सब फ़िल्मी है
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'ग्रैंड मस्ती' देखने पहुंचे वरुण,सिद्धार्थ और श्रद्धा,
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मुंबई में बीते दिन फिल्म 'ग्रैंड मस्ती' की स्पेशल स्क्रीनिंग हुई। यह स्क्रीनिंग केतनव थिएटर में हुई। इस स्क्रीनिंग में फिल्म से जुड़े कोई स्टार्स तो नहीं नजर आए मगर वरुण धवन,सिद्धार्थ मल्होत्रा और श्रद्धा कपूर यहां जरूर पहुंचे। अभी तक स्टूडें ऑफ़ द ईयर से बॉलीवुड में एंट्री करने वाले वरुण और सिद्धार्थ इस फिल्म की हीरोइन आलिया भट्ट के साथ हर जगह नजर आते थे मगर उनकी जगह यहां यह दोनों श्रद्धा के साथ दिखे जिससे कई लोगों को हैरानी भी हुई। इनके अलावा रमेश तौरानी,मोहित सूरी भी इस स्क्रीनिंग पर पहुंचे |
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शाहिद कपूर अभिनीत एवं राजकुमार संतोषी निर्देशित ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ प्रदर्शित होने जा रही है। शाहिद कपूर की ‘मौसम’ और ‘तेरी मेरी कहानी’ की असफलता के बाद वे फिल्म उद्योग से लगभग गायब ही हो गए। इस निर्मम उद्योग में बॉक्स ऑफिस पर असफलता व्यक्ति को अस्पृश्य बना देती है। फिल्म उद्योग में एक अदृश्य परंतु मजबूत सरहद है, जिसके एक पार थोड़े-से सफल लोग खड़े हैं और दूसरी ओर ढेर सारे असफल लोग रेंग रहे हैं। शायद इस तरह की सरहदें सभी उद्योगों और क्षेत्रों में होती हैं। फिल्म उद्योग में असफल व्यक्ति किसी तरह जी लेता है, परंतु राजनीति में तो असफल आदमी का जीवन नर्क समान हो जाता है।बहरहाल, राजकुमार संतोषी के पास भी कोई और नहीं था तथा शाहिद का भी कोई ठौर नहीं था, अब दोनों मिलकर असफलता की सरहद लांघकर उस पार जाना चाहते हैं, जहां दोनों ही कुछ समय रह चुके हैं। संतोषी अत्यंत प्रतिभाशाली हैं और वे ही यह बता सकते हैं कि आज बड़े सितारों के साथ वे फिल्म क्यों नहीं कर पा रहे हैं। |
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रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ के साथ संतोषी ने मनोरंजक फिल्म ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ बनाई थी और ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ भी वे रणबीर कपूर के साथ ही बनाना चाहते थे, परंतु संभव नहीं हुआ। जाने कैसे संतोषी आज उन लोगों के साथ ही काम नहीं कर पा रहे हैं, जिनके साथ पहले सफल फिल्में बना चुके हैं। अजय देवगन, सनी देओल, रणबीर कपूर, सलमान खान और आमिर खान के साथ संतोषी फिल्में बना चुके हैं। इस उद्योग में साथ, संगत और सफलता का रसायन कुछ विचित्र ढंग से काम करता है। यहां प्रतिभा के साथ मिलनसारिता होना आवश्यक है। केवल इतना ही सच नहीं है, क्योंकि इम्तियाज अली कोई बहुत मिलनसार व्यक्ति नहीं हैं, वरन वे निहायत ही खामोश और तन्हाई पसंद करने वाले शख्स हैं, परंतु रणबीर कपूर उनके साथ बिना कहानी सुने भी काम कर सकते हैं। संभव है कि यह मामला परस्पर विश्वास का है और भावनात्मक तादात्म्य का है। आज फिल्म उद्योग में गुजरे जमाने की चमचागिरी का दौर नहीं है। आज सारा कार्यकलाप व्यावहारिक है। जैसे आम जीवन में सभी लोग एक-दूसरे के मित्र नहीं होते, परंतु कुछ लोगों से भावनात्मक तादात्म्य होता है। यह परिभाषा के परे का रिश्ता है। एक दौर में संतोषी और सनी देओल का यही रिश्ता था। |
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