कवि-सम्मेलन में बाहुबली
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Re: कवि-सम्मेलन में बाहुबली
एक बार एक बाहुबली को कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करने का मौका मिला और लोगों ने बाहुबली से एक कविता सुनाने की फरमाइश कर दी। बाहुबली की सारी ज़िन्दगी जूता-लात और मारधाड़ करने में गुज़री थी, फिर भी लोगों की फरमाइश पूरी करने के लिए बाहुबली ने अपनी मोटी अक्ल का घोड़ा दौड़ाकर एक अदद कविता लिखकर लोगों को सुनाना शुरू किया-
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Re: कवि-सम्मेलन में बाहुबली
तू जो इतना उछल रहा है
किस बल पर आखिर इतना उछल रहा है? अभी तू मेरा डण्डा खाएगा धूल चाटकर बिलबिलाएगा मिलेगी तुझे तगड़ी सीख जब माँगेगा रहम की भीख जब मेरे सिर पर खून चढ़ेगा तेरे मुँह से खून बहेगा जूता-लात से होगी तेरी पूजा बचाने नहीं आएगा कोई दूजा तेरी सारी अकड़ घुस जाएगी जब हलक में साँस फँस जाएगी तू जो इतना उछल रहा है किस बल पर आखिर इतना उछल रहा है? |
Re: कवि-सम्मेलन में बाहुबली
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Re: कवि-सम्मेलन में बाहुबली
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