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Mehfil
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rajnish manga |
10-08-2015 12:47 PM |
धरा का ये विधान है
धरा का ये विधान है
सभ्यता के नाम पर
दौड़ में विकास की
तोड़ती रही सतत
धरा का संतुलन अनत
संतति मनुष्य की.
प्रचण्ड वार जब पड़ा
प्रकृति के हाथ का
तो खण्ड खण्ड हो गया
दंभ से भरे हुए
आदमी के हाथ का
बना हुआ वितान वो.
ग्लेशियर पिघल रहे
वन प्रदेश जल रहे
अब बाढ़ है, सुनामी है
भूकंप और तूफ़ान है
मान लो मेरा कहा
धरा का ये विधान है.
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Deep_ |
10-08-2015 06:01 PM |
Re: धरा का ये विधान है
Quote:
Originally Posted by rajnish manga
(Post 554035)
धरा का ये विधान है
प्रचण्ड वार जब पड़ा
प्रकृति के हाथ का
तो खण्ड खण्ड हो गया
दंभ से भरे हुए
आदमी के हाथ का
बना हुआ वितान वो.
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कितना सच लिखा है सर जी! :bravo:
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rajnish manga |
11-08-2015 09:48 AM |
Re: धरा का ये विधान है
Quote:
Originally Posted by deep_
(Post 554036)
कितना सच लिखा है सर जी! :bravo:
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कविता पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, दीप जी.
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Shikha sanghvi |
11-08-2015 05:23 PM |
Re: धरा का ये विधान है
Bahot badhiya
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rajnish manga |
12-08-2015 10:40 PM |
Re: धरा का ये विधान है
Quote:
Originally Posted by shikha sanghvi
(Post 554065)
bahot badhiya
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उत्साहवर्धन हेतु मेरा हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें, शिखा जी.
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