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-   -   "यश चोपड़ा" रोमांटिक फिल्मो का जादूगर! (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3432)

bhavna singh 29-09-2011 11:13 AM

"यश चोपड़ा" रोमांटिक फिल्मो का जादूगर!
 
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bhavna singh 29-09-2011 11:21 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
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आज यश चोपड़ा जी के ७९ वें जन्मदिन पर मेरा ये सूत्र उनके लिए एक तोहफा है ........

bhavna singh 29-09-2011 11:22 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल&am
 
बॉलिवुड में एक खास पहचान बनाना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन जब एक बार वह पहचान मिल जाती है तो सफलता कदम चूमने लगती है. जैसे बॉलिवुड में ट्रेजडी का शिरोमणि दिलीप कुमार को माना जाता है तो भारत कुमार के नाम से मशहूर मनोज कुमार ने पर्दे पर देशप्रेम की अलग गाथा लिखी और फिर आज के दौर में पर्दे पर रोमांस को उतारने में यश चोपड़ा का दूसरा कोई सानी नहीं है. यश चोपड़ा को हिन्दी सिनेमा का “किंग ऑफ रोमांस” कहा जाता है. दीवार, कभी कभी, डर, चांदनी, सिलसिला, दिल तो पागल है, वीर जारा जैसी अनेकों बेहतरीन और रोमांटिक फिल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए हैं.

bhavna singh 29-09-2011 11:23 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल&am
 
यश चोपड़ा का जीवन
यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर, 1932 को लाहौर में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. आजादी के बाद वह भारत आ गए. उनके बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा बॉलिवुड के जाने-माने निर्माता निर्देशक थे. बड़े भाई की प्रेरणा पर ही उन्होंने भी फिल्मों में हाथ आजमाया और आज यश चोपड़ा का परिवार बॉलिवुड के प्रतिष्ठित बैनरों में से एक है. उनके बेटे आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा भी फिल्मों से ही जुड़े हुए हैं.

यश चोपड़ा ने अपने भाई के साथ सह निर्देशक के तौर पर काम करना शुरू किया. अपने भाई बी.आर चोपड़ा के बैनर तले उन्होंने लगातार पांच फिल्में निर्देशित कीं. इन फिल्मों में ‘एक ही रास्ता’, ‘साधना’ और ‘नया दौर’ शामिल हैं.

bhavna singh 29-09-2011 11:38 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
यश चोपड़ा का कॅरियर
इसके बाद यश चोपड़ा ने निर्देशक के तौर पर काम करना शुरू किया. उन्होंने 1959 में पहली बार अपने भाई के बैनर तले ही बनी फिल्म ‘धूल का फूल’ का निर्देशन किया. इसके बाद उन्होंने भाई के ही बैनर तले “धर्म पुत्र” को भी निर्देशित किया. दोनों ही फिल्में औसत कामयाब रहीं पर इसमें यश चोपड़ा की मेहनत सबको नजर आई. वर्ष 1965 में आई फिल्म ‘वक्त’ यश चोपड़ा की पहली हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म का गीत “ऐ मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं” दर्शकों को आज भी याद है. फिल्म “इत्तेफाक” उनकी उन चुनिंदा फिल्मों में से है जिसमें उन्होंने कॉमेडी और रोमांस के अलावा थ्रिलर पर भी काम किया था.

bhavna singh 29-09-2011 11:40 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
1973 में उन्होंने फिल्म निर्माण में कदम रखा और इसकी शुरूआत की ‘दाग’ जैसी सुपरहिट फिल्म से. इस फिल्म की सफलता ने उन्हें बॉलिवुड में नया नाम दिया.

bhavna singh 29-09-2011 11:40 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
इसके बाद आई 1975 की फिल्म “दीवार” जिसमें अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया था. इस फिल्म की सफलता ने यश चोपड़ा को कामयाब निर्देशकों की श्रेणी में ला खड़ा किया जहां उनकी फिल्मों में काम करने के लिए अभिनेता उनके घर के चक्कर लगाने लगे. इसके बाद तो यश चोपड़ा ने “सिलसिला”, ‘कभी-कभी’ जैसी फिल्मों में अमिताभ के साथ ही काम किया.

bhavna singh 29-09-2011 11:41 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
हालांकि 80 के दशक की शुरूआत में यश चोपड़ा को असफलता का कड़वा स्वाद भी चखना पड़ा पर 1989 में आई “चांदनी” ने उन्हें दुबारा एक सफल और हिट निर्देशक बना डाला. 1991 में आई “वो लम्हे” भी इसी दौर की एक सुपरहिट फिल्म थी.

bhavna singh 29-09-2011 11:41 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
इसके बाद उन्होंने 1995 में बतौर निर्माता फिल्म “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” में दांव लगाया. शाहरुख और काजोल के अभिनय से सजी यह फिल्म बॉलिवुड की सबसे हिट फिल्म मानी जाती है. इसके बाद 1997 में उन्होंने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ का निर्देशन किया. कुछ सालों तक वह निर्देशन से दूर रहे और फिर लौटे 2004 की सुपरहिट फिल्म “वीर जारा” को लेकर. इस फिल्म का निर्देशन यश चोपड़ा ने किया. फिल्म में प्यार की परिभाषा की ऐसी व्याख्या की गई कि यश चोपड़ा को लोगों ने सही अर्थो में किंग ऑफ रोमांस कहना शुरू कर दिया.

bhavna singh 29-09-2011 11:42 AM

Re: "यश चोपड़ा" रोमांस को पर्दे पर उतारने वाल
 
फिल्म के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए 2001 में वह फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए. 2005 में उन्हें भारत सरकार द्वारा “पद्म भूषण” दिया गया था.


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