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Teach Guru 08-10-2014 10:28 PM

महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं
बरकरार।।।


महाभारत को पांचवां वेद कहा गया है। यह
भारत की गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन
भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित
है। अपने आदर्श पात्राें के सहारे यह हमारे देश
के जन-जीवन को प्रभावित करता रहा है। इसमें
सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं
तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है।

Teach Guru 08-10-2014 10:28 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-
विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत
का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव,
कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य,
शिखंडी और कृपाचार्य हो। महाभारत सिर्फ
योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है।
महाभारत से जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद में
भी रहस्य छिपे हैं।

Teach Guru 08-10-2014 10:29 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
उस समय मौजूद थे परमाणु अस्त्र



मोहनजोदड़ो में कुछ ऐसे कंकाल मिले थे जिसमें
रेडिएशन का असर था। महाभारत में सौप्तिक
पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के
परिणाम दिए गए हैं। हिंदू इतिहास के
जानकारों के मुताबिक 3 नवंबर 5561 ईसापूर्व
छोड़ा हुआ ब्रह्मास्त्र परमाणु बम ही था?

Teach Guru 08-10-2014 10:30 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
18 का अंक का जादू


कहते हैं कि महाभारत युद्ध में 18
संख्या का बहुत महत्व है। महाभारत
की पुस्तक में 18 अध्याय हैं। कृष्ण ने कुल 18
दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया। गीता में
भी 18 अध्याय हैं।18 दिन तक ही युद्ध चला।
कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18
अक्षोहिणी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और
पांडवों की 7 अक्षोहिणी सेना थी। इस युद्ध के
प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल
18 योद्धा ही जीवित बचे थे। सवाल यह
उठता है कि सब कुछ 18 की संख्या में
ही क्यों होता गया?

Teach Guru 08-10-2014 10:32 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
कौरवों का जन्म एक रहस्य



कौरवों को कौन नहीं जानता। धृतराष्ट्र और
गांधारी के 99 पुत्र और एक पुत्री थीं जिन्हें
कौरव कहा जाता था। कुरु वंश के होने के कारण
ये कौरव कहलाए। सभी कौरवों में दुर्योधन
सबसे बड़ा था। गांधारी जब गर्भवती थी, तब
धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ सहवास
किया था जिसके चलते युयुत्सु नामक पुत्र
का जन्म हुआ। इस तरह कौरव सौ हो गए।
गांधारी ने वेदव्यास से पुत्रवती होने का वरदान
प्राप्त कर लिया। गर्भ धारण के पश्चात
भी दो वर्ष व्यतीत हो गए, किंतु
गांधारी काे कोई भी संतान उत्पन्न नहीं हुई। इस
पर क्रोधवश गांधारी ने अपने पेट पर जोर से
मुक्के का प्रहार किया जिससे उसका गर्भ गिर
गया।
वेदव्यास ने इस घटना को तत्काल ही जान
लिया। वे गांधारी के पास आकर बोले- 'गांधारी!
तूने बहुत गलत किया। मेरा दिया हुआ वर
कभी मिथ्या नहीं जाता। अब तुम शीघ्र
ही सौ कुंड तैयार करवाओ और उनमें घृत (घी)
भरवा दो।'वेदव्यास ने गांधारी के गर्भ से
निकले मांस पिण्ड पर अभिमंत्रित जल
छिड़का जिससे उस पिण्ड के अंगूठे के पोरुए के
बराबर सौ टुकड़े हो गए।
वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गांधारी के बनवाए हुए
सौ कुंडों में रखवा दिया और उन
कुंडों को दो वर्ष पश्चात खोलने का आदेश देकर
अपने आश्रम चले गए। दो वर्ष बाद सबसे पहले
कुंड से दुर्योधन की उत्पत्ति हुई। फिर उन
कुंडों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र एवं
दु:शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ।

Teach Guru 08-10-2014 10:33 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
महान योद्धा बर्बरीक



बर्बरीक महान पांडव भीम के पुत्र घटोत्कच
और नागकन्या अहिलवती के पुत्र थे। कहीं-
कहीं पर मुर दैत्य की पुत्री 'कामकंटकटा' के
उदर से भी इनके जन्म होने की बात कही गई है।
महाभारत का युद्ध जब तय
हो गया तो बर्बरीक ने भी युद्ध में सम्मिलित
होने की इच्छा व्यक्त की और मां को हारे हुए
पक्ष का साथ देने का वचन दिया। बर्बरीक
अपने नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर तीन बाण
और धनुष के साथ कुरुक्षेत्र
की रणभूमि की ओर अग्रसर हुए।
बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके
बल पर वे कौरव और
पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे।
यह जानकर भगवान कृष्ण ने ब्राह्मण के वेश में
उनके सामने उपस्थित होकर उनसे दान में
छलपूर्वक उनका शीश मांग लिया।
बर्बरीक ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वे अंत
तक युद्ध देखना चाहते हैं, तब कृष्ण ने
उनकी यह बात स्वीकार कर ली। फाल्गुन मास
की द्वादशी को उन्होंने अपने शीश का दान
दिया। भगवान ने उस शीश को अमृत से सींचकर
सबसे ऊंची जगह पर रख दिया ताकि वे
महाभारत युद्ध देख सकें। उनका सिर
युद्धभूमि के समीप ही एक पहाड़ी पर रख
दिया गया, जहां से बर्बरीक संपूर्ण युद्ध
का जायजा ले सकते थे।

Teach Guru 08-10-2014 10:33 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
राशियां नहीं थीं ज्योतिष का आधार


महाभारत के दौर में राशियां नहीं हुआ
करती थीं। ज्योतिष 27 नक्षत्रों पर आधारित
था, न कि 12 राशियों पर। नक्षत्रों में पहले
स्थान पर रोहिणी था, न कि अश्विनी। जैसे-
जैसे समय गुजरा, विभिन्न सभ्यताओं ने
ज्योतिष में प्रयोग किए और चंद्रमा और सूर्य
के आधार पर राशियां बनाईं और
लोगों का भविष्य बताना शुरू किया, जबकि वेद
और महाभारत में इस तरह की विद्या का कोई
उल्लेख नहीं मिलता जिससे कि यह पता चले
कि ग्रह नक्षत्र व्यक्ति के जीवन
को प्रभावित करते हैं।

Teach Guru 08-10-2014 10:34 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
विदेशी भी शामिल हुए थे लड़ाई मे


महाभारत के युद्ध में विदेशी भी शामिल हुए थे।
इस आधार पर यह माना जाता है कि महाभारत
प्रथम विश्व युद्ध था।

Teach Guru 08-10-2014 10:35 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
28वें वेदव्यास ने लिखी महाभारत



ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि महाभारत
को वेदव्यास ने लिखा है लेकिन यह अधूरा सच
है। वेदव्यास कोई नाम नहीं, बल्कि एक
उपाधि थी, जो वेदों का ज्ञान रखने
वालाें काे दी जाती थी। कृष्णद्वैपायन से पहले
27 वेदव्यास हो चुके थे, जबकि वे खुद 28वें
वेदव्यास थे। उनका नाम कृष्णद्वैपायन इसलिए
रखा गया, क्योंकि उनका रंग सांवला (कृष्ण)
था और वे एक द्वीप पर जन्मे थे।

Teach Guru 08-10-2014 10:35 PM

Re: महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकर
 
तीन चरणों में लिखी महाभारत




वेदव्यास की महाभारत तीन चरणों में
लिखी गई। पहले चरण में 8,800 श्लोक, दूसरे
चरण में 24 हजार और तीसरे चरण में एक लाख
श्लोक लिखे गए। वेदव्यास की महाभारत के
अलावा भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट,
पुणे की संस्कृत महाभारत सबसे प्रामाणिक
मानी जाती है।
अंग्रेजी में संपूर्ण महाभारत दो बार अनुदित
की गई थी। पहला अनुवाद 1883-1896 के
बीच किसारी मोहन गांगुली ने किया था और
दूसरा मनमंथनाथ दत्त ने 1895 से 1905 के
बीच। 100 साल बाद डॉ. देबरॉय तीसरी बार
संपूर्ण महाभारत का अंग्रेजी में अनुवाद कर रहे
हैं।


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