मम्मीऽऽऽ...!
मम्मी अपने बच्चों को सौतेली मम्मी के हवाले करके बच्चों के नाम एक खत लिखकर जा चुकी थी। बच्चों ने पहले तो मम्मी के खत को मज़ाक़ समझा क्योंकि मम्मी इससे पहले भी कई बार रूठकर जाने के बाद वापस आ गई थी। मम्मी ने लिखा था- 'बच्चों, मैंने छोड़कर जाने का निर्णय लिया है, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि कुछ लड़ाइयाँ अकेले ही बेहतर रूप से लड़ी जा सकती हैं। कहीं जाना मत। शीघ्र ही तुम्हारी मम्मी तुम्हारे पास होगी। बस इन्तेज़ार करना।'
और बच्चों के पास सौतेली मम्मी आ गई। बच्चे खुशी-खुशी अपनी नई और स्मार्ट सौतेली मम्मी के साथ खेलने-कूदने में व्यस्त हो गए। बच्चों को मम्मी की कमी का पता तब चला जब बच्चों को भूख लगी और उन्होंने सौतेली मम्मी से दूध पिलाने के लिए कहा। बच्चों की माँग सुनकर सौतेली मम्मी ने बच्चों को दूध पिलाने से इन्कार करते हुए कहा- 'बच्चों को दूध कैसे पिलाया जाता है, यह समझने में अभी कुछ वक्त लगेगा। ज़्यादा गर्म दूध पीकर तुम बच्चों का मुँह जल गया तो क्या होगा? ज़्यादा मीठा दूध पीने से तुम बच्चों की सेहत बिगड़ गई तो क्या होगा?' यह कहकर सौतेली मम्मी इन्टरनेट पर बच्चों को दूध पिलाने का गुर सीखने में व्यस्त हो गई। बच्चे भूख के मारे बिलख-बिलखकर यह कहकर रोने लगे- 'मम्मी-मम्मी, प्यारी मम्मी, अच्छी मम्मी... जल्दी से वापस आ जाओ प्लीज़। तुम्हारे बिना बिल्कुल मन नहीं लग रहा है! आ जाओ प्लीज़।' |
Re: मम्मीऽऽऽ...!
आशा है- उपरोक्त लघुकथा आपको ज़रूर पसन्द आई होगी और बेचारे भूखे बच्चों का रोना देखकर आपकी आँखे नम हो गई होंगी। वस्तुतः इस लघुकथा को हमने अपने विनोद स्वभाव के विपरीत अत्यन्त गम्भीरता के साथ लिखा है और इसमें हास्य-व्यंग्य का समावेश बिल्कुल नहीं किया गया है। ऐसा लिखना हमारी मज़बूरी भी बन गई थी, क्योंकि हमारे ऊपर हमेशा से यह आरोप लगता आया है कि हम गम्भीर प्रकृति की रचना लिख ही नहीं सकते। एक गम्भीर लघुकथा के प्रस्तुतिकरण के साथ ही हमारे ऊपर लगे आरोप का खण्डन स्वतः ही हो गया। कुछ हिन्दी व्याकरणबाज एवं पेंच फँसाने वाले महानुभाव यहाँ पर यह कहकर पेंच फँसा सकते हैं कि 'लघुकथा लघुकथा के पूर्वनिर्धारित मानकों पर शत-प्रतिशत खरी नहीं उतरती', तो हमें इस बात का संज्ञान है और हमारा कहना यह है कि जो रचना मन को पसन्द आ जाए, वही अच्छी है।
हमारी हमेशा से यही कोशिश रही है कि जब-तब मौका मिलने पर अपने पाठकों को लेखन का कुछ गुर सिखाते चलें। अतः यदि आप लेखन का शौक रखते हैं तो अपनी बुद्धि का प्रयोग करके उपरोक्त गम्भीर लघुकथा के आगे अल्प विस्तार करके एक हास्य लघुकथा में परिवर्तित करने का प्रयत्न करें। 'कहीं गलत न हो जाए' सोचकर दूर-दूर रहने से किसी चीज़ को सीखना बिल्कुल नामुमकिन होता है! अतः भयमुक्त होकर इस लेखन कार्य में भाग लें। याद रखें- लिखी गई लघुकथा में आपको किसी प्रकार का कोई परिवर्तन करने की अनुमति नहीं है। आपको दी गई लघुकथा के आगे ही इस प्रकार लिखना है कि गम्भीर लघुकथा हास्य लघुकथा में परिवर्तित हो जाए। आपके प्रयासों को देखने के बाद हम इस लघुकथा को हास्य लघुकथा में परिवर्तित करके दिखाएँगे और आप यह देखकर गहन आश्चर्च के सागर में डूब जाएँगे कि जो कार्य आपको पर्वत समान लग रहा था, वह बड़ी ही आसानी से सम्पन्न हो गया! |
Re: मम्मीऽऽऽ...!
कोई नहीं है लिखने वाला? लगता है सभी डर रहे हैं।
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Re: मम्मीऽऽऽ...!
Lagta hai hamen khud hi likhna padega!
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Re: मम्मीऽऽऽ...!
हमारे पास इतना समय नहीं है कि हम लोगों के जवाब का इससे अधिक इन्तेज़ार कर सकें। हमें झ्से जल्दी से जल्दी पूरा करके आगे दूसरा काम करना है।
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Re: मम्मीऽऽऽ...!
अब पढ़िए आगे और देखिए- मात्र अल्प विस्तार के द्वारा किस प्रकार एक गम्भीर लघुकथा हास्य में परिवर्तित हो गई-
सौतेली मम्मी पहले की तरह इन्टरनेट पर बच्चों को दूध पिलाने का गुर सीखने में लगी रही। बच्चों ने रोते हुए कहा- 'मम्मी, एक बार आ जाओ, प्लीज़। नई मम्मी को दूध पिलाना सिखाकर फिर वापस चली जाना।' मम्मी नहीं आई। सौतेली मम्मी पहले की तरह इन्टरनेट पर बच्चों को दूध पिलाने का गुर सीखने में लगी रही। बच्चों को पता था- मम्मी कहाँ मिलेगी और मम्मी ने बाद में फ़ोन पर कहा भी था- 'बच्चों, अगर तुम लोग यहाँ आ गए तो मैंने निर्णय लिया है- बिना किसी की परवाह किए तुम लोगों के साथ खेलूँगी-कूदूँगी और खुश रहूँगी।' बच्चे अपनी सौतेली मम्मी को लेकर मम्मी से मिलने के लिए चल दिए और रास्ते भर यह कहकर रोते रहे- ' मम्मीऽऽऽ...! तुम्हारी बहुत याद आ रही है। हम नई मम्मी को लेकर आ रहे हैं। मम्मीऽऽऽ...! नई मम्मी को जल्दी से दूध पिलाना सिखा दो। बहुत भूख लगी है। मम्मीऽऽऽ...! हम नई मम्मी के साथ आज रात ग्यारह बजे तक पहुँच रहे हैं। कहीं जाना मत। मम्मीऽऽऽ...!' (समाप्त) |
Re: मम्मीऽऽऽ...!
लेखक महोदय,
मै "गोबर गणेश मंडली" का अध्यक्ष हूँ। आप भी हमारे "गोबर गणेश मंडली" मे शामिल हो जाये और सचिव का पोस्ट खाली है - उसे संभाले। |
Re: मम्मीऽऽऽ...!
यह तो बडी खुशी की बात है। आ जाइए हमारे ऑफिस रूम। बैठकर बातचीत करते हैं।
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Re: मम्मीऽऽऽ...!
Quote:
:hello: आपसे मिलकर मुझे बड़ा दुख: होगा। :cry: |
Re: मम्मीऽऽऽ...!
जब से रजनीकान्त की फिल्म 'शिवाजी: द बॉस' आई है लोग ऑफिस-रूम आने से घबड़ाने लगे हैं। :(
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