My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Knowledge Zone (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=32)
-   -   यदुवंशी का इतिहास (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2045)

pankaj bedrdi 20-01-2011 01:03 PM

यदुवंशी का इतिहास
 
यदुवंशियों के पूर्वज भगवान श्री कृष्ण माने जाते हैं। समाज-राजनीति-प्रशासन-साहित्य-संस्कृति इत्यादि तमाम क्षेत्रों में यादव समाज के लोग देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं. इनमें से कई ऐसे नाम और काम हैं जो समाज के सामने नहीं आ पाते. या यूँ कहें कि उन्हें ऐसा कोई मंच नहीं मिलता जिसके माध्यम से वे और उनकी उपलब्धियाँ सामने आयें. यादव समाज पर केन्द्रित कुछेक पत्र-पत्रिकाएं जरुर प्रकाशित हो रही हैं, पर नेटवर्क और संसाधनों के अभाव में उनकी पहुँच काफी सीमित है. तमाम मित्रों और बुद्धिजीवियों का भी आग्रह था कि अंतर्जाल के इस माध्यम का इस दिशा में उपयोग किया जाय, ऐसे में यह प्रयास आपके सामने है. यदुकुल के माध्यम से यह कोशिश होगी कि यादव समाज में और यादव समाज द्वारा किये जा रहे उन तमाम प्रयासों को यहाँ रेखांकित किया जाय और उनसे संबंधित रचनाएँ इत्यादि भी यहाँ प्रस्तुत की जाएँ. इसके अलावा विभिन्न विषयों पर सारगर्भित लेख, पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों की समीक्षा, जानी-अनजानी यादव विभूतियों पर आलेख इत्यादि भी यदुकुल में समाहित किये जायेंगे. आशा है कि यदुकुल को आपका पूरा सहयोग मिलेगा

pankaj bedrdi 20-01-2011 01:04 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
http://1.bp.blogspot.com/_YnRqX5gYkC.../s1600/546.gif

pankaj bedrdi 20-01-2011 01:06 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
http://yadukul.blogspot.com/2010/01/blog-post_06.html
ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्णजन्मखण्ड में शिव के अंहकार को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा चूर किये जाने की कथा विस्तार से दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रत्येक लीला से शिक्षा मिलती है। जरूरत है श्रीकृष्ण के प्रत्येक कार्य पर विचार करने का जो मानव समाज के लिये आॅक्सीजन का काम करता है। मेरे निजि विचार से श्रीकृष्ण के कार्य को समझने की शक्ति आज के परिवेश में भी केवल प्रकाण्ड विद्वान और सकारात्मक सोच रखने वालों में ही होता है।

भगवान श्रीकृष्ण भगवती श्रीराधारानी के पूछे जाने पर बतलाते हैं ब्रह्माण्डों में जिन लोगों को अपनी शक्ति पर अंहकार होता है उस पर में शासन कर अंहकार को ध्वस्त कर देता हूँ। एक समय की बात है वृक नामक दैत्य ने शिव के केदारतीर्थ में एक वर्ष तक दिन-रात कठोर तपस्या कर वर माँगा कि प्रभो मैं जिसके माथे पर हाथ रख दूँ वह जलकर भस्म हो। शिव न वर दे दिया। वृक शिव के ही माथे पर हाथ रखने को भागा। मृत्युंजय नाम से चर्चित शिव भी मृत्यु के डर से भागने लगे। शिव के हाथ से डमरू गिर पडा़। शिव ने जो ण्याघ्रचर्म पहना हुआ था वह भी गिर गया। शिव को लगने लगा मृत्यु निश्चित है। भागत-भागते शिव के कण्ठ, ओठ और तालु भी सुख गये। शिव भय से हे कृष्ण रक्षा करो, रक्षा करो बोलते भाग रहे थे। शिव मेरे ही शरण में आये। तभी दैत्य भी पहुँचा मैंने उस दैत्य से कहा वृक ये जो तुम्हें वरदान शिव ने दिया है इसको परख तो लो। अपने ही सिर पर हाथ रखकर परख लो। वृक ने ऐसा ही किया और शिव की रक्षा हो गयी।

शिव इस घटना के बाद बहुत ही लज्जित हो गयें शिव का अंहकार बुरी तरह चूर-चूर हो गया। मैंने शिव को समझाया। एक बार फिर शिव अंहकार से भरे हुए भयानक असुर त्रिपुर का वध करने के लिए गये। शिव मन ही मन यह समझ रहे थे कि वे संहारक है।

शिव युद्व भूमि में चले तो गये पर मेरे ही द्वारा दिये गये त्रिशुल और कृष्ण-कवच साथ नहीं ले गये। भयानक युद्व हुआ और दैत्यराज ने शिव को उठाकर जमीन पर दे मारा। भय के कारण शिव ने एक बार फिर हे कृष्ण मेरी रक्षा करो पुकारने लगे तब मैंने शिव की रक्षा कर उन्हें त्रिशुल और कृष्ण-कवच दिया जिससे दैत्य का वध हो सका। इसके बाद शिव लज्जापूर्वक मेरी स्तुती किया। इस घटना के बाद शिव भी अंहकार का परित्याग कर दिया।

इस प्रकार शिव का अंहकार समाप्त हुआ। अंहकार और लापरवाही से ही शिव को भी मृत्यु सामने नजर आने लगा। शिव ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा और उनकी रक्षा हो गई। इस कहानी से हमें भी सीख लेनी चाहिए कि हम अंहकार का परित्याग करें। शिव यह भी बतला रहे हैं किनके शरण में जाकर हम पूर्णतः सुरक्षित है। अतः श्रीकृष्ण के ही शरण में रहिये।

pankaj bedrdi 20-01-2011 01:06 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
http://yadukul.blogspot.com/2010/01/blog-post_06.html
ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्णजन्मखण्ड में शिव के अंहकार को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा चूर किये जाने की कथा विस्तार से दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रत्येक लीला से शिक्षा मिलती है। जरूरत है श्रीकृष्ण के प्रत्येक कार्य पर विचार करने का जो मानव समाज के लिये आॅक्सीजन का काम करता है। मेरे निजि विचार से श्रीकृष्ण के कार्य को समझने की शक्ति आज के परिवेश में भी केवल प्रकाण्ड विद्वान और सकारात्मक सोच रखने वालों में ही होता है।

भगवान श्रीकृष्ण भगवती श्रीराधारानी के पूछे जाने पर बतलाते हैं ब्रह्माण्डों में जिन लोगों को अपनी शक्ति पर अंहकार होता है उस पर में शासन कर अंहकार को ध्वस्त कर देता हूँ। एक समय की बात है वृक नामक दैत्य ने शिव के केदारतीर्थ में एक वर्ष तक दिन-रात कठोर तपस्या कर वर माँगा कि प्रभो मैं जिसके माथे पर हाथ रख दूँ वह जलकर भस्म हो। शिव न वर दे दिया। वृक शिव के ही माथे पर हाथ रखने को भागा। मृत्युंजय नाम से चर्चित शिव भी मृत्यु के डर से भागने लगे। शिव के हाथ से डमरू गिर पडा़। शिव ने जो ण्याघ्रचर्म पहना हुआ था वह भी गिर गया। शिव को लगने लगा मृत्यु निश्चित है। भागत-भागते शिव के कण्ठ, ओठ और तालु भी सुख गये। शिव भय से हे कृष्ण रक्षा करो, रक्षा करो बोलते भाग रहे थे। शिव मेरे ही शरण में आये। तभी दैत्य भी पहुँचा मैंने उस दैत्य से कहा वृक ये जो तुम्हें वरदान शिव ने दिया है इसको परख तो लो। अपने ही सिर पर हाथ रखकर परख लो। वृक ने ऐसा ही किया और शिव की रक्षा हो गयी।

शिव इस घटना के बाद बहुत ही लज्जित हो गयें शिव का अंहकार बुरी तरह चूर-चूर हो गया। मैंने शिव को समझाया। एक बार फिर शिव अंहकार से भरे हुए भयानक असुर त्रिपुर का वध करने के लिए गये। शिव मन ही मन यह समझ रहे थे कि वे संहारक है।

शिव युद्व भूमि में चले तो गये पर मेरे ही द्वारा दिये गये त्रिशुल और कृष्ण-कवच साथ नहीं ले गये। भयानक युद्व हुआ और दैत्यराज ने शिव को उठाकर जमीन पर दे मारा। भय के कारण शिव ने एक बार फिर हे कृष्ण मेरी रक्षा करो पुकारने लगे तब मैंने शिव की रक्षा कर उन्हें त्रिशुल और कृष्ण-कवच दिया जिससे दैत्य का वध हो सका। इसके बाद शिव लज्जापूर्वक मेरी स्तुती किया। इस घटना के बाद शिव भी अंहकार का परित्याग कर दिया।

इस प्रकार शिव का अंहकार समाप्त हुआ। अंहकार और लापरवाही से ही शिव को भी मृत्यु सामने नजर आने लगा। शिव ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा और उनकी रक्षा हो गई। इस कहानी से हमें भी सीख लेनी चाहिए कि हम अंहकार का परित्याग करें। शिव यह भी बतला रहे हैं किनके शरण में जाकर हम पूर्णतः सुरक्षित है। अतः श्रीकृष्ण के ही शरण में रहिये।

pankaj bedrdi 20-01-2011 09:20 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
स्पोर्ट्स-एडवेंचर में नाम कमाते यदुवंशी
खेल एवं एडवेंचर की दुनिया में भी यदुवंश के तमाम खिलाड़ी अपना डंका बजा रहे हैं। क्रिकेट के क्षेत्र में एन० शिवलाल यादव, हेमू लाल यादव, विजय यादव, ज्योति यादव, जे0पी0 यादव और उमेश यादव ने देश को गौरवान्वित किया तो आज हरियाणा की अण्डर-19 किक्रेट टीम के कोच विजय यादव, उ0प्र0 की अण्डर-16 किक्रेट टीम के कोच विकास यादव जैसे तमाम नए नाम उभर रहे हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष एन० शिव लाल यादव, दक्षिण ज़ोन का प्रतिनिधित्व करते हैं और सीनियर टूर्नामेंट कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। दक्षिण ज़ोन की महिला समिति में विद्या यादव भी शामिल हंै ज़ो कि आई०सी०सी० महिला टी-20 विश्व कप क्रिकेट की टीम मैनेजर भी रहीं। भारत की टेस्ट और वन डे टीम में खेल चुके विजय यादव 1996 से क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। उन्हें बीसीसीआई की तरफ से विकेट कीपिंग एकेडमी का कोच भी नियुक्त किया गया है। आई0पी0एल0 के विभिन्न सत्रों में भी विभिन्न यादव क्रिकेट हेतु चयनित हुए। लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव का चयन अण्डर-19 किक्रेट टीम हेतु किया गया एवं आई0पी0एल0-20 कप के प्रथम सत्र में डेयर डेविल्स (दिल्ली) टीम में चयनित किया गया, दुर्भाग्यवश उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। इसी प्रकार पूर्व टेस्ट खिलाड़ी एन० शिव लाल यादव के पुत्र एवं हैदराबाद रणजी कप्तान अर्जुन यादव का चयन डेक्कन चार्जस (हैदराबाद) में किया गया। आई0पी0एल0 के तीसरे सत्र में केदार जाधव व उमेश यादव (दिल्ली डेयरडेविल्स) एवं अर्जुन यादव (हैदराबाद डेक्कन चार्जर्स) का चयन किया गया। आई0पी0एल0 मैचों के दौरान ही नागपुर (महाराष्ट्र) के नजदीक खापरखेड़ा की कोयला खदान के मजदूर के बेटे उमेश यादव (दिल्ली डेयरडेविल्स) एक शानदार गेंदबाज के रूप में उभरे एवं उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में भी खेलने का मौका मिला। उत्तर प्रदेश रणजी क्रिकेट टीम में आशीष यादव नया चेहरा है। बॉलीवुड के जाने माने-हास्य कलाकार राजपाल यादव टी-10 गली क्रिकेट सीजन-2 के लिए कानपुर गली क्रिकेट टीम के मालिक बन गए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश क्रिकेट की अण्डर-19 महिला टीम में आगरा की पूनम यादव को कप्तानी सौंपी गई है। नेशनल क्रिकेट अकादमी बंगलौर में इंडिया क्रिकेट टीम के फिजिकल ट्रेनर के रूप में किशन सिंह यादव बखूबी दायित्वों का निर्वाह करते रहे हैं।

pankaj bedrdi 20-01-2011 09:21 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
स्पोर्ट्स-एडवेंचर में नाम कमाते यदुवंशी
खेल एवं एडवेंचर की दुनिया में भी यदुवंश के तमाम खिलाड़ी अपना डंका बजा रहे हैं। क्रिकेट के क्षेत्र में एन० शिवलाल यादव, हेमू लाल यादव, विजय यादव, ज्योति यादव, जे0पी0 यादव और उमेश यादव ने देश को गौरवान्वित किया तो आज हरियाणा की अण्डर-19 किक्रेट टीम के कोच विजय यादव, उ0प्र0 की अण्डर-16 किक्रेट टीम के कोच विकास यादव जैसे तमाम नए नाम उभर रहे हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष एन० शिव लाल यादव, दक्षिण ज़ोन का प्रतिनिधित्व करते हैं और सीनियर टूर्नामेंट कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। दक्षिण ज़ोन की महिला समिति में विद्या यादव भी शामिल हंै ज़ो कि आई०सी०सी० महिला टी-20 विश्व कप क्रिकेट की टीम मैनेजर भी रहीं। भारत की टेस्ट और वन डे टीम में खेल चुके विजय यादव 1996 से क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। उन्हें बीसीसीआई की तरफ से विकेट कीपिंग एकेडमी का कोच भी नियुक्त किया गया है। आई0पी0एल0 के विभिन्न सत्रों में भी विभिन्न यादव क्रिकेट हेतु चयनित हुए। लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव का चयन अण्डर-19 किक्रेट टीम हेतु किया गया एवं आई0पी0एल0-20 कप के प्रथम सत्र में डेयर डेविल्स (दिल्ली) टीम में चयनित किया गया, दुर्भाग्यवश उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। इसी प्रकार पूर्व टेस्ट खिलाड़ी एन० शिव लाल यादव के पुत्र एवं हैदराबाद रणजी कप्तान अर्जुन यादव का चयन डेक्कन चार्जस (हैदराबाद) में किया गया। आई0पी0एल0 के तीसरे सत्र में केदार जाधव व उमेश यादव (दिल्ली डेयरडेविल्स) एवं अर्जुन यादव (हैदराबाद डेक्कन चार्जर्स) का चयन किया गया। आई0पी0एल0 मैचों के दौरान ही नागपुर (महाराष्ट्र) के नजदीक खापरखेड़ा की कोयला खदान के मजदूर के बेटे उमेश यादव (दिल्ली डेयरडेविल्स) एक शानदार गेंदबाज के रूप में उभरे एवं उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में भी खेलने का मौका मिला। उत्तर प्रदेश रणजी क्रिकेट टीम में आशीष यादव नया चेहरा है। बॉलीवुड के जाने माने-हास्य कलाकार राजपाल यादव टी-10 गली क्रिकेट सीजन-2 के लिए कानपुर गली क्रिकेट टीम के मालिक बन गए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश क्रिकेट की अण्डर-19 महिला टीम में आगरा की पूनम यादव को कप्तानी सौंपी गई है। नेशनल क्रिकेट अकादमी बंगलौर में इंडिया क्रिकेट टीम के फिजिकल ट्रेनर के रूप में किशन सिंह यादव बखूबी दायित्वों का निर्वाह करते रहे हैं।

pankaj bedrdi 20-01-2011 09:34 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
भारत के प्रथम व्यक्तिगत ओलंपिक मेडलिस्ट खाशबा दादा साहब जाधव एवं बीजिंग ओलंपिक (2008) में कुश्ती में कांस्य पदक विजेता सुशील कुमार यदुकुल की ही परम्परा के वारिस हैं। वर्ष 2010 में कुश्ती का विश्व चैंपियन खिताब अपने नाम करके सुशील कुमार ऐसा करने वाले प्रथम भारतीय पहलवान बन गए। वर्ष 2009 मंे सुशील कुमार को देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांँधी खेल रत्न से नवाजा गया तो गिरधारी लाल यादव (पाल नौकायन) को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी परंपरा में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में जहाँ सुशील कुमार ने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता, वहीं 74 किलोग्राम फ्री स्टाइल कुश्ती स्पर्धा में नरसिंह यादव पंचम (मूलतः चोलापुर, बनारस के, अब मुंबई में) ने भी स्वर्ण पदक जीता। गौरतलब है कि इससे पूर्व सीनियर एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में नरसिंह यादव ने देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाकर पूरे देश का नाम रोशन किया था। राष्ट्रमंडल खेलों की निशानेबाजी स्पर्धा में कविता यादव ने सुमा शिरूर के साथ कांस्य पदक जीतकर नाम गौरवान्वित किया। विश्व मुक्केबाजी (1994) में कांस्य पदक विजेता, ब्रिटेन में पाकेट डायनामो के नाम से मशहूर भारतीय फ्लाईवेट मुक्केबाज धर्मेन्द्र सिंह यादव ने देश में सबसे कम उम्र में ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्राप्त कर कीर्तिमान बनाया। विकास यादव, मुक्केबाजी का चर्चित चेहरा है। आन्ध्र प्रदेश के बिलियर्डस व स्नूकर खिलाड़ी सिंहाचलम जो कि बिलियर्ड्स के अन्तर्राष्ट्रीय रेफरी भी हैं, बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाजी के राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे श्याम सिंह यादव, कुश्ती में पन्ने लाल यादव, श्यामलाल यादव, गंगू यादव जैसे तमाम खिलाड़ी यादवों का नाम रोशन कर रहे हैं। बनारसी मुक्केबाज छोटेलाल यादव ने सैफ खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। जानी-मानी पर्वतारोही संतोष यादव जिन्दगी में मुश्किलों के अनगिनत थपेड़ों की मार से भी विचलित नहीं हुईं और अपनी इस हिम्मत की बदौलत वह माउंट एवरेस्ट की दो बार चढाई करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं। इसके अलावा वे कांगसुंग ;ज्ञंदहेीनदहद्ध की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं। उन्हांेने पहले मई 1992 में और तत्पश्चात मई सन् 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त कीे। इण्डियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कालमाड़ी यदुवंश से ही हैं। अर्जुन पुरस्कार विजेता व महिला हाॅकी टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव राष्ट्रीय महिला हाकी टीम की मैनेजर हैं। भारतीय भारोत्तोलन संघ के सचिव सहदेव यादव हंै।

pankaj bedrdi 20-01-2011 09:34 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
भारत के प्रथम व्यक्तिगत ओलंपिक मेडलिस्ट खाशबा दादा साहब जाधव एवं बीजिंग ओलंपिक (2008) में कुश्ती में कांस्य पदक विजेता सुशील कुमार यदुकुल की ही परम्परा के वारिस हैं। वर्ष 2010 में कुश्ती का विश्व चैंपियन खिताब अपने नाम करके सुशील कुमार ऐसा करने वाले प्रथम भारतीय पहलवान बन गए। वर्ष 2009 मंे सुशील कुमार को देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांँधी खेल रत्न से नवाजा गया तो गिरधारी लाल यादव (पाल नौकायन) को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी परंपरा में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में जहाँ सुशील कुमार ने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता, वहीं 74 किलोग्राम फ्री स्टाइल कुश्ती स्पर्धा में नरसिंह यादव पंचम (मूलतः चोलापुर, बनारस के, अब मुंबई में) ने भी स्वर्ण पदक जीता। गौरतलब है कि इससे पूर्व सीनियर एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में नरसिंह यादव ने देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाकर पूरे देश का नाम रोशन किया था। राष्ट्रमंडल खेलों की निशानेबाजी स्पर्धा में कविता यादव ने सुमा शिरूर के साथ कांस्य पदक जीतकर नाम गौरवान्वित किया। विश्व मुक्केबाजी (1994) में कांस्य पदक विजेता, ब्रिटेन में पाकेट डायनामो के नाम से मशहूर भारतीय फ्लाईवेट मुक्केबाज धर्मेन्द्र सिंह यादव ने देश में सबसे कम उम्र में ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्राप्त कर कीर्तिमान बनाया। विकास यादव, मुक्केबाजी का चर्चित चेहरा है। आन्ध्र प्रदेश के बिलियर्डस व स्नूकर खिलाड़ी सिंहाचलम जो कि बिलियर्ड्स के अन्तर्राष्ट्रीय रेफरी भी हैं, बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाजी के राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे श्याम सिंह यादव, कुश्ती में पन्ने लाल यादव, श्यामलाल यादव, गंगू यादव जैसे तमाम खिलाड़ी यादवों का नाम रोशन कर रहे हैं। बनारसी मुक्केबाज छोटेलाल यादव ने सैफ खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। जानी-मानी पर्वतारोही संतोष यादव जिन्दगी में मुश्किलों के अनगिनत थपेड़ों की मार से भी विचलित नहीं हुईं और अपनी इस हिम्मत की बदौलत वह माउंट एवरेस्ट की दो बार चढाई करने वाली विश्व की पहली महिला बनीं। इसके अलावा वे कांगसुंग ;ज्ञंदहेीनदहद्ध की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं। उन्हांेने पहले मई 1992 में और तत्पश्चात मई सन् 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त कीे। इण्डियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कालमाड़ी यदुवंश से ही हैं। अर्जुन पुरस्कार विजेता व महिला हाॅकी टीम की पूर्व कप्तान मधु यादव राष्ट्रीय महिला हाकी टीम की मैनेजर हैं। भारतीय भारोत्तोलन संघ के सचिव सहदेव यादव हंै।

pankaj bedrdi 20-01-2011 09:35 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
महिला मुक्केबाजी में सोनम यादव (75 कि०ग्रा०) का नाम अपरिचित नहीं रहा। बैंकाक में एशियाई ग्रा0प्रि0 में युवा धावक नरेश यादव ने 1500 मीटर की दौड़ 3।51 सेकण्ड में पूरा कर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। 27वीं राष्ट्रीय ताइक्वाण्डो प्रतियोगिता में हरियाणा की सरिता यादव ने रजत व पूनम यादव ने कांस्य पदक प्राप्त किया। बैंकाक में एशियाई गंापी तीरंदाजी चैम्पियनशिप में महिला रिवर्स स्पर्धा में नमिता यादव (झारखण्ड) ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर देश का गौरव बढ़ाया। स्वप्नावली यादव (मुंबई) ने महज 8 साल की उम्र में यूनान स्थित 30 किमी0 लम्बी मेसिनिकोस की खाड़ी मात्र 11 घण्टे 10 मिनट में पार करने का विश्व रिकार्ड कायम कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। अगस्त 2009 में सम्पन्न उ0प्र0 की सीनियर तैराकी चैम्पियनशिप में कुशीनगर की प्रियंका यादव ने 5 स्वर्ण जीतकर नया कीर्तिमान बनाया। यहीं पर गोताखोरी प्रतियोगिता में डी0एल0डब्ल्यू0 के गोताखोर नवीन यादव व्यक्तिगत चैंपियन बने। रानी यादव (बनारस) एथलेटिक्स में उभरता हुआ नाम है। कहना गलत नहीं होगा कि यदुवंशियों को यदि उचित परिवेश और प्रोत्साहन मिले तो स्पोर्ट्स-गेम और एडवेन्चर के क्षेत्र में वे भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन कर सकते हैं।

pankaj bedrdi 20-01-2011 09:36 PM

Re: यदुवंशी का इतिहास
 
फिल्म व ग्लैमर की दुनिया में यदुवंशी
ग्लैमर की दुनिया की बात ही निराली है। भगवान कृष्ण के वंशजों ने अभी तक तमाम क्षेत्रों में झण्डे गाड़े हैं पर अब फिल्मों और सौंदर्य के क्षेत्र में भी तमाम यदुवंशी दिख जाते हैं। फिलहाल हिंदी और भोजपुरी सिनेमा में तमाम यदुवंशी अपना जौहर दिखा रहे हैं। ग्लैमर की दुनिया अब यादवों के लिए अछूती नहीं रही। बॉलीवुड के जाने-माने हास्य कलाकार राजपाल यादव व रघुवीर यादव पहले से ही अभिनय के क्षेत्र में हैं। करीब डेढ़ सौ फिल्मों में शानदार अभिनय के दम पर 39 वर्षीय राजपाल यादव आज हिंदी सिनेमा की जानी-मानी शख्सियत हैं। रंगमंच पर अभिनय की ठोस बुनियाद के सहारे फिल्मी मनोरंजन दुनिया के सफर पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांँपुर से निकले राजपाल यादव लगभग हर तरह के किरदार में फिट नजर आते हैं। पहले खलनायकी में सफलता हासिल करने के बाद कॉमेडी में राजपाल यादव अपना लोहा मनवा चुके हैं। छोटा कद, हंसमुख व्यक्तित्व और जबरदस्त अभिनय राजपाल यादव की पहचान है। कॉमेडी के जरिए वे लोगों के दिलों पर राज कर रहे है। उनके लीड रोल्स की भी खासी चर्चा हुई है। गाँव से निकलकर मायानगरी मुंबई में अपनी सफलता का सिक्का जमाने वाले राजपाल यादव युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 1985 में फिल्म मैसी साहब के लिए दो अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पाने वाले अभिनेता और लगान, दिल्ली 6, फिराक, डरना मना है, पीपली लाइव फिल्म जैसी फिल्मों में काम कर चुके जाने-माने बॉलीवुड अभिनेता और थिएटर कलाकार रघुबीर यादव बँंधी-बंँधाई जिंदगी से इत्तेफाक नहीं रखने वालों में से हैं और इसी कारण विभिन्न तरह की भूमिकाएं निभाते हैं। अब इस कड़ी में रंगमंच की दुनिया से फिल्मों में प्रवेश करने वाले गुड़गांँव के राजकुमार यादव का नाम भी जुड़ गया ह,ै जिन्होंने ’लव, सैक्स और धोखा’ नामक फिल्म के माध्यम से पदार्पण किया


All times are GMT +5. The time now is 05:00 AM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.