मोटापे का फ़ायदा
सुबह-सुबह देश की सड़कों और पार्कों में दौड़कर धरतीमाता की छाती को बेदर्दी के साथ धमाधम रौँदने वाले मोटे स्त्री और पुरुषों को देखकर यह समझने की भूल कदापि न कीजिएगा कि सबके सब ओलम्पिक्स और एशियाड में भाग लेकर स्वर्ण पदक झटकने की तैयारी कर रहे हैं। वस्तुतः ये बेचारे मोटापे के मारे वो लोग हैं जो अपना मोटापा कम करने की जुगत में जी-जान से लगे हैं।
प्रायः यह देखा गया है कि मोटे लोग अपने मोटापे के कारण हरदम चिन्तित और व्याकुल रहते हैं और अपना मोटापा कम करने की जुगत में तन-मन-धन से लगे रहते हैं। आज से लगभग एक-डेढ़ दशक पहले लोग अपने मोटापे के प्रति इतना जागरूक नहीं थे। यह देखकर देश में कुछ 'मोटापा घटाओ-बढ़ाओ' डॉक्टर अवतरित हुए और उन्होंने देश के चौराहों पर अपने धूपछाताधारी एजेण्टों का कैम्प लगवाना शुरू किया। ये एजेण्ट बिना कोई फ़ीस लिए किसी की भी लम्बाई और वजन नापतौल कर बी०एम०आई० अर्थात् बॉडी मास इन्डेक्स के आधार पर 'कोई कितना मोटा या दुबला है' बता देते थे। मोटे लोगों को दुबला और दुबले लोगों को मोटा होने के लिए प्रोत्साहन के नाम पर 'ब्रेन वाश' किया जाता, जिसके कारण लोगों की 'जागरूकता' ज़ोरों से बढ़ने लगी और जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ 'मोटापा घटाओ-बढ़ाओ' डॉक्टरों का धंधा भी ज़ोरों से चल निकला। |
Re: मोटापे का फ़ायदा
'मोटापा घटाने-बढ़ाने' के धन्धे में होने वाले 'मोटे फायदे' को देखकर देश भर के गली-कूँचों में 'मोटापा घटाओ-बढ़ाओ' डॉक्टरों के धूपछाताधारी एजेण्ट कुकुरमुत्ते की तरह उग आए और सड़क पर चलते हर कदम पर इनकी नि:शुल्क सेवाएँ उपलब्ध होने लगीं। सड़क पर मोटापे की जाँच करवाने, डॉक्टर से मिलने अथवा बात करने का कोई पैसा नहीं लगता था।
मोटापा घटाने या बढ़ाने का 'इलाज' शुरू करने पर ही पैसा लगना शुरू होता था। सड़क पर निःशुल्क ज्ञान बँटने के कारण चायवाला, खोमचेवाला और रेहड़ीवाला तक अपने मोटापे के प्रति जागरूक हो गया और बी०एम०आई० पर छोटा-मोटा लेक्चर देने और तर्क-वितर्क में भाग लेने में समर्थ हो गया। इन धूपछाताधारी एजेन्टों के जबरदस्त प्रचार और प्रसार के कारण देशभर में मोटापे और दुबलापन के प्रति लोगों में घृणा का जाल फैल गया और लोग हरदम इस चिन्ता में डूब गए कि अपना वजन बी०एम०आई० के मानकों के अनुरूप कम या ज़्यादा कैसे किया जाए? मोटापे से होने वाले नुकसानों को एक-एक करके इतना गिनाया गया कि लोग दहल गए और फ़ायदा हो या न हो, 'मोटापा घटाओ-बढ़ाओ केन्द्रों' पर जाकर अपनी जेब ढ़ीली करके 'मोटापा घटाओ जूस' पीने पर विवश हो गए। यह सब देखकर हमारे दोनों कानों के साथ सिर के बाल भी खड़े हो गए और हमने इस दिशा में शोध करना प्रारम्भ किया कि क्या वाकई मोटापे से सिर्फ़ हानि ही हानि है और फ़ायदा कुछ भी नहीं है? (अभी और है।) |
Re: मोटापे का फ़ायदा
रोचक ! हम भी शिकार बन गए थे।
आगे लिखते रहिए| हम पढ़ रहे हैं| gv |
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