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arvind 15-01-2011 03:07 PM

चर्चा पर खर्चा।
 
दोस्तो, इस सूत्र पर हम सभी देश विदेश से जुड़े विभिन्न मुद्दो पर अपनी राय देंगे।

arvind 15-01-2011 03:11 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
सबसे पहले मै "कसाब" की तरफ आप सभी लोगो का ध्यान खिचना चाहता हूँ, जो एक आतंकवादी है और हमारे देश को काफी नुकसान पहुचा चुका है। लेकिन उसके ऊपर करोड़ो रुपये खर्च किए जा रहे है, और वो हमे हमारे देश और देश की न्याय व्यवस्था की खिल्ली उड़ा रहा है।

khalid 15-01-2011 03:15 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
ठिक हैँ हिरो भाई आप मुद्दे बताऐँ राय अवश्य देखेँ सभी सदस्य

arvind 15-01-2011 03:20 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
हत्यारे कसाब को फांसी की सज़ा सुना दी गई है। चार मामलों में फांसी दी गई है इस हत्यारे हो। लेकिन फिर भी मैं समझता हूं कि मौत के इस सौदागार के लिए ये सज़ा बहुत नरम है। ये तो आया ही मरने-मारने के इरादे से था। ऐसे में इसे पकड़ कर फांसी देना सही नहीं है। एक तो ये अपने पहले मकसद यानि लोगों को मारने में कामयाब हो गया और दूसरा मरने में कामयाब हो रहा है। इस जैसे घृणित शख्स के लिए कठोर से कठोर सज़ा देनी चाहिए। मानव अधिकारों को ताक पर रखते हुए इतनी कष्टदायक मौत देनी चाहिए कि हर आतंकी को सबक मिले। हां, इसके चीथड़े उड़ा देने चाहिए। नहीं, आज संयम खो देने दीजिए। इसे सरेआम सूली पर चढ़ा देना चाहिए। एक ऐसी मिसाल पेश की जानी चाहिए कि कोई भी हिन्दुस्तान की ओर आंख उठाकर न देख पाए। इतनी भयंकर मौत की एक बार किसी की भी रूह कांप उठे।

मेरे विचार से तो कसाब को एक बाड़े में बंद किया जाए जिसके चारों और दर्शक दीर्घा बनी हो। उस दर्शक दीर्घा में 26/11 हमले के भुक्तभोगी लोग होंगे। और उनके हाथ में पत्थर। ये लोग पत्थर मार-मारकर इसकी जान ले लें। इस घटना का सीधा प्रसारण किया जाए। भले ही आपको बचकानी सोच लगे या फिर आपको इस बात का डर हो कि कहीं ऐसा होने से हमारे विरोधी और युवाओं को उकसाएंगे, लेकिन हमें कठोर कदम उठाने ही होंगे। वरन्, इन लोगों ने तो हमें नपुंसक ही समझ लिया है।

YUVRAJ 15-01-2011 03:44 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
अरविन्द भाई जी ....
सूत्र के लिए शुभकामना ...
कुछ कहना चाहूँगा ...
सबसे पहले जड़ों को ख़त्म करना जरूरी है ताकी ऐसे दानव ही न पैदा हो...

Kumar Anil 15-01-2011 05:48 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
आपके विचारोँ से अक्षरशः सहमत हूँ । आतंकवादियोँ को किसी भी तरह का प्रश्रय नहीँ मिलना चाहिये । इनके लिये तो आदिमयुगीन कानून का निर्माण हो और कठोर कार्यवाही कर उनके निर्ममतापूर्वक दमन से अन्य के लिये एक संदेश प्रसारित होना चाहिये ताकि ऐसी मिसाल से , गतिविधियाँ करने से पूर्व उन्हेँ सौ बार सोचना पड़े ।
करना तो दूर कल्पना मात्र से ही उनकी रुह फना हो जाये ।
अरविन्द जी सूत्र का विषय स्पष्ट नहीँ हो पा रहा है ।

arvind 15-01-2011 05:58 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
Quote:

Originally Posted by kumar anil (Post 40696)
आपके विचारोँ से अक्षरशः सहमत हूँ । आतंकवादियोँ को किसी भी तरह का प्रश्रय नहीँ मिलना चाहिये । इनके लिये तो आदिमयुगीन कानून का निर्माण हो और कठोर कार्यवाही कर उनके निर्ममतापूर्वक दमन से अन्य के लिये एक संदेश प्रसारित होना चाहिये ताकि ऐसी मिसाल से , गतिविधियाँ करने से पूर्व उन्हेँ सौ बार सोचना पड़े ।
करना तो दूर कल्पना मात्र से ही उनकी रुह फना हो जाये ।
अरविन्द जी सूत्र का विषय स्पष्ट नहीँ हो पा रहा है

अनिल भाई, इस सूत्र का नाम मैंने "चर्चा पर खर्चा" रखा है - यानि सभी सदस्यो को उठाए गए मुद्दे पर चर्चा करने ले लिए अपना "दिमाग" खर्चा करना पड़ेगा।

Kumar Anil 15-01-2011 06:23 PM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
Quote:

Originally Posted by arvind (Post 40703)
अनिल भाई, इस सूत्र का नाम मैंने "चर्चा पर खर्चा" रखा है - यानि सभी सदस्यो को उठाए गए मुद्दे पर चर्चा करने ले लिए अपना "दिमाग" खर्चा करना पड़ेगा।

मान गये गुरु , बहुत होशियार हो । बाकी सूत्रोँ को पैदल कर दिया ।

amit_tiwari 18-01-2011 09:49 AM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
Quote:

Originally Posted by arvind (Post 40637)
हत्यारे कसाब को फांसी की सज़ा सुना दी गई है। चार मामलों में फांसी दी गई है इस हत्यारे हो। लेकिन फिर भी मैं समझता हूं कि मौत के इस सौदागार के लिए ये सज़ा बहुत नरम है। ये तो आया ही मरने-मारने के इरादे से था। ऐसे में इसे पकड़ कर फांसी देना सही नहीं है। एक तो ये अपने पहले मकसद यानि लोगों को मारने में कामयाब हो गया और दूसरा मरने में कामयाब हो रहा है। इस जैसे घृणित शख्स के लिए कठोर से कठोर सज़ा देनी चाहिए। मानव अधिकारों को ताक पर रखते हुए इतनी कष्टदायक मौत देनी चाहिए कि हर आतंकी को सबक मिले। हां, इसके चीथड़े उड़ा देने चाहिए। नहीं, आज संयम खो देने दीजिए। इसे सरेआम सूली पर चढ़ा देना चाहिए। एक ऐसी मिसाल पेश की जानी चाहिए कि कोई भी हिन्दुस्तान की ओर आंख उठाकर न देख पाए। इतनी भयंकर मौत की एक बार किसी की भी रूह कांप उठे।

मेरे विचार से तो कसाब को एक बाड़े में बंद किया जाए जिसके चारों और दर्शक दीर्घा बनी हो। उस दर्शक दीर्घा में 26/11 हमले के भुक्तभोगी लोग होंगे। और उनके हाथ में पत्थर। ये लोग पत्थर मार-मारकर इसकी जान ले लें। इस घटना का सीधा प्रसारण किया जाए। भले ही आपको बचकानी सोच लगे या फिर आपको इस बात का डर हो कि कहीं ऐसा होने से हमारे विरोधी और युवाओं को उकसाएंगे, लेकिन हमें कठोर कदम उठाने ही होंगे। वरन्, इन लोगों ने तो हमें नपुंसक ही समझ लिया है।

मेरे विचार से तो यह इस 'वकील व्यवस्था' की नपुंसकता भी लगती है कि जिस व्यक्ति को पूरी दुनिया ने बन्दूक लिए गोली चलाते खुद देखा उसे भी दोषी सिद्ध करने की आवश्यकता लगी | काश इन अंग्रेजों ने एक भी चीज सही सलामत इजाद की होती |

खैर इसे जो भी सज़ा मिले वो कम है किन्तु लाल रंग की लाइनों पर मेरी आपत्ति है | मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि कसाब उसके लायक है या नहीं | वह कठोरतम मृत्यु का अधिकारी है किन्तु मैं निर्दोष लोगों को क्रूर हत्यारा बनाने के पक्ष में भी नहीं हूँ |

ndhebar 18-01-2011 09:56 AM

Re: चर्चा पर खर्चा।
 
Quote:

Originally Posted by amit_tiwari (Post 41369)
मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि कसाब उसके लायक है या नहीं | वह कठोरतम मृत्यु का अधिकारी है किन्तु मैं निर्दोष लोगों को क्रूर हत्यारा बनाने के पक्ष में भी नहीं हूँ |

बहुत खूबसूरत बात कह डाली भाई
आखिर कुछ तो अंतर होना चाहिए इंसान और शैतान में


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