Re: " कबीर के दोहे "
सब आलमका रखनेवाला बिठ्ठल पंढरपुरवाला ।
फकीर उनोके खूप बिराजे सब संतनका हुवा मेला ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
रामनाम बिन कछु नहीं जाने मारूं जमकू टोला ।
मन तुरंगपर स्वार होकर करो उनोपर हल्ला ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
कटार सीका सिंघासन छोडा गोपीचंद मुद्रा माला ।
ब्रह्मा ब्रिंद जमकू न जाने ज्यानो लक्ष्मीवाला ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
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Re: " कबीर के दोहे "
महेल खजाना कछु नहीं चाहत नही घोडा हाती सुत पाला ।
घर घर जागे धरतरी माई तीनों लोकमों उजाला ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
निशान झेंडा दीये डेरे चंदरभागामों हुवा मेला ।
आखाडीं एकादशीसे कबीर भगत हुवा चेला ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
है कुई ऐसा ये दुनयामों जाकर बोले बात ।
देखो बाबा भीमा किनारे उनसे जोरो हात ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
नजरभर देखो नजरभर देखो ।
कछु खरच नहीं मुफत नाम चाखो ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
ओही मुर्शद ओही मौला वोही बना है पीर ।
अब कांहा पकरू निजाम रोजा ओही भरा भरपूर ॥ |
Re: " कबीर के दोहे "
जंगल जाना उसके खातर सोही मीठा मुखमों ।
अल्ला मौला राम रहिम दोनो भरा तनमों ॥ |
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