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rajnish manga 18-01-2017 11:06 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
हरिवंशराय बच्चन / Harivansh Rai Bachchan

डॉ. हरिवंश राय ‘बच्चन’ का जन्म 27/11/1907 को प्रयाग में हुआ. उनकी प्रारम्भिक और स्कूली शिक्षा इलाहाबाद के स्कूलों में हुयी और उच्च शिक्षा प्रयाग और काशी विश्वविद्यालय में संपन्न हुयी. 1941 से 1952 तक वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे. तत्पश्चात वे आईरिश कवि डब्ल्यू बी यीट्स के काव्य पर शोधकार्य के सिलसिले में 1952 से 1954 तक इंगलैंड में रहे जहाँ उन्होंने केम्बिज यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की.

1941 से 1952 तक वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे. तत्पश्चात वे आईरिश कवि डब्ल्यू बी यीट्स के काव्य पर शोधकार्य के सिलसिले में 1952 से 1954 तक इंगलैंड में रहे जहाँ उन्होंने केम्बिज यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की. . दिल्ली में रहते हुए उन्होंने ‘सोपान’ नाम से एक कोठी भी बनवा ली थी. 1972 से लेकर जीवन की संध्या तक वे दिल्ली और मुंबई के बीच आते जाते रहे. मुंबई में उनके होनहार अभिनेता पुत्र अमिताभ बच्चन अपने परिवार के साथ रहते है. जीवन के अंतिम दिनों में बच्चन जी (जिन्हें उनके पुत्र बाबूजी कह कर बुलाते थे) मुंबई में ही रहने लगे थे. यहीं पर 18 जनवरी 2003 को उन्होंने अंतिम सांस ली.

बच्चन जी के कृतित्व की बात करें तो उन्होंने सन 1932 से लेकर जीवन पर्यंत लगभग 55 मौलिक कृतियों के अतिरिक्त बहुत सी संपादित और अनूदित रचनाओं (उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ और शेक्सपीयर के कुछ नाटक) से भी हिंदी साहित्य के भण्डार में अपना अमूल्य योगदान दिया. ‘मधुशाला’ के अतिरिक्त चार खण्डों में प्रकाशित उनकी आत्मकथा हिंदी साहित्य में न सिर्फ़ अत्यंत सम्मानजनक स्थान रखती है बल्कि लोकप्रियता में भी शीर्ष पर (बेस्ट सैलर) रही हैं.

पुरस्कार: 1968 में वे साहित्य अकादमी द्वारा (अपनी कृति ‘दो चट्टानें’ के लिये) पुरस्कृत किये गए. उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें प्रतिष्ठित ‘सरस्वती सम्मान’ प्राप्त हुआ. सन 1976 में उन्हें उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ सम्मान से अलंकृत किया गया. इन पुरस्कारों के अतिरिक्त भी उन्हें उनके जीवन काल में कई देशी और विदेशी सम्मान प्राप्त हुये.

मुझे इस बात का गर्व है कि कॉलेज के दिनों मे उन्हें रू-ब-रू सुनने का मौक़ा मिला. उन दिनों वे मधुशाला की रुबाइयों का सस्वर पाठ किया करते थे. बच्चन जी को हमारी सादर श्रद्धांजलि.

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rajnish manga 18-01-2017 11:09 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (18 जनवरी)
हरिवंशराय बच्चन / Harivansh Rai Bachchan

डॉ हरिवंशराय बच्चन अनुवाद कार्य में कितने प्रवीण थे यह रॅाबर्ट फ्रॉस्ट (Robert Frost) की कविता के एक अंश के अनुवाद से स्पष्ट हो

The Woods are lovely dark and deep
But I have promises to keep
And miles to go before I sleep
And miles to go before I sleep

उपरोक्त पंक्तियों का बच्चन जी के द्वारा भावानुवाद:

गहन सघन मनमोहक वन तरु, मुझको आज बुलाते हैं.
किन्तु किये जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं.
अभी कहाँ आराम बदा, ये मूक निमंत्रण छलना है,
अरे अभी तो मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है.
*****

soni pushpa 21-01-2017 12:14 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
नया सूत्र शुरू किया आपने तिथि और तरीकों के अनुसार सब बड़ी बड़ी विभूतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसे यहाँ हम सबसे शेयर करना कोई छोटी बात नहीं भाई उसके लिए आपकी मेहनत और लगन के लिए हम सब आपके शुक्रगुज़ार हैं हैं आप ने हमेशा फोरम को उपयोगी जानकारियों से सबलऔर रोचक बनाये रखा है भाई .

हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई

rajnish manga 21-01-2017 08:31 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 560230)
नया सूत्र शुरू किया आपने तिथि और तरीकों के अनुसार सब बड़ी बड़ी विभूतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसे यहाँ हम सबसे शेयर करना कोई छोटी बात नहीं भाई उसके लिए आपकी मेहनत और लगन के लिए हम सब आपके शुक्रगुज़ार हैं हैं आप ने हमेशा फोरम को उपयोगी जानकारियों से सबलऔर रोचक बनाये रखा है भाई .

हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई

सूत्र को पसंद करने तथा उसके बारे में सकारात्मक टिप्पणी देने के लिये आपका आभारी हूँ, बहन पुष्पा जी. इस प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

Deep_ 21-01-2017 11:17 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 560230)
नया सूत्र शुरू किया आपने तिथि और तरीकों के अनुसार सब बड़ी बड़ी विभूतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसे यहाँ हम सबसे शेयर करना कोई छोटी बात नहीं भाई उसके लिए आपकी मेहनत और लगन के लिए हम सब आपके शुक्रगुज़ार हैं हैं आप ने हमेशा फोरम को उपयोगी जानकारियों से सबलऔर रोचक बनाये रखा है भाई .

हार्दिक आभार सह बहुत बहुत धन्यवाद भाई

सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।

rajnish manga 22-01-2017 07:46 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 560238)
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।

आपके स्नेहपूर्ण शब्दों के लिये बहुत आभारी हूँ, दीप जी. सूर्य तो नहीं, हाँ, एक टिमटिमाता सितारा बना रहूँ, मेरे लिये यही बहुत है. आपका हार्दिक धन्यवाद.


rajnish manga 22-01-2017 07:54 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
1 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 जनवरी)
ओशो / Osho

rajnish manga 22-01-2017 08:22 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (19 जनवरी)
ओशो / Osho

तत्व का कोई निर्माण नहीं होता; निर्माण केवल संयोगों का होता है। तत्व वह है, जिसे हम न बना सकेंगे। इस देश ने तत्व की परिभाषा की है, वह जिसे हम पैदा न कर सकेंगे और जिसे हम नष्ट न कर सकेंगे। अगर किसी तत्व को हम नष्ट कर लेते हैं, तो सिर्फ इतना ही सिद्ध होता है कि हमने गलती से उसे तत्व समझा था; वह तत्व था नहीं। अगर किसी तत्व को हम बना लेते हैं, तो उसका मतलब इतना ही हुआ कि हम गलती से उसे तत्व कह रहे हैं; वह तत्व है नहीं।

दो तत्व हैं जगत में। एक, जो हमें चारों तरफ फैला हुआ जड़ का विस्तार दिखाई पड़ता है, मैटर का। वह एक तत्व है। और एक जीवन चैतन्य, जो इस जगत में फैले विस्तार को देखता और जानता और अनुभव करता है। वह एक तत्व है, चैतन्य, चेतना। इन दो तत्वों का न कोई निर्माण है और न कोई विनाश है। न तो चेतना नष्ट हो सकती है और न पदार्थ नष्ट हो सकता है।

हां, संयोग नष्ट हो सकते हैं। मैं मर जाऊंगा, क्योंकि मैं सिर्फ एक संयोग हूं; आत्मा और शरीर का एक जोड़ हूं मैं। मेरे नाम से जो जाना जाता है, वह संयोग है। एक दिन पैदा हुआ और एक दिन विसर्जित हो जाएगा। कोई छाती में छुरा भोंक दे, तो मैं मर जाऊंगा। आत्मा नहीं मरेगी, जो मेरे मैं के पीछे खड़ी है; और शरीर भी नहीं मरेगा, जो मेरे मैं के बाहर खड़ा है। शरीर पदार्थ की तरह मौजूद रहेगा, आत्मा चेतना की तरह मौजूद रहेगी, लेकिन दोनों के बीच का संबंध टूट जाएगा। वह संबंध मैं हूं। वह संबंध मेरा नाम-रूप है। वह संबंध विघटित हो जाएगा। वह संबंध निर्मित हुआ, विनष्ट हो जाएगा।



rajnish manga 23-01-2017 05:00 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 जनवरी)
नेता जी सुभाष चंद्र बोस / Netaji Subhash Chandra Bose

rajnish manga 23-01-2017 05:04 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (23 जनवरी)
नेता जी सुभाष चंद्र बोस / Netaji Subhash Chandra Bose

पढ़ाई में सदा अव्वल रहने वाले सुभाष चन्द्र अपने माता-पिता की इच्छा के अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.सी.एस.) की तैयारी के लिये 1919 में इंग्लैंड चले गए थे। इसके लिये उन्होंने 1920 में आवेदन किया और इस परीक्षा में उनको न सिर्फ सफलता मिली बल्कि उन्होंने चौथा स्थान भी हासिल किया। उनका मन इसमें नहीं रमा. 1921 में उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। भारत वापस आने के बाद नेता जी गांधीजी के संपर्क में आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। 1938 (हरिपुरा) और 1939 (त्रिपुरी) में कांग्रेस के अध्यक्षचुने गए. इस समय विश्व दूसरे विश्व-युद्ध के दहाने पर खड़ा था. नेता जी ने अंग्रेजों को छः माह के भीतर भारत से निकल जाने का अल्टीमेटम दे दिया. महात्मा गाँधी और कांग्रेस के अन्य बड़े नेता अभी ऐसे क़दम के पक्ष में नहीं थे. नेता जी ने इन परिस्थितियों में कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया.

उन्होंने
1939 में ही अपनी नई पार्टी फॉरवर्ड ब्लाक का गठन किया. नेता जी को अपने बाग़ी तेवरों के कारण बहुत बार जेल भी जाना पड़ा. 1941 में वे अंग्रेज़ों की आँखों में धूल झोंकते हुये कलकत्ता में अपने घर में नज़रबंदी से भाग निकले. उन्होंने भेष बदल कर यह कारनामा किया. वे अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते जर्मनी जा पहुंचे. जर्मनी और जापान उन दिनों अलाइड फोर्सेज के विरोध में खड़े हुये थे. नेता जी इन दोनों देशों के सहयोग से अंग्रेजी शासन को भारत से खदेड़ना चाहते थे. जापान में उन दिनों रास बिहारी बोस पहले से मौजूद थे. उन्होंने अपने साथियों कैप्टेन मोहन सिंह तथा निरंजन सिंह गिल ने मिल कर Indian National Army या आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना की. इसकी प्रथम ब्रिगेड का गठन 1 दिसम्बर सन 1942 अमल में आया. इसमें 16300 सैनिक थे. इसमें उन भारतीय फ़ोजियों का भी बहुत रोल रहा जिन्हें जापान ने द्वितीय युद्ध के दौरान युद्धबंदी बना लिया था. उस समय जापान के पास लगभग 60000 भारतीय युद्धबंदी थे.

जुलाई 1943 में नेता जी जर्मन पनडुब्बी द्वारा सिंगापुर पहुँच गए. सिंगापुर का काफ़ी हिस्सा उन दिनों जापान के कब्जे में था. यहाँ से आजाद हिन्द फ़ौजका दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण अभियान शुरू हुआ. यहाँ उन्होंने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया. 4 जुलाई 1943 ई. को सुभाष चन्द्र बोस ने 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' एवं 'इंडियन लीग' की कमान को संभाला। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सिपाही सुभाषचन्द्र बोस को 'नेताजी' कहते थे। बोस ने अपने सिपाहियों को 'जय हिन्द' का नारा दिया। उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 ई. को सिंगापुर में अस्थायी 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की। राम सिंह ठाकुर का यह गाना – क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा, ये ज़िंदगी है कौम की तू कौम पर लुटाये जा – आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों में आत्मविश्वास का संचार करता था। यह गीत आज भी हमारे फौज के कदमताल का गीत है।
जुलाई, 1944 ई. को सुभाष चन्द्र बोस ने रेडियो पर गांधी जी को संबोधित करते हुए कहा "भारत की स्वाधीनता का आख़िरी युद्ध शुरू हो चुका हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की मुक्ति के इस पवित्र युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते हैं।" सुभाषचन्द्र बोस ने सैनिकों का आहवान करते हुए कहा तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।
आज़ाद हिंद फ़ौज ने जब भारत की और कूच किया तो उन्हें बर्मा तथा भारत की पूर्वी सीमा पर अंग्रेजी सेना से मुक़ाबला करना पड़ा. दुर्भाग्यवश द्वितीय युद्ध में जापान को पराजय का सामना करना पड़ा. इस बीच ताइपे में एक विमान दुर्घटना में नेता जी की जान चली गई. इस सारे घटना क्रम का आज़ाद हिंद फ़ौज की तैयारियों तथा योजनाओं पर भारी असर पड़ा. आज़ाद हिंद फ़ौज के बहुत से सैनिक तथा अफ़सर अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिये गए और उन पर दिल्ली के लाल किले में देशद्रोह का मुकद्दमा चलाया गया.
इसमें मुख्य अभियुक्त थे प्रेम सहगल, गुरबख्श सिंह ढिल्लों तथा शाहनवाज़ खान. इन मुकद्दमों के विरुद्ध सारे देश में जलसे और जलूस निकाले गए. आन्दोलन किये गए और अखबारों में भी उनकी सहानुभूति में आलेख छपने लगे. सारे देश में 1946 की दिवाली भी नहीं मनाई गई, दिये भी नहीं जलाए गए. अंग्रेजी हकुमत के विरुद्ध जब दबाव बढ़ा तो इन सभी के विरुद्ध देशद्रोह का आरोप हटा लिया गया. निर्णय में उन्हें जलावतन की सजा मिली. जनता के व्यापक प्रतिरोध के बाद इसे भी निरस्त कर दिया गया. इन घटनाओं के कुछ दिन बाद ही भारत स्वतंत्र हुआ.

soni pushpa 24-01-2017 12:39 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
आज के युग की आधुनिक सुविधाओं के बिना आज़ादी की लड़ाई लड़ी कितने कष्ट सहे थे नेताजी ने उस परम वीर नेताजी को हम कैसे भूल सकते हैं.
सादर अभीवादन करते हैं हम उन्हें ..

धन्यवाद भाई

rajnish manga 24-01-2017 05:04 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 560256)
आज के युग की आधुनिक सुविधाओं के बिना आज़ादी की लड़ाई लड़ी कितने कष्ट सहे थे नेताजी ने उस परम वीर नेताजी को हम कैसे भूल सकते हैं.
सादर अभीवादन करते हैं हम उन्हें ..

धन्यवाद भाई

हम इन महापुरुषों की देन को कैसे भूल सकते हैं. उन्होंने कभी अपनी या अपने जीवन की परवाह नहीं की. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.


rajnish manga 24-01-2017 05:14 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
1 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 जनवरी)
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा / Dr. Homi Jehangir Bhaba

rajnish manga 24-01-2017 05:17 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 जनवरी)
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा / Dr. Homi Jehangir Bhaba

भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी भाभा 12वीं पास करने के बाद कैम्ब्रिज में पढने गये और 1930 में मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री हासिल किये। अध्ययन के दौरान उन्हे लगातार छात्रवृत्ती मिलती रही। 1934 में उन्होने पीएचडी की डिग्री हासिल की, इसी दौरान होमी भाभा को आइजेक न्यूटन फेलोशिप मिली। होमी भाभा को प्रसिद्ध वैज्ञानिक रुदरफोर्ड, डेराक, तथा नील्सबेग के साथ काम करने का अवसर मिला था। उन्होंने कॉस्केटथ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान का प्रतिपादन करने साथ ही कॉस्मिक किरणों पर भी काम किया जो पृथ्वी की ओर आते हुए वायुमंडल में प्रवेश करती है। उन्होने कॉस्मिक किरणों की जटिलता को सरल किया। दूसरे विश्वयुद्ध के प्रारंभ में होमी भारत वापस आ गये। 1940 में भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलौर में सैद्धान्तिक रीडर पद पर नियुक्त हुए। उन्होने कॉस्मिक किरणों की खोज के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की। 1941 में मात्र 31 वर्ष की आयु में आपको रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया था। नोबल पुरस्कार विजेता प्रो. सी.वी. रमन भी होमी भाभा से प्रभावित थे।

शास्त्रिय संगीत, मूर्तीकला तथा नित्य आदि क्षेत्रों के विषयों पर भी आपकी अच्छी पकङ थी। वे आधुनिक चित्रकारों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके चित्रों को खरीद कर टॉम्ब्रे स्थित संस्थान में सजाते थे। संगीत कार्यक्रमों में सदैव हिस्सा लेते थे और कला के दूसरे पक्ष पर भी पूरे अधिकार से बोलते थे, जितना कि विज्ञान पर। उनका मानना था कि सिर्फ विज्ञान ही देश को उन्नती के पथ पर ले जा सकता हैं।
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rajnish manga 24-01-2017 05:21 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (24 जनवरी)
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा / Dr. Homi Jehangir Bhaba

होमी भाभा ने टाटा को एक संस्थान खोलने के लिए प्रेरित किया। टाटा के सहयोग से होमी भाभा का परमाणु शक्ति से बिजली बनाने का सपना साकार हुआ। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने की महात्वाकांक्षा मूर्तरूप लेने लगी, जिसमें भारत सरकार तथा तत्कालीन मुम्बई सरकार का पूरा सहयोग मिला। नव गठित टाटा इन्सट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च के वे महानिदेशक बने। उस समय विश्व में परमाणु शक्ति से बिजली बनाने वाले कम ही देश थे।

24 जनवरी 1966 को जब वे अर्तंराष्ट्रीय परिषद में शान्ति मिशन के लिए भाग लेने जा रहे थे तो उन्हे ले जाने वाला बोइंग विमान 707 खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में डॉ भाभा की मौत हो गई । टॉम्ब्रे के वैज्ञानिकों ने इस असहनीय दुःख को सहते हुए पूरे दिन परिश्रम पूर्ण कार्य करके उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि दी। लालफिताशाही से उन्हे सख्त चिढ थी तथा किसी की मृत्यु पर काम बन्द करने के वे सख्त खिलाफ थे। उनके अनुसार कङी मेहनत ही किसी महान व्यक्ति को डी जाने वाली सच्ची श्रद्धांजलि है। भारत सरकार ने 12 जनवरी 1967 को टॉम्ब्रे संस्थान का नामकरण उनके नाम पर यानि भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र कर दिया। डॉ. होमी भाभा असमय चले गये किन्तु उनका सपना साकार हो गया, 1974 में भारत पूर्ण परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बन गया।

rajnish manga 25-01-2017 07:56 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
1 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 जनवरी)
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय
/ Sawai Jai Singh ll


rajnish manga 25-01-2017 08:00 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (25 जनवरी)
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय
/ Sawai Jai Singh ll

आज से ठीक 317 वर्ष पूर्व अर्थात् 25 जनवरी सन 1700 के दिन महाराजा बिशन सिंह की असमय मृत्यु के उपरान्त कछवाहा वंश के 11 वर्षीय बालक जिनका जन्म के बाद का नाम विजय सिंह था, जो बाद में जय सिंह द्वितीय (या महाराजा सवाई जय सिंह) के नाम से प्रसिद्ध हुये, आमेर राज्य के सिंहासन पर आसीन हुये थे. अपने असाधारण ज्ञान, कौशल, कूटनीति, शौर्य तथा अपने कृतित्व के कारण भारतीय इतिहास के पन्नों में ही नहीं बल्कि लोगों के दिलों में भी जीवित हैं.

soni pushpa 26-01-2017 11:41 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
केफ़ीआज़मी जी और मार्टिन लूथर के बारे में हमें नया कुछ जानने को मिला भाई बहुत बहुत धन्यवाद हमसे शेयर करने के लिए .

दूसरी बात ये कहना चाहूंगी की नया सूत्र जो की नई जानकारियों से भरपूर है उसे शुरू करने के लिए अनेकानेक बधाइयाँ

rajnish manga 28-01-2017 10:30 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 560268)
केफ़ीआज़मी जी और मार्टिन लूथर के बारे में हमें नया कुछ जानने को मिला भाई बहुत बहुत धन्यवाद हमसे शेयर करने के लिए .

दूसरी बात ये कहना चाहूंगी की नया सूत्र जो की नई जानकारियों से भरपूर है उसे शुरू करने के लिए अनेकानेक बधाइयाँ

पोस्ट की गई सामग्री को पसंद करने के लिये तथा सूत्र में समंजित मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.


rajnish manga 28-01-2017 10:33 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 जनवरी)
कमलेश्वर / Kamleshwar


rajnish manga 28-01-2017 10:34 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (27 जनवरी)
कमलेश्वर / Kamleshwar

बहुमुखी प्रतिभा के धनी और नयी कहानी आंदोलन के अगुआ रहे कमलेश्वर की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:


कहानी-संग्रहों में ज़िंदा मुर्दे व वही बात, आगामी अतीत, डाक बंगला, काली आँधी।

चर्चित उपन्यासों में कितने पाकिस्तान, डाक बँगला, समुद्र में खोया हुआ आदमी, एक और चंद्रकांता।

उन्होंने आत्मकथा, यात्रा-वृत्तांत और संस्मरण भी लिखे हैं।

कमलेश्वर ने लगभग 100 फिल्मों के संवाद, कहानी या पटकथाएँ लिखीं। उन्होंने सारा आकाश, अमानुष, आँधी, सौतन की बेटी, लैला, व मौसम जैसी फ़िल्मों की पट-कथा के अतिरिक्त 'मि. नटवरलाल', ' बर्निंग ट्रेन', 'राम बलराम' जैसी फ़िल्मों सहित अनेक हिंदी फ़िल्मों का लेखन किया।

दूरदर्शन (टी.वी.) धरावाहिकों में 'चंद्रकांता', 'युग', 'बेताल पचीसी', 'आकाश गंगा', 'रेत पर लिखे नाम' इत्यादि का लेखन किया।

वे दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर भी आसीन रहे तथा उन्होंने अनेक पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी किया जैसे सारिका,कथा क्रम, गंगा, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर आदि.

उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। कमलेश्वर को ‘कितने पाकिस्तान’ उपन्यास के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया किया।

rajnish manga 28-01-2017 10:39 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (28 जनवरी)
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय /Lala Lajpat Rai



rajnish manga 28-01-2017 10:45 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (28 जनवरी)
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय /Lala Lajpat Rai

महान देशभक्त लाला लाजपत राय का नाम भारत के महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है। वे आजीवन ब्रिटिश साम्राज्यवाद की ताकत से लड़ते रहे और उसी का सामना करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुती दे दी। लालाजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता (लाल बाल पाल में से एक) तथा पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे। उन्हें 'पंजाब के शेर' की उपाधि भी मिली थी। उन्होंने क़ानून की शिक्षा प्राप्त कर कुछ समय तक वकालत भी की थी, किन्तु बाद में स्वामी दयानन्द के सम्पर्क में आने के कारण वे आर्य समाज के के प्रबल समर्थक बन गये। यहीं से उनमें उग्र राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई।

सन 1928 में सारे देश में साइमन कमीशन के विरोध में विरोध प्रदर्शन हुये और जलूस निकाले गए. इनको दबाने के लिये अंग्रेजों द्वारा दमन चक्र शुरू कर दिया गयाl लोगों को तितर बितर करने के लिये जगह जगह लाठी चार्ज हुये और गिरफ्तारियां की गयींl 30 अक्टूबर 1928 को लाला जी के नेतृत्व में लाहौर में एक विशाल जलूस निकाला गयाl अपनी दमनकारी नीतियों के अनुसार सरकारी अधिकारियों द्वारा शांतिपूर्ण और निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज का आदेश दिया गयाl अन्य लोगों के साथ साथ लाला जी भी इस लाठी चार्ज में बुरी तरह घायल हो गएl उनकी छाती पर लाठी के घातक वार किये गए थेl गंभीर चोटों की वजह से दिनांक 17 नवंबर 1928 को लाला जी ने प्राण त्याग दिएl मृत्यु से पहले लाला जी ने कहा था ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक एक कील का काम करेगीl”

उन्होंने महात्मा हंसराज के साथ मिल कर उस वक़्त के पंजाब में दयानन्द एंग्लो वैदिक (DAV) शैक्षणिक संस्थाओं, स्कूलों व कॉलेजों की स्थापना कीl उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक तथा लक्ष्मी बीमा कं. की भी स्थापना कीl उन्होंने 1920 में मुंबई (तब बम्बई) में आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थीl
उन्होंने उस समय के उर्दू दैनिक वन्दे मातरम में लिखा था "मेरा मज़हब हक़परस्ती है, मेरी मिल्लत क़ौमपरस्ती है, मेरी इबादत खलकपरस्ती है, मेरी अदालत मेरा ज़मीर है, मेरी जायदाद मेरी क़लम है, मेरा मंदिर मेरा दिल है और मेरी उमंगें सदा जवान हैं।" लालाजी एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी, प्रतिबद्ध समाज सेवक, शिक्षाविद, मजदूरों के हक़ के लिये लड़ने वाले नेता, देशभक्त लेखक तथा निर्भीक पत्रकार थेl वे सच्चे अर्थों में भारत के गौरव थेl आज भारत के इस महान सपूत के जन्मदिवस पर हम उन्हें आदर एवम् श्रद्धापूर्वक नमन करते हैंl

rajnish manga 29-01-2017 11:44 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
2 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 जनवरी)
हिकी'ज़ बंगाल गजट
/
Hicky's Bengal Gazette
29 जनवरी 1780 को भारत के पहले अखबार का प्रकाशन आरम्भ हुआ:

http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1485675585

भारत का पहला अख़बार


rajnish manga 29-01-2017 11:52 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (29 जनवरी)
हिकी'ज़ बंगाल गजट
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Hicky's Bengal Gazette

29 जनवरी 1780
जेम्स अगस्ट्न हिकी ने कलकत्ता से साप्ताहिक अखबार बंगाल गजट या हिकीज गजट का प्रकाशन शुरू किया.

भारतीय पाठकों और दर्शकों के लिए आज अखबार, रेडियो और टेलीविजन में समाचार पढ़ने, सुनने और देखने के लिए हजारों विकल्प मौजूद हैं. लेकिन ज़रा सोचें कि अब से 237 वर्ष पहले समाचारों के आदान प्रदान का क्या स्वरूप होता होगा जब कोई अखबार या रेडियो टीवी नहीं थे. भारत का पहला अखबार 29 जनवरी 1780 को एक अंग्रेज जेम्स अगस्ट्न हिकी ने कोलकाता से निकाला. इसका नाम बंगाल गजट (Hicky’s Bengal Gazette) था और इसे अंग्रेजी में निकाला गया. इसे हिकीज गजट भी कहा जाता है. यह चार पृष्ठों का अखबार हुआ करता था और सप्ताह में एक बार प्रकाशित होता था. हिकी भारत के पहले पत्रकार थे जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता के लिये ब्रिटिश सरकार से संघर्ष किया. हिकी ने बिना डरे अखबार के जरिए भ्रष्टाचार और ब्रिटिश शासन की आलोचना की. हिकी को अपने इस दुस्साहस का अंजाम भारत छोड़ने के फरमान के तौर पर भुगतना पड़ा था. ब्रिटिश शासन की आलोचना करने के कारण बंगाल गजट को जब्त कर लिया गया था. 23 मार्च 1782 को अखबार का प्रकाशन बंद हो गया. इस तरह भारत में प्रिंट मीडिया की शुरूआत करने का श्रेय हिकी को ही जाता है.


soni pushpa 30-01-2017 11:08 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Etani mahtvapurna jankariyon se hame avagat karwane ke liye bahut bahut dhanywad bhai.

rajnish manga 30-01-2017 07:16 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 560289)
etani mahtvapurna jankariyon se hame avagat karwane ke liye bahut bahut dhanywad bhai.

उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रिया, बहन पुष्पा जी.


rajnish manga 30-01-2017 07:22 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
2 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 जनवरी)
महात्मा गाँधी
/ Mahatma Gandhi
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को आज उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन करते हुये हमारी श्रद्धांजलि


rajnish manga 30-01-2017 10:18 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
2 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 जनवरी)
अमृता शेर-गिल
/ Amrita Sher-Gil


rajnish manga 30-01-2017 10:20 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (30 जनवरी)
अमृता शेर-गिल
/ Amrita Sher-Gil

सिख पिता उमराव सिंह और हंगरी मूल की मां मेरी एंटोनी गोट्समन जो ओपेरा गायिका थीं, की यह पुत्री मात्र 8 वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी। अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था।

सन 1921 में अमृता शेरगिल का परिवार शिमला (समर हिल) आ गया। अमृता ने जल्द ही पियानो ओर वायलीन सीखना प्रारंभ कर दिया और मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही अपनी बहन इंदिरा के साथ मिलकर उन्होंने शिमला के गैएटी थिएटर में संगीत कार्यक्रम पेश करना और नाटकों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। चित्रकला में अमृता की रूचि को देखते हुये उनकी माँ उन्हें 1924 में कला के लिये प्रसिद्ध स्थान फ्लोरेंस (इटली) ले आयीं। यहाँ उन्हें इतालवी मास्टर्स के कामों की जानकारी हासिल हुयी। कुछ समय बाद पुनः भारत आ गयीं। सन 1929 में जब अमृता 16 वर्ष की थीं तब अपनी माँ के साथ पेरिस (फ्रांस) चली गयीं जहां उन्होंने फ्रांसीसी कला शैलियों का अध्ययन और अभ्यास किया।

सन 1934 में वे पुनः भारत लौट आयीं। वापस आकर उन्होंने अपने आप को भारत की परंपरागत कला की खोज में लगा दिया और अपनी मृत्यु तक यह कार्य करती रहीं। अपनी इन यात्राओं के दौरान उनका रुझान भारतीय जनजीवन और भारतीय विषयों की ओर मुड़ गया. वे अजंता के चित्रों तथा बंगाल के चित्रकारों से भी बहुत प्रभावित हुयीं। मात्र 28 वर्ष की आयु में ही लाहौर में उनका निधन हो गया।

अमृता शेरगिल की एक बेनाम पेंटिंग सेफ्रनआर्ट ऑनलाइन नीलामी में 4.75 करोड़ रुपये (7.20 लाख डॉलर) में बिकी। देश की महिला कलाकारों में अग्रणी अमृता शेरगिल ने अपने एक दशक के संक्षिप्त कार्यकाल में भारतीय कला जगत पर गहरी छाप छोड़ी।



Pavitra 30-01-2017 10:53 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 560238)
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।

आपकी इस बात से मैं पूर्णत सहमत हूं ,रजनीश जी वास्तव में ही फोरम के सूर्य हैं जिनसे यह फोरम प्रकाशित है |

rajnish manga 31-01-2017 11:54 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 560298)
आपकी इस बात से मैं पूर्णत सहमत हूं ,रजनीश जी वास्तव में ही फोरम के सूर्य हैं जिनसे यह फोरम प्रकाशित है |

आपके इस स्नेह और सम्मान के लिये मैं आभारी हूँ. आपका बहुत बहुत धन्यवाद, पवित्रा जी.


Rajat Vynar 31-01-2017 02:36 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 560238)
सही कथन है पुष्पा जी । रजनीश जी फोरम के सूर्य है जो उगना कभी नही भुलते ।

पूर्ण सहमत, किन्तु एक संशोधन के साथ-

रजनीश जी फ़ोरम के एकमात्र सूर्य हैं जो कभी उगना नहीं भूलते।

rajnish manga 01-02-2017 09:50 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 560300)
पूर्ण सहमत, किन्तु एक संशोधन के साथ-

रजनीश जी फ़ोरम के एकमात्र सूर्य हैं जो कभी उगना नहीं भूलते।

आप इतना मान देते हैं और मेरा साथ देते हैं इस सब के लिये मैं आपका आभारी हूँ, रजत जी. मेरे लिये यही काफी है कि मैं एक टिमटिमाता सितारा बना रहूँ.


abhisays 02-02-2017 04:24 AM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
रजनीश जी, इस सूत्र की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, फोरम के बेहतरीन सूत्रों में से एक. :hello:

rajnish manga 02-02-2017 01:51 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
Quote:

Originally Posted by abhisays (Post 560306)
रजनीश जी, इस सूत्र की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, फोरम के बेहतरीन सूत्रों में से एक. :hello:

तहे दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ, अभिषेक जी. मुझे खुशी है कि यह सूत्र आपको अच्छा लगा.



rajnish manga 02-02-2017 01:55 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
1 Attachment(s)
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 जनवरी)
सीमाब अकबराबादी
/ Seemab Akbarabadi


rajnish manga 02-02-2017 02:19 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 जनवरी)
सीमाब अकबराबादी
/ Seemab Akbarabadi

अल्लामा सीमाब अकबराबादी (मूल नाम सैयद आशिक़ हुसैन सिद्दीकी) के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म आगरा में हुआ था l विभाजन के बाद वे पाकिस्तान गए थे लेकिन लकवा हो जाने के कारण वहीँ रह गएl वो आगरा में जन्मे थे। वे अरबी, फ़ारसी और उर्दू जुबान के विद्वान थे । गद्य और पद्य दोनों में उनकी किताबें मिलती हैं। ग़ज़ल से अधिक उन्होंने नज़्मों की रचना की। एक साप्ताहिक पत्र ''ताज'' और एक मासिक पत्रिका ''शायर'' निकाला । पत्रिका शायर आज भी बम्बई से निकल रही है। उनका परिवार भारत में ही रहा था जो आगरा से शिफ्ट हो कर मुंबई आ गए थेl सीमाब साहब के बेटे इजाज़ सिद्दीकी काफी समय तक इस पत्रिका को चलाते रहे और बाद में उनके पौते इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी इसे चला रहे हैं. इफ्तिखार साहब भी उम्दा शायर हैं. उनकी एक ग़ज़ल फिल्म ‘अर्थ’ में आपने चित्र सिंह की आवाज़ में सुनी होगी ‘तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जायेगा / दूर तक तनहाइयों का सिलसिला रह जायेगा’. आइये सीमाब साहब के क़लाम से रू-ब-रू होते हैं:

सीमाब अकबराबादी ग़ज़ल
-------------------------------
अब क्या बताऊँ मैं तेरे मिलने से क्या मिला
इर्फ़ान-ए-ग़म हुआ मुझे, दिल का पता मिला
जब दूर तक न कोई फ़कीर-आश्ना मिला,
तेरा नियाज़-मन्द तेरे दर से जा मिला
मन्ज़िल मिली,मुराद मिली मुद्द'आ मिला,
सब कुछ मुझे मिला जो तेरा नक़्श-ए-पा मिला
या ज़ख़्म-ए-दिल को चीर के सीने से फेंक दे,
या ऐतराफ़ कर कि निशान-ए-वफ़ा मिला
"सीमाब" को शगुफ़्ता न देखा तमाम उम्र,
कमबख़्त जब मिला हमें कम-आश्ना मिला

शब्दार्थ: इर्फ़ान-ए-ग़म = दुःख का ज्ञान / नियाज़-मन्द = विनीत, चाहने वाला / मुराद = इच्छा,चाह / मुद्द'आ = विषय / नक़्श-ए-पा = पद-चिह्न / ऐतराफ़ = स्वीकार कर / शगुफ़्ता = आनंदित / तमाम = सारी / कमबख़्त = अशुभ


rajnish manga 02-02-2017 05:11 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (2 फ़रवरी)
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
/ Acharya Ram Chandra Shukla


rajnish manga 05-02-2017 12:55 PM

Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
 
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और आज की हमारी शख्सियत हैं (5 फ़रवरी)
चौरी चौरा विद्रोह / Chauri Chaura Vidroh



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