Re: छींटे और बौछार
Quote:
आग में सजन को खोजते रहे हैं हम, हमको जलन मिली मगर वो प्यार ना मिला हमने जलाई देह, पाए लाखों घाव 'जय', लेकिन अभी तलक हमें ऐतबार ना मिला कैसा फलसफा है यह, कैसा नज़रिया, क्यों जलते को बुझाते हैं बुझते को जलाते हैं चलते को गिराने को हैं लाखों आस पास, गिरते को उठा दे जो, वो दिलदार ना मिला |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
गिरतो को उठाना ही तो बड़ी बात है और यही बात याद रखनी चाहिए |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
काट सके जो दुश्मन का सर ऐसा कोई तलवार ना मिला छीटेँ तो बहुत दिया दुनिया ने धो सके ऐसा कोई बौछार ना मिला गुरबत मेँ साथ चल सके ऐसा कोई यार ना मिला बढकर कोई गले मिले ऐसा ना कोई दिलदार मिला छीँटे तो मिले बहुत धोने को बौछार ना मिला |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
उठ के चल पड़ो तो, लोग पीछे आयेंगे कोई साथ दे न दे , हिम्मत हमारी साथ है आज नहीं तो कल, तारा-ए-जमीं कहलायेंगे :think::bravo: |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
इन सब से परे , 'माह के प्रयोक्ता सदस्य' नामित होने पर बिलम्बित बधाई / धन्यवाद निशांत बन्धु / |
Re: छींटे और बौछार
Quote:
|
Re: छींटे और बौछार
Quote:
|
Re: छींटे और बौछार
इतना तो बता दीजे, 'जय' कैसी शरारत है हमसे ही मुहब्बत है हमसे ही अदावत है |
Re: छींटे और बौछार
कौन हो तुम ?
राह में रोड़ा बनकर खड़े हो | मन में गहन संताप छिपाए शुष्क संतप्त वीत राग-से रात्रि अन्धकार में भी वर्षों से खड़े हो ! कौन हो तुम ? एक-एक कर कितने ही पथिक आये देखकर अनदेखा कर गए इस वीरान धरा पर निर्जीव-से पड़े हो तुम कौन हो तुम ? मई जून की तपती धरा पर यूँ ही तप रहे हो | कैक्टस भी तो होता है भला जो रहता है हर दम हरा ! खुशबू नहीं तो क्या…….. कंटीला होने पर भी सबको हरता ! कितने ही बादल आये , चले गए कितने ही आंधी तूफ़ान आकर चले गए ! कितने ही राही तुम्हें ठुकराकर चले गए ! फिर अंतर ने महसूस किया—– कितने निष्ठुर हो तुम निरे ठूँठ ही हो…….ठूँठ ही हो……!!!!! |
Re: छींटे और बौछार
मैं धरा हूँ, मैं गगन हूँ
नीर हूँ मैं, मैं अगन हूँ मैं प्रकृति हूँ और सच भी सबका जीवन हूँ, पवन हूँ // मुझको देखो और छुओ भी जीने दो और खुद जियो भी तुम प्रकृति को छेड़ कर के बच न पाओगे, वचन दूं // तप रहा है जगत सारा शुष्क होने लगी धारा जंगलों को काट कर के जो बना मैं वो भवन हूँ // लड़कियों का जन्म दुष्कर बुजुर्गों का मान कमतर निर्धनों से गबन कर के जो कमाया मैं वो धन हूँ // बहुत कुछ पाया है मैंने पर अधिक खोया है मैंने चाह करके मर सका ना ऐसा निष्ठुर 'जय' जीवन हूँ // |
All times are GMT +5. The time now is 02:46 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.