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-   -   " कबीर के दोहे " (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2382)

Hamsafar+ 05-04-2011 04:33 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
चार जातकी मिले भय्या बनी खाटकी धोरीरे ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु फुकदिया जैसी फागकी होरीरे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:33 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
कायकूं माया जोडीरे । नर काय कूं माया जोडीरे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:35 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
जमीन खोदीनें माया उडीरे । तो कहेगा माया थोडी रे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:35 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
तांबा पितलको तो पार न आवे । पण काढीके खोखरी दोणी रे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:37 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
तीन गज कपडो लोक लाजको । उपर डाभकी दोरी रे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:38 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
दो चार बटवा लेई चलेगा । तूं तो चढ बैठे बासकी घोडीरे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:39 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
कहत कबीरा सुन भाई साधु । फुकदिया जैसी होली रे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:39 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
कर गुजरान गरिबोंमें मगरूरी किसपर करतारे ॥
मट्टी चुन चुन मेहल बनायो लोक कहे घर मेरारे ।
ना घर तेरा ना घर मेरा चुरिया रहे बसेलरे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:41 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
ये दुनियामें कोई नहीं आपना । आपना कहेतारे ।
कची मटीका बना तूं पुतला घडी पलकमें ढलतारे ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 04:42 PM

Re: " कबीर के दोहे "
 
ये दुनियामें नाटक चेटक भुला भटकता फिरतारे ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु एक सच्चा एक झूटारे ॥


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