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gulluu 31-10-2010 07:27 PM

स्वास्थ्य सम्बंधित देसी नुस्खे
 
दोस्तों ,यहाँ हम कोशिश करेंगे ऐसे देसी नुस्खों के बारे में जानकारी देने की जो सैकड़ों सालों से भारत में इस्तेमाल किये जाते हैं और कामयाब है .
लेकिन फिर भी सुरक्षा के लिए आप सभी से अनुरोध है की अपने रिस्क पर इनका इस्तेमाल करें और पुराने अनुभवी लोगों या डोक्टोर्स द्वारा इनका योग्यता जांच लें .
धन्यवाद

gulluu 31-10-2010 07:28 PM

फेफड़ों के रोगों से बचाव
ताजा मुनक्को के 15 दानो को पानी से साफ करके रात में 150 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रात:काल तक वे फूल जायेगें । प्रात: बीज निकाल कर उन्हें एक-एक करके खूब चबायें । बचे हुए पानी को भी पीलें । एक माह तक सेवन करने से फेफड़े की कमजोरी खत्म हो जाती है ।

gulluu 31-10-2010 07:28 PM

खाँसी से बचाव
भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने की आदत डाली जाये तो केवल आप खाँसी से बचे रहेगें बल्कि आपकी पाचन शक्ति भी अच्छी बनी रहेगी ।

gulluu 31-10-2010 07:29 PM

मुख के रोगों से बचाव
मुख में कुछ देर सरसों का तेल रखकर कुल्ली करने से जबड़ा बलिष्ट होता है। आवाज ऊँची और गंभीर हो जाती है। चेहरा पुष्ट हो जाता है और छ: रसों में से हर एक को अनुभव करने की शक्ति बढ़ जाती है। इस क्रिया से कण्ठ नहीं सूखता और होंठ नहीं फटते हैं। दांत भी नहीं टूटते क्योंकि दांतो की जड़े मजबूत हो जाती है।

gulluu 31-10-2010 07:29 PM

दांत, जीभ व मुँह के रोग से बचाव
प्रात: कड़वी नीम की दो-चार पत्तियाँ चबाकर उसे थूक देने से दांत-जीभ व मुँह एकदम साफ रहता और निरोगी रहते हैं। कड़वी नीम की पत्तियों में क्लोरोफिल होता है।

विशेष - नीम की दातुन उचित ढंग से करने वाले के दांत मजबूत रहते हैं। दांतों में न तो कीड़े लगते न ही दर्द होता है। मुख-कैंसर और मुख रोगों से बचाव होता है

gulluu 31-10-2010 07:30 PM

दांतों की मजबूती के लिये
यदि मल-मूत्र त्याग के समय रोजाना उपर-नीचे के दांत को भींचकर बैठा जाये तो दांत जीवन नहीं हिलते। इससे दांत मजबूत होते है और जल्दी नहीं गिरते। लकवा मारने का डर भी नहीं रहता।
विशेष - स्त्री,पुरुष बालक सभी को जब भी वे शौच तथा करने जायें ऐसी आदत अवश्य डालनी चाहिये। इससे दांतों का पायरिया,खून या पीप आना, दांतों का हिलना बहुत शीघ्र बन्द हो जाता है। हिलते दांत आश्चर्यजनक रूप से दृढ़ हो जाते हैं

gulluu 31-10-2010 07:31 PM

कान के रोग से बचाव
सप्ताह में एक बार भोजने करने से पहले कान में हल्का सुहाता गर्म सरसों का तेल की दो-चार बूंद डालकर खाना खायें। कान में कभी तकलीफ नहीं होगी। कानों में तेल डालने से अन्दर की मैल उगलकर बाहर आ जाती है। यदि सप्ताह- पन्द्रह दिन एक बार दो-चार बून्द तेल डाला जाए तो बहरेपन का भय नहीं रहता, दांत भी मजबूत होगें ।
विशेष - कोई व्यक्ति यदि प्रतिदिन कानों गुनगुना सरसों का तेल डाल कर कुछ विश्राम करता है तो उसके शरीर में वृध्दावस्था के लक्षण शीघ्र प्रतीत नहीं होते। गर्दन के अकड़ जाने का रोग उत्पन्न नहीं होता और न ही बहरापन होता है। नेत्र की ज्योति बढ़्ती है और आँखें नहीं दुखती।

gulluu 31-10-2010 07:43 PM

नेत्र-विकारों से बचाव
सुबह दांत साफ करके, मुँह में पानी भरकर मुँह फुला लें। इसके बाद आखॉं पर ठ्ण्डे जल के छीटे मारें। प्रातिदिन इस प्रकार दिन तीन बार प्रात: दोपहर तथा सांयकाल ठ्ण्डे जल से मुख भरकर, मुँह फुलाकर ठ्ण्डे जल से ही आखॉं पर हल्के छींटे मारने से नेत्र में तेजी का अहसास होता है और किसी प्रकार नेत्र विकार नहीं होता ।
विशेष - ध्यान रहे कि मुँह का पाने गर्म न होनी पाये। गर्म होने से पानी बदल लें । मुँह से पाने निकालते समय भी पूरे जोर से मुँह फुलाते हुए वेग से पानी छोड़ने से ज्यादा लाभ होता है, आँखों के आस पास झुर्रियाँ नहीं पड़ती

gulluu 31-10-2010 07:55 PM

सिर के रोगों से बचने के लिये
नहाने से पहले पाँच मिनिट तक मस्तष्क के मध्य तालुवे पर किसी श्रेष्ठ तेल (नारियल, सरसों, तिल्ली, ब्राह्मी-आवलाँ,भृंगराज) की मालिश किजिए। इससे स्मरण शक्ति और बुध्दि का विकास होगा और बाल काले चमकीले और मुलायम होगें।
विशेष - रात को सोने से पहले कान के पीछे की नाड़ियाँ, गर्दन के पीछे की नाड़ियाँ और सिर के पिछले भाग पर तेल की नर्मी से मालिश करने से चिंता, तनाव और मानसिक परेशानी के कारण उत्पन्न होने वाला सिर के पिछले भाग और गर्दन में दर्द तथा भारीपन मिटता है ।

gulluu 31-10-2010 09:32 PM

पानी अनेक रोगों की एक दवा-
सायंकाल ताम्बे के एक बर्तन में पानी भरकर रख लें। प्रात: सूर्योदय से पहले उस बासी पानी को पीयें तथा सौ कदम टहल कर शौच जायें। इससे कब्ज दूर होकर शौच खुलकर आयेगी। इससे मलशुध्दि के साथ बवासीर, उदय रोग, यकृत-प्लीहा के रोग, मूत्र और वीर्य सम्बन्धी रोग, सिर दर्द,नेत्रविकार तथा वात पित्त और कफ से होने वाले अनेकानेक रोगों से मुक्त रहता है। बुढ़ापा उसके पास नहीं फटकता और वह शतायु रहता है


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