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-   -   मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक' (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=5737)

deepuji1983 05-01-2013 09:06 PM

मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
इश्क बहूत बेबाक हो गया है अब 'रौनक'
इजहार नही रहा मोहताज अलफाज़ो का...

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:07 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
उनकी आँखों में मोहब्बत का समंदर भी क्या खूब था
छुपा था जो हसीन हाथों मे वो खंजर भी क्या खूब था
कितनी सफाई से कत्ल हुआ वफा की आड़ में 'रौनक'
जिसने भी देखा वो बोला वाह ये मंजर भी क्या खूब था

दीपक खत्री ' रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:09 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
बताओ तो जरा....
क्यों सताते हो इतना
क्यों जलाते हो इतना
क्यों चाहते हो इतना

सुनाओ तो जरा.....
क्या बहाना है इन्कार का
क्या इरादा है इकरार का
क्या फ़साना है इजहार का

...
अब कह भी दो ना....
कि मेरा जिक्र तेरी हर साँस मे है
कि मेरा हर ख्याल तेरे पास मे है
कि जिक्र मेरा तेरे खासम खास मे है

मान भी जाओ ना
तुम जान हो मेरे ख्वाबो की
तुम शान हो शहरे शबाबों की
तुम खान हो मेरे खयालो की

ए अब मान भी जाओ और कह दो ना कि तुम ताउम्र सिर्फ मुझे सुनाओगी और हर बात बताओगी................... दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:10 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
हवाओं का हौसला तो देखो 'रौनक'
वो दम भरती है चट्टानें हिलाने का

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:14 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
आज मेरे अल्फाजों में आग भर रहा है कोई
दुआओं की बर्बादी की दुआ कर रहा है कोई
किसी एक की ओर इशारा तौहीन है जंग की 'रौनक'
वो देख इन बददुआओं से कितना डर रहा है कोई

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:15 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
रात
==

रात
एक शब्द
जिसने छुपाये है
ना जाने
कितने ही अहसास
चाहे वो हो
ख़ुशी के
या फिर
चाहे हो
गमीं के
कभी है
ये
हकदार वाहवाही
की
और कभी
है घिरी
बदनामी
से
क्योंकि
है तो ये
मात्र एक
शब्द
इस शब्द को
जीवंत तो
बनाता है
वो
जो गुजारता है
इसे
इंसानियत से
या के
हैवानियत से
इसी से तो
बनती
है ये
रात
ख़ुशी की
या
गम की
रात

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:16 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
हर दिल में नये अरमान आ रहे है
हर चेहरे पर नयी मुस्कान ला रहे है
आज खुदा से दुआ करना लायकी की 'रौनक'
हम झुकाने आज आसमान जा रहे है

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:17 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
इशारों को कम ना समझना इश्क मे
'रौनक' हुआ है कत्ल इशारों इशारों मे


दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:19 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
रोक लो
=====
रोक लो
कोई इन
अँधेरे की ओर
बढ़ते
कदमो को
इन बुराई
से भरे
इरादों को
इन आँखों
से जाती
हया को
क्योंकि
ये मांग है
वक्त की
ना रोकोगे
अगर
तो फिर
बचेगा
सिर्फ
पश्चाताप
अपराधबोध
ग्लानि
बचालो
खुद को
अहम् को
समाज को
विश्वास को
अपने
अस्तित्व को
क्या सोचने
लगे
बढाओ
जरा एक
कदम
और
अपनी
पूरी जान
लगाकर
रोक लो

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:20 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
क्या यूहीं गुजरेगी अन्धेरों में तमाम उम्र,
क्या पलभर रौशनी का भी मै हकदार नहीं
क्यों अन्जान है तु इतना मुझसे 'रौनक '
क्या तेरी जिस्त में मेरा कोई किरदार नहीं

दीपक खत्री 'रौनक'


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