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-   -   अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें........... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=9601)

aspundir 23-09-2013 11:11 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by Dr.Shree Vijay (Post 378885)

गुम है किसी के प्यार में, दिल सुबह शाम !....
पर तुम्हे लिख नहीं पाऊं, मैं उसका नाम !...............

मैं ख्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है,
सरे आइना मेरा अक्स है,पसे आइना कोई और है.

मैं किसी के दस्ते तलब में हूँ तो किसी के हर्फे दुआ में हूँ
मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे मांगता कोई और है

अज़ब ऐतबारों पे ऐतबार के दरमियान है ज़िंदगी
मैं करीब हूँ किसी और के मुझे जानता कोई और है

तुझे दुश्मनों की खबर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं
तेरी दास्तां कोई और थी मेरा वाकया कोई और है

वही मुन्सिफों की रिवायतें वही फैसलों की इबारतें
मेरा जुर्म तो कोई और था ये मेरी सजा कोई और है

जो मेरी रियाज़ते नीम शब को सलीम सुबहो न मिल सके
तो फिर इसके माने तो ये हुए की यहाँ खुदा कोई और है.


Dr.Shree Vijay 25-09-2013 12:36 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by aspundir (Post 378893)
मैं ख्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है,

color=#4e27b0]तो फिर इसके माने तो ये हुए की यहाँ खुदा कोई और है.

[/color]







हम तो चले पदेश हम परदेशी हो गए
छुटा अपना देश हम परदेशी हो गए..................




bindujain 25-09-2013 01:36 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जायेगा ...

ला ला ललल्लल्ला

(अनहोनी पग में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए ) \- (२)
ये बिरहा ये दूरी, दो पल की मजबूरी
फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये, तरम्पम,
धारा, तो बहती है, बहके रहती है
बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल
एक दिन ...

(परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी ) \- (२)
ये डोरी ना छूटे, ये बन्धन ना टूटे
भोर होने वाली है अब रैना है थोड़ी, तरम्पम,
सर को झुकाए तू, बैठा क्या है यार
गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से डोल
एक दिन ...

rajnish manga 25-09-2013 07:20 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by bindujain (Post 379638)
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जायेगा ...

ला ला ललल्लल्ला

.......

ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के बाद
बात मतलब की करूँगा होश आ जाने के बाद

aspundir 25-09-2013 10:17 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 379802)
ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के बाद
बात मतलब की करूँगा होश आ जाने के बाद

दो दिल टूटे दो दिल हारे दुनियाँ वालों सदके तुम्हारे

देखेगी मुखड़ा अपना अब से जवानी दिल के दाग़ में
बरसेगा कैसे सावन कैसे पड़ेंगे झूले बाग़ में
बैन करेंगे ख़्वाब कुंवारे
दो दिल टूटे दो दिल हारे

मैं न रहूँगी लेकिन गूँजेंगे आहें मेरे गाँव में
अब न खिलेगी सरसों अब न लगेगी मेहंदी पाँव में
अब न उगेंगे चाँद सितारे
दो दिल टूटे दो दिल हारे

प्यार तुम्हारा देखा
देखा तुम्हारा आँखें मोड़ना
तोड़ के जाना दिल को खेल नहीं है दिल का तोड़ना
तड़पोगे तुम भी साथ हमारे
दो दिल टूटे दो दिल हारे


Dr.Shree Vijay 26-09-2013 07:24 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by aspundir (Post 380030)
दो दिल टूटे दो दिल हारे दुनियाँ वालों सदके तुम्हारे
दो दिल टूटे दो दिल हारे






राही मनवा दुःख कि चिंता क्यों सताती है दुःख तो अपना साथी है,
सुख है एक छाव ढलती आती हैं जाती है दुःख तो अपना साथी है............




aspundir 27-09-2013 11:24 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by Dr.Shree Vijay (Post 380524)

राही मनवा दुःख कि चिंता क्यों सताती है दुःख तो अपना साथी है,
सुख है एक छाव ढलती आती हैं जाती है दुःख तो अपना साथी है............

हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं
कोई तुझ-सा नहीं हज़ारों में
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं

तू है ऐसी कली जो गुलशन में
साथ अपने
बहार लायी हो
तू है ऐसी किरण जो रात ढले
चाँदनी में
नहा के आयी हो
ये तेरा नूर ये तेरे जलवे
जिस तरह चाँ.द हो
सिता.रों में
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं

तेरी आँखों में ऐसी मस्ती है
जैसे छलके
हुए हों पैमाने
तेरे होंठों पे वो खामोशी है
जैसे बिखरे हुए हों अफ़साने
तेरी ज़ुल्फ़ों की ऐसी रंगत है
जैसे काली
घटा बहारों में
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं

तेरी सूरत जो देख ले शायर
अपने शेरों में
ताज़गी भर ले
एक मुसव्विर जो तुझ को पा जाए
अपने ख़्वाबों में
ज़िंदगी भर ले
नग़मागर ढूँढ ले अगर तुझ को
दर्द भर ले
वो दिल के तारों में
हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं
कोई तुझ-सा नहीं हज़ारों में
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं


rajnish manga 28-09-2013 11:55 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by aspundir (Post 381451)
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं
कोई तुझ-सा नहीं हज़ारों में
हुस्न वाले
तेरा जवाब नहीं
......

हरे चरहिं तापहिं बरे फरें पसारहिं हाथ.
तुलसी स्वारथ मीत सब परमारथ रघुनाथ.

aspundir 29-09-2013 06:46 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 381533)
हरे चरहिं तापहिं बरे फरें पसारहिं हाथ.
तुलसी स्वारथ मीत सब परमारथ रघुनाथ.

थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,
पहले ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके ...


rajnish manga 30-09-2013 07:18 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by aspundir (Post 382074)
थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,
पहले ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके ...



किस रुत के मुंतज़िर हैं ये पेड़ रास्तों पर
खुद धूप में खड़े हैं, साया मुसाफिरों पर


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