीफ भी हुई। हेमा मालिनी ने सीता और गीता में, वैजंती माला ने मधुमती में, साधना ने वह कौन थी में अपने अभिनय की बुलंदियों को छुआ था। बड़े कलाकारों ने ही नहीं बाल कलाकारों ने भी इस तरह के किरदार को बखूबी निभाया है। दो कलियाँ में बाल कलाकार के रूप में दोहरे अभिनय से नीतू सिंह ने सब का मन मोह लिया था। हास्य कलाकारों में एक ही फ़िल्म में महमूद ने तीन-तीन विभिन्न किरदारों को जीवंत कर डाला था।

शुरू से अब तक लगभग 300 दोहरे किरदार वाली हिन्दी फिल्में बन चुकी हैं। जिनमे सब से ज्यादा नब्बे के दशक में 79 फिल्मों का निर्माण हुआ। एक ही साल में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने का रिकार्ड 1974 का है जिस साल कुल 12 फिल्में इस विधा की बनीं। जबकि सबसे कम ऐसी फिल्में पचास के दशक में बनीं थीं जिनकी गिनती दस थी।


rajnish manga 25-12-2015 01:57 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
दोहरे किरदार में सबसे ज्यादा काम करने का श्रेय अमिताभ बच्चन को जाता है जिन्होंने अब तक ऐसे बाईस किरदार निभाए हैं, जिनमे हिन्दी फिल्मों की संख्या पन्द्रह है। जानकार आश्चर्य होगा की दूसरे नम्बर पर कादर खान हैं, जिन्होंने चौदह ऐसी फिल्में की हैं। अभिनेत्रियों में हेमा मालिनी तथा श्रीदेवी ने दोहरे चरित्र की 6 - 6 फिल्में की हैं। एक ही फ़िल्म में सर्वाधिक किरदार निभाने का कीर्तिमान अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के नाम है, जिन्होंने एक ही फ़िल्म में 12 रोल अदा किए थे। पुरुषों में एक ही फ़िल्म में सर्वाधिक 9 रोल संजीव कुमार ने निभाए हैं। त्रिकाल एक ऐसी फ़िल्म है जिसमें 5-5 लोगों ने ऐसे चरित्र निभाए हैं। दूसरे स्थान पर तुम्हारे लिए नाम की फ़िल्म है जिसमें ऐसे किरदारों की संख्या चार है।


rajnish manga 25-12-2015 02:07 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 

https://idubba.files.wordpress.com/2...pg?w=584&h=143

https://idubba.files.wordpress.com/2.../picture19.jpg

डबल रोल वाली कुछ लोकप्रिय फिल्मों के पोस्टर

rajnish manga 25-12-2015 02:12 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 

पर हर चीज का समय होता है, अब सितारों के डबल या ज्यादा रोल वाली कई फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर कोई करिश्मा नहीं दिखा पाने के कारण इस फॉर्मूले का चलन भी कम हो गया है। कलाकार की प्रस्तुति और अच्छी कहानी होने पर ही किसी कलाकार का डबल रोल यादगार साबित होता है। डबल रोल का अर्थ है दो बिल्कुल विभिन्न किरदार। अच्छे अभिनेता और बिकाऊ हीरो में फर्क होता है। पर विडंबना है कि ज्यादातर डबल रोल समर्थ अभिनेता की बजाए बिकाऊ हीरो को ही मिलते हैं। बड़े हीरो दर्शकों को पसंद आने वाले अपने खुद के गढ़े "मैनरिज्म" यानी अदाओं की कैद में ही रहनाचाहते हैं। इसीलिए उनके द्वारा निभाये गए दोहरे किरदार फ़िल्म में कहीं ना कहीं एक दूसरे में गड्ड-मड्ड हो अपना असर खो देते हैं। अक्सर ऐसी फिल्मों की यह चूक खुलकर सामने आ जाती है।

अभी तक की श्रेष्ठ डबल रोल वाली यादगार कुछ फिल्मों पर नज़र डालें तो ये फिल्में भूले नहीं भुलाई जा सकतीं।

देव आनंद-हम दोनों, दिलीप कुमार-राम और श्याम, संजीव कुमार-अंगूर और नया दिन नई रात, देवेन वर्मा-अंगूर, किशोर कुमार-असित सेन की दो दूनी चार, राजकुमार-कर्मयोगी, महमूद-हमजोली, धर्मेद्र-गजब, अमिताभ-आखिरी रास्ता, अनिल कपूर-कृष्ण कन्हैया, कमल हासन-अप्पू राजा, नरगिस-अनहोनी, हेमा मालिनी-सीता और गीता, काजोल-दुश्मन, शर्मिला टैगोर-मौसम आदि।



kumardev909 29-01-2016 02:57 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
I like Judwa movie of salman khan!

rajnish manga 29-01-2016 03:15 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
Quote:

Originally Posted by kumardev909 (Post 557239)
i like judwa movie of salman khan!

वाह! कुमारदेव जी. मुझे भी वह फिल्म बहुत रोचक लगी.


ashok- 30-01-2016 06:49 PM

Re: Double Role In Hindi Movies
 
बहुत मनोरंजक और ज्ञानवर्धक जानकारी | प्रस्तुतकर्ता को धन्यवाद |


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