कैसे बदलेंगे हालात ??
कैसे बदलेंगे हालात ??
मित्रो, कुछ दिन पहले दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम देख रहा था जिसका शीर्षक था "नारी शक्ति" कार्यक्रम की एंकरिंग जानी मानी अभिनेत्री दिव्या दत्ता कर रहीं थी. कार्यक्रम में कुछ युवतियां व महिलायें भाग ले रही थीं. वे सभी छेड़छाड़ व मारपीट की शिकार हो चुकी थीं. टीवी के सीरियलों में काम करने वाली एक अभिनेत्री ने जो बताया वह बेहद दुखद और शर्मनाक था. उन्होंने कहा की वह एक बस स्टैंड के पास से गुजरीं तो वहाँ खड़े हुये तीन हट्टे-कट्टे नौजवानों ने उन पर फब्तियां कसी. एक ने कहा, "टैक्सी ... टैक्सी". इस पर अभिनेत्री को गुस्सा आ गया. उन्होंने उस नौजवान के सामने आ कर कहा कि वो क्या बकवास कर रहा है? इस पर उनमे से एक नौजवान ने शालीनता की सारी हदें पार करते हुए अभिनेत्री को तीन-चार थप्पड़ जड़ दिये और वे वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गये. बस स्टॉप पर उस समय बहुत से लोग उपस्थित थे. उनमे से कोई सामने नहीं आया. किसी ने उन गुंडों को रोकने की कोशिश नहीं की. उन लोगों में कुछ पढ़े लिखे नौजवान भी थे. उस अभिनेत्री ने उपस्थित लोगों को खूब बुरा-भला सुनाया और उनको गालियाँ भी दीं. यह सब सुन कर तो एक युवक तो हंसने लग गया जैसे यह कोई मनोरंजक नाटक का हिस्सा हो. उसके बाद उसने अपने घर के सदस्यों से बात की. उन्होंने भी उसे इस घटना पर कोई रिपोर्ट करने या कोई एक्शन लेने से हतोत्साहित किया. इस कार्यक्रम में अन्य युवतियों ने भी कुछ और भी गंभीर घटनाएं सुनाई. प्रोग्राम में कुछ विशेषज्ञों को भी बुलाया गया था. इन्होने ऐसी घटनाओं का कैसे सामना करें इस पर विचार रखे. आत्म-सुरक्षा के विषय में महिलाओं को कारगर उपाय बताये गए. लेकिन कुल मिला कर स्थिति निराशाजनक ही कही जायेगी. यह सब हो रहा है जब कि देश में पुलिस भी है और न्यायपालिका भी. और उनसे ऊपर जनता द्वारा चुनी हुयी सरकार/-रें भी. प्रश्न उठता है कि आख़िर कैसे बदलेंगे हालात ?? |
Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
रजनीश जी, आपने काफी ज्वलंत मुद्दा उठाया है. इस तरह के हालत बदलने में काफी साल लगते हैं. वैसे अब स्थिति बदल रही है. कल ही ndtv पर एक खबर आई उसे देखकर तो मैं भौचक्का रह गया.
http://www.ndtv.com/video/player/new...eowidget_cat_4 महिलाएं अब पहले से ज्यादा सशक्त हो गयी हैं. |
Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
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Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
रजनीश जी आपकी चिन्ता वाजिब है । न्यायपालिका और पुलिस के होते हुए भी छेड-छाड या अन्य अपराधिक घटनाओं में कोई कमी नहीं आयी है । और इसका सबसे बडा कारण है हमारी न्याय व्यवस्था ।
सिर्फ न्यायपालिका के होने भर से ही काम नहीं चलता , न्याय का होना भी बहुत जरूरी है , और न्याय का समय पर हो जाना उससे भी कहीं ज्यादा जरूरी । अधिकतर मामलों में पुलिस की लापरवाही होती है , लेकिन पुलिस भी असहाय है क्योंकि यदि पुलिस गिरफ्तारी कर भी ले तो भी न्यायपालिका में न्याय के लिये इन्तजार करते करते उम्र गुजर जाती है । इसलिये न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करना सबसे जरूरी है । एक मशहूर पत्रिका द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिये बनाये गये एक वीडिओ की पंक्ति है - Vogue Empower - Start with the boys ...... मुझे लगता है ये सही है । जब तक पुरुष स्वयं नहीं सुधरते कोई न्याय व्यवस्था , पुलिस , समाज कुछ नहीं कर सकता । आखिर कोई कब तक इन पर पहरा लगा सकता है ? कितनी निगरानी कर सकता है? हर वक्त , हर जगह तो इन पर निगाह रखना आसान नहीं होगा न? और फिर नैतिकता किसी को सिखाई नहीं जा सकती । हमारा चरित्र क्या होगा ये हमारा अपना निजी निर्णय होता है , जिसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता और ना ही जबरदस्ती सुधरवाया जा सकता है । इसलिये पुरुषों को खुद ही आगे आना चाहिये और खुद के व्यवहार में सुधार करना चाहिये । |
Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
[QUOTE=rajnish manga;552896]कैसे बदलेंगे हालात ??
मित्रो, कुछ दिन पहले दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम देख रहा था जिसका शीर्षक था "नारी शक्ति" कार्यक्रम की एंकरिंग जानी मानी अभिनेत्री दिव्या दत्ता कर रहीं थी. कार्यक्रम में कुछ युवतियां व महिलायें भाग ले रही थीं. वे सभी छेड़छाड़ व मारपीट की शिकार हो चुकी थीं. टीवी के सीरियलों में काम करने वाली एक अभिनेत्री ने जो बताया वह बेहद दुखद और शर्मनाक था. उन्होंने कहा की वह एक बस स्टैंड के पास से गुजरीं तो वहाँ खड़े हुये तीन हट्टे-कट्टे नौजवानों ने उन पर फब्तियां कसी. एक ने कहा, "टैक्सी ... टैक्सी". इस पर अभिनेत्री को गुस्सा आ गया. उन्होंने उस नौजवान के सामने आ कर कहा कि वो क्या बकवास कर रहा है? इस पर उनमे से एक नौजवान ने शालीनता की सारी हदें पार करते हुए अभिनेत्री को तीन-चार थप्पड़ जड़ दिये और वे वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गये. [size=3]बस स्टॉप पर उस समय बहुत से लोग उपस्थित थे. उनमे से कोई सामने नहीं आया. किसी ने उन गुंडों को रोकने की कोशिश नहीं की. उन लोगों में कुछ पढ़े लिखे नौजवान भी थे. उस अभिनेत्री ने उपस्थित लोगों को खूब बुरा-भला सुनाया और उनको गालियाँ भी दीं. यह सब सुन कर तो एक युवक तो हंसने लग गया जैसे यह कोई मनोरंजक नाटक का हिस्सा हो. एईसी घटनाएँ ही हमारे देश की प्रतिष्ठा में बाधक है अब विदेश से लोग भारत आने की सोचते हैं तब इस तरह की घटनाओं की वजह से कई लोग अब हमरे देश में आना पसंद नहीं करते .. नारी सशक्त हुई है पर फिर भी एईसी घटनाओं में बढ़ोतरी ही हो रही है भाई अब न्याय और न्यायपालिका इतने कड़े कानून बनायें और उस पर अमल करे सिर्फ फाइलों में ये बने बनाये कानून न रह जाय इस बात पर खास ध्यान दिया जाना चहिये . कई बार हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की एइसे गलत लोगो के घर में बहन बेटी की क्या इज्जत होगी? क्यूंकि इंसान अपने घर से ही दूसरो को आदर देना , महिलाओं की इज्जत करना सीखता है , पर यदि घर में ही गलत वातावरण को पनाह दे दी जाय तब तो समाज और देश का वातावरण गन्दा होना ही होना है इसलिए जरुरत है तो सबसे पहले घर से अछे संस्कारों की शुरुवात की नारी सम्मान पहले हरेक घर में हो .. बहुत सटीक मुद्दा उठाने के लिए हार्दिक आभार भाई |
Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
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लेकिन यहाँ मैं कहना चाहता हूँ कि पकी उम्र में स्वयं में चारित्रिक बदलाव लाना नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य है. दूसरी बात यह है कि जैसा वीडियो में दिखाया गया है, बच्चों व लड़कों को यह ठोक-ठोक कर याद दिलवाया जाता है कि वह लड़के हैं, पुरूष हैं. इसका निहितार्थ यह होता है कि वे लड़कियों के मुकाबले श्रेष्ठ हैं. इस मनोवृत्ति को बढ़ावा देने में घर के महिला व पुरूष सदस्य तथा नजदीकी रिश्तेदार सभी ज़िम्मेदार होते है. ऐसी स्थिति में पुरूष ख़ुद में कहाँ तक बदलाव ला सकेंगे? |
Re: कैसे बदलेंगे हालात ??
[QUOTE=soni pushpa;552969]
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