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-   -   कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=10660)

sombirnaamdev 28-09-2013 10:15 PM

कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
 
कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
हर जखम को भर सके वो इलाज कैसा हो

दे सके ऊँची सी एक उड़ान जो हौसलों को
सोचता हूँ आखिर वो पंख परवाज कैसा हो

पाल सकु बस सकून से जिन्दगी को यार
मेहनतकश सीधा साधा वो काज कैसा हो

गोली की आवाज से दूर शांति का हो बसर
भाई चारे देता पैगाम वो नमाज कैसा हो

सात सुरों की मीठी तान हो जिसमे '''नामदेव '''
एकता की माला पिरोता हुआ साज कैसा हो


#सोमबीरनामदेव

rajnish manga 29-09-2013 11:31 AM

Re: कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
 
Quote:

Originally Posted by sombirnaamdev (Post 381619)

कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
हर जखम को भर सके वो इलाज कैसा हो

दे सके ऊँची सी एक उड़ान जो हौसलों को
सोचता हूँ आखिर वो पंख परवाज कैसा हो

पाल सकु बस सकून से जिन्दगी को यार
मेहनतकश सीधा साधा वो काज कैसा हो

गोली की आवाज से दूर शांति का हो बसर
भाई चारे देता पैगाम वो नमाज कैसा हो

सात सुरों की मीठी तान हो जिसमे '''नामदेव '''
एकता की माला पिरोता हुआ साज कैसा हो


#सोमबीरनामदेव



बहुत सुन्दर कविता है, सोमबीर जी. लगता है दुनिया के शोर-शराबे से दूर कोई सूफ़ी गायक अपनी धुन में ऊपर वाले की बन्दगी में मस्त हो कर गा रहा हो.

aspundir 29-09-2013 06:17 PM

Re: कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
 
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Originally Posted by sombirnaamdev (Post 381619)
कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
हर जखम को भर सके वो इलाज कैसा हो

दे सके ऊँची सी एक उड़ान जो हौसलों को
सोचता हूँ आखिर वो पंख परवाज कैसा हो

पाल सकु बस सकून से जिन्दगी को यार
मेहनतकश सीधा साधा वो काज कैसा हो

गोली की आवाज से दूर शांति का हो बसर
भाई चारे देता पैगाम वो नमाज कैसा हो

सात सुरों की मीठी तान हो जिसमे '''नामदेव '''
एकता की माला पिरोता हुआ साज कैसा हो


#सोमबीरनामदेव


सोमबीर जी, शब्दों के भाव सरल तथा दिल को छुने वाले हैं, लेकिन आपकी रचनाओं में जो बानगी तथा नमक (वज़्न) होता है वह कम है ।

sombirnaamdev 30-09-2013 12:15 AM

Re: कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 382019)
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बहुत सुन्दर कविता है, सोमबीर जी. लगता है दुनिया के शोर-शराबे से दूर कोई सूफ़ी गायक अपनी धुन में ऊपर वाले की बन्दगी में मस्त हो कर गा रहा हो.

आदरनिए रजनीश जी मैं आपका दिली तौर से धन्यवाद करता जो आपने मुझ जैसे नाजीच को मान बख्शा

सोमबीर नामदेव

sombirnaamdev 30-09-2013 12:20 AM

Re: कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
 
Quote:

Originally Posted by aspundir (Post 382072)
सोमबीर जी, शब्दों के भाव सरल तथा दिल को छुने वाले हैं, लेकिन आपकी रचनाओं में जो बानगी तथा नमक (वज़्न) होता है वह कम है ।


aspundhir जी पहली बात तो ये की मैं कोई professional कवि या लेखक नही ,
जो थोड़ा बहुत समय मिल जाता है खाली उसमे कुछ आड़ा टेढ़ा लिख लेता हु भाई जी काव्य के बारे में ज्यादा जानकारी नही है जैसा आता वो आपके सामने रख देता हु कोशिश करूंगा की अच्छा लिख सकूँ कमी को सामने लाने के आभारी हु धन्यवाद

Dr.Shree Vijay 01-10-2013 11:21 PM

Re: कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
 
Quote:

Originally Posted by sombirnaamdev (Post 381619)
कल कैसा भी था सोचता हूँ आज कैसा हो
हर जखम को भर सके वो इलाज कैसा हो

दे सके ऊँची सी एक उड़ान जो हौसलों को
सोचता हूँ आखिर वो पंख परवाज कैसा हो

पाल सकु बस सकून से जिन्दगी को यार
मेहनतकश सीधा साधा वो काज कैसा हो

गोली की आवाज से दूर शांति का हो बसर
भाई चारे देता पैगाम वो नमाज कैसा हो

सात सुरों की मीठी तान हो जिसमे '''नामदेव '''
एकता की माला पिरोता हुआ साज कैसा हो








बेहतरीन दिल को छुने वाला काव्य............


:bravo: :bravo: :bravo:




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