होली मनाने का कारण
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन (इस बार 6 मार्च, शुक्रवार) होली (धुरेंडी) का त्योहार मनाया जाता है। इसी समय शिशिर ऋतु समाप्त होती है व वसंत ऋतु प्रारंभ होती है। प्राकृतिक दृष्टि से देखा जाए तो यह वही समय होता है, जब शिशिर ऋतु की ठंडक का अंत होता है और वसंत ऋतु की सुहानी धूप हमें सुकून पहुंचाती है। हमारे ऋषि मुनियों ने अपने ज्ञान और अनुभव से मौसम परिवर्तन से होने वाले बुरे प्रभावों को जाना और ऐसे उपाय बताए जिसमें शरीर को रोगों से बचाया जा सके।
इस समय होता है बीमारी का खतरा आयुर्वेद के अनुसार दो ऋतुओं के संक्रमण काल में मानव शरीर रोग और बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार शिशिर ऋतु में ठंड के प्रभाव से शरीर में कफ की अधिकता हो जाती है और वसंत ऋतु में तापमान बढऩे पर कफ के शरीर से बाहर निकलने की क्रिया में कफ दोष पैदा होता है, जिसके कारण सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ ही गंभीर रोग जैसे खसरा, चेचक आदि होते हैं। इनका बच्चों पर प्रकोप अधिक दिखाई देता है। इसके अलावा वसंत के मौसम का मध्यम तापमान शरीर के साथ मन को भी प्रभावित करता है। यह मन में आलस्य भी पैदा करता है। इन कामों से शरीर में रहती स्फूर्ति स्वास्थ्य की दृष्टि से होली उत्सव के अंतर्गत आग जलाना, अग्नि परिक्रमा, नाचना, गाना, खेलना आदि शामिल किए गए। अग्नि का ताप जहां रोगाणुओं को नष्ट करता है, वहीं खेलकूद की अन्य क्रियाएं शरीर में जड़ता नहीं आने देती और कफ दोष दूर हो जाता है। शरीर की ऊर्जा और स्फूर्ति कायम रहती है। शरीर स्वस्थ रहता है। स्वस्थ शरीर होने पर मन के भाव भी बदलते हैं। मन उमंग से भर जाता है और नई कामनाएं पैदा करता है। इसलिए वसंत ऋतु को मोहक, मादक और काम प्रधान ऋतु माना जाता है। |
Re: होली मनाने का कारण
2 काम, जो होलिका दहन की रात में करना चाहिए
गुरुवार, 5 मार्च की रात में होलिका दहन किया जाएगा और 6 मार्च को होली खेली जाएगी। इस पर्व का धार्मिक महत्व भी है और वैज्ञानिक महत्व भी। धार्मिक महत्व भगवान विष्णु भक्त के प्रहलाद, असुर राज हिरण्यकश्यपु और होलिका से जुड़ा है। जबकि, वैज्ञानिक महत्व मौसम परिवर्तन से जुड़ा है। इस समय सर्दी (शीत ऋतु) खत्म होती है और गर्मी (ग्रीष्म ऋतु) प्रारंभ होती है। मौसम परिवर्तन के समय बीमारियों का प्रभाव काफी बढ़ जाता है, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है, वे बीमार हो सकते हैं। अत: इस समय स्वास्थ्य संबंधी सावधानी रखनी चाहिए। यहां जानिए होली पर किए जाने 2 काम... 1. कुछ देर जलती हुई होली के पास खड़े रहें आयुर्वेद में बताया है कि दो ऋतुओं के संधि काल में बीमारियों का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। होली, सर्दी और गर्मी का संधि काल है, इस समय में कफ, खांसी, श्वास से संबंधित बीमारियां पनप सकती हैं। अत: कुछ देर जलती हुई होली के पास खड़े रहना चाहिए, ताकि होली की गर्मी से हमारे शरीर को भी ऊष्मा प्राप्त हो सके। ध्यान रखें कि जलती हुई होली के एकदम करीब न जाएं, होली से कुछ दूरी पर खड़े रहें। 2. चांद की रोशनी में कुछ देर बैठें गुरुवार, 5 मार्च को फाल्गुनी पूर्णिमा है। पूर्णिमा की रात में चांद की रोशनी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। इसी वजह से पूर्णिमा की रात में कुछ देर चांदनी में बैठना चाहिए। साथ ही, कुछ देर चांद को देखें। पूर्णिमा की रात चांद को देखने से आपकी आंखों को ठंडक तो मिलेगी और मन को शांति मिलेगी महालक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न होली और पूर्णिमा की रात में किए गए पूजन से सभी देवी-देवता जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इस रात महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह उपाय करें। उपाय के अनुसार इस रात देवी लक्ष्मी का पूजन करना है। पूजन के लिए रात के समय स्नान आदि कर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर लक्ष्मी पूजन की तैयारी करें। पूजन में कौड़ी, गोमती चक्र, कमल गट्टे, दक्षिणावर्ती शंख अवश्य रखें। इन चीजों के साथ ही पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन समाप्त होने ये सभी चीजें एक पवित्र कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रख दें। ऐसा करने पर महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके घर पर बनी रहेगी। हनुमानजी के सामने लगाएं दीपक हनुमानजी बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। इनकी कृपा से सभी मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं। साथ ही, धन संबंधी कार्यों में भी सफलता मिल सकती है। शास्त्रों के अनुसार जो भक्त पूर्णिमा की रात में हनुमानजी के समक्ष दीपक जलाता है, उस पर बजरंग बली विशेष कृपा बरसाते हैं। दीपक लगाने के साथ ही हमें हनुमान चालीसा का जप भी करना चाहिए। यदि आप रात के समय किसी हनुमान मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर हनुमानजी के फोटो या मूर्ति के सामने दीपक लगाएं। |
Re: होली मनाने का कारण
Quote:
हिन्दू धर्म से जुड़े हर त्यौहार और विधिविधान में विज्ञानं के दर्शन होते हैं जिस चीजों को हजारो साल पहले ऋषि मुनियों ने कह दिया हैजिसका उल्लेख हमारे भारतीय ग्रंथो में मिलता है . उसे" साबित " आज पश्चिमी देश अनेक प्रयोगों के बाद विज्ञानं के माध्यम से कर रहे हैं जिसे अब हम मानते भी हैं .थैंक्स ... |
All times are GMT +5. The time now is 10:36 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.