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-   -   लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=10942)

soni pushpa 30-11-2014 10:38 AM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
[QUOTE=rajnish manga;

बहुत अच्छी जानकारी ... हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी ...

rajnish manga 05-12-2014 10:17 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 540746)

बहुत अच्छी जानकारी ... हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी ...


इस सूत्र पर उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, पुष्पा सोनी जी.

rajnish manga 26-12-2014 05:30 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
1 Attachment(s)
पंजाबी के महान कथाकार नानक सिंह
(स. नानक सिंह के पौते कथाकार करमवीर सिंह सूरी के आलेख पर आधारित)

बाऊ जी (नानक सिंह जी) ने अपने बहुत से उपन्यास पहाड़ों पर जा कर लिखे थे. यह स्थान होते थे- धरमशाला, डलहौज़ी, मैकलोड गंज, कश्मीर आदि. वह वहां कैसे चले जाते थे, घर परिवार को छोड़ कर हालांकि घर की तंगी-तुर्शियाँ भी उनके सामने थीं. एक फ्रीलांस लेखक, जो बिना किसी नौकरी के हो, कैसे इतना महंगा शौक पाल सकता है? पहाड़ों पर मनो-विनोद कर सके. यह बड़ा महंगा शौक है. अकेला व्यक्ति वहां महीना-महीना कैसे ठहर सकता है? एक दिन मेरे पूछने पर मेरी दादी जी (स. नानक सिंह की पत्नी) ने बताया कि तेरे बाऊ जी पहाड़ों पर घूमने फिरने नहीं जाते थे. उपन्यास लिखने के लिए, काम करने के लिए जाते थे. उपन्यास लिखते ताकि घर का खर्चा चले.

उपन्यास लिखते समय वह स्वयं ही अंगीठी या स्टोव पर चाय बनाते, स्वयं रोटी पकाते, स्वयं कपडे और बरतन धोते थे और उसी रसोई-कम-स्टोर में सो जाया करते थे. यदि कभी रोटी न बनाने का मन किया, तो बाहर किसी ढाबे पर खाना खा लेते थे. चौबीस घंटे अकेले में गुजारना, उपन्यास की कहानी के बारे में ही सोचे जाना या लिख लिख कर कागज़ चारपाई के नीचे फेंकते जाना. यह साधना या तपस्या नहीं तो और क्या था, कहवा पी-पी कर लिखे जाना. यह भी बात उनके सामने होती होगी कि यदि नहीं लिखूंगा तो घर के खर्च कैसे पूरे होंगे? बच्चों की पढाई कैसे पूरी होगी? उनमे दृढ़ता, धीरज, सहिष्णुता, विनम्रता जैसे गुणों की कमी न थी.



Arvind Shah 27-12-2014 02:53 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
बढीया और रोचक जानकरीया!

Deep_ 27-12-2014 06:11 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
रोचक सुत्र है रजनीश जी! कृपया जारी रखें!

DevRaj80 27-12-2014 08:29 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
बहुत अच्छी जानकारी है ...


मेरी और से हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी ...

rajnish manga 27-12-2014 09:47 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
Quote:

Originally Posted by arvind shah (Post 544467)
बढीया और रोचक जानकरीया!

Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 544609)
रोचक सुत्र है रजनीश जी! कृपया जारी रखें!

Quote:

Originally Posted by devraj80 (Post 544636)
बहुत अच्छी जानकारी है ...


मेरी और से हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी ...

सर्वश्री अरविंद शाह जी, दीप जी और देवराज जी का आभारी हूँ कि उन्होंने सूत्र को पसंद किया और मेरा उत्साह बढ़ाया. बहुत बहुत धन्यवाद.

rajnish manga 27-12-2014 10:46 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/i...kgvwujJo9_b2zA
कथाकार स्व. कृशन चंदर की आदतें / Krishan Chander
(उनके छोटे भाई स्व. महेंद्रनाथ के संस्मरण पर आधारित)

कृशन चंदर जी रूपया कमाना जानते थे किंतु उनकी निगाह में रूपया इसलिए कमाया जाता है कि उसे खर्च किया जाये.अगर कोई जरुरतमंद उनके पास आता तो वह ज़रूर उसकी मदद करते. रूपया बचाना वह नहीं जानते थे. उनकी जेब में रूपया टिकता नहीं था. उसे खर्च करना उनका महत्वपूर्ण कार्य था और रूपया कमाना उससे भी बड़ा काम था.

और हाँ, उनके लिखने के के बारे में भी बताना चाहता हूँ. लिखने के लिए वह सबसे बढ़िया कागज़ इस्तेमाल करते थे. जितना ज्यादा कीमती कागज़ खरीद सकते थे खरीद लायेंगे. कलम घटिया होगा. फाउंटेन पैन का वह इस्तेमाल नहीं करते थे. महज़ एक आम तरह का होल्डर काम में लाते थे. बाजार से एक दर्जन निब खरीद कर ले आते थे और उन्हें अदल-बदल कर इस्तेमाल किया करते थे.

वह अफसाना (कहानी) सिर्फ एक बार लिखते थे. दुबारा उसे पढ़ते ही नहीं थे. कभी कभार अपना लिखा हुआ ही उनसे पढ़ा नहीं जाता था. क़ातिब (प्रिंट करने के लिए उर्दू लिखने वाला) अवश्य उसे पढ़ लेता था. उपन्यास 'शिकस्त' उन्होंने कुल 22 दिनों में लिखा था. कभी कभार एक सप्ताह में सात अफ़साने लिख देते थे. ‘अन्नदाता’ (जिस पर फिल्म भी बन चुकी है), ‘मौली’ ‘कालू भंगी’ और ‘भूमिदान’ आदि अफ़साने उन्होंने सिर्फ एक बार लिखे और वह भी सिर्फ एक ही सिटिंग में. वह शायद दुबारा लिखने के कायल नहीं थे. पहले अच्छी तरह सोच लेते फिर लिखते थे.

rajnish manga 02-01-2015 12:01 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
लेखक, कवि, चित्रकार खलील जिब्रान की आदतें


वे अपने विचार जो उच्च कोटि के सुभाषित या कहावत रूप में होतेथे, उन्हें कागज के टुकड़ों, थिएटर के कार्यक्रम के कागजों, सिगरेट कीडिब्बियों के गत्तों तथा फटे हुए लिफाफों पर लिखकर रख देते थे। उनकीसेक्रेटरी श्रीमती बारबरा यंग को उन्हें इकट्ठी कर प्रकाशित करवाने काश्रेय जाता है। उन्हें हर बात या कुछ कहने के पूर्व एक या दो वाक्य सूत्ररूप में सूक्ति कहने की आदत थी।

rajnish manga 15-11-2017 03:39 PM

Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
 
1 Attachment(s)
रांगेय राघव (कथाकार, उपन्यासकार, निबंध लेखक, रिपोर्ताज लेखक आदि)
(मूल नाम तिरूमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य या T N B Acharya था)
जन्म, 17 जनवरी 1923. निधन, 12 सितम्बर 1962
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रांगेय राघव जी ने अपनी छोटी उम्र में ही लगभग 150 पुस्तकों की रचना की

रांगेय राघव जी मात्र 39 वर्ष की आयु में ही दिवंगत हो गए थे. उनके बारे में उनकी पत्नी डॉ. सुलोचना के पत्रों से हमें इस महान लेखक के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कुछ जानकारी मिलती है. चंद बातें इस प्रकार हैं:

रांगेय राघव जी पर समय समय पर विभिन्न विषयों पर लिखने का भूत सवार हो जाता था और एक बार में जम जाते तो अलग अलग विषयों पर कम से कम तीन चार उपन्यास लिख कर ही साँस लेते थे. जब उपन्यास लिखने से ऊब जाते तो कहानियां लिखने लगते. और कहानियों से ऊब जाते तो कविता या चित्रकारी करने लगते. गंभीर से गंभीर विषय की पुस्तकों को इतना चाट डालते की किस पृष्ठ में क्या लिखा है, यह भी उन्हें याद रहता था. गंभीर विषयों से जैसे ही थकान महसूस होती तो बिलकुल हलकी फुलकी कहानियां और उपन्यास पढ़ा करते थे. ....वे कहते थे .... कि जब भी मैं अस्वस्थ होता हूँ तब मैं ‘चंद्रकांता’ या ‘चंद्रकांता संतति’ पढता हूँ. वास्तव में उन्हें जब थोडा सा जुकाम भी हो जाता था तो वो देवकीनन्दन खत्री को याद करते थे.

उनके पास किताबों की एक और श्रेणी भी थी जिसे ‘एल एल’ कहते थे. एल एल यानी- लेट्रीन लिटरेचर. बिना पुस्तक वह शौचालय भी नहीं जाते थे. वहाँ एक छोटी मोटी लायब्रेरी ही मौजूद रहती थी.

स्वार्थ, अलगाव, द्वेष जैसे दुर्गुण उनमे थे ही नहीं. वे अपने लिए बाद में सोचते. सदा दूसरों के लिए ही चिंतित रहते थे.



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