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rajnish manga 01-01-2015 09:43 PM

खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान:
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/i...ZIEU4hbGtMVAGA

जन्म: 6 जनवरी 1883 (लेबनान)
मृत्यु: 10 अप्रेल 1931 (न्यू यॉर्क, अमरीका)

खलील जिब्रान की गिनती विश्व के महान लेखकों में की जाती है. लेखक होने के अतिरिक्त वे एक कवि और चित्रकार के रूप में भी प्रसिद्ध थे. इनका साहित्य जीवन दर्शन से भरा हुआ है. इसमें गहरी अनुभूति, संवेदनशीलता, पाखंड के विरुद्ध विद्रोह, व्यंग्य तथा प्रेरक सूत्र मिलते हैं. धार्मिक पाखंड, वर्ग संघर्ष से उलझता हुआ व्यक्ति तथा उसका समाज उनके प्रमुख विषय रहे हैं. इसके साथ प्रेम, न्याय-अन्याय, कला व अध्यात्म का भी भरपूर समावेश है. प्रेरणा देने वाले विचारों का अनोखा संकलन इनके साहित्य का एक खास अंग है.

संसार के श्रेष्ठ चिंतक महाकवि के रूप में विश्व के हर कोने में ख्याति प्राप्त करने वाले, देश-विदेश भ्रमण करने वाले खलील जिब्रानअरबी, अंगरेजी फारसी के ज्ञाता, दार्शनिक और चित्रकार भी थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होने से जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। लेबनान के एक संपन्न परिवार में जन्मे खलील जिब्रान 12
वर्ष की आयु में ही माता-पिता के साथ बेल्जियम, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों में भ्रमण करते हुए 1912 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थायी रूप से रहने लगे थे।

नीचे हम खलील जिब्रान की कुछ कहानियाँ तथा प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर रहे हैं. यह रचनाएं पाठकों का मनोरंजन तो करती ही हैं, उन्हें जीवन जीने की कला से भी परिचित कराती हैं.

rajnish manga 01-01-2015 09:48 PM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान/बोध कथा- गुलामी
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राजसिंहासनपर सो रही बूढ़ी रानी को चार दास खड़े पंखा झल रहे थे और वह मस्त खर्राटेले रही थी। रानी की गोद में एक बिल्ली बैठी घुरघुरा रही थी और उनींदी आंखोंसे गुलामों की ओर टकटकी लगाए थी।

एक दास ने कहा, ‘‘यह बूढ़ी औरत नींद में कितनी बदसूरत लग रही है। इसका लटकाहुआ मुँह तो देखो, ऐसे भद्दे ढंग से साँस ले रही है मानों किसी ने गर्दनदबा रखी हो।’’

तभी बिल्ली घुरघुराई और अपनी भाषा में बोली, ‘‘सोते हुए रानी उतनी बदसूरतनहीं लग रही जितना कि तुम जागते हुए अपनी गुलामी में लग रहे हो।’’

तभी दूसरा दास बोला, ‘‘सोते हुए इसकी झुर्रियां कितनी गहरी मालूम हो रही हैं, जरूर कोई बुरा सपना देख रही है।’’

बिल्ली फिर घुरघुराई, ‘‘तुम जागते हुए आजादी के सपने कब देखोगे?’’

तीसरे ने कहा, ‘‘शायद यह सपने में उन लोगों को जुलूस की शक्ल में देख रही है, जिनको इसने निर्ममता से कत्ल करवा दिया था।’’

बिल्ली अपनी जबान में बोली, ‘‘हाँ, वह तुम्हारे बाप दादाओं और बड़े हो रहे बच्चों के सपने देख रही हेै।’’

चौथे ने कहा, ‘‘इस तरह इसके बारे में बातें करने से अच्छा लगता है, फिर भीखड़ेखड़े पंखा करने से हो रही थकान में तो कोई फर्क नहीं पड़ रहा।’’

बिल्ली घुरघुराई,‘‘तुम्हें अनन्तकाल तक इसी तरह पंखे से हवा करते रहना चाहिए...’’

ठीक इसी समय रानी ने नींद में सिर हिलाया तो उसका मुकुट फर्श पर गिर गया।
उनमें से एक दास बोला, ‘‘यह तो अपशकुन है।
’’


rajnish manga 01-01-2015 09:52 PM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
[QUOTE=rajnish manga;545122]खलील जिब्रान/बोध कथा- गुलामी
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/i...ZIEU4hbGtMVAGA

बिल्ली ने कहा, ‘‘किसी के लिए जो अपशकुन होता है, वही दूसरे के लिए शुभ संकेत होता है।’’

दूसरा दास बोला, ‘‘अगर अभी ये जाग जाए और अपना गिरा हुआ मुकुट देख ले तो? निश्चित रूप से हमें कत्ल करवा देगी।’’

बिल्ली घुरघुराई, ‘‘जब से तुम पैदा हुए वो वह तुम्हें कत्ल करवाती आ रही है और तुम्हें पता ही नही।’’

तीसरे दास ने कहा, ‘‘हाँ, वह हमें कत्ल करवा देगी और फिर इसे ईश्वर के लिए बलिदानका नाम देगी।’’

बिल्ली की घुरघुराहट, ‘‘केवल कमजोर लोगों की ही बलि चढ़ायी जाती है।’’

चौथे दास ने सबको चुप कराया और फिर सावधानी से मुकुट उठाकर वापस रानी के सिर पर रख दिया। उसने इस बात का ध्यान रखा कि कहीं रानी जाग न जाए।

बिल्ली ने घुरघुराहट में कहा, ‘‘एक गुलाम ही गिरा हुआ मुकुट वापस रखता है।’’

थोड़ी देर बाद रानी जाग गई। उसने जमुहाई लेते हुए चारों तरफ देखा, फिर बोली, ‘‘लगता है मैं सपना देख रही थी। एक अत्यद्दिक प्राचीन ओक का पेड़...उसके चारों और भागते चार कीड़े..उनका पीछा करता एक बिच्छु! मुझे तो यह सपना अच्छा नहीं लगा।’’

यह कहकर उसने फिर आँखें बन्द कर लीं और खर्राटे लेने लगी। चारों दास फिर पंखों से हवा करने लगे।

बिल्ली घुरघुराई और बोली, ‘‘हवा करते रहो...पंखा झलते रहो! मूर्खो!! तुम आग को हवा देते रहो ताकि वह तुम्हें जलाकर राख कर दे।’’

किसी ने लिखा भी है क़ि--------
''पिजड़ा हो सोने का फिर भी,
भली नहीं है कभी गुलामी''

**

rajnish manga 01-01-2015 10:12 PM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान/
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आस्तिक और नास्तिक एक ही तो हैं
साभार: रामकुमार “अंकुश”

अफकार नामक एक प्राचीन नगर में किसी समय दो विद्वान् रहते थे. उनके विचारों में बड़ी भिन्नता थी. एक दुसरे की विद्या की हंसी उड़ाते थे. क्योंकि उनमे से एक आस्तिक था और दूसरा नास्तिक.

एक दिन दोनों बाजार में मिले और अपने अनुयायियों की उपस्थिति में ईश्वर के अस्तित्व पर बहस करने लगे घंटों बहस करने के बाद एक दुसरे से अलग हुए.

उसी शाम नास्तिक मंदिर में गया और बेदी के सामने सिर झुका कर अपने पिछले पापों के लिए क्षमा याचना करने लगा। ठीक उसी समय दूसरे विद्वान ने भी, जो ईश्वर की सत्ता में विश्वास करता था, अपनी पुस्तकें जला डालीं, क्योंकि अब वह नास्तिक बन गया था...

[ओशो कहते थे कि ईश्वर है या नहीं इस तरह की बहस अनंत है, ईश्वर है, के भी हजार उदाहरण हैं और ईश्वर नहीं है के भी हजार उदाहरण हैं।कोई किसी से कम नहीं है. न नास्तिक और न ही आस्तिक. इसी कारण जब बुद्ध सेपूछा जाता था कि ईश्वर है या नहीं तो बुद्ध मौन रह जाया करते थे॥]



rajnish manga 01-01-2015 10:18 PM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान/ पुरुष और परमात्मा
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प्राचीन काल में जब मेरे होंट पहली बार हिले तो मैंने पवित्र पर्वत पर चढ़ कर ईश्वर से कहा : "स्वामिन! में तेरा दास हूँ. तेरी गुप्त इच्छा मेरे लिए कानून है. में सदैव तेरी आज्ञा का पालन करूंगा."

लेकिन ईश्वर ने मुझे कोई जबाव नहीं दिया. और वह जबरदस्त तूफान की तरह तेजी से गुजर गया.

एक हजार वर्ष बाद में फिर उस पवित्र पहाड़ पर चढा और ईश्वर से प्रार्थना की," परमपिता में तेरी सृष्टि हूँ, तूने मुझे मिटटी से पैदा किया है और मेरे पास जो कुछ है, सब तेरी ही देन है."

किन्तु परमेश्वर ने फिर भी कोई उत्तर न दिया और वह हजार हजार पक्षियों की तरह सन्न से निकल गया.

हजार वर्ष बाद में फिर उस पवित्र पहाड़ पर चढा और ईश्वर को संबोधित कर कहा," हे प्रभु में तेरी संतान हूँ, प्रेम और दया पूर्वक तूने मुझे पैदा किया है. और तेरी भक्ति और प्रेम से ही में तेरे साम्राज्य का अधिकारी बनूंगा .'

लेकिन ईश्वर ने कोई जबाव नहीं दिया और एक ऐसे कुहरे की तरह, जो सुदूर पहाडों पर छाया रहता है, निकल गया.

एक हजार वर्ष बाद मैं फिर उस पवित्र पहाड़ पर चढा और परमेश्वर को संबोधित करके कहा:

मेरे मालिक! तू मेरा उद्देश्य है और तू ही मेरी परिपूर्णता है. मैं तेरा विगत काल और तू मेरा भविष्य है. मैं तेरा मूल हूँ और तू आकाश में मेरा फल है. और हम दोनों एक साथ सूर्य के प्रकाश में पनपते हैं."

तब ईश्वर मेरी तरफ झुका और मेरे कानों में आहिस्ता से मीठे शब्द कहे और जिस तरह समुद्र अपनी और दौड़ती हुई नदी को छाती से लगा लेता है उसी तरह उसने मुझे सीने से लिपटा लिया.

और जब में पहाडों से उतर कर मैदानों और घाटियों में आया तो मैंने ईश्वर को वहां भी मौजूद पाया ...

[ओशो कहते हैं कि ईश्वर तो एक शब्द मात्र है.जो अपनी सुबिधा के लिए मनुष्य ने गढा है. अन्यथा तो वह परम उर्जा ही है. उस परम उर्जा को समझना ही अस्तित्व को पा लेना है। इस परम उर्जा को समझने के लिए खलील जिब्रान की उपरोक्त लघुकथा बहुत उपयोगी है]

rajnish manga 02-01-2015 09:13 AM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान
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शैतान
साभार: डॉ. प्रभात टंडन

शैतानकहानी का सार बहुत ही सार्गर्भित और ईशवर और शैतान की परिकल्पना पर रोशनी डालने वाला है । यह कहानी उत्तरी लेबनान के एक पुरोहित पिता इस्मान की है जो गाँव-२ मे घूमते हुये जनसाधारण को धार्मिक उपदेश देने का काम करते थे । एक दिन जब वह चर्च की तरफ़ जा रहे थे तो उन्हें जंगल मे खाई में एक आदमी पडा हुआ दिखा जिसके घावों से खून रिस रहा था । उसकी चीत्कार की आवाज को सुनकर जब पास जा कर पिता इस्मान ने गौर से देखा तो उसकी शक्ल जानी -पहचानी सी मालूम हुयी । इस्मान ने उस आदमी से कहा , ’ लगता है कि मैने कहीं तुमको देखा है ? ’

और उस मरणासन आदमी ने कहा,

जरुर देखा होगा । मै शैतान हूँ और पादरियों से मेरा पुराना नाता है ।

तब इस्मान को ख्याल आया कि वह तो शैतान है और चर्च मे उसकी तस्वीर लटकी हुई है । उसने अपने हाथ अलग कर लिये और कहा कि वह मर ही जाये।

वह शैतान जोर से हँसा और उसने कहा,

क्या तुम्हें यह पता नहीं है कि अगर मेरा अन्त हो गया तो तुम भी भूखे मर जाओगे?. … अगर मेरा नाम ही दुनिया से उठ गया तो तुम्हारी जीवका का क्या होगा?”

rajnish manga 02-01-2015 09:18 AM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान
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शैतान
एक पुजारी होकर क्या तुम नही सोचते कि केवल शैतान के अस्तित्व ने ही उसके शत्रु मंदिर का निर्माण किया है ? वह पुरातन विरोध ही एक ऐसा रहस्मय हाथ है , जो कि निष्कपट लोगों की जेब से सोना चांदी निकाल कर उपदेशकों और महंतों की तिजोरियों में संचित करता है ।

तुम गर्व मे चूर हो लेकिन नासमझ हो । मै तुम्हें विशवास का इतिहास सुनाऊगाँ और तुम उसमे सत्य को पाओगे जो हम दोनो के अस्तित्व को संयुक्त करता है और मेरे अस्तित्व को तुम्हारे अन्तकरण से बाँध देता है ।
समय के आरम्भ के पहले प्रहर मे आदमी सूर्य के चेहरे के सामने खडा हो गया और चिल्लाया , ’ आकाश के पीछे एक महान , स्नेहमय और उदार ईशवर वास करता है ।

जब आदमी ने उस बडे वृत की की ओर पीठ फ़ेर ली तो उसे अपनी परछाईं पृथ्वी पर दिखाई दी । वह चिल्ला उठा, ’ पृथ्वी की गहराईयों में एक शैतान रहता है जो दृष्टता को प्यार करता है।

और वह आदमी अपने -आपसे कानाफ़ूसी करते हुये अपनी गुफ़ा की ओर चल दिया, ’ मै दो बलशाली शक्तियों के बीच मे हूँ । एक वह, जिसकी मुझे शरण लेनी चाहिये और दूसरी वह , जिसके विरुद्द मुझे युद्द करना होगा।

और सदियां जुलूस बना कर निकल गयीं , लेकिन मनुष्य दो शक्तियों के बीच मे डटा रहा एक वह जिसकी वह अर्चना करता था , क्योंकि इसमे उसकी उन्नति थी और दूसरी वह, जिसकी वह निन्दा करता था , क्योंकि वह उसे भयभीत करती थी ।

rajnish manga 02-01-2015 09:19 AM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
[QUOTE=rajnish manga;545133]खलील जिब्रान
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शैतान
थोडी देर बाद शैतान चुप हो गया और फ़िर बोला,

पृथ्वी पर भविष्यवाणी का जन्म भी मेरे कारण हुआ । ला-विस प्रथम मनुष्य था जिसने मेरी पैशाचिकता को एक व्यवासाय बनाया । ला-विस की मृत्यु के बाद यह वृति एक पूर्ण धन्धा बन गया और उन लोगों ने अपनाया जिनके मस्तिष्क मे ज्ञान का भण्डार है तथा जिनकी आत्मायें श्रेष्ठ , ह्र्दय स्वच्छ एवं कल्पनाशक्ति अनन्त है।
बेबीलोन (बाबुल) मे लोग एक पुजारी की पूजा सात बार झुक कर करते हैं जो मेरे साथ अपने भजनों द्वारा युद्द ठाने हुये हैं ।

नाइनेवेह ( नेनवा ) मे वे एक मनुष्य को , जिसका कहना है कि उसने मेरे आन्तरिक रहस्यों को जान लिया है , ईशवर और मेरे बीच एक सुनहरी कडी मानते हैं।

तिब्बत में वे एक मनुष्य को , जो मेरे साथ एक बार अपनी श्क्ति आजमा चुका है , सूर्य और चन्द्र्मा के पुत्र के नाम से पुकारते हैं।

बाइबल्स में ईफ़ेसस औइर एंटियोक ने अपने बच्चों का जीवन मेरे विरोधी पर बलिदान कर दिया।

और यरुशलम तथा रोम मे लोगों ने अपने जीवन को उनके हाथों सौंप दिया , जो मुझसे घृणा करते हैं और अपनी सम्पूर्ण शक्ति द्वारा मुझसे युद्द मे लगे हुये हैं।

यदि मै न होता तो मन्दिर न बनाये जाते, मीनारों और विशाल धार्मिक भवनों का निर्माण न हुआ होता।

rajnish manga 02-01-2015 09:32 AM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
[QUOTE=rajnish manga;545134][QUOTE=rajnish manga;545133]खलील जिब्रान
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शैतान
मै वह साहस हूँ, जो मनुष्य मे दृढ निष्ठा पैदा करता है

मै वह स्त्रोत हूँ, जो भावनाओं की अपूर्वता को उकसाता है।

मै शैतान हूँ, अजर-अमर! मै शैतान हूँ , जिसके साथ लोग युद्द इसलिये करते हैं कि जीवित रह सकें। यदि वह मुझसे युद्द करना बंद कर दें तो आलस्य उनके मस्तिष्क, ह्र्दय और आत्मा के स्पन्दन को बन्द कर देगा
मै एक मूक और क्रुद्द तूफ़ान हूँ , जो पुरुष के मस्तिष्क और नारी के ह्र्दय को झकझोर डालता है। मुझसे भयभीत होकर वे मुझे दण्ड दिलाने मन्दिरों एवं धर्म-मठों को भाग जाते हैं अथवा मेरी प्रसन्नता के लिये, बुरे स्थान पर जाकर मेरी इच्छा के सम्मुख आत्म -समर्पण कर देते हैं ।

मै शैतान हूँ अजर-अमर !

भय की नींव पर खडे धर्म मठॊ का मै ही निर्माता हूँ । …..यदि मै न रहूँ तो विशव मे भय और आनन्द का अन्त हो जायेगा और इनके लोप हो जाने से मनुष्य के ह्र्दय मे आशाएं एंव आकाक्षाएं भी न रहेगीं ।

मै अमर शैतान हूँ !

rajnish manga 02-01-2015 09:34 AM

Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
 
खलील जिब्रान
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शैतान
झूठ , अपयश , विशवासघात , एवं विडम्बना के लिये मै प्रोत्साहन हूँ और यदि इन तत्वों का बहिष्कार कर दिया जाए तो मानव- समाज एक निर्जन क्षेत्र-मात्र रह जायेगा , जिसमें धर्म के कांटॊं के अतिरिक्त कुछ भी न पनप पायेगा ।

मै अमर शैतान हूँ !

मैं पाप का ह्र्दय हूँ । क्या तुम यह इच्छा कर सकोगे कि मेरे ह्र्दय के स्पन्दन को थामकर तुम मनुष्य गति को रोक दो ?”

क्या तुम मूल को नष्ट करके उसके परिणाम को स्वीकार कर पाओगे ? मै ही तो मूल हूँ ।

क्या तुम अब भी मुझे इस निर्जन वन मे इसी तरह मरता छोडकर चले जाओगे?”

क्या तुम आज उसी बन्धन को तोड फ़ेंकना चाहते हो , जो मेरे और तुम्हारे बीच दृढ है ? जबाब दो , ऐ पुजारी!

पिता इसमान व्याकुल हो उठे और कांपते हुये बोले,

मुझे विश्वास हो गया है कि यदि तुम्हारी मृत्यु हो गयी तो प्रलोभन का भी अन्त हो जायेगा और इसके अन्त से मृत्यु उस आदर्श शक्ति को नष्ट कर देगी , जो मनुष्य को उन्नत और चौकस बनाती है !

तुम्हें जीवित रहना होगा । यदि तुम मर गये तो लोगों के मन से भय का अन्त हो जायेगा और वे पूजा अर्चना करना छोड देगें, क्योंकि पाप का अस्तित्व न रहेगा !

और अन्त मे पिता इस्मान ने अपने कुरते की बाहें चढाते हुये शैतान को अपने कंधें पर लादा और अपने घर को चल दिये।
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