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-   -   अलवर (राजस्थान) पर्यटन (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=14274)

rajnish manga 03-12-2014 08:54 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
राजस्थान का पर्यटक स्थल, अलवर
विजय मंदिर महल


http://edge.ixigo.com/img/vijay-mand...80x480_fit.jpg

इस मंदिर महल को महाराजा जय सिंह प्रभाकर ने सन 1918 में बनवाया था. इस विषय में कुछ दिलचस्प किंवदंतियाँ भी इस इलाके में प्रसिद्ध हैं.

rajnish manga 03-12-2014 09:00 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
राजस्थान का पर्यटक स्थल, अलवर
अलवर पहुँचना

अलवर जयपुर से 148 किमी. और दिल्ली से 156 किमी. दूर है। जयपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा शाहपूरा और अमेर होते हुए अलवर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 द्वारा धारूहेडा और मानेसर होते हुए अलवर पहुंचा जा सकता है।

पर्यटक रेल, वायुमार्ग और सड़क द्वारा अलवर पहुँच सकते हैं। अलवर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा है। विदेशी पर्यटक नई दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से इस गंतव्य तक पहुँच सकते हैं। अलवर रेलवे स्टेशन दिल्ली और जयपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों स्थानों से टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। पड़ोसी शहरों से अलवर के लिए बस और टैक्सी भी चलती हैं।

अलवर में वर्ष में अधिकांश समय मौसम सूखा होता है। अक्टूबर से मार्च के बीच का समय छुट्टियों में अलवर की यात्रा के लिए उत्तम होता है। उस समय अलवर की सौंदर्य देखने लायक होता है। अलवर में रूकने के लिए सस्ते और मंहगे होटल हैं जहां आप अपनी सुविधा के अनुसार रूक सकते हैं।

rajnish manga 03-12-2014 09:47 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
राजस्थान का पर्यटक स्थल, अलवर
कंपनी बाग़



rajnish manga 03-12-2014 10:11 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
राजस्थान का पर्यटक स्थल, अलवर
अलेवा जलप्रपात /Alewa Waterfall




rajnish manga 03-12-2014 10:24 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
राजस्थान का पर्यटक स्थल, अलवर
भरथरी या भर्तहरी मंदिर


[/QUOTE]

dipu 07-12-2014 01:33 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
nice information

rajnish manga 17-12-2014 02:43 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
अलवर के निकट

भरथरी (भर्तहरी) गुफा तथा समाधि मंदिर
साभार: जाट देवता संदीप पँवार




rajnish manga 17-12-2014 02:51 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
भरथरी (भर्तहरी) गुफा तथा समाधि मंदिर

अलवर एक ऐतिहासिक नगर है. इस नगर में और इसके आसपास बहुत से दर्शनीय स्थल हैं (जिनमें से कई स्थानों का ऊपर सचित्र वर्णन किया जा चुका है). भरथरी (भर्तहरी) मंदिर का यात्रा विवरण तथा राजा भरथरी या भर्तहरी के बारे में हम विशेष विवरण भी पेश करेंगे. भानगढ-सरिस्का-पाण्डुपोल देखने के बाद अब महाराजा वीर विक्रमादित्य के बडे भाई राजा भृतहरि उर्फ़ भरथरी की तपस्या स्थली के दर्शन करने चलते है। विक्रम ने ही विक्रम संवत का शुभारभ कराया था। जहाँ अंग्रेजी नव वर्ष 1 जनवरी को शुरु होता है तो वही विक्रम संवत बोले तो हिन्दू नव वर्ष चैत्र मास के नवरात्र के साथ आरम्भ होता है। मैंने उज्जैन में इन्ही राजा की एक तपस्या स्थली देखी थी। आज अलवर जिले में स्थित इनकी दूसरी तपस्या स्थली की बात हो रही है।

अलवर क्षेत्र में राजा भृतहरि का अन्तिम समय बीता था। उस समय यहाँ घना वन हुआ करता था। जहाँ भरथरी (भृतहरि का दूसरा पुकारे जाने वाला नाम) की समाधि है। उसके सातवे दरवाजे पर एक अखंड दीपक हमेशा जलता रहता है। इस ज्योति को भृतहरि की ज्योति कहा जाता है। अलवर से इस समाधी स्थल की दूरी 32 किमी है। यह जयपुर से अलवर जाने वाले मार्ग पर थोडा सा हटकर बना है। नाथपंथ का नाम बुलन्द करने वाले कनफ़डे नाथ साधुओं के लिये यह स्थल काफ़ी महत्व रखता है। यहाँ भाद्रपद शुक्ल की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शानदार मेला भी लगता है।


rajnish manga 17-12-2014 02:58 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
भरथरी (भर्तहरी) गुफा तथा समाधि मंदिर


rajnish manga 17-12-2014 03:07 PM

Re: अलवर (राजस्थान) पर्यटन
 
भरथरी (भर्तहरी) गुफा तथा समाधि मंदिर

हमारी गाडी जयपुर-अलवर हाईवे पर अलवर की ओर चली जा रही थी। एक जगह सूखी नदी पार कर आगे बढे। अशोक भाई ने कहा कि अब भृतहरि आने वाला है। एक तिराहे जैसी जगह से अलवर वाला मार्ग उल्टे हाथ मुड गया, जबकि भृतहरि वाला मार्ग सीधे हाथ जाता है। सीधे हाथ मुडते ही एक दरवाजा दिखाई दिया। इसे पार कर कोई दो किमी आगे जाना होता है। जल्द ही भृतहरि धाम के नाम से बोर्ड दिखायी देने लगे। आखिरकार भृतहरि धाम आ ही गया। गाडी किनारे खडी कर दी। समाधी मन्दिर सामने दिखायी दे रहा था।

मन्दिर के सामने काफ़ी खुली जगह है। जिसके दोनों ओर दुकाने लगी हुई है। इन दुकानों पर जरुरत का हर सामान मिलता है। बच्चों के खिलौने की काफ़ी दुकाने है। हमें देखते ही दुकाने वाले प्रसाद बेचने के चक्कर में आवाज लगाने लगे। उन्हे क्या पता? हम भक्ति करने नहीं घुमक्कडी करने आये है। अशोक भाई ने कहा था कि यहाँ पर लकडी का चकला व बेलन मिलता है। अशोक भाई के घर से एक बेलन लाने का आदेश मिल चुका था। हमने सलाह दी कि अशोक भाई बिना चलके के बेलन लेकर गये तो तुम्हारी खैर नहीं।





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