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Dr. Rakesh Srivastava 25-09-2012 01:03 PM

जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 

जब भी मज़लूम के हाथों में नेवाले होंगे ;
घात में उनकी कई छीनने वाले होंगे .

अपनी बरक़त की तरफ़ कैसे बढ़ेगी ग़ुरबत ;
जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे .

जो पाठशाला में रटा था उसमें लोच बना ;
वर्ना दुनिया में तेरी जान के लाले होंगे .

यूँ ही निकलोगे जो परदेश कमाने के लिए ;
घर जो लौटोगे महज़ हाथ में छाले होंगे .

आग कौमों के दरमियान जो रह - रह सुलगे ;
उसकी बुनियाद में मस्ज़िद ओ शिवाले होंगे .

तख़्त थर्राये , ऐसे राग छेड़ते हैं जो ;
उनकी किस्मत में सदा देश - निकाले होंगे .

आम लहज़े में ही जो आम आदमी की कहे ;
उसके दुनिया में बहुत चाहने वाले होंगे .


रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .

Dark Saint Alaick 25-09-2012 01:45 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
वल्लाह, डॉ. साहब ! अद्भुत सृजन है यह ! आपकी इस सर्वांग सौन्दर्य (काव्यशास्त्रीय) से परिपूर्ण रचना से मैं अभिभूत हूं ! धन्यवाद !

hitler 25-09-2012 06:20 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
आच्छा लिखते हैं आप डॉक्टर जी |

abhisays 25-09-2012 06:46 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
क्या बात है डॉक्टर साहब समां बाँध दिया आपने बहुत बढ़िया :bravo:

Dr. Rakesh Srivastava 26-09-2012 04:22 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
सर्वश्री डार्क सेंट अल्लैक जी , हिटलर जी एवं अभिशेष जी ; पढ़ने , पसंद करने व प्रतिक्रिया देने हेतु आप मित्रों का विशेष आभार व्यक्त करता हूँ . साथ ही उन सभी पाठकों का भी शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने अपने चिन्ह नहीं छोड़े .

anilkriti 26-09-2012 04:49 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
doctor sahab, mera namskar sweekar kariye. Bahot uttam likha hai padh ke achha laga. main bhi koshish karta hoon likhne ki aapke liye kuch line pesh hai aur aapki aalochana ka intezaar rahega...

तुम एक स्वप्न हो
एक ऐसा स्वप्न जो पहले कभी न देखा
स्वप्न में रंग नहीं होता
लेकिन तुम रंगों का सागर हो
ऐसे रंग जो अनुभूत होते हैं
चंचल चमकते पारदर्शी रंग...
http://prakhar-anil.blogspot.in

arvind 26-09-2012 06:33 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
बहुत ही शानदार रचना है।

ndhebar 27-09-2012 07:24 PM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
Quote:

Originally Posted by dr. Rakesh srivastava (Post 164774)


आम लहज़े में ही जो आम आदमी की कहे ;
उसके दुनिया में बहुत चाहने वाले होंगे .


रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .

अंतिम पंक्ति ह्रदय की गहराईयों को छूने वाले हैं

Dr. Rakesh Srivastava 29-09-2012 12:41 AM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
अत्यंत आभार एन.ढेबर जी .

YUVRAJ 29-09-2012 09:47 AM

Re: जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
 
बहुत दिनों के बाद आपकी रचना को पढ़ने का मौका मिला और मिजाज़ तर हो गया।
हर एक पंक्ति बेजोड़ है…:bravo:


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